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विश्वास

 8 साल का एक बच्चा 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा,

--क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?


दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया।


बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा!


-- ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो?

-- मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है?


दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया।


लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा,


-- तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर?


पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे ! 

 बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया,


----इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही तुम्हारी मां को बचा सकते हैं। क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?


-- हां, मिलेंगे...! कितने पैसे हैं तुम्हारे पास?


-- सिर्फ एक रूपए।


-- कोई दिक्कत नहीं है। एक रूपए में ही ईश्वर मिल सकते हैं।


दुकानदार बच्चे के हाथ से एक रूपए लेकर उसने पाया कि एक रूपए में एक गिलास पानी के अलावा बेचने के लिए और कुछ भी नहीं है। इसलिए उस बच्चे को फिल्टर से एक गिलास पानी भरकर दिया और कहा, यह पानी पिलाने से ही तुम्हारी मां ठीक हो जाएगी।


अगले दिन कुछ मेडिकल स्पेशलिस्ट उस अस्पताल में गए। बच्चे की मां का आप्रेशन हुआ और बहुत जल्दी ही वह स्वस्थ हो उठीं।


डिस्चार्ज के कागज़ पर अस्पताल का बिल देखकर उस महिला के होश उड़ गए। डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन देकर कहा, "टेंशन की कोई बात नहीं है। एक वृद्ध सज्जन ने आपके सारे बिल चुका दिए हैं। साथ में एक चिट्ठी भी दी है"। 


महिला चिट्ठी खोलकर पढ़ने लगी, उसमें लिखा था-

"मुझे धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको तो स्वयं ईश्वर ने ही बचाया है ...  मैं तो सिर्फ एक ज़रिया हूं। यदि आप धन्यवाद देना ही चाहती हैं तो अपने अबोध बच्चे को दीजिए जो सिर्फ एक रूपए लेकर नासमझों की तरह ईश्वर को ढूंढने निकल पड़ा। उसके मन में यह दृढ़ विश्वास था कि एकमात्र ईश्वर ही आपको बचा सकते है। विश्वास इसी को ही कहते हैं। ईश्वर को ढूंढने के लिए करोड़ों रुपए दान करने की ज़रूरत नहीं होती, यदि मन में अटूट विश्वास हो तो वे एक रूपए में भी मिल सकते हैं।"

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पाशुपतास्त्र स्तोत्रम्

 


मात्र एक बार श्रद्धा से पढने से समस्त बाधाएँ दूर होती ही हैं। 


इस पाशुपत स्तोत्र का मात्र एक बार जप करने पर ही मनुष्य समस्त विघ्नों का नाश कर सकता है, सौ बार जप करने पर समस्त उत्पातों को नष्ट कर सकता है तथा युद्ध आदि में विजय प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र का घी और गुग्गल से हवन करने से मनुष्य असाध्य कार्यो को पूर्ण कर सकता है, इस पाशुपातास्त्र मंत्र के पाठ मात्र से समस्त क्लेशों की शांति हो जाती है।

।जय सद्गुरुदेव, जय महांकाल।


।।पाशुपतास्त्र स्तोत्रम।।

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इस पाशुपत स्तोत्र का मात्र एक बार जप करने पर ही मनुष्य समस्त विघ्नों का नाश कर सकता है । सौ बार जप करने पर समस्त उत्पातो को नष्ट कर सकता है तथा युद्ध आदि में विजय प्राप्त के सकता है । इस मंत्र का घी और गुग्गल से हवं करने से मनुष्य असाध्य कार्यो को पूर्ण कर सकता है । इस पाशुपातास्त्र मंत्र के पाठ मात्र से समस्त क्लेशो की शांति हो जाती है । 


स्तोत्रम:-


ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुल बलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिध्दिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिध्दाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे ।

ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट । हूंकारास्त्राय फट । वज्र हस्ताय फट । शक्तये फट । दण्डाय फट । यमाय फट । खडगाय फट । नैऋताय फट । वरुणाय फट । वज्राय फट । पाशाय फट । ध्वजाय फट । अंकुशाय फट । गदायै फट । कुबेराय फट । त्रिशूलाय फट । मुदगराय फट । चक्राय फट । पद्माय फट । नागास्त्राय फट । ईशानाय फट । खेटकास्त्राय फट । मुण्डाय फट । मुण्डास्त्राय फट । काड्कालास्त्राय फट । पिच्छिकास्त्राय फट । क्षुरिकास्त्राय फट । ब्रह्मास्त्राय फट । शक्त्यस्त्राय फट । गणास्त्राय फट । सिध्दास्त्राय फट । पिलिपिच्छास्त्राय फट । गंधर्वास्त्राय फट । पूर्वास्त्रायै फट । दक्षिणास्त्राय फट । वामास्त्राय फट । पश्चिमास्त्राय फट । मंत्रास्त्राय फट । शाकिन्यास्त्राय फट । योगिन्यस्त्राय फट । दण्डास्त्राय फट । महादण्डास्त्राय फट । नमोअस्त्राय फट । शिवास्त्राय फट । ईशानास्त्राय फट । पुरुषास्त्राय फट । अघोरास्त्राय फट । सद्योजातास्त्राय फट । हृदयास्त्राय फट । महास्त्राय फट । गरुडास्त्राय फट । राक्षसास्त्राय फट । दानवास्त्राय फट । क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट । त्वष्ट्रास्त्राय फट । सर्वास्त्राय फट । नः फट । वः फट । पः फट । फः फट । मः फट । श्रीः फट । पेः फट । भूः फट । भुवः फट । स्वः फट । महः फट । जनः फट । तपः फट । सत्यं फट । सर्वलोक फट । सर्वपाताल फट । सर्वतत्व फट । सर्वप्राण फट । सर्वनाड़ी फट । सर्वकारण फट । सर्वदेव फट । ह्रीं फट । श्रीं फट । डूं फट । स्त्रुं फट । स्वां फट । लां फट । वैराग्याय फट । मायास्त्राय फट । कामास्त्राय फट । क्षेत्रपालास्त्राय फट । हुंकरास्त्राय फट । भास्करास्त्राय फट । चंद्रास्त्राय फट । विघ्नेश्वरास्त्राय फट । गौः गां फट । स्त्रों स्त्रौं फट । हौं हों फट । भ्रामय भ्रामय फट । संतापय संतापय फट । छादय छादय फट । उन्मूलय उन्मूलय फट । त्रासय त्रासय फट । संजीवय संजीवय फट । विद्रावय विद्रावय फट । सर्वदुरितं नाशय नाशय फट ।

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#स्तोत्रम् ●


ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिध्दिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिध्दाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे।


ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट।

हूंकारास्त्राय फट।

वज्र हस्ताय फट।

शक्तये फट।

दण्डाय फट।

यमाय फट।

खडगाय फट।

नैऋताय फट।

वरुणाय फट।

वज्राय फट।

पाशाय फट।

ध्वजाय फट।

अंकुशाय फट।

गदायै फट।

कुबेराय फट।

त्रिशूलाय फट।

मुदगराय फट।

चक्राय फट।

पद्माय फट।

नागास्त्राय फट।

ईशानाय फट।

खेटकास्त्राय फट।

मुण्डाय फट।

मुण्डास्त्राय फट।

काड्कालास्त्राय फट।

पिच्छिकास्त्राय फट।

क्षुरिकास्त्राय फट।

ब्रह्मास्त्राय फट।

शक्त्यस्त्राय फट।

गणास्त्राय फट।

सिध्दास्त्राय फट।

पिलिपिच्छास्त्राय फट।

गंधर्वास्त्राय फट।

पूर्वास्त्रायै फट।

दक्षिणास्त्राय फट।

वामास्त्राय फट।

पश्चिमास्त्राय फट।

मंत्रास्त्राय फट।

शाकिन्यास्त्राय फट।

योगिन्यस्त्राय फट।

दण्डास्त्राय फट।

महादण्डास्त्राय फट।

नमोअस्त्राय फट।

शिवास्त्राय फट।

ईशानास्त्राय फट।

पुरुषास्त्राय फट।

अघोरास्त्राय फट।

सद्योजातास्त्राय फट।

हृदयास्त्राय फट।

महास्त्राय फट।

गरुडास्त्राय फट।

राक्षसास्त्राय फट।

दानवास्त्राय फट।

क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट।

त्वष्ट्रास्त्राय फट।

सर्वास्त्राय फट।

नः फट।

वः फट।

पः फट।

फः फट।

मः फट।

श्रीः फट।

पेः फट।

भूः फट।

भुवः फट।

स्वः फट।

महः फट।

जनः फट।

तपः फट।

सत्यं फट।

सर्वलोक फट।

सर्वपाताल फट।

सर्वतत्व फट।

सर्वप्राण फट।

सर्वनाड़ी फट।

सर्वकारण फट।

सर्वदेव फट।

ह्रीं फट।

श्रीं फट।

डूं फट।

स्त्रुं फट।

स्वां फट।

लां फट।

वैराग्याय फट।

मायास्त्राय फट।

कामास्त्राय फट।

क्षेत्रपालास्त्राय फट।

हुंकरास्त्राय फट।

भास्करास्त्राय फट।

चंद्रास्त्राय फट।

विघ्नेश्वरास्त्राय फट।

गौः गां फट।

स्त्रों स्त्रौं फट।

हौं हों फट।

भ्रामय भ्रामय फट।

संतापय संतापय फट।

छादय छादय फट।

उन्मूलय उन्मूलय फट।

त्रासय त्रासय फट।

संजीवय संजीवय फट।

विद्रावय विद्रावय फट।

सर्वदुरितं नाशय नाशय फट।

||करालं महाँकाल कालं कृपालं||

एक्सीडेंट क्यों होती है?

 


संसार में जन्म लेने के लिए माँ के गर्भ में *9 महीने* रुक सकते है।

चलने के लिए *2 वर्ष*,

स्कूल में प्रवेश के लिए *3 वर्ष,*

मतदान के लिए *18 वर्ष,*

नौकरी के लिए *22 वर्ष ,*

शादी के लिये *25 -30 वर्ष*,

इस तरह अनेक मौकों के लिए हम *इंतजार* करते है। लेकिन,,,,,,

गाड़ी *ओवरटेक* करते समय *30 सेकंड* भी नही रुकते,,,,।।

बाद में *एक्सीडेंट* होने के बाद *जिन्दा* रहे तो एक्सीडेंट निपटाने के लिए *कई घण्टे*, हॉस्पिटल में *कई दिन, महीने या साल* निकाल देते है।

*कुछ सेकंड* की गड़बड़ी कितना *भयंकर परिणाम* ला सकती है। जाने वाले चलें जाते हैं , पीछे वालों का क्या! इस पर विचार किया, कभी किया नहीं ।

फिर हर बार की तरह, सिर्फ *नियति* को ही दोष ।।

इसलिये *सही रफ्तार*, *सही दिशा* में व वाहन *संभल* कर चलायें *सुरक्षित* पहुंचे।

*आपका अपना मासूम परिवार आपका घर पर इंतजार कर रहा है।*


आप से निवेदन है इसे आगे फैलाने में मदद करें।क्या पता 1% लोग भी मेरे विचार से सहमत हो तो.......................................

बागेश्वर धाम की सच्चाई ?

 इस तस्वीर को गौर से देखिये

यह फोटो आज से चार माह पुरानी है !

जब बागेश्वर महाराज बुन्देलखण्ड पन्ना जिले के 90 प्रतिशत आदिवासी वनवासी इलाके कलदा पहाड़ पर श्रीराम कथा करने गए थे।


यह वो इलाका है जिसे धर्मान्तरण कराने वाली मिशनरियों और सनातन विरोधी अन्य संस्थाओं ने अपना चरागाह बनाकर रखा है। 

महराज ने यहां खुद टेंट पंडाल लगाया आदिवासियों को मंच पर बुलाकर उनसे आरती कराई,

अनेक लोगों की सनातन में धर्म बापसी कराई।


बस उसी दिन से जमीन पर बैठा यह 27 साल का लड़का देश की अनेक संस्थओं का दुश्मन बन गया।


इसके बाद दमोह में ईसाई बन चुके 300 परिवारों की घर बापीसी कराई तो इन विधर्मियो के सीने में आग लग गई।


यह तो होना ही था


लेकिन अब यह लड़ाई सिर्फ बागेश्वर महाराज जी की नही है।यह हर हिंदू की लड़ाई है।


मुझे नही पता बागेश्वर महाराज चमत्कार करते हैं !

या नहीं !

लेकिन मुझे पता है कि -

आज बागेश्वर महाराज जैसे संतों की सनातन को सख्त जरूरत है।


मैं इस लड़ाई में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज जी के साथ हूं।


मेरा देश चादर और फादर का नही! 


सनातन और साधु संतो का है।


जय श्री हिंदू राष्ट्र।🚩🚩


#WesupportBageshwardham🙏🙏


#बागेश्वर_धाम #हम_धीरेंद्र_शास्त्री_जी_के_साथ_हैं #arnabarmy #टूलकिट #बागेश्वर_धाम_सरकर

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माँ पर शायरी

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