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म्यूचुअल फंड में निवेश कितना सुरक्षित...?

आप अपनी कमाई को कितनी बड़ी पूंजी में बदल पाएंगे, यह इस पर निर्भर करता है कि आप उसे कैसे और कहां निवेश करते हैं। शेयर बाज़ार में पैसा लगाने वाले कई लोगों ने जमकर पैसा कमाया है, तो कई लुटे भी हैं। अगर आप शेयर बाज़ार के जानकार नहीं हैं तो सीधे शेयर बाज़ार की आंच में आने से बचिए।

...तो फिर भविष्य के लिए पूंजी कैसे बढ़ेगी। हमारे कार्यक्रम 'पैसा वसूल' में यही जानकारी देने आए जाने-माने म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट धीरेंद्र कुमार, जो वैल्यू रिसर्च के सीईओ भी हैं। जानिए, उनकी दी गई कुछ टिप्स।
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----- देखें वीडियो -----
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क्या है म्यूचुअल फंड...?
  • शेयर बाज़ार में निवेश का एक बढ़िया विकल्प
  • इसमें फंड को अलग-अलग तरह के शेयरों में लगाया जाता है
  • म्यूचुअल फंड के पैसे को जानकार बाज़ार में निवेश करते हैं
म्यूचुअल फंड में निवेश क्यों...?
  • निवेशक के पैसे का शेयर बाज़ार में ज़्यादा सुरक्षित निवेश
  • शेयरों में सीधा पैसा लगाने से नुकसान की आशंका
  • शेयरों के मुक़ाबले बाज़ार के भारी उतार-चढ़ाव के असर से ज़्यादा सुरक्षित
  • नियमित तौर पर छोटी राशि भी लगाई जा सकती है
  • चार से पांच हज़ार रुपये प्रतिमाह निवेश अच्छा विकल्प
  • इस फंड को प्रोफेशनल एक्सपर्ट मैनेज करते हैं
  • फंड को मैनेज करने की फीस मामूली, दो से तीन फीसदी
बैंक में निवेश से बेहतर क्यों है म्यूचुअल फंड...?
  • बैंक में पैसा सुरक्षित, लेकिन ब्याज दर 7% से 8% ही मिलती है
  • महंगाई दर भी 7% से 8% सालाना के आसपास रहती है
  • बैंक से मिलने वाला रिटर्न महंगाई के असर से बचाने में नाकाम
  • बैंक में रखने से पैसे की खरीद की ताकत ज़्यादा नहीं बढ़ पाती
  • कम समय में ही पैसा वापस चाहिए तो बैंक में रखें
  • लंबा निवेश करना है तो म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प
म्यूचुअल फंड के लिए धैर्य ज़रूरी
  • लंबे समय के लिए निवेश का अच्छा विकल्प
  • उतना ही पैसा लगाएं, जिसे आप लंबे समय तक नियमित लगा पाएं
शेयरों से बेहतर है म्यूचुअल फंड
  • कोई एक शेयर तेज़ी से उठ या गिर सकता है
  • आम निवेशक को कंपनियों की अच्छी जानकारी नहीं होती
  • म्यूचुअल फंड में अलग-अलग कंपनियों के शेयर एक साथ
  • म्यूचुअल फंड में बाज़ार की उठापटक का ख़तरा काबू में
  • म्यूचुअल फंड को प्रोफेशनल एक्सपर्ट मैनेज करते हैं
ये उदाहरण देखें
  • बीते 20 सालों में पीपीएफ में 30 लाख रुपये का निवेश 84 लाख रुपये हुआ
  • बीते 20 सालों में शेयर बाज़ार में 30 लाख रुपये का निवेश करीब 1.36 करोड़ रुपये हुआ
  • बीते 20 सालों में विधिवत म्यूचुअल फंड में 30 लाख रुपये का निवेश करीब 1.85 करोड़ रुपये हुआ
क्या करें, क्या न करें...?
  • बाज़ार की उठापटक पर ध्यान मत लगाइए
  • लंबे समय के लिए नियमित पैसा लगाइए, तभी औसत बढ़त का फायदा
  • पिछले कुछ दिन या महीनों के प्रदर्शन के हिसाब से फंड का चुनाव न करें
  • दोस्तों को हुए फ़ायदे या नुकसान को देखते हुए चुनाव न करें
  • फंड में उतना ही पैसा डालें, जो आप आराम से लंबे समय तक डाल सकते हैं
  • फंड में एकमुश्त ज़्यादा पैसा न लगाएं, बाज़ार की उठापटक से बचे रहेंगे
इन्कम टैक्स छूट से संबंध
  • 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपये तक निवेश पर टैक्स छूट मिलती है
  • अगर डेढ़ लाख रुपये और हैं तो टैक्स सेविंग फंड पर लगाएं
  • इससे इक्विटी में लगाने का फायदा, टैक्स सेविंग का फायदा, कम से कम तीन साल तक बचत का फायदा
  • टैक्स सेविंग फंड में तीन साल तक पैसा नहीं निकाल सकते
अगर टैक्स से ताल्लुक नहीं...
  • बैलेंस्ड फंड में निवेश करें
  • ऐसा फंड चुनें, जिसमें बहुत उतार-चढ़ाव न हो
  • बैलेंस्ड फंड में 70% इक्विटी, 30% फिक्स्ड इन्कम
  • बैलेंस्ड फंड बाज़ार के चढ़ने पर तेज़ी से बढ़ता है, लेकिन गिरने पर तेज़ी से नहीं गिरता
म्यूचुअल फंड कैसे चुनें...?
  • पांच साल से ज़्यादा ट्रैक रिकॉर्ड वाले फंड पर पैसा लगाएं
  • अच्छा फंड वह, जो तेज़ी से गिरते बाज़ार में धीरे गिरे, तेज़ी से चढ़ते बाज़ार में ठीक-ठाक चढ़ जाए
  • फंड में स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए
  • किसी एक विशेष क्षेत्र के फंड में पैसा लगाने से बचना चाहिए
  • डाइवर्सिफाइड फंड में ही पैसा लगाएं

