Yllix

अपामार्ग के चमत्कारी प्रयोग

 


अपामार्ग

अपामार्ग को #चिरचिटा, #लटजीरा, #चिरचिरा, #चिचड़ा आदि नामों से जाना जाता हैं...।

इस समय सड़क हो या नदी-तालाब किनारे या बंजर भूमि हर कहीं आपको अपामार्ग का पौधा आसानी से दिख जावेगा....हमारे मालवांचल में तो हर गांव कस्बे में यह बड़ी मात्रा में पैदा होता हैं.... पर इसको अपामार्ग के नाम से कोई नही जानता,,हर कोई #आंधीझाड़ा कहता हैं,जो कहीं न कहीं इसका अपमान ही है क्योंकि आंधीझाड़ा का मतलब  हमारे इधर बेकार की झाड़ी से लगाया जाता हैं....। की

गुणों की खान "अपामार्ग"

अपामार्ग एक बहुओषधिय पौधा हैं, जिसका तना,जड़,पत्ते,बीज सभी का औषधीय मूल्य है....

अपामार्ग को अघाडा ,लटजीरा या चिरचिटा आदि नामों से जाना जाता हैं....।

आंधीझाड़ा के पत्ते ऋषिपंचमी ,गणेश पूजा , हरतालिका पूजा,मंगला गौरी पूजा आदि समय काम आते है .शायद पूजा में इस्तेमाल ही इसलिए होता होगा  ताकि हम इनके आयुर्वेदिक रूप को पहचान सके और ज़रुरत के समय इनका सदुपयोग करना ना भूले....।

इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े फुंसी और गांठ तक ठीक हो जाती है ...अपामार्ग की जड़ को कमर में धागे से बाँध देने से प्रसव सुख पूर्वक हो जाता है, प्रसव के बाद तुरन्त इसे हटा देना चाहिए....।

ज़हरीले कीड़े काटने पर इसके पत्तों को पीसकर लगा देने से आराम मिलता है ...वहीं इसकी ५-१० ग्राम जड़ को पानी के साथ घोलकर लेने से पथरी निकल जाती है ....इसके बीज चावल की तरह दीखते है ,जिन्हें #तंडुल कहते है .....यदि स्वस्थ व्यक्ति इस तंडुल की खीर खा ले तो उसकी भूख-प्यास आदि समाप्त हो जाती है ,पर इसकी खीर उनके लिए वरदान है जो भयंकर मोटापे के बाद भी भूख को नियंत्रित नहीं कर पाते,कालांतर में ऋषि-मुनि इस प्रकार की खीर का उपयोग कर लंबी साधना को पूर्ण करते रहे है....।

यह भी पढ़े:- आकर्षण के नियम , आत्म ज्ञान , सहस्रार-चक्र,  जायफल के चमत्कारिक गुण भगवान शिव के रहस्य

वाक् सिद्धि

सबसे अहम बात तंत्र में अपामार्ग का बहुत सारा प्रयोग जिसमें से वाक् सिद्धि के लिए ,अपामार्ग दातुन निरंतर करने से आपको वाक् सिद्धि मिलता ही है। यह प्रयोग हजारों लोगों ने आजमाया हुआ है।


सम्मोहन 

सफेद अपामार्ग की जड़ को केशर और गौलोचन घस कर तिलक लगाने से जग सम्मोहन होता हैं।

सामाजिक जीवन और मर्यादा

 


सार्वजनिक जीवन में मर्यादा से रहें


जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि रोड सार्वजनिक है। ठीक उसी प्रकार किसी भी लड़की को मनचाही अर्धनग्नता युक्त वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है क्योंकि जीवन सार्वजनिक है। एकांत रोड में स्पीड चलाओ, एकांत जगह में अर्द्धनग्न रहो। मगर सार्वजनिक जीवन में नियम मानने पड़ते हैं।


भोजन जब स्वयं के पेट मे जा रहा हो तो केवल स्वयं की रुचि अनुसार बनेगा, लेकिन जब वह भोजन परिवार खायेगा तो सबकी रुचि व मान्यता देखनी पड़ेगी।


लड़कियों का अर्धनग्न वस्त्र पहनने का मुद्दा उठाना उतना ही जरूरी है, जितना लड़को का शराब पीकर गाड़ी चलाने का मुद्दा उठाना जरूरी है। दोनों में एक्सीडेंट होगा ही। 


अपनी इच्छा केवल घर की चहारदीवारी में उचित है। घर से बाहर सार्वजनिक जीवन मे कदम रखते ही सामाजिक मर्यादा लड़का हो या लड़की उसे रखनी ही होगी।


