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Durga puja 2014

 Durga Puja में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें *नवरात्रि* के नौ दिनों के दौरान विभिन्न नामों से जाना जाता है। इन नौ देवियों के नाम निम्नलिखित हैं:


1. **शैलपुत्री** – माँ दुर्गा का पहला रूप।

2. **ब्रह्मचारिणी** – माँ दुर्गा का दूसरा रूप।

3. **चंद्रघंटा** – माँ दुर्गा का तीसरा रूप।

4. **कूष्मांडा** – माँ दुर्गा का चौथा रूप।

5. **स्कंदमाता** – माँ दुर्गा का पाँचवा रूप।

6. **कात्यायनी** – माँ दुर्गा का छठा रूप।

7. **कालरात्रि** – माँ दुर्गा का सातवाँ रूप।

8. **महागौरी** – माँ दुर्गा का आठवाँ रूप।

9. **सिद्धिदात्री** – माँ दुर्गा का नौवाँ रूप।


ये नौ देवियाँ मिलकर माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं और हर देवी की पूजा का विशेष महत्व होता है। Durga Puja 2014 में भी इन्हीं रूपों की पूजा की गई थी।

**नवरात्रि** के दौरान माता **नवदुर्गा** के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह नौ रूप मां दुर्गा के विभिन्न रूपों और शक्तियों का प्रतीक हैं। प्रत्येक रूप का विशेष महत्व है और उन्हें विशेष दिन पर पूजा जाता है। आइए इन नौ रूपों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें:


### 1. **शैलपुत्री** (Shailaputri) - 

*पहला दिन*

- शैलपुत्री का अर्थ है "पर्वत की पुत्री"। यह माता पार्वती का रूप है, जिन्हें राजा हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म मिला था। इनके हाथ में त्रिशूल और कमल का पुष्प होता है।

- इन्हें प्रकृति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है।


### 2. **ब्रह्मचारिणी** (Brahmacharini) - 

*दूसरा दिन*

- यह मां दुर्गा का वह रूप है जो तपस्या और साधना का प्रतीक है। इन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। यह रूप संयम और तपस्या का प्रतीक है।

- इनके एक हाथ में कमंडल और दूसरे में माला होती है।


### 3. **चंद्रघंटा** (Chandraghanta) - 

*तीसरा दिन*

- यह माता का उग्र रूप है, जिनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होता है। यह रूप साहस और वीरता का प्रतीक है। 

- यह रूप शांति और सद्भावना का प्रतीक है, लेकिन बुराई के खिलाफ लड़ने का साहस भी दिखाता है।


### 4. **कूष्माण्डा** (Kushmanda) - 

*चौथा दिन*

- कूष्माण्डा मां का वह रूप है जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की थी। यह रूप सृजन और ऊर्जा का प्रतीक है।

- इनके आठ हाथ होते हैं, जिनमें वे कमल, धनुष, बाण, कमंडल, और अन्य अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं।


### 5. **स्कंदमाता** (Skandamata) - 

*पांचवा दिन*

- स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। यह रूप ममता और वात्सल्य का प्रतीक है।

- यह चार हाथों वाली देवी हैं, जिनमें वे अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए होती हैं।


### 6. **कात्यायनी** (Katyayani) - 

*छठा दिन*

- यह माता का योद्धा रूप है, जिन्हें महर्षि कात्यायन ने अपने घर पुत्री के रूप में प्राप्त किया था। यह रूप शक्ति और साहस का प्रतीक है।

- इन्हें सिंह पर सवार और चार हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करते हुए दिखाया जाता है।


### 7. **कालरात्रि** (Kalaratri) - 

*सातवां दिन*

- यह मां का उग्र और भयानक रूप है, जो अज्ञानता और बुराई को नष्ट करती हैं। इन्हें काली भी कहा जाता है।

- यह रूप अंधकार और भय से मुक्ति का प्रतीक है। इनके तीन नेत्र और चार हाथ होते हैं।


### 8. **महागौरी** (Mahagauri) - 

*आठवां दिन*

- यह मां दुर्गा का सुंदर और शांत स्वरूप है। इन्होंने कठोर तपस्या से अपना गोरापन प्राप्त किया था। यह रूप शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक है।

- इनकी चार भुजाएं हैं और यह वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं।


### 9. **सिद्धिदात्री** (Siddhidatri) - 

*नौवां दिन*

- यह मां दुर्गा का सिद्धियों को प्रदान करने वाला रूप है। यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं।

- इनकी चार भुजाएं हैं और यह कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। इन्हें सभी देवी-देवताओं की सिद्धिदात्री माना जाता है।


इन नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है और प्रत्येक दिन का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के दौरान इन रूपों की उपासना करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, ज्ञान, और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

**नवरात्रि पूजा विधि और मुहूर्त** 


नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि 9 दिन तक चलने वाला पर्व होता है, जिसमें हर दिन देवी के अलग-अलग रूप की आराधना की जाती है। 


**नवरात्रि पूजा विधि**:


1. **कलश स्थापना**:  

   नवरात्रि के पहले दिन घर के पूजा स्थल में गंगा जल से शुद्धि करें। मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके पास एक तांबे या मिट्टी के कलश में पानी भरें। कलश के ऊपर नारियल रखें और कलश को लाल वस्त्र से ढककर देवी की मूर्ति या चित्र के पास रखें।


2. **माँ दुर्गा की स्थापना**:  

   माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर रखें। देवी को लाल रंग के वस्त्र और चुनरी अर्पित करें। 


3. **दीप जलाना**:  

   अखंड दीप जलाएं जो पूरे 9 दिनों तक बिना बुझा रहे। यह दीपक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक होता है। 


4. **आरती और मंत्र जाप**:  

   रोजाना सुबह और शाम देवी की आरती करें और दुर्गा सप्तशती या देवी के मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ दुं दुर्गायै नमः"। 


5. **नैवेद्य अर्पण**:  

   प्रतिदिन माँ को फल, मिष्ठान, पान, सुपारी, लौंग और इलायची आदि का भोग लगाएं। सात्विक भोजन ग्रहण करें और प्रसाद बांटें। 


6. **कन्या पूजन (अष्टमी या नवमी को)**:  

   नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन कन्या पूजन करें। 9 कन्याओं को आमंत्रित करें और उन्हें भोजन कराएं। उन्हें उपहार स्वरूप वस्त्र और धन दें।


**नवरात्रि का शुभ मुहूर्त**:


नवरात्रि की शुरुआत का शुभ मुहूर्त कलश स्थापना और घट स्थापना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए दिन की पंचांग की जांच की जाती है। सामान्यतः कलश स्थापना प्रातःकाल या अभिजीत मुहूर्त में की जाती है। 


**कलश स्थापना का सामान्य समय**:

- **अभिजीत मुहूर्त**: 11:36 AM से 12:24 PM (स्थानीय पंचांग के अनुसार समय में भिन्नता हो सकती है)।


इन विधियों का पालन करके श्रद्धालु नवरात्रि के 9 दिनों में माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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