म्‍यूचुअल फंड में निवेश, जान लीजिए आपके लिए क्‍या है सबसे बेहतर तरीका

नई दिल्ली। म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम में निवेश करने के यहां दो तरीके हैं। या तो आप एक लंपसम राशि जमा कर सकते हैं या आप सिस्‍टेमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (सिप) का रास्‍ता अपना सकते हैं। लंपसम का रास्‍ता तब अपनाया जाता है जब आप एक बड़ी राशि एक बार में ही निवेश करना चाहते हों। दूसरी ओर सिप के जरिये आप एक निश्चित समय अंतराल पर एक निश्‍चित राशि जमा करते हैं। यह समय मासिक या तिमाही कुछ भी हो सकता है। वर्तमान में यहां सिप के कई विकल्‍प मौजूद हैं, उदाहरण के लिए आप हर माह बाजार के आधार पर निवेश की जाने वाली राशि बदल सकते हैं। लेकिन आज के लिए हम यहां केवल तय सिप राशि के बारे में आपको बताएंगे, कि आपको कौन सा रास्‍ता चुनना चाहिए।
कैश फ्लो पर डालें एक नजर
निवेश के लिए आपको कौन सा रास्‍ता चुनना चाहिए ये जानने के लिए सबसे पहले आपको अपने कैश फ्लो पर एक नजर डालनी चाहिए। आप कितने दिन में अपनी आय प्राप्‍त करते हैं? वेतनभोगी कर्मचारी हर महीने एक तय राशि प्राप्‍त करता है और उनकी आय नियमित होती है। यदि आपकी आमदनी तय है तो इसका मतलब है कि आप नियमित तौर पर निवेश करने की स्थिति में हैं। मासिक सिप आपके लिए बेहतर रहेगी।
लेकिन यदि आप एक बिजनेसमैन हैं, तो आपकी आमदनी अनियमित हो सकती है, कुछ माह में आपकी आमदनी बहुत ज्‍यादा हो सकती है और कुछ माह में आमदनी घट भी सकती है। यदि आप अपने कैश फ्लो का प्‍लान सही तरीके से बनाते हैं तो आप अपने सिप के साथ बने रह सकते हैं। लेकन कुछ लोग जब अतिरिक्‍त नकदी हासिल करते हैं तो वो लंपसम राशि भी म्‍युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसी प्रकार, यदि आपको बोनस मिला है, या आपको उपहार में कोई राशि या विरासत में संपत्ति या रिटायरमेंट राशि मिली हैं, तो ऐसे मामले में आप लंपसम राशि का निवेश कर सकते हैं।
रिटर्न की तुलना न करें
लोग सिप और लंपसम इन्‍वेस्‍टमेंट पर मिलने वाले रिटर्न की तुलना करते हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आपको कभी भी रिटर्न की तुलना नहीं करनी चाहिए क्‍योंकि लंबी अवधि में इन दोनों तरीकों से मिलने वाले रिटर्न में ज्‍यादा कोई अंतर नहीं होता है। एक विश्‍लेषण से यह पता चला है कि डाइवर्सीफाइड फंड्स में 10 और 15 साल की समयावधि में दोनों तरीकों सिप ओर लंपसम रिटर्न में केवल 2 फीसदी अंक का अंतर था। हालांकि, एक से पांच साल की समयावधि में रिटर्न का अंतर बहुत ज्‍यादा था।
क्‍या आपको बाजार पर नजर रखनी चाहिए?
हम आपको बाजार पर नजर रखने की सलाह नहीं देते हैं। लेकिन आप यह तय करने के लिए कि आप सिप करना चाहते हैं या लंपसम निवेश इसका फैसला करने के लिए आप बाजार पर एक नजर जरूर डाल सकते हैं। जब आप निवेश के लिए तैयार है और उस समय यदि बाजार लगातार गिरावट के दौर में हैं तो सामान्‍य तौर पर लंपसम निवेश अच्‍छा होता है। हालांकि, जैसा कि ऊपर बताया गया है, जिनकी नियमित आय है उनके लिए सिप ही बेहतर विकल्‍प है। जिनकी अनियमित आय है तब वे अपने सरप्‍लस को लंपसम निवेश कर सकते हैं या इसे सिस्‍टेमैटिक ट्रांसफर प्‍लान की मदद से छोटे-छोटे टुकड़ों में निवेश कर सकते हैं। हमेशा एक बाद का जरूर ध्‍यान रखें कि लंपसम निवेश के लिए जोखिम सहने की क्षमता बहुत अधिक चाहिए। ऐसा भी हो सकता है कि आपके निवेश करने के तुरंत बाद बाजार क्रैश हो जाए तो आप अपने पैसे से हाथ भी धो सकते हैं। यदि आपने अच्‍दे फंड का चुनाव किया है और आप नियमित अंतराल पर निवेश जारी रखते हैं तो दस साल की अवधि में आपका औसत वार्षिक रिटर्न बेहतर मिलेगा। सिप से निवेश करना बहुत ही आसान है। इसलिए अपना तरीका चुनिए, लेकिन निवेश करना चालू रखिए

