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कश्मीर

प्राकृतिक दृष्टि से कश्मीर को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :
  • जम्मू क्षेत्र की बाह्य पहाड़ियाँ तथा मध्यवर्ती पर्वतश्रेणियाँ,
  • कश्मीर घाटी,
  • सुदूर बृहत्‌ मध्य पर्वतश्रेणियाँ जिनमें लद्दाख, बल्तिस्तान एवं गिलगित के क्षेत्र सम्मिलित हैं।

कश्मीर धरती पर स्वर्ग

कश्मीर का अधिकांश भाग चिनाव, झेलम तथा सिंधु नदी की घाटियों में स्थित है। केवल मुज़ताघ तथा कराकोरम पर्वतों के उत्तर तथा उत्तर-पूर्व के निर्जन तथा अधिकांश अज्ञात क्षेत्रों का जल मध्यएशिया की ओर प्रवाहित होता है। लगभग तीन चौथाई क्षेत्र केवल सिंधु नदी की घाटी में स्थित है। जम्मू के पश्चिम का कुछ भाग रावी नदी की घाटी में पड़ता है। पंजाब के समतल मैदान का थोड़ा सा उत्तरी भाग जम्मू प्रांत में चला आया है। झेलम की घाटी में कश्मीर घाटी, निकटवर्ती पहाड़ियाँ एवं उनके मध्य स्थित सँकरी घाटियाँ तथा बारामूला-किशनगंगा की संकुचित घाटी का निकटवर्ती भाग सम्मिलित है। सिंधु नदी की घाटी में ज़ास्कर तथा रुपशू सहित लद्दाख क्षेत्र, बल्तिस्तान, अस्तोद एवं गिलगित क्षेत्र पड़ते हैं। कश्मीर घाटी में जल की बहुलता है। वुलर मीठे पानी की भारतवर्ष में विशालतम झील है। कश्मीर में सर्वाधिक मछलियाँ इसी झील से प्राप्त होती हैं। स्वच्छ जल से परिपूर्ण डल झील तैराकी तथा नौकाविहार के लिए अत्यंत रमणीक है। तैरते हुए छोटे-छोटे खत सब्जियाँ उगाने के व्यवसाय में बड़ा महत्व रखते हैं। कश्मीर अपनी सुंदरता के कारण नंदनवन कहलाता है। अखरोट, बादाम, नाशपाती, सेब, केसर, तथा मधु आदि का प्रचुर मात्रा में निर्यात होता है। कश्मीर केसर की कृषि के लिए प्रसिद्ध है।

जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थल

श्रीनगर

श्रीनगर का जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कश्मीर घाटी के मध्य में बसा श्रीनगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। श्रीनगर एक ओर जहाँ डल झील के लिए प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर विभिन्न मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। स्वच्छ झील और ऊँचे पर्वतों के बीच बसे श्रीनगर की अर्थव्यवस्था का आधार लम्बे समय से मुख्यतः पर्यटन है। शहर से होकर नदी के प्रवाह पर सात पुल बने हुए हैं। इससे लगे विभिन्न नहरों एवं जलमार्गों में शिकारे भरे पड़े हैं। श्रीनगर अपने मन्दिरों और मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध है। श्रीनगर से लगी एक पहाड़ी जिसको शंकराचार्य पहाड़ी कहते हैं, ऊपर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शिवलिंग है। पहाड़ी की 2 मील कठिन चढ़ाई है। पर्वत के नीचे शंकरमठ है, इसे दुर्गानाग मंदिर कहते हैं। श्रीनगर में महाश्री का मंदिर चौथे पुल के पास तथा हरिपर्वत पर एक मंदिर है। संपूर्ण कश्मीर दर्शनीय है। नगर में पत्थर मस्जिद, नेहरू उद्यान दर्शनीय हैं और मुग़ल उद्यान तो अपने सौंदर्य के लिए ही प्रसिद्ध है। इन सब स्थानों पर मोटर बसें जाती हैं। श्रीनगर से मोटर बस से पहलगाँव जाते समय मध्य में अनन्तनाग है। मार्तण्ड मंदिर पर्वत पर है।

डल झील

डल झील श्रीनगर, कश्मीर में एक प्रसिद्ध झील है। डल झील के मुख्य आकर्षण का केन्द्र है यहाँ के शिकारे या हाउसबोट। सैलानी इन हाउसबोटों में रहकर झील का आनंद उठा सकते हैं। नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचीनारी आदि द्वीपों तथा हज़रत बल की सैर भी इन शिकारों में की जा सकती है। इसके अतिरिक्त दुकानें भी शिकारों पर ही लगी होती हैं और शिकारे पर सवार होकर विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ भी खरीदी जा सकती हैं। तरह तरह की वनस्पति झील की सुंदरता को और निखार देती है। कमल के फूल, पानी में बहती कुमुदनी, झील की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है। सैलानियों के लिए विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन जैसे कायाकिंग (एक प्रकार का नौका विहार), केनोइंग (डोंगी), पानी पर सर्फिंग करना तथा ऐंगलिंग (मछली पकड़ना) यहाँ पर उपलब्ध कराए गए हैं।

गुलमर्ग   

प्रसिद्ध सौंदर्य, प्रमुख स्थान और निकटता श्रीनगर के गुलमर्ग का अर्थ है "फूलों की वादी"। जम्मू - कश्मीर के बारामूला जिले में लग - भग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग, की खोज 1927  में अंग्रेजों ने की थी। यह पहले “गौरीमर्ग” के नाम से जाना जाता था, जो भगवान शिव की पत्नी "गौरी" का नाम है। फिर कश्मीर के अंतिम राजा, राजा युसूफ शाह चक ने इस स्थान की खूबसूरती और शांत वारावरण में मग्न होकर इसका नाम गौरीमर्ग से गुलमर्ग रख दिया। वैसे तो सैलानी साल के किसी भी मौसम में गुलमर्ग घूमने जा सकते हैं। पर गुलमर्ग की खूबसूरती देखने का सबसे बढिया समय मार्च और अक्टूबर के बीच है। गुलमर्ग का सुहावना मौसम, शानदार परिदृश्य, फूलों से खिले बगीचे, देवदार के पेड, खूबसूरत झीले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गुलमर्ग अपनी हरियाली और सौम्य वातावरण के कारण आज एक पिकनिक और कैम्पिंग स्पॉट बन गया है। निंगली नल्लाह, वरिनग और फिरोजपुर नल्लाह यहाँ के कुछ प्रमुख नल्लाहे हैं। कहा जाता है कि वरिनग नल्लाहे के पानी में कुछ औषधीय गुण मौजूद है, जिसके कारण यहाँ कई सैलानी आते हैं। बायोस्पीयर रिज़र्व भी गुलमर्ग का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।

