Yllix

छोटी छोटी खुशियाँ बाँटे ,( लघु कथा)

 


बहुत दिनो से #Pleasure🛵 गाडी का उपयोग नही होने से, वह पडी पडी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी। 

विचार आया Olx पे बेच दे

Add डाला किमत *Rs 30000/-


बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक। 

मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 देगा भी।

एक का 29 का प्रस्ताव आया। 

उसे भी waiting में रखा।


एक सुबह काल आया, उसने कहा-

*साहब नमस्कार 🙏 , आपकी गाडी का add देखा। पसंद भी आयी है। परंतु  30 जमाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी सायकल, कभी बस, कभी किसी के साथ। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी गाडी से ही जाये। आप कृपया  Pleasure 🛵 मुझे ही दिजीएगा। नयी गाडी दुगनी किमत से भी ज्यादा है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोडा समय दिजीए। मै पैसो का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर  निवेदन है साहब, Pleasure मुझे ही दिजीएगा।


मैने औपचारिकता में मात्र Ok 👌 बोलकर फोन रख दिया। 


कुछ विचार मन में आये। 

वापस काल बैक किया और कहा आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार  लेकर आईए, गाडी आप  ही ले जाईए वह भी मात्र 24 में ही


मेरे पास 29 का प्रस्ताव होने पर भी 24 में किसी अपरिचित व्यक्ति को मै Pleasure🛵 देने जा रहा था। 

सोचा उस परिवार में आज कितने Pleasure🛵 या आनंद का निर्माण हुआ होगा। 

कल उनके घर Pleasure🛵 आएगी। 

और मुझे ज्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था।

ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बडा धन #समाधान है जो कूट-कूटकर दिया है। 


अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया  साहब कितने बजे आऊ, आपका समय तो नही खराब होगा। पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर या अकेले आऊ। पर साहब Pleasure🛵 गाडी किसी को और नही दिजीएगा।


वह 2000, 500, 200, 100, 50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नही कहा कहा से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है।  


बेटा एकदम आतुरता और कृतज्ञता से Pleasure🛵 को देख रहा था। मैने उसे दोनो चाबियां दी, कागज दिये। बेटा गाडी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकास कर पोछ रहा था। 


उसनें पैसे गिनने कहा, मैने कहा आप गिनकर ही लाये है, कोई दिक्कत नहीं।

जब जाने लगे, तो मैने उन्हे 500 का एक नोट वापस करते कहाँ, घर जाते मिठाई लेते जाएगा। सोच यह थी कि कही तेल के पैसे है या नही। और यदि है तो मिठाई और तेल दोनो इसमें आ जायेंगें। 


आँखों  में कृतज्ञता के आंसु लिये उसने हमसे विदा ली और अपनी Pleasure🛵 ले गया। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया।


हम लोग सहज भाव में कहते है it's my pleasure

परंतु आज Pleasure🛵 बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में  #Pleasure  होता क्या है। 


जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। 

अपने माध्यम से किसी को क्या सचमें कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है।

 

करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नही,

किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है। 

आज सब्जी वाली किसी बुजुर्ग महिला या पुरुष को अपनी ओर से केवल 5 या 10 रुपये अधिक देकर देखिएगा, 

वही #Pleasure न आये तो कहना। 



#जयजयभारत

Har har mahadev

 मेरे समूह से साभार 



एक मशहूर धनुर्धर थिम्मन एक दिन शिकार के लिए गए। जंगल में उन्हें एक मंदिर मिला, जिसमें एक शिवलिंग था। थिम्मन के मन में शिव के लिए एक गहरा प्रेम भर गया और उन्होंने वहां कुछ अर्पण करना चाहा। लेकिन उन्हें समझ नहीं आया कि कैसे और किस विधि ये काम करें। उन्होंने भोलेपन में अपने पास मौजूद मांस शिवलिंग पर अर्पित कर दिया और खुश होकर चले गए कि शिव ने उनका चढ़ावा स्वीकार कर लिया।