म्यूचुअल फंड में घर बैठे निवेश करने का तरीका


AMANPREET KAUR
Publish: May, 01 2016 11:16:00 AM (IST)
MUTUAL FUNDS
मयूचुअल फंड में लगाया गया पैसा मार्केट रिस्क से प्रभावित होता है, इसलिए सोच समझ कर निवेश करें
नई दिल्ली। अगर आप अपने पैसे को दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करते देखना चाहते हैं तो लम्बे समय के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करें, वहीं अगर आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से डरते हैं तो यहां हम आपको बता रहे हैं म्यूचुअल फंड में निवेश कारने का तरीका। हालांकि आपको यह बताना चाहेंगे कि मयूचुअल फंड में लगाया गया पैसा मार्केट रिस्क से प्रभावित होता है, इसलिए सोच समझ कर निवेश करें।

इस तरह कर सकते हैं डायरेक्‍ट इंवेस्‍टमेंट

ऑनलाइन तरीकों से होने वाले निवेश को आम बोलचाल की भाषा में डायरेक्‍ट इंवेस्‍टमेंट कहा जाता है, इसमें किसी ब्रोकर या एजेंट की मदद नहीं ली जाती। आप सीधे मनचाहे रूह्वह्लह्वड्डद्य स्नह्वठ्ठस्रह्य में निवेश कर सकते हैं। इसके दो तरीके हैं, आप सीधे संबंधित म्‍यूचुअल फंड कंपनी जैसे रिलायंस या कोटक जैसी कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर म्‍यूचुअल फंड एसआईपी खरीद सकते हैं। यहां आपको पर्सनल डिटेल्‍स के साथ नो योर कस्‍टमर(केवाईसी) और ऑनलाइन ट्रांजेक्‍शन एवं एसआईपी के लिए बैंक डिटेल भरनी होगी। दूसरी ओर आप जिप-सिप, फंड्स इंडिया, कोटक या आईसीआईसीआई जैसे पोर्टल पर रजिस्‍टर करवा सकते हैं, यहां सभी प्रकार के निवेश एक ही स्‍थान पर करने की सुविधा मिलती है।

ऑनलाइन निवेश के लिए केवाईसी जरूरी

भारत में निवेश के लिए आपकी केवाईसी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी होनी बेहद जरूरी है। जब आप एजेंट या ब्रोकर के माध्‍यम से निवेश करते हैं तो वह आपसे मैनुअली सभी डिटेल भरवा कर कंपनी में जमा करवाता है। लेकिन ऑनलाइन में आपको खुद ही पूरी डिटेल भरकर सबमिट करनी होती है। यदि आपने पहले निवेश किया है और केवाइसी पूरी है, तो ऑनलाइन निवेश के वक्‍त इसकी जरूरत नहीं पड़ती, कंपनी की वेबसाइट पर ऑटोमैटिक आपकी पूरी जानकारी फ्लैश कर जाती है। लेकिन यदि आपका केवाईसी नहीं है तो आपको संबंधित फॉर्म का प्रिंटआउट लेकर उसमें डिटेल भरकर पोस्‍ट के माध्‍यम से कंपनी में भेजनी होंगी।

खुद खरीद और बेच सकते हैं फंड्स

डायरेक्‍ट इंवेस्‍टमेंट का सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप अपने पोर्टफोलियो पर खुद नजर रख सकते हैं। यदि आपने रिसर्च कर अपने लिए कुछ फंड चुने हैं तो आप खुद बाय या पर्चेज के ऑप्‍शन में जाकर निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। आप चाहें तो इन फंड कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सलाह की भी मदद ले सकते हैं। यहां आपको विभिन्‍न फंड के बीच आसान कंपेरिजन टेबल भी मिलती है, इसके आधार पर आप अपने लिए सही फंड चुन सकते हैं। इसके अलावा आप खरीदे गए फंड को बेच भी सकते हैं। फंड रिडीम्‍ड करने के बाद आपके अकाउंट से जुड़े बैंक में सीधे यह पैसा ट्रांसफर हो जाएगा।