सोनमर्ग

सोनमर्ग या सोनामर्ग भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में ३,००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है। यह सिन्द नाले (सिन्धु नदी से भिन्न) नामक नदी की घाटी में है। सोनमर्ग से आगे ऊँचे पर्वत हैं और कई प्रसिद्ध हिमानियाँ (ग्लेशियर) स्थित हैं और यहाँ से पूर्व लद्दाख़ का रास्ता निकलता है। 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है,   गर्मियों के महीनों के दौरान एक प्रमुख स्थानीय आकर्षण है सोनमर्ग जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो समुद्र सतह से 2740 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बर्फ से आच्छादित पहाड़ों से घिरा हुआ सोनमर्ग शहर जोजी-ला दर्रे के पहले स्थित है। सोनमर्ग का शाब्दिक अर्थ है “सोने के मैदान”। इस स्थान का नाम इस तथ्य के आधार पर पड़ा कि वसंत ऋतु में यह सुंदर फूलों से ढँक जाता है जो सुनहरा दिखता है।  पहाड़ों की ऊँची चोटियों पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो वे भी सुनहरी दिखती हैं। सोनमर्ग उन यात्रियों के लिए उचित गंतव्य है जो साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग या पैदल लंबी यात्रा में रूचि रखते हैं। सभी महत्वपूर्ण ट्रेकिंग के रास्ते सोनमर्ग से ही प्रारंभ होते हैं जो इसे ट्रेकिंग के लिए लोकप्रिय स्थान बनाते हैं। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है जिसमें झीलें, दर्रे और पर्वत शामिल हैं। सोनमर्ग अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए प्रारंभ बिंदु की तरह है। कब सैर करें? इस स्थान की सैर के लिए उत्तम समय मई से नवंबर के बीच और नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। मई से अक्टूबर के बीच का समय दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए उत्तम होता है। नवंबर से अप्रैल के बीच पर्यटक बर्फ़बारी का आनंद उठा सकते हैं।

 लद्दाख

एक देश में भयानक भौतिक सुविधाएँ, एक विशाल और शानदार वातावरण में सेट abounding एक पहाड़ी रेगिस्तान के लिए 25,000 लद्दाख 9.000 फुट से लेकर ऊंचाई पर स्थित है है। दुनिया की ताकतवर पर्वत श्रृंखला, उत्तर में काराकोरम और हिमालय, दक्षिण में से दो से घिरा यह दो अन्य समानांतर चेन द्वारा, लद्दाख श्रृंखला और जांस्कर श्रेणी तय की है। लेह लद्दाख का दौरा इन स्थानों के रूप में प्राकृतिक सुंदरता का एक बहुत एक महान अनुभव किया जा सकता। यह सुंदर पहाड़ी क्षेत्र है, हर साल स्थानीय के रूप में अच्छी तरह से विदेशी पर्यटकों की एक बड़ी संख्या द्वारा दौरा किया है। यह दोनों एक लोकप्रिय गर्मियों के साथ ही एक शीतकालीन छुट्टी गंतव्य है। अपने अछूता सौंदर्य, बर्फ से ढंकी पर्वत चोटियों, हरियाली और एकांत जगहों भी हनीमून का एक बहुत आकर्षित। यह सब नहीं है। यह ट्रेकिंग जैसे, माउंटेन बाइकिंग, की पेशकश की है साहसिक गतिविधियों की सीमा के साथ राफ्टिंग, पर्वतारोहण और इतने पर, यह भी साहसिक उत्साही के बीच अच्छी तरह से जाना जाता है। तिब्बती हस्तशिल्प वस्तुओं, प्रार्थना पहियों सहित लद्दाख में बौद्ध मास्क और थंग्का चित्र खरीदा जा सकता है। तिब्बती चांदी के गहने और मरकत के साथ पारंपरिक लद्दाखी गहने भी पर्यटकों के साथ लोकप्रिय हैं। खुबानी कि बहुतायत से लद्दाख में विकसित एक अन्य लोकप्रिय उपहार है कि आप अपनी यात्रा के एक स्वादिष्ट स्मारिका के रूप में वापस करने के लिए लद्दाख ले जा सकते हैं कर रहे हैं। लेह से दिल्ली से एयर कनेक्ट किया गया है और यह दिल्ली से लेह तक पहुंचने के लिए लगभग 65 मिनट लेता है। जम्मू से सड़क मार्ग से श्रीनगर के लिए और फिर लेह, जो 430 किलोमीटर दूर से अधिक है करने के लिए सिर कर सकते हैं। यह के बारे में एक दो दिन की यात्रा श्रीनगर से कारगिल में एक रात पड़ाव के साथ है। श्रीनगर से लेह के लिए सड़क पर आप उच्च Zoji ला दर्रा पार, और पिछले Mulbek की यात्रा है, जहां मैत्रेय बुद्ध की एक विशाल छवि। Namika ला और Fotu ला गुजरता और स्पितुक गोम्पा श्रीनगर से लेह के लिए सड़क पर दर्शनीय आकर्षण हैं।