 घूंघट और बुर्का जितना गलत है, उतना ही गलत अर्धनग्नता युक्त वस्त्र गलत है। बड़ी उम्र की लड़कियों का बच्चों की सी फ़टी निक्कर पहनकर छोटी टॉप पहनकर फैशन के नाम पर घूमना भारतीय संस्कृति का अंग नहीं है।


जीवन भी गिटार या वीणा जैसा वाद्य यंत्र हो, ज्यादा कसना भी गलत है और ज्यादा ढील छोड़ना भी गलत है।


सँस्कार की जरूरत स्त्री व पुरुष दोनों को है, गाड़ी के दोनों पहिये में सँस्कार की हवा चाहिए, एक भी पंचर हुआ तो जीवन डिस्टर्ब होगा।


नग्नता यदि मॉडर्न होने की निशानी है, तो सबसे मॉडर्न जानवर है जिनके संस्कृति में कपड़े ही नही है। अतः जानवर से रेस न करें, सभ्यता व संस्कृति को स्वीकारें। कुत्ते को अधिकार है कि वह कहीं भी यूरिंन पास कर सकता है, सभ्य इंसान को यह अधिकार नहीं है। उसे सभ्यता से बन्द टॉयलेट उपयोग करना होगा। इसी तरह पशु को अधिकार है नग्न घूमने का, लेकिन सभ्य स्त्री को उचित वस्त्र का उपयोग सार्वजनिक जीवन मे करना ही होगा।

अतः विनम्र अनुरोध है, सार्वजनिक जीवन मे मर्यादा न लांघें, सभ्यता से रहें।


                   🙏🙏राणा जी🙏🙏

पोस्ट अच्छा लगे तो कमेंट और शेयर जरूर करे मित्रों!


जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि रोड सार्वजनिक है। ठीक उसी प्रकार किसी भी लड़की को मनचाही अर्धनग्नता युक्त वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है क्योंकि जीवन सार्वजनिक है। एकांत रोड में स्पीड चलाओ, एकांत जगह में अर्द्धनग्न रहो। मगर सार्वजनिक जीवन में नियम मानने पड़ते हैं।


भोजन जब स्वयं के पेट मे जा रहा हो तो केवल स्वयं की रुचि अनुसार बनेगा, लेकिन जब वह भोजन परिवार खायेगा तो सबकी रुचि व मान्यता देखनी पड़ेगी।


लड़कियों का अर्धनग्न वस्त्र पहनने का मुद्दा उठाना उतना ही जरूरी है, जितना लड़को का शराब पीकर गाड़ी चलाने का मुद्दा उठाना जरूरी है। दोनों में एक्सीडेंट होगा ही। 


अपनी इच्छा केवल घर की चहारदीवारी में उचित है। घर से बाहर सार्वजनिक जीवन मे कदम रखते ही सामाजिक मर्यादा लड़का हो या लड़की उसे रखनी ही होगी।


 घूंघट और बुर्का जितना गलत है, उतना ही गलत अर्धनग्नता युक्त वस्त्र गलत है। बड़ी उम्र की लड़कियों का बच्चों की सी फ़टी निक्कर पहनकर छोटी टॉप पहनकर फैशन के नाम पर घूमना भारतीय संस्कृति का अंग नहीं है।


जीवन भी गिटार या वीणा जैसा वाद्य यंत्र हो, ज्यादा कसना भी गलत है और ज्यादा ढील छोड़ना भी गलत है।


सँस्कार की जरूरत स्त्री व पुरुष दोनों को है, गाड़ी के दोनों पहिये में सँस्कार की हवा चाहिए, एक भी पंचर हुआ तो जीवन डिस्टर्ब होगा।


नग्नता यदि मॉडर्न होने की निशानी है, तो सबसे मॉडर्न जानवर है जिनके संस्कृति में कपड़े ही नही है। अतः जानवर से रेस न करें, सभ्यता व संस्कृति को स्वीकारें। कुत्ते को अधिकार है कि वह कहीं भी यूरिंन पास कर सकता है, सभ्य इंसान को यह अधिकार नहीं है। उसे सभ्यता से बन्द टॉयलेट उपयोग करना होगा। इसी तरह पशु को अधिकार है नग्न घूमने का, लेकिन सभ्य स्त्री को  उचित वस्त्र का उपयोग सार्वजनिक जीवन मे करना ही होगा।

अतः विनम्र अनुरोध है, सार्वजनिक जीवन मे मर्यादा न लांघें, सभ्यता से रहें।


यह भी पढ़े:- आकर्षण के नियम , आत्म ज्ञान , सहस्रार-चक्र,  जायफल के चमत्कारिक गुण भगवान शिव के रहस्य

                  

पोस्ट अच्छा लगे तो कमेंट और शेयर जरूर करे मित्रों!