डायरेक्‍ट इंवेस्‍टमेंट के ये हैं फायदे

चूंकि यहां निवेश के लिए न तो आपको अलग से समय निकालना पड़ता है और न हीं ऑफिसों के चक्‍कर काटने पड़ते हैं। ऐसे में यहां निवेश करना दूसरे सभी तरीकों के मुकाबले काफी आसान है। आप दिन या रात, अपनी सुविधा के अनुसार निवेश कर सकते हैं। चूंकि निवेश की पूरी चाबी आपके हाथ में होती है, इसलिए यहां आप नियमित रूप से निवेश भी कर पाते हैं। साथ ही आपकी फायनेंशियल समझ भी बढ़ती है। दूसरी ओर एजेंट कमीशन के झंझट से मुक्‍त होने के कारण आपको यहां फायदा भी अधिक होता है।

डायरेक्‍ट इंवेस्‍टमेंट के नुकसान

सीधे ऑनलाइन निवेश में फायदों के साथ ही कुछ पेचीदगियां भी हैं। इसमें निवेशक को सब कुछ खुद करना होगा, आपके निवेश के लिए कोई सलाह नहीं मिल पाएगी। ऐसे में ऑनलाइन म्यूच्यूल फंड खरीदना आसान लेकिन कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। यहां आपको नियमित रूप से अपने निवेश को ट्रैक करने की जरूरत होती है। साथ ही नए निवेश विकल्‍पों की खुद ही तलाश करनी होती है।

म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे शुरु करें

बाजार में निवेश करना चाहते हैं लेकिन बाजार के उतार चढ़ाव से डरते हैं तो म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करना अच्छा विकल्प हो सकता है। म्यूचुअल फंड का पैसा भी बाजार में ही लगता है लेकिन इसमें ये काम आपके लिए एक जानकार करता है जिससे जोखिम काफी कम हो जाता है। आज इंवेस्टऑनलाइन डॉटइन के एमडी अभिनव एंग्रीश आपके म्यूचुअल फंड से जुड़े सवालों के जवाब देंगे।
सवालः बिड़ला सनलाइन फ्रंटलाइन इक्विटी फंड में 1000 रुपये निवेश कर रहा हूं। 30 साल के लिए दूसरे फंड में निवेश करना चाहता हूं। इसके लिए कोई फंड बताएं?
अभिनव एंग्रीशः आप 30 साल के लि 1000 रुपये आईसीआईसीआई डिस्कवरी फंड में निवेश करें। आप सनलाइन फ्रंटलाइन इक्विटी फंड में निवेश बढ़ाकर 1500 रुपये कर सकते हैं और आईसीआईसीआई डिस्कवरी फंड में भी 1500 रुपये हर महीने लगा सकते हैं। अगर आप 30 साल से ज्यादा निवेश करेंगे तो आप 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि इकट्ठा कर सकते हैं।
सवालः पिछले 3 साल से म्यूचुअल फंड में हर महीने 10000 रुपये निवेश कर रहा हूं। पोर्टफोलियो में हर महीने एचडीएफसी टॉप 200, बिड़ला सनलाइन फ्रंटलाइन इक्विटी फंड, रिलायंस ग्रोथ, सुंदरम स्माइल फंड और आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी में निवेश कर रहा हूं। क्या मौजूदा पोर्टफोलियो से 15 साल में 1 करोड़ रुपये और 25 साल में 1.5 करोड़ कमा सकता हूं?
अभिनव एंग्रीशः रिलायंस ग्रोथ, स्माइल फंड से निकल जाएं। रिलांयस ऑपर्च्युनिटी फंड में निवेश करें। बिड़ला सनलाइन फ्रंटलाइन इक्विटी फंड और रिलायंस फंड में निवेश बढ़ा सकते हैं। 12 फीसदी रिटर्न मिलने पर 15 साल में 50 लाख इक्टठा हो जाएंगे। 15 साल में 1 करोड़ रुपये के लिए हर महीने 20,000 रुपये निवेश और बढ़ाएं। अगले 10 सालों में 65,000 रुपये हर महीने निवेश बढ़ाना होगा। अगर आप समय से पहले पैसा निकालेंगे तो आपको पैसा निकालने से पावर ऑफ कंपाउंडिंग का फायदा नहीं मिलेगा।
सवालः म्यूचुअल फंड में निवेश शुरु करना चाहता हूं। एसआईपी के जरिए निवेश करना चाहता हूं। एजेंट के जरिए निवेश करूं या खुद भी निवेश कर सकता हूं?
अभिनव एंग्रीशः आप फंड हाउस के पास जाकर खुद भी निवेश कर सकते हैं या एजेंट के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। एजेंट के पास जाएंगे तो आपको कई स्कीमों के बारे में बता सकता है। अगर सीधा फंड हाउस जाते हैं तो वो अपने ही फंड की स्कीम के बार में बताएंगे। हालांकि एजेंट के जरिए निवेश करना थोड़ा महंगा होता है। अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो इंडेक्स फंड से निवेश शुरु करें। सेंसेक्स या निफ्टी में निवेश करने वाले किसी फंड को चुन सकते हैं। आईसीआईसीआई, रिलायंस, बिडला या एचडीएफसी जैसे किसी बड़े इंडेक्स फंड से शुरुआत करें। आप ऑनलाइन विकल्प से भी निवेश कर सकते हैं।  जब आपको भरोसा हो जाए तो आप इक्विटी फंड में निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने से पहले ये 5 बातें जरूर जान लें