वैष्णो देवी

यह जम्मू और कश्मीर के राज्य में समुद्र स्तर से ऊपर 5,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित 61 किमी जम्मू उत्तर है। कहते हैं पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती हैं। उसके दरबार में जो कोई सच्चे दिल से जाता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। ऐसा ही सच्चा दरबार है- माता वैष्णो देवी का। माता का बुलावा आने पर भक्त किसी न किसी बहाने से उसके दरबार पहुँच जाता है। हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं। कटरा व जम्मू के नज़दीक कई दर्शनीय स्थल ‍व हिल स्टेशन हैं, जहाँ जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। जम्मू में अमर महल, बहू फोर्ट, मंसर लेक, रघुनाथ टेंपल आदि देखने लायक स्थान हैं। जम्मू से लगभग 112 किमी की दूरी पर 'पटनी टॉप' एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। सर्दियों में यहाँ आप स्नो फॉल का भी मजा ले सकते हैं। कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई, कुद, बटोट आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
  • वैसे तो माँ वैष्णो देवी के दर्शनार्थ वर्षभर श्रद्धालु जाते हैं परंतु यहाँ जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।
  • सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अत: इस मौसम में यात्रा करने से बचें।
  • ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढि़यों का उपयोग ‍न करें।
  • भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहाँ तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयाँ जरूर रखें।
  • चढ़ाई के वक्त जहाँ तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएँ ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो।
  • पैदल चढ़ाई करने में छड़ी आपके लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी।
  • ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे।
  • माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा

Bill Gates - Founder Microsoft


Microsoft की शुरुवात
Bill की कुशाग्रता न केवल Software बनाने में थी. उसके साथ-साथ Business को भी आगे बढाने और Company को टॉप पर ले जाने की थी. उन्होंने जो कहा उन्होंने वैसा काम भी किया. Company में Employees द्वारा बनाये गए Code को वे जरूरत पढने पर खुद चेक करते और Error को निकाल देने का काम स्वयं किया करते थे. Bill की मेहनत और लगन की वजह से Company की तरक्की दिन ब दिन Apple, Intel और IBM जैसी Hardware बनाने वाली Company की तरह बढती जा रही थी. Bill लगातार लोगों से Microsoft द्वारा बनाई गई Application के बारे में Feedback लिया करते और लोगों की जरुरतो के हिसाब से Apps में बदलाव किया करते. उनकी माँ Mary बहुत ही इज्ज़तदार व्यक्तियों में से एक के साथ, उनके IBM Board के Members से संबंध बहुत अच्छे भी थे. Mary के ही कारण Bill IBM के CEO से मिल पाए.
नवम्बर 1980 में IBM एक ऐसा Software चाहता था जिससे अपना Personal Computer चला सके और इस Software को बनाने के लिए उन्होंने Microsoft के सामने प्रस्ताव रखा. IBM के CEO से पहली मुलाक़ात के वक़्त किसी ने Bill को ऑफिस का एक कर्मचारी समज्ञ कर उन्हें सबको कॉफ़ी पिलाने को कहा उस वक़्त Bill काफी जवान दीखते थे और जल्दी ही IBM उनसे Impress हो गये. और Bill ने उन्हें Software बनाने के लिए राज़ी कर लिया, कि वे उनके Software से जुडी सारी जरूरते पूरी कर लेंगे. लेकिन परेशानी यह थी कि Microsoft Company IBM के लिए Basic Operating System नही बना पाया जो IBM के नए Computer को चला सके, लेकिन यह कोई अंत नहीं था.
Bill ने एक ऐसा Operating System ख़रीदा जो इस प्रकार बना हुआ था जो कि IBM के Personal Computer के समान्तर काम करता था. उन्होंने उस Operating System के Developers से मिल कर पूरा Licence, Microsoft के नाम करने को कहा लेकिन उन्हें IBM के सौदे के बारे कुछ भी नहीं बताया. Company ने बाद में Microsoft पर मुकदमा चलाया की उन्होंने महत्वपूर्ण जानकारीयां (IBM की Deal) उनसे छुपा कर रखी.
यह सब हो जाने के बाद Bill को उस Software का Licence मिल गया और उस O.S. का नाम रखा MS-DOS.
Microsoft ने इसी के साथ एक और Software बनाया जिसका नाम था Softcard जो Microsoft के Basic के साथ Apple 2 Machine में भी काम करता था.
इन 1978-1981 के बिच Microsoft की Growth धमाकेदार थी और उनका Staff 25 से बढकर 128 हो गया था. उनका Profit भी $4 Million से बढ़कर $16 Million तक पहुँच गया था . 1981 के मध्य में Gates Microsoft के President के साथ-साथ Chair Man बन गये थे और Allen, Executive Vice President बन गये.
1998 तक Microsoft का Business दुनियाभर में फ़ैल चूका था उनके Office भी Great Britain और Japan में खुल चुके थे उसी के साथ दुनिया के 30% Computer उन्ही के बनाये गये Software पर चल रहे थे. लेकिन 1983 में MICROSOFT की एक और उसके Foundation से जुडी News आई की Paul Allen, Hodgkin’s नामक बीमारी से पीड़ित हो गये थे. वैसे उनका Cancer एक साल के Treatment के बाद छुट गया था लेकिन उन्होंने उसी साल Microsoft को इस्तीफा दे दिया था.
Bill के मानव प्रेमी कार्य (Bill’s Philanthropic Efforts)
Bill को दुनिया में फैली हुए कई universities से सम्मान पुरुस्कार मिला Feb.2014 में bill ने chairman के पद से हटकर खुद को एक नयी position जो की technology सलाहकार की थी देने की घोषणा की और bill ने 2014 में भारत के 46 वर्षीय satya nadella को CEO बनाया.
2006 BILL ने अपने MICRO-SOFT के पुरे कार्य के समय को छोड़कर , अपना पूरा समय FOUNDATION के कार्यो में व्यतित करने की घोषणा की ताकि वे और ज्यादा अच्छा वक्त FOUNDATION के साथ बिता सके.
BILL का MICROSOFT COMPANY में आखरी दिन 27,JUNE 2008 था.
सब मिलाकर उन्हें जिंदगी में यह पुरुस्कर मिला है की आज वे दुनिया के सबसे कामयाब और अमीर BUSINESS MAN है. और उनकी काबिलियत की मिसाल दुनिया के इतिहास में छप गयी है. एक अच्छे BUSINESS MAN होने के साथ ही उन्हें उनके मानव प्रेमी स्वभाव के कारण और अनगिनत धन संपत्ति दान करने के लिए कई पुरुस्कारों से नवाजा गया है. 
Bill के मानव प्रेमी कार्य (Bill’s Philanthropic Efforts)
Bill को दुनिया में फैली हुए कई universities से सम्मान पुरुस्कार मिला Feb.2014 में bill ने chairman के पद से हटकर खुद को एक नयी position जो की technology सलाहकार की थी देने की घोषणा की और bill ने 2014 में भारत के 46 वर्षीय satya nadella को CEO बनाया.
2006 BILL ने अपने MICRO-SOFT के पुरे कार्य के समय को छोड़कर , अपना पूरा समय FOUNDATION के कार्यो में व्यतित करने की घोषणा की ताकि वे और ज्यादा अच्छा वक्त FOUNDATION के साथ बिता सके.
BILL का MICROSOFT COMPANY में आखरी दिन 27,JUNE 2008 था.
सब मिलाकर उन्हें जिंदगी में यह पुरुस्कर मिला है की आज वे दुनिया के सबसे कामयाब और अमीर BUSINESS MAN है. और उनकी काबिलियत की मिसाल दुनिया के इतिहास में छप गयी है. एक अच्छे BUSINESS MAN होने के साथ ही उन्हें उनके मानव प्रेमी स्वभाव के कारण और अनगिनत धन संपत्ति दान करने के लिए कई पुरुस्कारों से नवाजा गया है.

