Yllix

आत्मानुभव

 

                                                               


आत्मज्ञानही परमात्मा का ज्ञान है प्रत्येक व्यक्ति शरीर नही आत्मा है इसलिए परमात्मा भी वही है इसी कार ण आत्मज्ञान होने पर वह,, अहं ब्रह्मसिम,, कह सकता हैa किन्तु उसका अहंकार शेष है तो वह ऐसा नही कह सकता। 

अहंकारके कारण ही वह जीवात्मा और ईश्वर मे भेद देखता है।

उसेद्वैत ही दिखाई देता है।

तब वह''ईश्वर  पुत्र''  कहता है । यह भिन्नता जीवात्मा के तल  तक  की है। शुद्ध आत्मा और ईश्वर मे भिन्नता नही है।

आत्मज्ञानके बाद उके सभी कार्य नाटक  की भाति होते रहते है जिनसे अलग रहकर दृष्टा मात्र हो i होता है। नैतिकता का सम्बन्ध मन तक ही सिमित  है कि उसे बुराई से बचा ले।h धर्म इस मन के पार  की अवस्था है आत्मज्ञान से ही मुक्ति होती है। नियम संयम भी मन तक ही है आत्मज्ञान पर मनुष्य-  कृत नही, ईश्वरीय नियम ही महत्त्वपूर्ण हो जाते है। शास्त्र पढ़ने,कर्म एवं आचरण से ज्ञान नही होता है स्वमं देखने से मिल ता है ऐसे ज्ञान कीअभिव्यक्ति भी नही होती ।आत्मा के उपरजमी धूलि को झाडे़ बिना आत्मानुभव सम्भव नही। आत्मज्ञान में मृत्यु का अनुरूप होता है तभी अमृत की उपलब्धि होती हैo मृत्यु से ही नया  जीवन मिल ता है पुराने  कोढोनो से क्या नया मिल  सकता है नये  के लिये पुराने का त्याग  करना आवश्यक  है

आत्मानुभुति के समय वह स्वम  को शरीर से भिन्न देख लेता है तभी उसको प्रतीति  होती है कि मैशरीर नही आत्मा हूँ।तभी उसे अमृतत्त्व का अनुभव होता है

धर्मचेतना से जुडा़  हुआ शास्त्र है दर्शन की यहाँ गति  नही है  ,दर्शन जानने वाला धर्म को उपलब्ध नही हो सकता।

यही शाश्वत सत्य है


नमः   शिवाय  l

यह भी पढ़े:-

 

 कृपा  जब   मिलती है  जब जीवन  मे कोई  संत आता है ..वो आपसे कुछ लेने नही आता ..सिर्फ  देने आता है ,ये तो  मूर्खता  की बात लोंग   सोचते  है  कि  मैं   इसको   क्या  दे दू ...वो तो  तुम सोभाग्यशाली हो यदि पर्मात्मा तुम्हारे मन  मे कोई प्रेरणा  लगाये की तुम भी ऐसमे भगीदार बनो इस  पुण्य कार्य मे .तो  तुम  बड़े  सो भाग्यशाली हो .तो वो उसकी  जब कृपा   होती है . उससे  वो शक्ति   जाग्रत  होती है ..  वो शक्ति ऊपर  उठती   है  तो संचित  कर्म  सुषुम्मना नाडी मेँ , त्मो  गुणी  कर्म   निचले  भाग  मे ,रजो  गुनी  कर्म मध्य  भाग  मे  ,ओर  सतोगुनी  कर्म  ऊपर  के भाग  मे ,होते है . ओर वो शक्ति जब साधना  जब वो प्रारम्भ  करता है .शक्ति ऊपर  उठती  है.ओर उन  सचित कर्मो  का भक्षण करती  हुई , संहार  करती हुई  ऊपर  उठी है  जैसे जैसे  शक्ति ऊपर उठती  है . वो संचित  कर्म  समाप्त  होते  जाते  है  ओर  वो जो  है आकर के  कुण्डलनी   शक्ति मे परीवर्तित   होकर के  भगवान  परात्पर शिव  के  साथ  जब मिलां होता  है ..तब  उस   अद्वत श्री  विध्या  के  साधक  को    ब्रहम  ग्यान  की प्राप्ती होती  है .. 

हनुमान चालीसा और हमारा दिनचर्या

 

कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।


माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से 

पूर्व किया था

हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।


अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी  के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं। 


हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई। 


हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….


*शुरुआत गुरु से…*


हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…


श्रीगुरु चरन सरोज रज, 

निज मनु मुकुरु सुधारि।


*अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।


गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं। 


इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं। आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। माता-पिता को पहला गुरु ही कहा गया है। 


समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।


*ड्रेसअप का रखें ख्याल…*


चालीसा की चौपाई है


कंचन बरन बिराज सुबेसा, 

कानन कुंडल कुंचित केसा।


*अर्थ* - आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।


आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए। 


अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।


आगे पढ़ें - हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...


*सिर्फ डिग्री काम नहीं आती*


बिद्यावान गुनी अति चातुर, 

राम काज करिबे को आतुर।


*अर्थ* - आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।


आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।


*अच्छा लिसनर बनें*


प्रभु चरित सुनिबे को रसिया, 

राम लखन सीता मन बसिया।


*अर्थ* -आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।

जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए। 


अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।


*कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है*


सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा।


*अर्थ* - आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए। और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।


कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है। 


सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया। 


अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।


*अच्छे सलाहकार बनें*


तुम्हरो मंत्र बिभीसन माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।


*अर्थ* - विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।


हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी। 


विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।


*आत्मविश्वास की कमी ना हो*


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।


*अर्थ* - राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।


अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं। 


आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है। आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है। अपनेआप पर पूरा भरोसा रखे


        जय श्री राम 

यह भी पढ़े:-

श्रद्धा और विश्वास ही केवल

 

जो इंसान भगवान को जानता नहीं वो सिर्फ बोलता ही रहता है

लेकिन जो उसे जान लेता है फिर वो बोल ही नहीं पाता है

भगवान को जिसने देखा:-

भगवान को जिसने भी देखा उसका यही कहना था। दूसरे कितने भी भगवान के बारे में आपको बताये लेकिन आप नहीं जान पाएंगे उन्हें। भगवान को बातो से कभी नहीं समझा जा सकता , उनके बारे में जितना कहा जाये उतना कम है और जितना कहा जायेगा वो हमेशा अधूरा ही कहा जायेगा।

जो सिर्फ बातो से पूर्ण हो जाये वो पूर्ण परमात्मा सिर्फ इतना ही नहीं

कौन देख सकता है भगवान को ?