आप किसी भी फाइनेंशियल एडवाइजर से निवेश पर सलाह लें, तो वो आपको इक्विटी में पैसे लगाने के लिए म्यूचुअल फंड चुनने की सलाह देगा.
वैसे म्यूचुअल फंड के जरिए सिर्फ इक्विटी या शेयर बाजार में ही नहीं, बल्कि डेट, गोल्ड और कमोडिटी में भी पैसे लगाए जा सकते हैं. लेकिन अगर आपको शेयर बाजार की ज्यादा समझ नहीं है या आप इसमें लगाए गए अपने पैसे की निगरानी के लिए वक्त नहीं निकाल सकते, तो म्यूचुअल फंड निश्चित तौर पर आपके लिए बेहतर माध्यम है.
तो जब आपने म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मन बना लिया, तो अगला सवाल सामने आता है कि म्यूचुअल फंड चुनें कैसे? यही सवाल सबसे अहम है, क्योंकि निवेश के लिए सही म्यूचुअल फंड चुनना अपने लिए सही लाइफ पार्टनर चुनने से कम नहीं है, क्योंकि बाजार में दर्जनों कंपनियों की हजारों म्यूचुअल फंड स्कीमें मौजूद हैं.

.म्यूचुअल फंड चुनाव का पहला कदम

सबसे पहले तो आपको ये तय करना है कि आपके निवेश का मकसद क्या है, आप कितना निवेश कर सकते हैं और कितने समय के लिए इसमें बने रह सकते हैं. अगर आपको साल-दो साल के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए अलग म्यूचुअल फंड होंगे. अगर आपको 5, 7, 10 साल या इससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए दूसरे म्यूचुअल फंड होंगे.
मतलब साफ है कि सही म्यूचुअल फंड का चुनाव इसी बात पर निर्भर करता है कि आपकी निवेश अवधि क्या है.
मिसाल के लिए, अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आप डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं. वहीं अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो फिर आपके लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड सही रहेंगे.

2. दूसरा कदम है जोखिम लेने की क्षमता तय करना

एक बार जब आपने निवेश की अवधि तय कर ली, फिर आपको ये सवाल खुद से पूछना है कि आप इस निवेश के लिए कितना जोखिम ले सकते हैं. याद रखें कि ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम लेना पड़ता है, लेकिन निवेश में सिर्फ रिटर्न महत्वपूर्ण नहीं होता, कैपिटल प्रोटेक्शन यानी आपकी लगाई गई पूंजी की सुरक्षा भी मायने रखती है.
मान लीजिए कि आपने लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश का मन बना लिया है, लेकिन आप इस बात का जोखिम नहीं ले सकते कि आपके निवेश की वैल्यू में गिरावट आ जाए, फिर आपको वैसे फंड चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और जोखिम संतुलित रहे.
यानी आप प्योर इक्विटी फंड की बजाय बैलेंस्ड फंड में निवेश करें, जो इक्विटी और डेट दोनों में एक निश्चित अनुपात में पैसे लगाते हैं.

3. फंड का पिछला प्रदर्शन जरूर देखें

वैसे तो इस बात की गारंटी नहीं होती कि अगर किसी फंड ने अब तक अच्छा परफॉर्म किया है तो आगे भी उसका परफॉर्मेंस वैसा ही रहेगा. लेकिन अलग-अलग फंड्स के पिछले प्रदर्शन से आप एक तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं कि किस फंड के परफॉर्मेंस में एक कंसिस्टेंसी है, और उसके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव बाजार और इकोनॉमी से बहुत अलग तो नहीं हैं. इससे आपको अपनी मनपसंद फंड स्कीम चुनने में मदद मिलेगी,
साथ ही आपको अलग-अलग फंड से अब तक मिले औसत रिटर्न का अंदाजा भी लग जाएगा. आप अलग-अलग रेटिंग एजेंसियों की इन फंड्स को दी गई रेटिंग भी देख सकते हैं
हालांकि इन रेटिंग में एकरूपता नहीं होती, फिर भी आपको एक आइडिया जरूर मिल जाता है कि किन पैरामीटर्स पर किसी फंड को आंका गया है.