Steven Paul Steve Jobs - Founder APPLE .

  • नाम-  Steven Paul Steve Jobs (स्टीवन पॉल “स्टीव” जॉब्स)
  • जन्म- 24 फरवरी 1955   स्थान- सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका)
  • मृत्यु- 5 अक्टूबर 2011 (उम्र) 56 साल  पालो आल्टो, केलिफोर्निया
  • परिचय- एप्पल के संस्थापक
  • पुरस्कार- एप्पल कंप्यूटर को “मशीन ऑफ़ दी इयर” का खिताब, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा नेशनल मैडल ऑफ़ टेक्नोलॉजी अवार्ड, साम्युल ऑफ़ बीएड, केलिफोर्निया हाल ऑफ़ फेम, इतना ही नहीं मरने के बाद ग्रेमी न्यासी अवार्ड, आदि.
 स्टीवन पॉल स्टीव जॉब्स का परिचय 
24 फरवरी 1955 को केलिफोर्निया में जन्मे Steve Jobs का जीवन जन्म से हि संघर्ष पूर्ण था, उनकी माँ अविवाहित कॉलेज छात्रा थी. और इसी कारण वे उन्हें रखना नहीं चाहती थी, और Steve Jobs को किसी अच्छे परिवार में गोद देने का फैसला कर दिया. लेकिन जो गोद लेने वाले थे उन्होंने ये कहकर मना कर दिया की वे लड़की को गोद लेना चाहते हैं. फिर  Steve Jobs को केलिफोर्निया में रहने वाले पॉल (Paul) और कालरा (Kaalra) जॉब्स ने गोद ले लिया. 

जब Steve Jobs 5 साल के हुए, तब उनका परिवार केलिफोर्निया के पास हि स्थित माउंटेन व्यू (Mountain View) चला गया. पॉल मैकेनिक थे, और स्टीव को इलेक्ट्रॉनिक की चीजो के बारे में और कालरा एकाउंटेंट थी इसलिए वे स्टीव की पढाई में मदद किया करती थी.

स्टीव Steve ने मोंटा लोमा स्कूल Monta loma school में दाखिला (Admission) लिया और वही पर अपनी प्राथमिक (Primary) शिक्षा पूरी की. इसके बाद वे उच्च शिक्षा (High school) कूपटिर्नो जूनियर हाई स्कूल (kuptirno juniar high school) से पूरी की.

और सन 1972 में अपनी कॉलेज की पढाई के लिए ओरेगन (Oregan) के रीड कॉलेज (Read College) में दाखिला लिया जो की वहां की सबसे महंगी कॉलेज थी. Steve पढने में बहुत ही ज्यादा अच्छे थे लेकिन, उनके माता-पिता पूरी फीस नहीं भर पाते थे, इसलिए स्टीव Steve ने फीस भरने के लिए बोतल के कोक को बेचकर पैसे जुटाते, और पैसे की कमी के कारण मंदिरों में जाकर वहा मिलने वाले मुफ्त खाना खाया करते थे. और अपने होस्टल (hostel) का किराया बचाने के लिए अपने दोस्तों के कमरों में जमीन पर हि सो जाया करते थे. इतनी बचत के बावजूद फीस के पैसे पुरे नहीं जुटा पाते और अपने माता-पिता को कढ़ी मेहनत करता देख उन्होंने कॉलेज छोड़कर उनकी मदद करने की सोची.

लेकिन उनके माता-पिता उनसे सहमत नहीं थे. इसलिए अपने माता-पिता के कहने पर कॉलेज में नहीं जाने के स्थान पर क्रेटीव क्लासेज (creative classes) जाना स्वीकार किया. जल्दी ही उसमे स्टीव को रूचि बढ़ने लगी. क्लासेस जाने के साथ-साथ वे अटारी Atari नाम की कंपनी में technician का काम करने लगे.
स्टीव Steve आध्यात्मिक जीवन में बहुत विश्वास करते थे, इसलिए Steve अपने धर्म गुरु से मिलने भारत आए. और काफी समय भारत में गुजारा. भारत में रहने के दौरान उन्होंने पूरी तरह बौद्ध धर्म को अपना लिया और बौद्ध भिक्षु के जैसे कपडे पहनना शुरू किया. और पूरी तरह आध्यातिमिक हो गये. और भारत से वापिस कैलिफ़ोर्निया चले गए.
एप्पल कंपनी की शुरुआत 
सन 1976 में मात्र 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने एप्पल Apple कंपनी की शुरुआत कि. स्टीव Steve ने अपने स्कूल के सहपाठी (classmate) मित्र वोजनियाक Vozniyaak के साथ मिल कर अपने पिता के गैरेज में ऑपरेटिंग सिस्टम मेकिनटोश (macentosh) तैयार किया. और इसे बेचने के लिए एप्पल कंप्यूटर (apple computer) का निर्माण करना चाहते थे. लेकिन पैसो की कमी के कारण समस्या आ रही थी. लेकिन उनकी ये समस्या उनके एक मित्र माइक मर्कुल्ला (mike murkulla) ने दूर कर दि साथ ही वे कंपनी में साझेदार partner भी बन गये. और स्टीव ने एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत की.