भगवान के बारे में आप जितना सुनेगे उतनी आपकी श्रद्धा बढ़ेगी ये सच है लकिन उनको आप जभी देख पाएंगे जब उनकी खुद आप पर कृपा होगी

भगवान को केबल बुद्धि से नहीं जाना जा सकता या पाया जा सकता है। क्यूंकि बुद्धि की पहुंच भगवान तक तो है ही नहीं अगर सिर्फ बुद्धि से भगवान मिल जाते तो इस दुनिया में बुद्धिवान की कोई कमी थोडा है। संसार में शातिर, चालक ,बुद्धिमान लोग तो भरे पड़े है।

सीधे साधे भक्त को वो तुरंत ही मिल जावै

रामकृष्ण परमहंस के जीवन की एक घटना :-

एक बार उन्होंने अपने अंधे मित्र को खाने पे बुलाया। वो अँधा इंसान बहुत प्रसन्न हुआ स्वामी जी से मिलकर। उन्होंने बहुत प्रकार के व्यंजन खिलाये। और कुछ देर बाद अंधे इंसान ने कहा ये चीज़ बहुत स्वादिस्ट है क्या है ये ?

स्वामी जी ने कहा ये खीर है। उसने कहा मित्र ये खीर कैसा होता है उन्होंने कहा सफ़ेद रंग का होता है उसने कहा मित्र ये सफ़ेद रंग वो कैसा होता है ? अब वो तो अँधा था उसे समझ नहीं आ रहा था।

तो स्वामी जी ने समझ।ने के लिए कहा वो तो बगुले के जैसा होता है फिर उसने पूछा ये बगुला कैसा होता है उन्होंने कहा वो टेढ़ा होता है तो फिर उस व्यक्ति ने कहा” अब समझा खीर टेढ़ी होती है। “

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है जिसने ईश्वर को कभी देखा ही नहीं और जिसने देखा है वो चाहे कितने भी कोशिश कर ले वो अपना अनुभव किसी को बता नहीं सकता अगर बता भी दे तो समझा नहीं सकता। 

केबल आपकी श्रद्धा और विश्वास ही उसको आपके उसके सामने ला सकती है।

भक्त और भगवान

 

एक गांव में भोली-भाली गरीब लड़की पंजिरी रहती थी। वह भगवान मदनमोहन जी की अनन्य भक्त थी। भगवान मदनमोहन भी उससे बहुत प्रसन्न रहते थे।वे उसे स्वप्न में दर्शन देते और उससे कभी कुछ खाने को माँगते, कभी कुछ।

वह दूसरे दिन ही उन्हें वह चीज भेंट कर आती, पर वह उनकी दूध की सेवा नित्य करती। वह रोज उनके दर्शन करने जाती और दूध दे आती।सबसे पहले उनके लिए प्रसाद निकालती।

दूध वह नगर में दूसरे लोगों को भी देती। लेकिन मदनमोहन जी को दूध अपनी ओर से देती।उसके पैसे न लेती।

इस प्रकार वह दूध बेच कर अपनी जीवन नैय्या चलाती थी। लेकिन वह गरीब पंजिरी को चढ़ावे के बाद बचे दूध से इतने पैसे मिलते कि दो वक्त का खाना भी खा पाये।

अतः मंदिर जाते समय पास की नदी से थोड़ा सा जल दूध में सहज रुप से मिला लेती । फिर लौटकर अपने प्रभु की आराधना में मस्त बाकी समय अपनी कुटिया में बाल गोपाल के भजन कीर्तन करके बिताती।

कृष्ण कन्हैया तो अपने भक्तों की टोह में रहते ही हैं ,नित नए रुप में प्रकट होते,कभी प्रत्यक्ष में और वह पंजिरी संसार की सबसे धनी स्त्री हो जाती।

लेकिन एक दिन उसके सुंदर जीवन क्रम में रोड़ा आ गया। दूध में जल के साथ-साथ एक छोटी मछली दूध में आ गई और संयोगवश वह मदनमोहन जी के चढ़ावे में चली गई।

दूध डालते समय मंदिर के गोसाई की दृष्टि पड़ गई। गोसाईं जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने दूध वापस कर पंजिरी को खूब डांटा फटकारा और मंदिर में उस का प्रवेश निषेध कर दिया।

पंजिरी पर तो आसमान टूट पड़ा ।रोती-बिलखती घर पहुंची-" ठाकुर मुझसे बड़ा अपराध हो गया ।क्षमा करो ,पानी तो रोज मिलाती हूं ,तुमसे कहां छिपा है ।ना मिलाओ तो गुजारा कैसे हो।

लेकिन, प्रभु आज तक तो तुमने कोई आपत्ति कि नहीं प्रेम से पीते रहे ,हां मेरा दोष था कि पानी छानकर नहीं मिलाया । लेकिन दुख इसलिए है कि तुम्हारे मंदिर के गोसाई ने पानी मिलाने पर मुझे इतनी खरी खोटी सुनाई और तुम कुछ ना बोले।

ठाकुर अगर यही मेरा अपराध है तो में प्रतिज्ञा करती हूं कि ऐसा काम आगे ना करूंगी और अगर रूठे रहोगे, मेरा चढ़ावा स्वीकार न करोगे तो मैं यहीं प्राण त्याग दूंगी।

तभी पंजिरी के कानों में एक मधुर कंठ सुनाई दिया-"माई ओ माई ।उठी दरवाजे पर देखा तो द्वार पर एक सुदर्शन किंतु थका-हारा भूखा-प्यासा एक युवक कुटिया में झांक रहा है।

"कौन हो बालक"

मैया बृजवासी हूं मदन मोहन के दर्शन करने आया था। बड़ी भूख लगी है कुछ खाने का मिल जाए और रात भर सोने की जगह दे दो तो बड़ा आभारी रहूंगा।"

पंजिरी के शरीर में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। "कोई पूछने की बात है बेटा, घर तुम्हारा है। ना जाने तुम कौन हो जिसने आते ही मेरे जीवन में ऐसा जादू बिखेर दिया।दूर से आए हो क्या भोजन करोगे।"