4. खर्चों पर नजर डालें

किसी भी म्यूचुअल फंड को चुनते वक्त ये जरूर देखें कि उसमें निवेश से जुड़े खर्च क्या हैं, क्योंकि आपका नेट रिटर्न इन खर्चों की वजह से कम हो सकता है. जिन खर्चों को आपको देखना होगा, वो हैं एंट्री और एक्जिट लोड, एसेट मैनेजमेंट चार्ज, एक्सपेंस रेश्यो.
वैसे तो म्युचुअल फंड स्कीमों में एंट्री लोड नहीं लगता, लेकिन एक तय सीमा के पहले स्कीम से पैसे निकालने पर कई कंपनियां एक्जिट लोड चार्ज करती हैं, जो 3% तक हो सकता है. इसलिए उन स्कीमों में निवेश करें जहां एक्जिट लोड कम हो या नहीं हो.
इसी तरह, एसेट मैनेजमेंट चार्ज और एक्सपेंस रेश्यो भी जरूर देखें क्योंकि ये सारे खर्च आपके फायदे को कम कर देते हैं. सामान्यतया 1.5% तक का एक्सपेंस रेश्यो किसी म्यूचुअल फंड के लिए मुनासिब माना जाता है, लेकिन इससे ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड में निवेश से बचें.

5. फंड हाउस और मैनेजर का रिकॉर्ड भी देखें

जिस म्यूचुअल फंड स्कीम में आप पैसा लगाने जा रहे हैं, उस स्कीम को लाने वाली कंपनी और उसकी देखरेख करने वाले मैनेजर का रिकॉर्ड चेक करना भी मायने रखता है. देखें कि फंड हाउस कितने समय से काम कर रहा है, उसकी दूसरी स्कीमों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है और कंपनी की साख बाजार में कैसी है. साथ ही ये भी पता लगाएं कि आपकी स्कीम के फंड मैनेजर का अनुभव कितना है और वो इस स्कीम को कितने समय से मैनेज कर रहा है.
ये जानना इसलिए जरूरी है कि एक अनुभवी और काबिल फंड मैनेजर बाजार के उतार-चढ़ाव से गुजर चुका होता है और वो आपके पैसे को बेहतर तरीके से लगाने के गुर जानता है.
अगर किसी फंड का परफॉर्मेंस कंसिस्टेंट है और उसका फंड मैनेजर लंबे समय से उसके साथ जुड़ा है तो आप उस म्यूचुअल फंड को अपने पोर्टफोलियो में रखने का मन बना सकते हैं.
ये सारी जानकारी आपको किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी, जिसे एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) भी कहते हैं, की वेबसाइट पर मिल जाएगी.
साथ ही, ऐसी कई वेबसाइट हैं, जहां आप किसी भी फंड के परफॉर्मेंस, रेटिंग, पोर्टफोलियो वगैरह की जानकारी हासिल कर सकते हैं. थोड़ा सा समय दीजिए और फिर अपनी जरूरतों के मुताबिक फंड चुनकर निवेश शुरू कर दीजिए.

इंट्राडे मे सबसे बड़ी ट्रेडिंग मिस्टेक्स

 


1 . जब भी कोई स्टॉप लॉस जाता है,उसके 10 मिनट के भीतर भीतर फिर से ट्रेड कर लेना गलती है।

समझो निकल ने 880 से 877 आकर  3 pt का एस एल तोडा और आपके मुंह से निकला अरे यार।
876 पर आपने शोर्ट सेल केर दिया, 10 मिनट में 879 आकर फिर एस एल ले जायेगा।
अगर ऐसा हो गया तो आप पुरे दिन के लिए उलझ जायेंगे और एक ट्रेड बिना एस एल कर लेंगे।
वही एक ट्रेड 5000 का लॉस दे  देगा।

सही क्या है ?
6 बजे sl गया है तो 6. 29 बजे दूसरा ट्रेड करें। पहले ख़रीदा था तो अब 60 % चांस है कि बिकवाली की लहर आ जाये।

2. किसी कमोडिटी से प्यार या नफरत हो जाना गलती है। 

2 दिन सिल्वर में खूब कमाया तो तीसरे दिन उसको हाथ  भी ना  लगाओ। आपने 400 -400 पॉइंट दो दिन में कमाए, तीसरे दिन ओवर कॉन्फिडेंस में 1200 पॉइंट चले जायेंगे।

क्रूड में २ दिन स्टॉप लॉस चले गए तो आपने स्क्रीन से ही हटा दिया। गौर करोगे तो पता चलेगा कि 2 दिन रेंज में फंसा था तो तीसरे दिन वाही एक तरफा चलेगा।
कई ट्रेडर कहते है कि मैं तो शुरू से गोल्ड -सिल्वर ही करता हूँ।
क्यों ?
मुझे वही  जमता है।
सर पे बुलियन लिखा कर तो पैदा नहीं हुए थे। जब कॉपर -निकल चले तो उसमे ट्रेड कर लो ,मिनी लॉट करो शुरू में। लीड -जिंक ,क्रूड -नेचुरल गैस ---सबको समझो ,तो इंट्रा डे में रोज़ एक घोडा भागेगा और मंजिल तक ले जायेगा।