उस मंदिर की देखभाल एक ब्राह्मण करता था जो उस मंदिर से कहीं दूर रहता था। हालांकि वह शिव का भक्‍त था लेकिन वह रोजाना इतनी दूर मंदिर तक नहीं आ सकता था इसलिए वह सिर्फ पंद्रह दिनों में एक बार आता था। अगले दिन जब ब्राह्मण वहां पहुंचा, तो शिव लिंग के बगल में मांस पड़ा देखकर वह भौंचक्‍का रह गया। यह सोचते हुए कि यह किसी जानवर का काम होगा, उसने मंदिर की सफाई कर दी, अपनी पूजा की और चला गया। अगले दिन, थिम्मन और मांस अर्पण करने के लिए लाए। उन्हें किसी पूजा पाठ की जानकारी नहीं थी, इसलिए वह बैठकर शिव से अपने दिल की बात करने लगे। वह मांस चढ़ाने के लिए रोज आने लगे। एक दिन उन्हें लगा कि शिवलिंग की सफाई जरूरी है लेकिन उनके पास पानी लाने के लिए कोई बरतन नहीं था। इसलिए वह झरने तक गए और अपने मुंह में पानी भर कर लाए और वही पानी शिवलिंग पर डाल दिया।


जब ब्राह्मण वापस मंदिर आया तो मंदिर में मांस और शिवलिंग पर थूक देखकर घृणा से भर गया। वह जानता था कि ऐसा कोई जानवर नहीं कर सकता। यह कोई इंसान ही कर सकता था। उसने मंदिर साफ किया, शिवलिंग को शुद्ध करने के लिए मंत्र पढ़े। फिर पूजा पाठ करके चला गया। लेकिन हर बार आने पर उसे शिवलिंग उसी अशुद्ध अवस्था में मिलता। एक दिन उसने आंसुओं से भरकर शिव से पूछा, “हे देवों के देव, आप अपना इतना अपमान कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं।” शिव ने जवाब दिया, “जिसे तुम अपमान मानते हो, वह एक दूसरे भक्त का अर्पण है। मैं उसकी भक्ति से बंधा हुआ हूं और वह जो भी अर्पित करता है, उसे स्वीकार करता हूं। अगर तुम उसकी भक्ति की गहराई देखना चाहते हो, तो पास में कहीं जा कर छिप जाओ और देखो। वह आने ही वाला है। ”ब्राह्मण एक झाड़ी के पीछे छिप गया। थिम्मन मांस और पानी के साथ आया। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि शिव हमेशा की तरह उसका चढ़ावा स्वीकार नहीं कर रहे। वह सोचने लगा कि उसने कौन सा पाप कर दिया है। उसने लिंग को करीब से देखा तो पाया कि लिंग की दाहिनी आंख से कुछ रिस रहा है। उसने उस आंख में जड़ी-बूटी लगाई ताकि वह ठीक हो सके लेकिन उससे और रक्‍त आने लगा। आखिरकार, उसने अपनी आंख देने का फैसला किया। उसने अपना एक चाकू निकाला, अपनी दाहिनी आंख निकाली और उसे लिंग पर रख दिया। रक्‍त टपकना बंद हो गया और थिम्मन ने राहत की सांस ली।

 लेकिन तभी उसका ध्यान गया कि लिंग की बाईं आंख से भी रक्‍त निकल रहा है। उसने तत्काल अपनी दूसरी आंख निकालने के लिए चाकू निकाल लिया, लेकिन फिर उसे लगा कि वह देख नहीं पाएगा कि उस आंख को कहां रखना है। तो उसने लिंग पर अपना पैर रखा और अपनी आंख निकाल ली। उसकी अपार भक्ति को देखते हुए, शिव ने थिम्मन को दर्शन दिए। उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई और वह शिव के आगे दंडवत हो गया। उसे कन्नप्पा नयनार के नाम से जाना गया। कन्ना यानी आंखें अर्पित करने वाला नयनार यानी शिव भक्त।

हर हर महादेव 🔱🕉️

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