"दूध के सिवा कुछ लेता नहीं ।तनिक दूध दे दो वही पी कर सो जाऊंगा।" दूध की बात सुनते ही पंजिरी की आंखें डबडबा आयी, फिर अपने आप को संभालते हुए बोली-

"पुत्र दूध तो है पर सवेरे का बासी है, जरा ठहरो अभी गाय को सेहला कर थोड़ा ताजा दूध दूह लेती हूं।"

"अरे मैया नहीं नहीं ।उसमें समय लगेगा। सवेरे का भूखा प्यासा हूं दूध का नाम लेकर तूने मुझे अधीर बना दिया ।अरे वही सुबह का दे दो, तुम बाद में दूहते रहना।"

डबडबायीआंखों से बोली" थोडा पानी मिला हुआ दूध है, पर उसमें मछली आ गई थी।" "अरे मैया तुम मुझे भूखा मारोगी क्या? जल्दी से कच्चा दूध छान कर ऐसे ही दे दो वरना मैं यही दम तोड़ दूंगा।"

पंजिरी को आश्चर्य हुआ कि कैसी बात कर बैठा यह युवक,दौड़ी-दौड़ी गई झटपट दूध दे दिया। इधर दूध पीकर युवक का चेहरा खिल उठा।

"मैया कितना स्वादिष्ट दूध है। तू तो यूं ही ना जाने क्या-क्या कह रही थी ,अब तो मेरी आंखों में नींद उतर आई है इतना कहकर युवक वही सो गया।

पंजिरी अकेली हो गई है तो दिन भर की कांति, दुख और अवसाद ने उसे फिर घेर लिया।जाड़े के दिन थे ,भूखे पेट उसकी आंखों में नींद कहां।

जाडा़ बढ़ने लगा तो अपनी ओढ़नी बालक को ओढा दी।

रात के अंतिम प्रहर जो आंख लगी कि कृष्ण कन्हैया को सामने खड़ा पाया।

मदन मोहन भगवान ने आज फिर से स्वप्न मे दर्शन दिए और बोले,"यह क्या मैया, मुझे को मारेगी क्या?

गोसाई की बात का बुरा मान कर रूठ गयी। खुद पेट में अन्न का एक दाना तक न डाला और मुझे दूध पीने का कह रही हो।

मैंने तो आज तुम्हारे घर आकर दूध पी लिया अब तू भी अपना व्रत तोड़ कर के कुछ खा पी ले और देख दूध की प्रतीक्षा में व्याकुल रहता हूं, उसी से मुक्ति मिलती है। अपना नियम कभी मत तोड़ना।

गोसाईं भी अब तेरे को कुछ ना कहेंगे। दूध में पानी मिलाती हो, तो, क्या हुआ?वह तो जल्दी हज़म हो जाता है।अब उठो और भोजन करो। पंजिरी हड़बड़ाकर के उठी देखा बालक तो कुटिया में कहीं नहीं था।

सचमुच भेस बदल कर कृष्ण कन्हैया ही कुटिया में पधारे थे। पंजिरी का रोम-रोम हर्षोल्लास का सागर बन गया। झटपट दो टिक्कड़ बनाए और मदन मोहन को भोग लगाकर के साथ आनंदपूर्वक खाने लगी। उसकी आंखों से अश्रुधारा बह रही थी।

थोड़ी देर में सवेरा हो गया पंजिरी ने देखा कि कृष्ण कन्हैया उसकी ओढ़नी ले गये हैं और अपना पीतांबर कुटिया में ही छोड़ गए हैं।

इधर मंदिर के पट खुलते ही पुजारी ने मदन मोहनजी को देखा तो पाया की प्रभु फटी ओढ़नी ओडे़ आनंद के सागर में डूबे हैं। पुजारी समझ गये कि प्रभु तुमने अवश्य फिर कोई लीला की है, लेकिन इसका रहस्य मेरी समझ में नहीं आ रहा है।

लीलाउद्घाटन के लिए पंजिरी मंदिर के द्वार पर पहूंची। खड़ी होकर पुजारी जी से कह रही थी,"गुसाई महाराज देखो तो प्रभु की लीला और माया,पीतांबर मेरे घर छोड़ आये है और मेरी फटी ओढ़नी ले आये।

कल सवेरे आपने मुझे भगा दिया था ,लेकिन भूखा प्यासा मेरा कन्हैया दूध के लिये घर आ गया।"

पुजारी देवी के सामने बैठ गए। "भक्त और भगवान के बीच मेंने क्या कर डाला ,भक्ति बंधन को ठेस पहुंचा कर मैंने कितना बड़ा अपराध कर डाला देवी मुझे क्षमा कर दो "पंजिरी के चरणों में रो-रो कर कह रहे थे पुजारी।

लेकिन उनका भक्ति सागर था जो भक्त में भगवान के दर्शन पाकर निर्बाध बह चला था।पंजिरी भी क्या कम भावावेश मे थी ।आनंद भक्ति के सागर मे हिलोरे लेती हुई कह रही थी।

"गुसाई जी देखी तुमने बाल गोपाल की चतुराई अपना पीतांबर मेरी कुटिया मे जानबूझकर छोड मेरी फटी-चिथड़ी ओढ़नी उठा लाये।लो भक्तों को सम्मान देना तो की पुरानी इनकी पुरानी आदत है।"

मूर्ति में विराजमान कन्हैया धीरे-धीरे मुस्कुरा कर कह रहे थे अरे मैया तू क्या जाने कि तेरे प्रेम से भरी ओढ़नी ओड़ने में जो सुख है वो पीतांबर में कहां!!

जायफल के चमत्कारिक गुण

 

जानिए जायफल के चमत्कारिक गुण 

जायफल बहुत ही थोड़ी मात्र में गरम मसाले के अन्दर प्रयोग किया जाने वाला एक मसाला है। यह बहुत ही गुणकारी होता है। इसके औषधीय गुण इसे और महत्वपूर्ण बना देते हैं। एक जायफल कई बीमारियों में काम आता है। जैसे 

1. भूख नहीं लगती हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिए। इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी, भूख बढ़ेगी और खाना भी ठीक से पचेगा।

2. जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से हृदय मजबूत होता है।

3. दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।

4. पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।

5. जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।

6. जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।

7. एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।

8. कान के पीछे अगर सूजन हो या गांठ हो तो जायफल को पानी में घिसकर सूजन वाले स्थान पर लगाएं। सूजन ठीक हो जाएगी।

9. सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्र में मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी।