3. यहाँ जो कल हुआ ,वही आज होगा। ये बिलकुल मत सोचना ।

क्योंकि ये तो सभी सोच रहे है और प्राइस ऑपरेटर (बड़ी मछली) को ये पता है।
हाँ ,लेकिन जो तीन महीने में हुआ है ,वही चार्ट पैटर्न छोटे बड़े पैमाने पर दोहराया जाता रहेगा।
स्टॉप लॉस टूटना कोई गलती नहीं है।
टेक्निकली बाइंग आयी थी और आपने ट्रेडिंग की ,अचानक मार्किट पलट गया ,जो भी कारण हो पर एस एल टूट गया तो आप बिलकुल भी गलत नहीं है।
यदि आप उस स्टॉप लॉस को रोते न रहे और अगले टाइम स्लॉट में सही मौके का इंतज़ार किया तो 9 बजे तक या कभी कभी 11 बजे तक तो आप लॉस कवर कर के कमा  भी लोगे।

4. पुरे दिन स्क्रीन में ,या ट्रेडिंग  में उलझे रहना खतरनाक है।



पुरे दिन वालों में ब्रोकर के अलावा 2 %लोग भी ऐसे नहीं होंगे जो प्रॉफिट को शाम तक बचा पायें।
यहाँ आराम हराम नहीं है।
अधिकतर लोग तो दोपहर तक एक लॉस का गड्ढा खोदते है और रात तक उसको भरते रहते है। कई बार उनको दिखता है कि 5000 लगे थे , 5000 कवर कर लिए ,पर जो 2000 ब्रोकरेज +टैक्स का लग गया ,वो न तो दीखता है ,न कोई देखना चाहता है।
जब भी ब्रोकर से अकाउंट में क्रेडिट/डेबिट पूछते है तो इसी वजह से  झटका लगता है। मन में आता है कि ब्रोकर चोर है साला।
हम गुस्सा होते है कि तुझे बीच में बताते रहना था , पर ये कोई बाप बनने  की खबर थोड़े ही है जो कोई आ आकर बताएगा। टिकट लेना यात्री की जिम्मेदारी है ,कंडक्टर की नहीं। चालान सवारी का ही कटता है।
हाँ ,प्रॉफिट का फ़ोन वो करता है रोज़ मरते मुर्दे में नयी जान फूंकने को।

5. कोई टिप या ट्रायल फ्री की नहीं होती। 

कोई एक बटन कही से दबा के मेसेज भेजता है और लोग होशियार बन के अलग अलग नामों से फ्री की ट्रायल लेते है। पैसा कहीं मिल गया तो चुपचाप चलने देंगे और लग गया तो फ़ोन करते है ,आपका तो स्टॉप लॉस चला गया। भाई जो फ़ोन स्टॉप लॉस जाने पर लगाया ,वो ट्रेड करने के पहले लगा लेता। कोई फ़ोन से निकल कर पैसा तो नहीं ले लेता।
2 -4 साल में लाखों चले गए ,पर आदमी को समझ नहीं आया कि 20000 की होशियारी में कितनी बार २ लाख चले गए।
अगर पैसा दे दिया है टिपर को ,तो सोते रहने से पैसा नहीं आ जायेगा ,उसके काम को समझने की कोशिश करो ,उसका sl जायेगा तो भी आप को कमाने का सपोर्ट मिल जायेगा।
बार बार नेगेटिव फ़ोन करने से ट्रेडर  को ही नुक्सान है ,टिपर इंसान है ,तनाव उसको भी उलझायेगा ,काम आपका बिगड़ेगा।