साथ हि उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए Pepsi, Coca Cola कंपनी के मुख्य अधिकारी जॉन स्कली (John Skli) को भी शामिल कर लिया. स्टीव और उनके मित्रो की कढ़ी मेहनत के कारण कुछ ही सालो में एप्पल कंपनी गैराज से बढ़कर 2 अरब डॉलर और 4000 कर्मचारियो employs वाली कंपनी बन चुकी थी.

एप्पल कंपनी से इस्तीफा
लेकिन उनकी ये उपलब्धि ज्यादा देर तक नहीं रही, उनके साझेदारो द्वारा उनको ना पसंद किये जाने और आपस में कहासुनी के कारण एप्पल कंपनी की लोकप्रियता popularity कम होने लगी. धीरे-धीरे कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी. और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर board of director की मीटिंग में सारे दोष स्टीव का ठहराकर सन 1985 में उन्हें एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया. ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था.
क्योकि जिस कंपनी को उन्होंने कढ़ी मेहनत और लग्न से बनाया था उसी से उन्हें निकाल दिया गया था. स्टीव के जाते ही कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी.
एप्पल से इस्तीफा (Re-sine latter) देने के 5 साल बाद उन्होंने Next-ink नाम की और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरुआत की. Next-ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी. और उनका उदेश्य बेहतरीन सॉफ्टवेर software बनाना था. और Pixer कंपनी में animation का काम होता था. एक साल तक काम करने के बाद पैसो की समस्या आने लगी और Rosh perot के साथ साझेदारी कर ली. और पेरोट ने अपने पैसो का निवेश किया. सन 1990 में Next-ink ने पहला कंप्यूटर बाज़ार में उतारा लेकिन बहुत ही ज्यादा महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका. फिर Next-ink ने Inter personal computer बनाया जो बहुत ही ज्यादा लोक प्रिय हुआ. और Pixer ने एनिमेटेड फिल्म Toy story बनायीं जो अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म हैं.
एप्पल कंपनी में वापसी 
सन 1996 में एप्पल ने स्टीव की Pixer को ख़रीदा इस तरह उनके एप्पल में वापसी हुई. साथ ही वे एप्पल के chief executive officer बन गये. सन 1997 में उनकी मेहनत के कारण कंपनी का मुनाफा बढ़ गया और वे एप्पल के सी.इ.ओ. C.E.O बन गये. सन 1998 में उन्होंने आईमैक I-mac को बाज़ार में लॉन्च launch किया, जो काफी लोकप्रिय हुआ. और एप्पल ने बहुत ही बड़ी सफलता हासिल कर ली. उसके बाद I-pad, I-phone, I-tune भी लॉन्च किये. सन 2011 में सी.ई.ओ. पद से इस्तीफा दे दिया और board के अध्यक्ष बन गये. उस वक्त उनकी property $7.० बिलियन billion हो गयी थी. और apple दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गयी थी.
निधन 
स्टीव को सन 2003 से pain creative नाम की कैंसर की बिमारी हो गयी थी. लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन technology प्रदान कर सके. और कैंसर कि बिमारी के चलते 5 Oct. 2011 को Paalo Aalto केलिफोर्निया में उनका निधन हो गया.

विवेकानंद के सफलता के सूत्र ।

हर इंसान की नज़र में सफलता और असफलता की परिभाषा अलग अलग होती है, उसके मायने अलग अलग होते है. यानि सीधे सीधे कहे तो हर इंसान का एक अलग नजरियां होता है.

हर इंसान सफल होना चाहता है और सफलता प्राप्त करने के लिए भागादौड़ी करता है. क्षेत्र चाहे कोई भी हो हर कोई चाहता है की वह उसमे महारत हासिल करे.
लेकिन  कुछ समय उस दिशा में चलने के बाद मन में हताशा पैदा होती है. फिर उस हताशा को मिटाने के लिए हम कई चीजो का सहारा लेते है जैसे motivational speech, motivational stories, quotes  और भी बहुत कुछ. और फिर जोश के साथ अपने काम में लग जाते है. लेकिन फिर कुछ समय बात वही निराशा. सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब मेहनत करने के बाद भी हम अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं हो पाते. ऐसा क्यों होता है?? वह क्या चीज है जो कड़ी मेहनत और लगन के बावजूद भी हमारे लक्ष्यों में बाधा उत्तपन करती है?

इसका जवाब आपको हम स्वामी विवेकानंद की एक कहानी के द्वारा देने की कोशिश करेंगे.
एक बार स्वामी विवेकानंद के पास एक आदमी आया जो बहुत उदास और परेशान था. उसने विवेकानंद से कहा की मै हर काम मन लगा के पूरी मेहनत के साथ करता हूँ.लेकिन उसमे कभी पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया. मेरे साथ के कई लोग उस काम को पूरा करके मुझसे आगे निकल चुके है लेकिन में कहीं न कहीं अटक जाता हूँ. मुझे मेरी समस्या का कोई समाधान बताएं.

विवेकानंद बोले – जाओ पहले मेरे पालतू कुते को घुमा के लाओ. तुम्हे तुम्हारे सवाल का जवाब मिल जायेगा. कुछ देर बाद जब वह आदमी कुत्ते को लेकर वापस आया तो उसके चेहरे पर अब भी उत्सुकता और स्फूर्ति थी जबकि कुत्ता पूरी तरह से थक चूका था. विवेकानंद ने उस व्यक्ति से पूछा की तुम अब भी नहीं थके लेकिन यह कुत्ता कैसे इतना थक गया. वह बोला – स्वामी जी मैं तो पुरे रास्ते सीधा सीधा चलता रहा लेकिन यह कुत्ता गली के हर कुत्ते के पीछे भोकता और भागता और फिर मेरे पास आ जाता. इसलिए सामान रास्ता होने के बावजूद यह मुझसे ज्यादा चला और थक गया.
विवेकानंद ने कहा की इसी में तुम्हारे सवाल का जवाब है. तुम और एक सफल व्यक्ति दोनों एक सामान  रास्ते पर चलते है और बराबर मेहनत करते है  लेकिन तुम बीच बीच में अपनी तुलना दुसरो से करते हो, उनकी देखा देखी करते हो और उनके जैसा बनने और उनकी आदते अपनाने की कोशिश करते हो जिसकी वजह से अपनी खासियत खो देते हो और रास्ते को लंबा बना कर थक जाते हो . यह थकान धीरे धीरे हताशा में बदल जाती है. 