10. फटी एड़ियों में जायफल को घिसकर बिवाइयों (दारों) में लगाएं, ठीक हो जाएंगी।

11. प्रसव के समय होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए जायफल को पानी में घिसकर, इसका लेप कमर पर करें, लाभ मिलेगा।

12. जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।

13. दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।

14. नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है।

रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.आयुर्वेद में जायफल को वात एवं कफ नाशक बताया गया है।

आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है, जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

इससे कई बीमारियों में लाभ मिलता है तथा सौन्दर्य सम्बन्धी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है।

- सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।

- सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं।

- सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिये। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये। यह शरीर की स्वाभाविक गरमी की रक्षा करता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसे जरूर प्रयोग करना चाहिए।

- आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा।

- दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।

- फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए, दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की संभावना देखी गयी है।

- प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है तो जायफल पानी में घिसकर कमर पे सुबह शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।

- फटी एडियों के लिए इसे महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।

- जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है। पेट भी ठीक रहता है।

- अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।

- अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है, तो जायफल को पानी में घिसकर उसे पिला दीजिये।

- जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।

- इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ जाती है और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।

- यह शक्ति भी बढाता है।

- जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है।

- जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।

- किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे जायफल और सफ़ेद मूसली 2-2 ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये, दिन में एक बार, खाली पेट, 10 दिन लगातार।

- बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।

- चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से भी निजात मिलेगी।

- चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।

- आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।

- अनिंद्रा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी

- कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।

- जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

- दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।

- पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।

- जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।

- जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।

- एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।

- सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।

- जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।

- दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।

- नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है।

- दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा


ओशो - जीन सुत्र २ प्रवचन

  


कहीं भी जाओ, मुझसे दूर न जा सकोगे। घर लौटो, तो भी मुझमें ही लौटोगे। यहां आओ, तो मेरे पास आओगे। न आओ, तो मेरे पास आओगे। फिर एक संबंध बनेगा, जो समय और स्थान के बाहर है। फिर एक सेतु जुड़ जाएगा, जो देहातीत है। लेकिन जब तक नहीं सुना है, तब तक बार-बार आना होगा। आने की तकलीफ उठानी होगी। अगर न उठानी हो तकलीफ तो जल्दी करो, चट्टान को टूटने दो। सुनो! सुनो ही मत, गुनो! हाथ ही मत देखो मेरा, उस तरफ देखो जिस तरफ हाथ इशारा कर रहा है। उस अदृश्य को पकड़ने की कोशिश करो। फिर तुम जहां भी होओगे, जैसे भी होओगे, कोई भेद मेरे और तुम्हारे बीच संबंध का न पड़ेगा। फिर मैं शरीर में रहूं, तुम शरीर में रहो, या न रहो, यह जोड़ कुछ ऐसा है कि टूटता नहीं। अभी तो लौटने में तकलीफ होगी। क्योंकि लौटकर जब तुम जाते हो, अकेले जाते हो, मुझे अपने साथ नहीं ले जाते। मैं चलने को राजी हूं। तुम अपने घर में मेरे लिए जगह ही नहीं बनाते। सुन लोगे मुझे, समझ लोगे मुझे, तो मैं साथ ही आ रहा हूं। मुझसे दूरी गयी, दुई गयी। फिर तुम मुझसे भरे हुए लौटोगे। जब तक ऐसा नहीं, तब तक तो बड़ी तकलीफ होगी। अभी बज्मेत्तरब से क्या उठूं मैं अभी तो आंख भी पुरनम नहीं है अभी इस खुशी की महफिल से तो मत उठाओ मुझे, अभी तो आंख भी गीली नहीं हुई। अभी बज्मेत्तरब से क्या उठूं मैं अभी तो आंख भी पुरनम नहीं है तो तुम्हें लगेगा जैसे बे-समय, असमय तुम्हें उठा दिया गया है। ऐसा लगेगा जैसे अभी जाना न था और जाना पड़ा। और अगर ऐसे तुम गये, तो घर और भी उदास हो जाएगा। जितना पहले था, उससे भी ज्यादा। मैं तुम्हारे घर को उदास नहीं करना चाहता। मैं तुम्हारे घर को मंदिर बनाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि तुम जब घर जाओ, तो तुम्हारे घर का अभिनवरूप प्रगट हो। मैं तुम्हें घर से, संसार से, गृहस्थी से तोड़ नहीं लेना चाहता। वही मेरे संन्यास का अभिनवपन है कि मैं तुम्हें संसार से तोड़ नहीं लेना चाहता। मैं तुम्हें संसार से इस भांति जोड़ देना चाहता हूं कि संसार का जोड़ ही परमात्मा से जोड़ बन जाए। संसार तुम्हारे और परमात्मा के बीच बाधा न रहे, साधक हो जाए। अगर तुम मुझे ले जा सको–थोड़ा-सा ही सही, थोड़ा-सा वातावरण मेरा, थोड़ी-सी रोशनी मेरी, थोड़ी-सी श्वासें मेरी–तो घर तुम जाओगे, वही घर नहीं जिसे तुम छोड़कर आये थे। पत्नी-बच्चे तब तुम्हें पत्नी-बच्चे ही न रह जाएंगे, उनमें भी तुम परमात्मा की झलक देख पाओगे। देख ली जिसने परमात्मा की जरा-सी झलक, फिर वह सभी जगह उसे देख पाता है। पत्थर में देख पाता है, तो पत्नी में न देख पायेगा! पत्थर में देख पाता है, तो पति में न देख पायेगा! अब कैसे मजे की घटना है कि लोग जीवंत व्यक्तियों को छोड़कर भागते हैं और पत्थरों में भगवान को देखते हैं। तुम्हें यहां न दिखा, तुम्हें पत्थर में कैसे दिखायी पड़ेगा! और जिसको पत्थर में दिख सकता है, वह भागेगा क्यों? क्योंकि उसे सब जगह दिखायी पड़ेगा। दृष्टि अगर वस्तुतः जन्मी हो, तो तुम मुझे छोड़कर जाओगे ही नहीं। मैं तुम्हारा आकाश हो जाऊंगा। मैं तुम्हें घेरे हुए चलूंगा। और तभी तुम मुझसे जुड़े। तभी तुम मेरे संन्यासी हुए। अन्यथा संबंध बुद्धि का रहेगा। और तब बार-बार अड़चन होगी। जब-जब तुम्हें जाना पड़ेगा–और जाना तो पड़ेगा ही। जिम्मेवारियां हैं। जाना तो पड़ेगा ही, दायित्व हैं। जाना तो पड़ेगा ही, तुमने बहुत से भरोसे दिये हैं, आश्वासन दिये हैं। जाना तो पड़ेगा ही, क्योंकि परमात्मा ने तुम्हें कुछ करने के लिए काम दिया है। वह काम तो पूरा करना होगा। भगोड़ापन मैं नहीं सिखाता हूं। भगोड़े मेरे लिए संन्यासी नहीं हैं। भगोड़े में कुछ कमी है। भगोड़ा संसार में परमात्मा को न देख पाया, अंधा है। भगोड़ा वहां से भाग गया, जहां जीवन-रूपांतरण होता, जहां क्रांति घट सकती थी, जहां चुनौती थी। नहीं, मैं तो तुम्हें वापिस भेजूंगा। तुम्हारी आंख गीली हुई हो या न हुई हो, तुम्हें जाना तो होगा। जब जाना ही है, तो मुझे पीकर जाओ। आंख गीली क्या, हृदय को गीला करके जाओ। और तुम्हारे हाथ में है। अगर तुम प्यासे लौटते हो, तो कोई और जिम्मेवार नहीं है। तुम मुझे दोष न दे सकोगे। नदी बह ही रही थी, तुम झुके नहीं। तुमने अंजुलि न बनायी। तुमने नदी से पानी न भरा। तुम शायद प्रतीक्षा करते थे कि नदी अब तुम्हारे कंठ तक भी आये। नदी तुम्हारे पास से बह रही थी, लेकिन झुकने की तुमने हिम्मत न दिखायी। केवल हिम्मतवर झुक सकते हैं। समर्पण केवल वे ही कर सकते हैं, जिनके पास महासंकल्प है। जो बड़े बलशाली हैं, वे ही केवल झुकने की हिम्मत दिखा पाते हैं। कमजोर तो डरा रहता है कि झुकने से कहीं कमजोरी का पता न चल जाए। अड़ा रहता है, अकड़ा रहता है। 