अगली पोस्ट में 

6. टारगेट की पूंछ मत पकड़ो  और स्टॉप लॉस जाने तक सोये न रहो। 

7. दिवाली -आखा तीज साल में एक एक बार आती है ,पर दुकान रोज़ खुलती है। 

8. मेरा ये बिजनेस थोड़े ही है ,मैं तो बस यूँ ही टाइम पास के लिए कर लेता  हूँ। 
इंट्रा डे ट्रेडिंग में ट्रेडर के सामने समस्या समय की होती है क्योंकि ट्रेडर को सौदा उसी दिन खरीदकर उसी दिन बेचना होता है जैसे की अपने कोई शेयर 10 रुपए में खरीदा और एक घंटे बाद कोई ऐसी खबर आई, जिससे बाजार में मुनाफावसूली शुरू हुई और आपका शेयर नीचे की ओर लुढ़कने लगा। मान लीजिये दोपहर 1 बजे तक वो शेयर 8 रुपए तक गिर गया और मार्किट बदन होता है 3:15PM पर बंद हो जाता है इसलिए आपको वो सौदा इससे पहले-2 आपको बेचना ही पड़ेगा क्योंकि कैरी फॉरवर्ड तो आप कर नही सकते और कोई भी मार्किट हो एक बार डाउन ट्रेंड चालू हो गया तो समझो की उसके ट्रेंड में फेरबदल होना काफी मुस्किल होता है (किसी खास परिस्थिति को छोडकर) क्योंकि इस बात का किसी को पत्ता नही होता की आपका शेयर कब अपट्रेंड में ट्रेड करे। इसलिए काफी ट्रेडर इंट्रा डे में लोस बुक करते हैं और अपनी पूंजी गवां बैठते हैं। लॉन्ग टर्म की तरह इंटरा डे में एंट्री-एक्जिट प्वाइंट रामबाण की तरह (How to Put Slop Loss Exit Point In Intraday Trading) इंट्रा डे ट्रेडिंग करते समय दो बातों का खास खयाल रखना चाहिए- पहला- एंट्री और एक्जिट प्वाइंट निश्चित करने के बाद सौदा कीजिए। उसे बिलकुल मत बदलिए। एंट्री और एक्जिट प्वाइंट को अनुमान के आधार पर नहीं बल्कि विश्लेषण के आधार पर निश्चित कीजिए। दूसरा- इंट्रा डे ट्रेडिंग करते समय हमेशा आपकी उंगली स्टॉप लॉस के बटन पर होनी चाहिए। जैसे ही आपने सौदा किया, फौरन स्टॉप लॉस सेट कर दीजिए। क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि आपने स्टॉप लॉस लगाने में सुस्ती दिखाई और कुछ ही मिनट के अंदर बाजार ने यू टर्न ले लिया। और जितनी देर में आप चाय पीकर वापस लौटे तो पता चला कि शेयर की कीमत आपके स्टॉप लॉस से भी दो फीसदी नीचे चली गई। ऐसी सूरत बड़ी खतरनाक होती है क्योंकि मुनाफा तो दूर, आप मनचाहे स्टॉप लॉस के प्वाइंट पर भी सौदा नहीं निपटा सकते हैं। इंट्रा-डे में जोखिम क्यों ज्यादा होता है (Why Intraday Trading is Risky) यहां कहने का मतलब ये बिलकुल नहीं है कि इंट्रा डे ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। लेकिन सोते जागते हमेशा याद रखिए इंट्रा डे सबसे मुश्किल और सबसे जोखिम भरी ट्रेडिंग है। विडंबना है कि इसमें शामिल ट्रेडर्स का एक बड़ा तबका इंट्रा डे ट्रेडिंग की तकनीक और जानकारी से वंचित होता है। इंट्रा डे लुभावना दिखता है। इसलिए नौसिखिए और अनाड़ी ट्रेडर्स बिना जानकारी के इसमें कूद पड़ते हैं। वे इसे वन-डे लॉटरी की तरह समझते हैं। जब तक अक्ल खुलती है तब तक वे अपनी पूंजी का बड़ा हिस्सा गंवा चुके होते हैं। इसलिए मेरी सलाह है कि नए निवेशकों को शुरूआत में इंट्रा डे ट्रेड नहीं करना चाहिए। शुरूआत लॉन्ग टर्म से कीजिए। फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और जब आप ट्रेडिंग के उस्ताद बन जाएं तभी इंट्रा डे के मैदान में आएं। क्यों न करें नये निवेशक इंट्रा डे ट्रेडिंग? (What do or don;t when trading intraday trding) नए निवेशकों को शुरूआत में इंट्रा-डे ट्रेड नहीं करना चाहिए। शुरूआत लॉन्ग टर्म से कीजिए। फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और जब आप ट्रेडिंग के उस्ताद बन जाएं, तभी इंट्रा-डे के मैदान में आएं। तो ट्रेडिंग में हाथ जलने की संभावना कम रहेगी। इंट्रा-डे ट्रेडिंग करते समय दो बातों का खास खयाल रखना चाहिए- पहला, एंट्री व एक्जिट प्वाइंट निश्चित करने के बाद ही सौदा कीजिए और दूसरा, ट्रेडिंग के समय हमेशा उंगली स्टॉप लॉस तय करने के लिए बटन पर हो और एक अहम महत्वपूर्ण बात कभी भी ओवर ट्रेडिंग न करे। मान लिजिय आपके पास 100 रूपये हैं और आप आपको लगता है की आप इंटर डे ट्रेडिंग कर सकते हो तो पूरी प्लानिंग के साथ करे कितने टाइम लिमिट लेना है कितने प्रतिशत स्टॉप लोस निर्धारित करना। 


9. मै रोज़ का कितना और महीने का क्या प्रॉफिट बना लूँगा ?

10. पुरे पुरे हफ्ते या महीने बेकार जाये - ऐसा भी दौर आता है और ट्रेडर को उससे गुजरना ही होगा। 

11. सारे स्टॉप लॉस टूटे तो ज्यादा से ज्यादा कितना नुक्सान होगा ?गिनकर ट्रेडिंग प्लान बने और उससे चिपके रहो। आप जीतोगे ही जीतोगे और खूब कमाओगे जीवन भर।

12. मेरे पास नेट कनेक्शन नहीं है। मैं फ़ोन पर ट्रेड  करता हूँ. डब्बे पर छोटा लॉट नहीं करते। 
 मैं तीन साल से ट्रेड कर रहा हूँ,मुझे ट्रेनिंग की जरुरत नहीं है। बस कॉल चाहिए।

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