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मृत्युंजय महादेव साधना महातम्य-


 


स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा धन है । बिना इस धन के हुए आप अन्य किसी धन का सुखोपभोग वास्तव में कर हि नहीं सकते हैँ। 


मनुष्य के शरीर में अगर बाहर एक जरा सा चोट या कट लग जाए तो व्यक्ति तत्काल दर्द से दुःखी हो जाता है और उसका उपचार करता हैँ।


लेकिन जब आपके शरीर में भीतर कोई अनियमित्ता होता है तो आप उसे तब तक नहीं जान सकते हैँ जब तक की वोह एक सीमा तक और ज्यादा नहीं बढ़ जाता हैँ।


और कई एक बार तो आप को इसकी अनुभूति अथवा संज्ञान तब होता है जब की उसका उपचार ही संभव न शेष हो ।


दूसरा है मृत्यु भय कब किस पल् व्यक्ति की किसी दुर्घटना से अथवा किसी अन्य कारणों से मृत्यु नहीं हो जाए कौन जानता है?


और ये मृत्यु भय परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी हो सकता हैँ।


तीसरा जीवन में कभी कभार जब विभिन्न महादशाओं में राहु अथवा शनि ग्रह् एक आगमन होता है तो कई एक बार ग्रहों के  बलाबल के कारण व्यक्ति अत्यंत जटिल समस्याओ से गुजरता तो


उसे ऐसा लगाता है जैसे अब सब कुछ आने वाले समय में नष्ट होने हि वाला हैँ।


या फिर अब जीवन समाप्त होने वाला हैँ।


और ऐसी स्थितिओ में एक विशेष बात यह भी होता है की वह व्यक्ति दिग्भ्रमित हो जाता हैँ। 


उसका विवेक उसका साथ छोड़ जाता हैँ। उसे समझ हि नहीं आता है की क्या करें क्या नहीं करें ।


विशेषतया उन क्रियायो उन विधियों से जिस से उसका कल्याण हो सकता है उसी से ये ग्रह उसे उच्चाटित किए देते हैँ।


सामान्य व्यक्ति क्या स्वयं को साधक मानने वाले वर्ग के बड़े बड़े बाबा और गुरु ही सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैँ।


ये तो थी समस्याएं अब आते हैँ इनके समाधान पर 


समाधान है मृत्युंजय साधना ।


अगले लेख में इस साधना को लिखेंगे ।


*मृत्युंजय महादेव साधना-*


शिव जी का ही नाम है मृत्युंजय


इसलिए कि मात्र वो ही मृत्यु से भी अभय देने वाले औघड़दानी हैं।


यह साधना मुख्यतः निम्न उद्देश्य के लिए करें -


 मरनोन्मुखी रोगी को पुनः स्वस्थ करने हेतु ।

 जब आपके देवी देवता आपके इष्ट भी कठिन काल में आपकी नहीं सुने उस समय इस साधना का आश्रय लें ।

 सभी ग्रहों के दोषों के समाधान के लिए करें । विशेषकर शनि राहु केतु अथवा किसी भी मारकेश के दशाओं के दुष्प्रभाव निवारणार्थ

 जब भी आपकी स्थिति को देखते हुए गुरु आज्ञा हो 


आज हम ज्यादा बात नहीं करके सीधे साधना पर आगे बढ़ते हैं।


इस महा साधना के 5 आवश्यक चरण हैं।


गुरु निर्दिष्ट संकल्प

शिव परिवार का पूजन

शिव लिंग का अभिषेक

मृत्युंजय जप 

यज्ञ


यदि यह साधना किसी के प्राण रक्षार्थ सम्पन्न कर या करवा रहे हैं तो यह आवश्यक है कि साधना में लक्षित जप संख्या को कम से कम दिनों में पूर्ण कर दिया जाए।


और इस उद्देश्य के निमित्त इस साधना को समूह में भी कर सकते हैं। 4-5 लोग मिलकर निर्धारित जप संख्या को पूर्ण कर सकते हैं।


आवश्यकता है कि सब के सब को गुरु आज्ञा हो सब सामान्य साधनात्मक क्रम को जानने वाले हों । वो सभी एक ही संकल्प लेंगे । एवं उनमें से कोई एक संकल्प का उच्चारण करेगा बाकी दुहराते जाएंगे ।


पूजन अभिषेक आदि के सभी मंत्र सभी पढ़ें यद्यपि व्यवहारिक उपचार अर्पण उनमें से कोइ एक ही कर लें ।


जब प्रयोग स्वयं ही स्वयं के लिए करना है तो भी यह श्रेष्ठ होता है की अपनी शारीरिक क्षमता से ऊपर उठकर कम से कम दिनों में निर्धारित जप संख्या को पूर्ण कर दिया जाए ।


इससे साधना का अद्भुत और वास्तविक प्रभाव निःसंदेह स्वतः प्रकट होगा ही...!!!




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