ओशो - जीन सुत्र २ प्रवचन 35


KTM BIKES

 THE new looking KTM BIKES IN INDIA.

KTM is expected to launch 10 bikes in the year 2020-2021. KTM 2020 1290 Super Duke R, KTM 790 Adventure and KTM 250 Adventure are launching soon in India at an estimated price of Rs. 12.5 Lakh, Rs. 11.5 Lakh and Rs. 2.5 Lakh, respectively.

KTM Upcoming Bikes Price List (2020) in India

ModelExpected Price
KTM 2020 1290 Super Duke RRs. 12.5 Lakh
KTM 790 AdventureRs. 11.5 Lakh
KTM 250 AdventureRs. 2.5 Lakh
KTM 790 DukeRs. 8.63 Lakh
KTM 890 Duke RRs. 10 Lakh
2021 KTM RC 390Rs. 2.7 Lakh
KTM Electric ScooterRs. 1.5 Lakh
KTM 490 DukeRs. 3.5 Lakh
KTM 490 AdventureRs. 4 Lakh
KTM RC 490Rs. 3.85 Lakh






Indian cricket

 


The India men's national cricket team, also known as Team India and Men in Blue,is governed by the Board of Control for Cricket in India (BCCI), and is a Full Member of the International Cricket Council (ICC) with Test, One-Day International (ODI) and Twenty20 International (T20I) status.


Cricket was introduced to India by British sailors in the 18th century, and the first cricket club was established in 1792. India's national cricket team did not play its first Test match until 25th June 1932 at Lord's, becoming the sixth team to be granted test cricket status. From 1932 India had to wait until 1952, almost 20 years for its first Test victory. In its first fifty years of international cricket, India was one of the weaker teams, winning only 35 of the first 196 Test matches it played. The team, however, gained strength in the 1970s with the emergence of players such as batsmen Gavaskar, Viswanath, Kapil Dev, and the Indian spin quartet.

Traditionally much stronger at home than abroad, the Indian team has improved its overseas form, especially in limited-overs cricket, since the start of the 21st century, winning Test matches in Australia, England and South Africa. It has won the Cricket World Cup twice – in 1983 under the captaincy of Kapil Dev and in 2011 under the captaincy of Mahendra Singh Dhoni. After winning the 2011 World Cup, India became only the third team after West Indies and Australia to have won the World Cup more than once,and the first cricket team to win the World Cup at home. It also won the 2007 ICC World Twenty20 and 2013 ICC Champions Trophy, under the captaincy of MS Dhoni. It was also the joint champions of 2002 ICC Champions Trophy, along with Sri Lanka.

The Indian cricket team has rivalries with other Test-playing nations, most notably with Pakistan, the political arch-rival of India. However, in recent times, rivalries with nations like Australia, South Africa and England have also gained prominence.

As of 1 May 2020, India is ranked third in Tests, second in ODIs and third in T20Is by the ICC.Virat Kohli is the current captain of the team across all formats, while the head coach is Ravi Shastri.


The Indian women's cricket team has a much lower profile than the men's team. For all national women's cricket teams, the female players are paid much less their male counterparts, and the women's teams do not receive as much popular support or recognition as the men's team. The women's teams also have a less packed schedule compared to men's teams and play fewer matches. The Indian women's cricket team played its first Test match in 1976, when they drew with the West Indies in a six-match series.

The Women's Cricket World Cup was held in India in 1978 and featured 4 teams. India lost both the matches they have played. Their next appearance in the Test and ODI circuit was against Australia in 1984, in which the Test series was tied but the ODI series was lost in a whitewash.

The Indian women's cricket team has since picked up their form, reaching the finals in the World Cup, but then losing to Australia. The Women's Asia Cup of 2005–06 was won by India, who beat Sri Lanka in the final. They also beat the West Indies in the 2004–05 season, winning the 5 ODI series 5–0. They were knocked out in the group stage of the 2013 Women's Cricket World Cup held in India. India reached the final of the 2017 World Cup but lost to England by 9 runs, following which the team was praised by many including Prime Minister Narendra Modi.

Jhulan Goswami is the world's leading ODI wicket-taker while Mithali Raj, the captain, is the leading run-scorer in ODI cricket

Sunny Leone

 

Karenjit Kaur Vohra (born May 13, 1981), known by her stage name Sunny Leone , is a model and an actress in the Indian film industry and a former pornographic actress. She has Canadian and American citizenship. She has also used the stage name Karen Malhotra. She was named Penthouse Pet of the Year in 2003, was a contract performer for Vivid Entertainment, and was named by Maxim as one of the 12 top porn stars in 2010.