इसलिए अगर किसी काम में पूरी तरह कामयाब होना चाहते हो तो उसे लगन और मेहनत के साथ अपने तरीके से करो न की दूसरे की देखादेखी से या उनके साथ अपनी तुलना करके. आप दुसरो से प्रेरणा ले सकते है या उनसे कुछ सिख सकते है लेकिन उनकी नक़ल, करके या उनसे ईर्ष्या करके अपनी रचनात्मकता को खोते है. दुसरो से कभी होड़ न लगाए. अपनी गलतियों से कुछ सीखे. सफलता और असफलता अपने आपमें कुछ भी नहीं है. सफल एक गरीब भी हो सकता है और असफल एक अमीर भी. यह हमारा दृष्टिकोण तय करता है. इसलिए अपने लक्ष्य खुद बनाये और उन पर सीधा चले ताकि रास्ता लंबा न हो पाए।

HOW TO CHOOSE कोर्स & कॉलेज ?

बोर्ड एग्जाम्स के रिजल्ट का जिस बेसब्री से स्टूडेंट्स इंतजार कर रहे हैं, उनमें उतनी ही कुलबुलाहट या बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि रिजल्ट के बाद आगे क्या? हर स्ट्रीम के स्टूडेंट अपने तरीके से सोच रहे होंगे। इनमें कुछ का विजन क्लियर होगा और टारगेट फिक्स, जबकि कई इस उधेड़बुन में होंगे कि कौन-सा कोर्स सलेक्ट करूं, जिसमें पढ़ाई के बाद जॉब की गारंटी हो। दोस्त कुछ कह रहे होंगे तो पैरेंट्स कुछ और राय दे रहे होंगे। लेकिन पढ़ाई आपको करनी है, इसलिए फैसला भी आप ही करें। गेंद आपके पाले में है। खुद को तलाशें, परखें और मजबूती से बढ़ाएं कदम...
 दरअसल, आज संस्थान तो बहुत खुल गए हैं, लेकिन ज्यादातर कॉलेजों द्वारा न तो क्वालिटी फैकल्टी उपलब्ध कराई जाती है और न ही इंडस्ट्री के साथ इंटरैक्शन होता है। प्लेसमेंट की तो खैर पूछिए ही मत। लिहाजा, कोर्स कंप्लीट करने के बाद स्टूडेंट्स नौकरी के लिए भटकते रहते हैं।?आपके साथ ऐसा न हो, इसलिए समय रहते फैसला कर लें कि करियर की लिहाज से कौन-सा कोर्स और कॉलेज सलेक्ट करना बेहतर होगा...

कोर्स का सलेक्शन

आज तमाम छोटे-बड़े, गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस में विभिन्न तरह के कोर्सेज अवेलेबल हैं। लेकिन 12वीं के बाद कोई खास कोर्स चुनना एक स्टूडेंट के इंट्रेस्ट और ऑप्शन पर डिपेंड करता है। अगर आप आर्टिस्टिक या क्रिएटिव हैं, तो एडवर्टाइजिंग, डिजाइन, फैशन जैसे कोर्सेज चुन सकते हैं। वहीं, जो एनालिटिकली सोचते हैं, उनके लिए इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी के क्षेत्र हैं। यहां बहुत सारे स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी हैं, जिन्हें करने के बाद करियर में ऊंची उड़ान भर सकते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स जब भी किसी खास कोर्स या प्रोग्राम में एनरोल कराने जाएं, तो एक बात क्लियर रखें कि उस प्रोग्राम को सलेक्ट करने का उनका मकसद या पर्पज क्या है? फिर भी अगर कंफ्यूजन बना रहे, तो अपना प्रोफाइलिंग टेस्ट कराएं। इससे आपको अपनी स्ट्रेंथ का पता लग सकेगा और आप उसके मुताबिक कोर्स सलेक्ट कर सकेंगे। 
कोर्स का सलेक्शन करते समय इन खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है...
दिल्ली के अंबेडकर कॉलेज के प्रोफेसर प्रदीप सिंह के अनुसार, स्टूडेंट्स को हमेशा कॉलेज से पहले कोर्स को प्रिफरेंस देना चाहिए। अगर कोई स्टूडेंट बिना इंट्रेस्ट के सब्जेक्ट सलेक्ट कर लेता है, तो उसका परफॉर्मेंस प्रभावित होता है। जब अच्छे ग्रेड्स ही नहीं आएंगे, तो करियर के विकल्प भी सीमित हो जाएंगे। इसलिए अपने पसंदीदा सब्जेक्ट को देखते हुए ही कोर्स चुनें। दूसरों की नकल से बचें, क्योंकि हर स्टूडेंट का लक्ष्य, टैलेंट, वैल्यू और इंट्रेस्ट अलग होता है। जरूरी नहीं कि कंप्यूटर साइंस, इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट्स ही ऑप्ट किए जाएं। आट्र्स, फाइन आट्र्स, डिजाइनिंग, वेब डेवलपमेंट जैसे कोर्सेज भी बेहतर हैं।

सेल्फ असेसमेंट करें

स्टूडेंट्स को कोई भी कोर्स सलेक्ट करने से पहले यह असेस करना चाहिए कि वे किस काम को एंजॉय करते हैं। आप उन करियर ऑप्शंस की लिस्ट बनाएं, जिनमें खुद को प्रूव कर सकते हैं। अगर कोई प्रॉब्लम आ रही हो, तो किसी टीचर, काउंसलर की सलाह लें।