गुमनाम महापुरुष

 


करीब तीस साल का एक युवक मुंबई के प्रसिद्ध टाटा कैंसर अस्पताल के सामने फुटपाथ पर खड़ा था।


युवक वहां अस्पताल की सीढिय़ों पर मौत के द्वार पर खड़े मरीजों को बड़े ध्यान दे देख रहा था,


जिनके चेहरों पर दर्द और विवषता का भाव स्पष्ट नजर आ रहा था।


इन रोगियों के साथ उनके रिश्तेदार भी परेशान थे।


थोड़ी देर में ही यह दृष्य युवक को परेशान करने लगा।


वहां मौजूद रोगियों में से अधिकांश दूर दराज के गांवों के थे, जिन्हे यह भी नहीं पता था कि क्या करें, किससे मिले? इन लोगों के पास दवा और भोजन के भी पैसे नहीं थे।


टाटा कैंसर अस्पताल के सामने का यह दृश्य देख कर वह तीस साल का युवक भारी मन से घर लौट आया।


उसने यह ठान लिया कि इनके लिए कुछ करूंगा। कुछ करने की चाह ने उसे रात-दिन सोने नहीं दिया। अंतत: उसे एक रास्ता सूझा..


उस युवक ने अपने होटल को किराये पर देक्रर कुछ पैसा उठाया। उसने इन पैसों से ठीक टाटा कैंसर अस्पताल के सामने एक भवन लेकर धर्मार्थ कार्य(चेरिटी वर्क) शुरू कर दिया।


उसकी यह गतिविधि अब 27 साल पूरे कर चुकी है और नित रोज प्रगति कर रही है। उक्त चेरिटेबिल संस्था कैंसर रोगियों और उनके रिश्तेदारों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है।


करीब पचास लोगों से शुरू किए गए इस कार्य में संख्या लगातार बढ़ती गई। मरीजों की संख्या बढऩे पर मदद के लिए हाथ भी बढऩे लगे। शर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम को झेलने के बावजूद यह काम नहीं रूका।


यह पुनीत काम करने वाले युवक का नाम था हरकचंद सावला।


एक काम में सफलता मिलने के बाद हरकचंद सावला जरूरतमंदों को निशुल्क दवा की आपूर्ति शुरू कर दिए।


इसके लिए उन्होंने मैडीसिन बैंक बनाया है, जिसमें तीन डॉक्टर और तीन फार्मासिस्ट स्वैच्छिक सेवा देते हैं। इतना ही नहीं कैंसर पीडि़त बच्चों के लिए खिलौनों का एक बैंक भी खोल दिया गया है। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि सावला द्वारा कैंसर पीडि़तों के लिए स्थापित 'जीवन ज्योतÓ ट्रस्ट आज 60 से अधिक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।


57 साल की उम्र में भी सावला के उत्साह और ऊर्जा 27 साल पहले जैसी ही है।


मानवता के लिए उनके योगदान को नमन करने की जरूरत है।


यह विडंबना ही है कि आज लोग 20 साल में 200 टेस्ट मैच खेलने वाले सचिन को कुछ शतक और तीस हजार रन बनाने के लिए भगवान के रूप में देखते हैं।


जबकि 10 से 12 लाख कैंसर रोगियों को मुफ्त भोजन कराने वाले को कोई जानता तक नहीं।


यहां मीडिया की भी भूमिका पर सवाल है, जो सावला जैसे लोगों को नजर अंदाज करती है।


यहां यह भी बता दे कि गूगल के पास सावला की एक तस्वीर तक नहीं है।


यह हमे समझना होगा कि पंढरपुर, शिरडी में साई मंदिर, तिरुपति बाला जी आदि स्थानों पर लाखों रुपये दान करने से भगवान नहीं मिलेगा।


भगवान हमारे आसपास ही रहता है। लेकिन हम बापू, महाराज या बाबा के रूप में विभिन्न स्टाइल देव पुरुष के पीछे पागलों की तरह चल रहे हैं।


इसके बाजवूद जीवन में कठिनाइयां कम नहीं हो रही हैं और मृत्यु तक यह बनी रहेगी।


परतुं बीते 27 साल से कैंसर रोगियों और उनके रिश्तेदारों को हरकचंद सावला के रूप में भगवान ही मिल गया है।


इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि हरकचंद्र सावला को उनके हिस्से की प्रसिद्धि मिल सके और ऐसे कार्य करने वालो को बढावा मिले

धन्यवाद ।

यह भी पढ़े:- आकर्षण के नियम , आत्म ज्ञान , सहस्रार-चक्र,  जायफल के चमत्कारिक गुण भगवान शिव के रहस्य

Sab kuch

free websites/tools , achhe quality wale videos

 Yahaan kuch free websites/tools hain jinke zariye aap achhe quality wale videos bana sakte ho — bina paise diye: 1. Canva Website : h...