She has played roles in independent mainstream events, films, and television series. Her first mainstream appearance was in 2005, when she worked as a red carpet reporter for the MTV Video Music Awards on MTV India. In 2011, she participated in the Indian reality television series Bigg Boss. She also has hosted the Indian reality show Splitsvilla.

In 2012, she made her Bollywood debut in Pooja Bhatt's erotic thriller Jism 2 (2012) and shifted her focus to mainstream acting which was followed up with Jackpot (2013), Ragini MMS 2 (2014), Ek Paheli Leela (2015), Tera Intezaar (2017), and the Malayalam film Madhura Raja in 2019.

Apart from her acting career she has been part of activism campaigns including the Rock 'n' Roll Los Angeles Half-Marathon to raise money for the American Cancer Society and has also posed for a People for the Ethical Treatment of Animals (PETA) ad campaign with a rescued dog, encouraging pet owners to have their cats and dogs spayed and neutered.

Since 2011, Leone has been married to musician Daniel Weber.

In June 2006, Leone became an American citizen, but stated she planned to remain a dual citizen of Canada. On 14 April 2012, Leone announced that she was now a resident of India explaining in an interview to The New Indian Express that she was an Overseas Citizen of India and that she was eligible for overseas citizenship because her parents lived in India. She applied for it prior to filming Jism 2.

Leone has a strong interest in health and fitness, and has been featured in several mainstream fitness publications. Leone has modelled fitness clothing for the sports brand Fantasy Fitness and shared that she keeps her body in shape by working out as much as she can despite her busy schedule and as quoted in Men's Fitness magazine, "I try to eat very healthy – lots of vegetables, drinking my milk every day."

Although bisexual, she has stated that she prefers men. Sunny Leone had dated Indian-Canadian stand-up comedian Russell Peters up until they broke up in 2007. Leone was then dating Matt Erikson, a vice-president of marketing at Playboy Enterprises. After being engaged to Erikson, they broke up in 2008. She mentioned in an interview at the start of 2011 that she was married to Daniel Weber. During her stay in the Bigg Boss house later that same year, Leone indicated that she had married; Leone said she "purposely arrived late" to their first date as she was not impressed with him, but he changed her mind by sending 24 roses to her hotel room.

A 2008 Eye Weekly article reported that "Leone does her best to maintain a link to Sikh traditions, even if more in theory than in practice. But she's unlikely to disavow her career path due to religion" and that Leone said "Girls will leave the industry claiming that they found God. Well, the fact is, God has always been with them the entire time." In a 2010 interview, 

In July 2017, Leone and her husband Daniel Weber adopted their first child from Latur, a village in Maharashtra. The baby girl, whom they named Nisha Kaur Weber, was 21 months old at the time of adoption. Actress Sherlyn Chopra first confirmed the news by writing a congratulatory message on social media on 20 July 2017. "Never in my life did I think that I want to adopt a child. People doing such amazing work at the orphanage changed my mind," Daniel Weber told Hindustan Times."

On March 4, 2018, Sunny Leone and her husband announced the birth of their twin boys, born through surrogacy. They named the boys Asher Singh Weber and Noah Singh Weber.

Leone lives in Mumbai, Maharashtra. She moved into their new house with husband Weber and children on Ganesh Chaturthi which fell on September 13, 2018


हिन्दी बोलने का प्रयास करें ।

 



ये वो उर्दू के शब्द जो आप प्रतिदिन प्रयोग करते हैं, इन शब्दों को त्याग कर मातृभाषा का प्रयोग करें...