ऑप्शंस एक्सप्लोर करें

जानी-मानी करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा का कहना है कि अब वह दौर नहीं रहा, जब साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के पास सिर्फ मेडिकल या इंजीनियरिंग के ऑप्शन हों। अगर आप किसी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी की बजाय डायरेक्ट प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं, तो अपने पैशन को देखते हुए बायोटेक्नोलॉजी, बायोइंजीनियरिंग, फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन जैसे कोर्सेज कर सकते हैं। इसी तरह आट्र्स से ऌ12वीं करने वाले बिजनेस या होटल मैनेजमेंट कोर्स कर रिटेलिंग, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म इंडस्ट्री का हिस्सा बन सकते हैं। जो लोग क्रिएटिव हैं, वे फैशन डिजाइनिंग, मर्चेंडाइजिंग, स्टाइलिंग का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए आप फील्ड के एक्सपट्र्स या प्रोफेशनल्स से बात करें। उनसे जॉब, एम्प्लॉयमेंट आउटलुक, प्रमोशन अपॉच्र्युनिटीज की जानकारी लें।

कॉलेज का सलेक्शन

स्टूडेंट्स जब भी किसी कॉलेज या इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने की सोचें, उन्हें पहले यह पता कर लेना चाहिए कि उस संस्थान को समुचित रेगुलेटरी अथॉरिटी से मान्यता हासिल है या नहीं। जैसे टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स को ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन से मान्यता लेनी होती है। इसी तरह यूजीसी, एमसीआई आदि भी रेगुलेटरी बॉडीज हैं। अगर प्राइवेट कॉलेज में दाखिला लेने जा रहे हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें :?
  • 1. क्वालिटी ऑफ फैकल्टी
  • 2. फैकल्टी रिसर्च 
  • 3. प्रोफेसर, लेक्चरर और असिस्टेंट प्रोफेसर का रेशियो
  • 4. करिकुलम डाइवर्सिटी ऐंड अपडेशन
  • 5. प्लेसमेंट
कॉलेज में पढ़ाई की क्वालिटी का अंदाजा वहां की फैकल्टी से लगाया जा सकता है। अगर कंप्यूटर साइंस कोर्स करना चाहते हैं, तो यह देखना जरूरी है कि उक्त संस्थान में कितनी क्वालिफाइड फैकल्टी यानी एमसीए या एमटेक होल्डर्स हैं? यह जानकारी वेबसाइट की बजाय कॉलेज जाकर या वहां के स्टूडेंट्स से बात कर हासिल की जा सकती है। जैसे- क्या फैकल्टी वहां रेगुलर एम्प्लॉई हैं या गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर देखें

स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को अपनी ओर खींचने के लिए कॉलेजेज के ब्रोशर काफी अट्रैक्टिव बनाए जाते हैं। उनमें लाइब्रेरी, लैब, स्पोट्र्स फैसिलिटीज, क्लासरूम के बारे में बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन कई बार दाखिले के बाद वहां की सच्चाई पता चलती है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इसलिए एडमिशन से पहले इन सबके बारे में पूरी जांच-पड़ताल कर लें। कभी सिर्फ ब्रांड पर न जाएं।

इंडस्ट्री कनेक्ट

इन दिनों अक्सर यह शिकायत सुनने को मिलती है कि कॉलेज की पढ़ाई से इंटरव्यू में सक्सेस नहीं मिलती। इंडस्ट्री की जो डिमांड है, उस पर स्टूडेंट्स खरे नहीं उतरते। इसलिए किसी भी कॉलेज को चुनने से पहले यह मालूम करें कि उनका इंडस्ट्री के साथ टाई-अप है या नहीं? आज अधिकांश इंस्टीट्यूट्स या कॉलेजेज में इंस्टीट्यूशन-इंडस्ट्री में कनेक्शन को लेकर कोई मैकेनिज्म नहीं है, जबकि मार्केट और इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए कॉरपोरेट मेंटरशिप जैसे प्रोग्राम्स होने चाहिए। वैसे, कंपनीज इंटर्नशिप प्रोग्राम्स के जरिए स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देती हैं। लेकिन यह काम कॉलेज से शुरू हो जाना चाहिए, जैसे आइआइएम, आइआइटी या दूसरे बड़े संस्थानों में होता है।

प्लेसमेंट चेक करें

अमूमन कोई भी प्रोफेशनल कोर्स करने के पीछे स्टूडेंट्स का मकसद सही जगह पर प्लेसमेंट हासिल करना होता है। कॉलेज प्लेसमेंट सेल होने का तो दावा करते हैं, लेकिन आइआइटी, आइआइएम जैसे कुछेक बड़े संस्थानों को छोड़कर अधिकांश का प्लेसमेंट रिकॉर्ड अच्छा नहीं होता। इसलिए कोर्स और कॉलेज चुनने से पहले यह मालूम करें कि किस कोर्स के स्टूडेंट्स का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है। प्लेसमेंट के दौरान कौन-सी कंपनीज ने पार्टिसिपेट किया, इसकी जानकारी भी आपके पास होनी चाहिए।

प्लान करें करियर

अगर पसंद का कॉलेज या कोर्स न मिले, तो परेशान नहींहोना चाहिए। आज हर जगह कॉम्पि- टिशन बढ़ गया है। प्रोफेशनल कोर्सेज में सीट्स लिमिटेड होती हैं, स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा। बेशक आपमें सारा टैलेंट या क्षमता हो, मेरिट हो, लेकिन मुमकिन है कि पसंद के कोर्स या कॉलेज में दाखिला न मिले। इसके लिए जरूरी है कि एक ऑल्टरनेट एक्शन प्लान तैयार रहे। ऑप्शंस के लिए करियर काउंसलर, टीचर्स, पैरेंट्स, सीनियर्स किसी की भी मदद ली जा सकती है। आप जर्नलिज्म में जाना चाहते हैं, लेकिन आइआइएमसी में एडमिशन नहींमिला, तो दूसरे इंस्टीट्यूट्स और विकल्पों से इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं।

नेचुरल टैलेंट को पहचानना

स्टूडेंट्स को अपनी काबिलियत की पहचान करना जरूरी है। इस टैलेंट की पहचान स्कूल में ही होनी चाहिए। चाहें तो पाठ्यक्रम में शामिल करके या काउंसलिंग के जरिए बच्चों के नेचुरल टैलेंट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रो. गिरीश त्रिपाठी, वाइस चांसलर, बीएचयू

इंजीनियरिंग ब्रांच?