      उर्दू                हिंदी

01 ईमानदार       - निष्ठावान

02 इंतजार         - प्रतीक्षा

03 इत्तेफाक       - संयोग

04 सिर्फ            - केवल, मात्र

05 शहीद           - बलिदान

06 यकीन          - विश्वास, भरोसा

07 इस्तकबाल    - स्वागत

08 इस्तेमाल       - उपयोग, प्रयोग

09 किताब         - पुस्तक

10 मुल्क            - देश

11 कर्ज़             - ऋण

12 तारीफ़          - प्रशंसा

13 तारीख          - दिनांक, तिथि

14 इल्ज़ाम         - आरोप

15 गुनाह            - अपराध

16 शुक्रीया          - धन्यवाद, आभार

17 सलाम           - नमस्कार, प्रणाम

18 मशहूर           - प्रसिद्ध

19 अगर             - यदि

20 ऐतराज़          - आपत्ति

21 सियासत        - राजनीति

22 इंतकाम          - प्रतिशोध

23 इज्ज़त           - मान, प्रतिष्ठा

24 इलाका           - क्षेत्र

25 एहसान          - आभार, उपकार

26 अहसानफरामोश - कृतघ्न

27 मसला            - समस्या

28 इश्तेहार          - विज्ञापन

29 इम्तेहान          - परीक्षा

30 कुबूल             - स्वीकार

31 मजबूर            - विवश

32 मंजूरी             - स्वीकृति

33 इंतकाल          - मृत्यु, निधन 

34 बेइज्जती         - तिरस्कार

35 दस्तखत          - हस्ताक्षर

36 हैरानी              - आश्चर्य

37 कोशिश            - प्रयास, चेष्टा

38 किस्मत            - भाग्य

39 फै़सला             - निर्णय

40 हक                 - अधिकार

41 मुमकिन           - संभव

42 फर्ज़                - कर्तव्य

43 उम्र                  - आयु

44 साल                - वर्ष

45 शर्म                 - लज्जा

46 सवाल              - प्रश्न

47 जवाब              - उत्तर

48 जिम्मेदार          - उत्तरदायी

49 फतह               - विजय

50 धोखा               - छल

51 काबिल             - योग्य

52 करीब               - समीप, निकट

53 जिंदगी              - जीवन

54 हकीकत            - सत्य

55 झूठ                  - मिथ्या, असत्य

56 जल्दी                - शीघ्र

57 इनाम                - पुरस्कार

58 तोहफ़ा              - उपहार

59 इलाज               - उपचार

60 हुक्म                 - आदेश

61 शक                  - संदेह

62 ख्वाब                - स्वप्न

63 तब्दील              - परिवर्तित

64 कसूर                 - दोष

65 बेकसूर              - निर्दोष

66 कामयाब            - सफल

67 गुलाम                - दास

68 जन्नत                -स्वर्ग 

69 जहन्नुम             -नर्क

70 खौ़फ                -डर

71 जश्न                  -उत्सव

72 मुबारक             -बधाई/शुभेच्छा

73 लिहाजा़             -इसलीए

74 निकाह             -विवाह/लग्न

75 आशिक            -प्रेमी 

76 माशुका             -प्रेमिका 

77 हकीम              -वैध

78 नवाब               -राजसाहब

79 रुह                  -आत्मा 

80 खु़दकुशी          -आत्महत्या 

81 इज़हार             -प्रस्ताव

82 बादशाह           -राजा/महाराजा

83 ख़्वाहिश          -महत्वाकांक्षा

84 जिस्म             -शरीर/अंग

85 हैवान             -दैत्य/असुर

86 रहम              -दया

87 बेरहम            -बेदर्द/दर्दनाक

88 खा़रिज           -रद्द

89 इस्तीफ़ा          -त्यागपत्र 

90 रोशनी            -प्रकाश 

91मसीहा             -देवदुत

92 पाक              -पवित्र

93 क़त्ल              -हत्या 

94 कातिल           -हत्यारा

95 मुहैया             - उपलब्ध

96 फ़ीसदी           - प्रतिशत

97 कायल           - प्रशंसक

98 मुरीद             - भक्त

99 कींमत           - मूल्य (मुद्रा में)

100 वक्त            - समय

101 सुकून        - शाँति

102 आराम       - विश्राम

103 मशरूफ़    - व्यस्त

104 हसीन       - सुंदर

105 कुदरत      - प्रकृति

106 करिश्मा    - चमत्कार

107 इजाद       - आविष्कार

108 ज़रूरत     - आवश्यक्ता

109 ज़रूर       - अवश्य

110 बेहद        - असीम

111 तहत       - अनुसार


इनके अतिरिक्त हम प्रतिदिन अनायास ही अनेक उर्दू शब्द प्रयोग में लेते हैं, कारण है ये बाॅलिवुड और मीडिया जो एक इस्लामी षड़यंत्र के अनुसार हमारी मातृभाषा पर ग्रहण लगाते आ रहे हैं।


हिन्दी हमारी राजभाषा एवं मातृभाषा हैं इसका सम्मान करें, भाषा बचाईये, संस्कृति बचाईये।



Porn स्टार्स की हुई चांदी

 एक पोर्न साइट के सर्वे में पाया गया कि भारत विश्व भर के महिला ऑडिएंस में चौथे नंबर पर है। और लॉकडाउन के दौरान इंडिया के पॉर्न ट्रैफिक में 95% इज़ाफ़ा हुआ है।

कितना पोर्न देखना होता है ‘टू मच’?

सोशियोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार पोर्न देखना हेल्दी होता है, क्योंकि यह हैप्पी हॉर्मोन्स को रिलीज़ करता है और तनाव कम कर करता है। पोर्न देखना गलत नहीं है, लेकिन आप एडिक्ट ना हों।

हालांकि कितनी देर पोर्न देखना चाहिए इस विषय में कोई खास रिसर्च मौजूद नहीं है। तो हम आपके लिए इस सवाल का जवाब लाने के लिए पहुंचे क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ भावना बर्मी के पास। डॉ बर्मी कहतीं हैं, “हफ़्ते में लगभग चार घण्टे पॉर्न देखना एकदम हेल्दी है, लेकिन इसका यह मतलब नही कि एक ही दिन बैठ कर चार घण्टे पोर्न देखी जाए! सेक्स और सेक्सुअल एक्टिविटी एक पॉज़िटिव लाइफस्टाइल के लिए ज़रूरी है, लेकिन हमें अपनी लिमिट का ध्यान रखना चाहिए।

चीन से फैले कोरोना वायरस  का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां एक तरफ पूरे विश्व को इस वायरस से काफी नुकसान हुआ है लेकिन इसी बीच एक इंडस्ट्री निकलकर सामने आई है जिसको इससे काफी मुनाफा हुआ है। ये कोई और नहीं बल्कि पॉर्न इंडस्ट्री है। घर में कैद हो चुकी पूरी दुनिया ने पॉन वेबसाइट पर जाना शुरु कर दिया है जिसके कारण उसकी ट्रैफिक  बढ़ गया है।

लॉकडाउन के बाद कई सारी पोर्न वेबसाइट ने बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए  कई साइटों ने ने यूजर्स के लिए क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान शुरु कर दिया है।वहीं कुछ वेबसाइट ऐसी है जिन्होंने फ्री मेंबरशिप भी शुरु कर दी है। आपको बता दें कि लॉकडाउन के बाद अडल्ट वेबसाइट पर ट्रैफिक इतनी तेजी से बढ़ा है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की। ये र्न हब ने हाल में फ्रांस (France), स्‍पेन (Spain) और इटली (Italy) के लोगों के लिए मुफ्त प्रीमियम मेंबरशिप की पेशकश की है। 

पॉर्न स्टार्स की हुई चांदी
लॉकडाउन के बाद पॉर्न इंडस्ट्री की चांदी चांदी कर हो गई है। पॉर्न इंडस्ट्री का हब कहे जाने वाले अमेरिका में इस कोरोना वायरस के बाद सभी प्रोडक्शन बंद कर दिया गया। जिसके बाद अडल्ट संगठन ने कहा कि जिसके पास भी  पॉर्न कंटेंट है वो उसे जारी कर दिया गया है।

इस फैसले के बाद कई पॉर्न स्टार की चांदी- चांदी हो गई। इस दौरान  वो अपने बचे हुए कंटेंट अपलोड कर रहे हैं और जिसके लिए उन्हें काफी मोटी रकम दी जा रही है।वहीं लॉस एंजेलिस की एक पॉर्न स्टार से बात की तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कराण सभी लोग अपने अपने घर में बंद जिसके कारण हमारा वेबकैम बिजनेस काफी अच्छी स्थिति है। 

क्या कहते हैं आंकड़े
पॉर्न हब ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसमें बताया गया कि लॉकडाउन के तीन हफ्ते में भारत में पॉर्न वेबसाइटों पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक आया है। ऐसा कह सकते हैं कि ये पिछले तीन हफ्ते में पार्न वेबसाट्स की चांदी हो गई है। इऩ साइटों पर 95 फीसदी ज्यादा लोग गए हैं।

जो फिल्में आपने अब तक लुक-छिपकर या एकाध उधमी दोस्तों के साथ अनोप, अंगूरी और नीलकमल में देखी होगी. वो अब छिपी नहीं रह गई हैं. ऐसी सॉफ्टपोर्न फिल्में अब यूट्यूब पर देखी जा रही हैं. इनका दर्शक वर्ग अलग है. और संगठित तौर पर ऐसे कई यू-ट्यूब चैनल हैं जहां आए दिन सॉफ्ट पोर्न अपलोड होता रहता है.

तीसरा नेत्र THIRD EYE

 


सूत्र कहता है. ‘सहस्रार तक रूप को प्राण से भरने दो।’

1-एक बार तुम जान जाओ कि श्वास के बिना भी कैसे तुम प्राण को सीधे ग्रहण कर सकते हो, तो तुम सदियों तक के लिए भी समाधि में जा सकते हो।

तीसरी आंख पर केंद्रित होकर तुम श्वास के सार तत्व को, श्वास को नहीं, श्वास के सार तत्व प्राण को देख सकते हो। और अगर तुम प्राण को देख सके, तो तुम उस बिंदु पर पहुंच गए जहां से छलांग लग सकती है, क्रांति घटित हो सकती है।

2-और जब तुमको प्राण का एहसास हो, तब कल्पना करो कि तुम्हारा सिर प्राण से भर गया है। सिर्फ कल्पना करो, किसी प्रयत्न की जरूरत नहीं है। जब तुम त्रिनेत्र—बिंदु पर स्थिर हो जाओ तब कल्पना करो, और चीजें आप ही और 

 तुरंत घटित होने लगती हैं। तुम कल्पना किए जाते हो और कुछ भी नहीं होता। लेकिन कभी—कभी अनजाने साधारण जिंदगी में भी चीजें घटित होती हैं। तुम अपने मित्र की सोच रहे हो और अचानक दरवाजे पर दस्तक होती है। तुम कहते हो कि सांयोगिक था कि मित्र आ गया। कभी तुम्हारी कल्पना संयोग की तरह भी काम करती है।

3-लेकिन जब भी ऐसा हो, तो याद रखने की चेष्टा करो और पूरी चीज का विश्लेषण करो। जब भी लगे कि तुम्हारी कल्पना सच हुई है, तुम भीतर जाओ और देखो। कहीं न कहीं तुम्हारा अवधान तीसरे नेत्र के पास रहा होगा। दरअसल यह संयोग नहीं है। यह वैसा दिखता है, क्योंकि गुह्य विज्ञान का तुमको पता नहीं है। अनजाने ही तुम्हारा मन त्रिनेत्र—केंद्र के पास चला गया होगा। और अवधान यदि तीसरी आंख पर है तो किसी घटना के सृजन के लिए उसकी कल्पना काफी है।

4-यह सूत्र कहता है कि जब तुम भृकुटियों के बीच स्थिर हो और प्राण को अनुभव करते हो, तब रूप को भरने दो। अब कल्पना करो कि प्राण तुम्हारे पूरे मस्तिष्क को भर रहा है—विशेषकर सहस्रार को जो सर्वोच्च मनस केंद्र है। उस क्षण तुम कल्पना करो और वह भर जाएगा। कल्पना करो कि वह प्राण तुम्हारे सहस्रार से प्रकाश की तरह बरसेगा, और वह बरसने लगेगा।और उस प्रकाश की वर्षा में तुम ताजा हो जाओगे, तुम्हारा पुनर्जन्म हो जाएगा, तुम बिलकुल नए हो जाओगे। यही है आंतरिक जन्म का अर्थ ..



चरणामृत का क्या महत्व है?

 चरणामृत

का महत्व


अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है,

 


शास्त्रों में कहा गया है


अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।

विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।


अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप -व्याधियों का शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।


जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता" जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता, जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है.


जब भगवान का वामन अवतार हुआ, और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने कमंडलु में से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने कमंडल में रख लिया,


वह चरणामृत गंगा जी बन गई, जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोती है, ये शक्ति उनके पास कहाँ से पात्र शक्ति है भगवान के चरणों की जिस पर ब्रह्मा जी ने साधारण जल चढाया था पर चरणों का स्पर्श होते ही बन गई गंगा जी .


जब हम बाँके बिहारी जी की आरती गाते है तो कहते है 

"चरणों से निकली गंगा प्यारी जिसने सारी दुनिया तारी"


इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से लगाने के बाद इसका सेवन किया जाता है।


चरणामृत का सेवन अमृत के समान माना गया है।


भगवान श्री राम के चरण धोकर उसे चरणामृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गया बल्कि उसने अपने पूर्वजों को भी तार दिया।


चरणामृत का महत्व चिकित्सकीय भी है। चरणामृत का जल हमेशा तांबे के पात्र में रखा जाता है।


आयुर्वेदिक मतानुसार तांबे के पात्र में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है जो उसमें रखे जल में आ जाती है। उस जल का सेवन करने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता पैदा हो जाती है तथा रोग नहीं होते।


आयुर्वेद के अनुसार इसमें तुलसी के पत्ते डालेेजाते हैं  जिससे इस जल की रोगनाशक क्षमता और भी बढ़ जाती है।

 तुलसी के पत्ते पर जल इतने परिमाण में होना चाहिए कि सरसों का दाना उसमें डूब जाए ।

 ऐसा माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि,स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।


इसीलिए यह मान्यता है कि भगवान का चरणामृत औषधी के समान है। यदि उसमें तुलसी पत्र भी मिला दिया जाए तो उसके औषधीय गुणों में और भी वृद्धि हो जाती है। कहते हैं सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ का या अच्छे काम का जल्द परिणाम मिलता है।


इसीलिए चरणामृत हमेशा सीधे हाथ से लेना चाहिये,


यह भी पढ़े:-

 चरणामृत लेने के बाद अधिकतर लोगों की आदत होती है कि वे अपना हाथ सिर पर फेरते हैं। चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं.?


 शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे विचारों में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती है।


इसीलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ नहीं फेरना चाहिए।


कृपया इस जानकारी को मित्र गण एवं अपने निकटतम परिजनों, और परिवार से साझा व वार्तालाप या परामर्श करें.*

Sab kuch

माँ पर शायरी

  "माँ के कदमों में बसी जन्नत की पहचान, उसकी दुआओं से ही रोशन है हर इंसान। जिंदगी की हर ठोकर से बचा लेती है, माँ की ममता, ये दुन...