आपको 12वीं में चाहे कितने ही अच्छे अंक क्यों न मिले हों, लेकिन अगर आइआइटी या एनआइटी में दाखिला नहीं मिल पाता, तो सही इंजीनियरिंग कॉलेज का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि मार्केट में आए दिन नए प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेज खुल रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप पहले खुद को काउंसलिंग के लिए तैयार करें। रैंक के अनुसार, अपनी प्रॉयरिटीज तय कर लें। आइआइटी में स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के दौरान ही इंजीनियरिंग के विभिन्न ब्रांचेज की जानकारी दे दी जाती है। 

इंस्टीट्यूट/फैकल्टी की क्वालिटी

जहां एडमिशन लेने जा रहे हैं, वहां संचालित कोर्स एआइसीटीई या संबंधित रेगुलेटरी बॉडी से मान्यताप्राप्त है या नहीं? अगर मान्यताप्राप्त है, तो उसकी अवधि कब तक है? इस बारे में रेगुलेटरी बॉडी की साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।

पढाई में मन लगाने के मंत्र


एक बार एक मजदूर ने पहले दिन 10 कुंटल लकड़ी काटी, दुसरे दिन 8 , तीसरे दिन 6 कुंटल ही. मालिक ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया की में तो निरंतर लकड़ी काटने में लगा रहता हु . मालिक ने कुल्हाड़ी देखी और पूछा की तुम कुल्हाड़ी पैनी करते हो या नहीं. मजदूर बोला में इस कार्य में समय वर्बाद नहीं करता. मालिक बोला इसी कारण तुम कम लकड़ी काट पा रहे हो. हर दिन 15-20 मिनट अपनी कल्हड़ी पैनी करने में लगाओ.

यह बात हम  सभी पर भी लागु होती है हम Student  है या Employee  हमें अपने Mind को Sharp करना ही पड़ेगा. सबसे पहले अपनी सोच को सकारात्मक  ( Positive ) बनाइये . आप जैसा सोचते और महसूस करते हैं वैसे ही बन जाते हैं . सोच को सकारात्मनक ( Positive ) करने के लिए ज़रूरी है Positive books पढे , Motivational Article पढे, Motivational Videos देखे. और सुबह उठते ही एक ” To Do” List  बनाये जिसमे आप आज पुरे दिन में क्या करना है इसकी list बनाये इससे आपको पुरे दिन में जो भी टारगेट पूरा करना है सुबह से ही Clear रहेगा .जिससे टारगेट achieve करने में आसानी रहेगी.

अपना AIM Clear  रखिये

जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए ज़रूरी है उसके लिए AIM बनाना. Study में भी यह ज़रूरी है की सही AIM बनाया जाये, सही AIM मतलब जैसे  किसी Student के last class में 5० % marks आये तो उसका AIM होगा की इस साल उसे 56 % मार्क्स लाने हैं न की उसका AIM होगा की 80% लाने हैं और जिसके 8०% मार्क्स आने उसका AIM होगा 85-86% मार्क्स लाने  हैं न की सीधे  90% लाने बनाने के बाद अगला step  है विश्वास करिये की आपका AIM पूरा हो जाएगा.आपके दिमाग में आपके जीवन को बदलने की शक्ति है आप अपने जीवन को किसी भी दिशा में बदल सकते हैं . किसी भी काम को करने के लिए आपका पूरा मन उस काम में लगना बहुत ज़रूरी है . जब आपको clear है की आपको कितने % Marks लाने है फिर निश्चित करे उसके लिए आपको कितने घंटे पढ़ना होगा .अपने AIM को yearly Exam, half yearly Exam, quarterly Exam, monthly Exam , लक्ष्यों में विभाजित कर लीजिए.

Daily के लिए छोटे छोटे लक्ष्य बनाइये . लक्ष्य अपनी मेज़ पर सामने लिख कर लगा ले और उसी के अनुसार काम करे . हर दिन का काम उसी दिन पूरा करे . जब आप दृढ़ता  के साथ काम करेंगे तो देखेंगे कुछ ही दिन में आपका Confidence  बढ़ने लगेगा .
अपने AIM को सोने से पहले और उठने बाद तुरंत दोहराये ताकि आपके mind को आपका AIM clear रहे
” न कभी डरो न हार मानो. उठो खड़े हो जायो और संघर्ष करो , जब तक विजय न हो जाये .”

पढ़ाई में मन कैसे लगे 

एकाग्रता Concentration है आपका ध्यान  उस काम में लगे जिस काम को आप करना चाहते हैं ,जब हमारा मन कई चीज़ों में जाता है तो Concentration की कमी हो जाती है जैसे की हम पढ़ने बैठे उसी समय हमरा favorite serial  आ रहा है T.V पर तो अब हमारा पूरा धयान Study से हटकर T.V में चला गया या हम पढ़ने बैठे कोई फोन कॉल आ गयी या हमारा Mind कुछ कुछ सोचने लगा .

Tanagers girls के मन में आने वाले ज़्यादातर बेकार के  विचार-

  • वो लड़की मुझसे ज़्यादा अच्छी दिखती है
  • वह कितनी egoistic है
  • क्या मैं सुन्दर हु ?
  • सब मेरे भाई या बहन को ज़्यादा प्यार करते हैं , मुझसे नहीं
  • आज कल फैशन में यह बहुत है .
  • क्या मेरा boy friend मुझसे सच में प्यार करता है या मुझे उसका test लेना चाहिए.

Tanagers boys  के मन में आने वाले ज़्यादातर बेकार के  विचार

  • आज कल मार्किट में नै बाइक कौन सी आयी है , वही लेनी है इस बार
  • वह लड़की मुझे देख रही थी लाइन मार रही थी.
  • क्या girl  friend मुझसे सच में प्यार करता है या मुझे उसका test लेना चाहिए.
ये सब विचार आपके , time  और mind दोनों को ख़राब करते हैं. जो ज़िन्दगी में कुछ करना चाहते हैं उन्हें इन सब फालतू की बातो पर धयान ही नहीं देना चाहिए और ज़्यादा fashion और show off  में नहीं लगना चाहिए , आपका यह समय बहुत कीमती है

Sab kuch

माँ पर शायरी

  "माँ के कदमों में बसी जन्नत की पहचान, उसकी दुआओं से ही रोशन है हर इंसान। जिंदगी की हर ठोकर से बचा लेती है, माँ की ममता, ये दुन...