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गणेश चतुर्थी विशेष

 

श्री गणेशाय नमः

गणेश को मातृ पितृ भक्ति ने बनाया दिया प्रथम पूज्य  

हम सभी जानते है की हमारे सभी मंगल कार्यो में हम सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करते है | उन्हें निमंत्रण देते है और अपने सभी कार्यो को निर्विघ्नं सम्पन्न करने की विनती करते है | इन्हे सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता का वरदान प्राप्त है | इसके पीछे दो कथाये जुडी हुई है |

पहली कथा में बताया गया है की इन्हे यह वरदान इनके माता पिता भगवान शिव और पार्वती से प्राप्त हुआ | उन्होंने अपने मातृ पितृ भक्ति और सेवा में उन्हें ही अपना सर्वश्य मान कर परिक्रमा की की | ऐसी भक्ति और सेवा देखकर उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया गया |

ब्रह्मा जी जब ‘देवताओं में कौन प्रथम पूज्य हो’ इसका निर्णय करने लगे, तब यह तय किया गया कि जो पृथ्वी-प्रदक्षिणा सबसे पहले करके आएगा वही सबसे पहले पूज्य माना जाएगा। गणेश जी का छोटा सा मूषक कैसे सबसे आगे दौड़े। पर वे थे बुद्धि के महान देवता | उन्होंने युक्ति निकाली और अपने पिता और माता भगवान शंकर और पार्वती जी की प्रदक्षिणा करने लगे । उनके लिए उनके माता-पिता ही सब कुछ थे | उन्होंने सात प्रदक्षिणा कर ली। शिवजी का ह्रदय यह देखकर गदगद हो गया और आकाश से पुष्पों की वर्षा होने लगी। जाहिर है भगवान गणेश शेष देवताओं से सबसे पहले पहुंचे। उनका यह बुद्धि-कौतुक देखकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें प्रथम पूज्य बनाया।

दूसरी कथा में बताया गया है की जब शिव ने गणेश का सिर काटा था तब माँ पार्वती अत्यंत रूद्र हो गयी थी | तीनो लोको में त्राहिमाम त्राहिमाम हो गया था | सभी देवी देवता कैलाश पर एकत्रित हो गये | उमा ने शिव जी ने अपने पुत्र को पूण्य जीवित करने की मांग कर ली | शिव आदेश पर गणेश के कटे सिर की जगह हाथी के बच्चे का सिर लगाया गया और गणेश फिर से जीवित हो गये | तब सभी देवी देवताओ ने उन्हें लाड किया और तरह तरह के वरदान दिए | उनमे से एक वरदान प्रथम पूज्य होने का भी गणपति को प्राप्त हुआ |

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गरम मसाले के फायदे

 

भारत के लगभग हर रसोई घर में गरम मसाला जरूर इस्तेमाल किया जाता है। इसे चुटकी भर ही इस्तेमाल करने भर से पूरे खाद्य पदार्थ का स्वाद लजीज हो जाता है। आप यह तो जानते ही होंगे कि कई प्रकार के मसालों को मिलाकर गरम मसाला तैयार किया जाता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि खाने का स्वाद बढ़ाने वाला गरम मसाला स्वास्थ्य के लिए कितना गुणकारी है। अगर आप नहीं जानते, तो परेशान होने की कोई बात नहीं है, हम आपको बताते हैं। आपको गरम मसाला के फायदे के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। साथ ही गरम मसाला बनाने की विधि या ये कहें कि घर में गरम मसाला कैसे बनाएं, इसकी जानकारी भी आपको दी जाएगी। इसलिए, स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए।

गरम मसाले के फायदे – 

गरम मसाला खाने के फायदे एक नहीं अनेक हैं, जिनमें से प्रमुख फायदों के बारे में हम यहां बता रहे हैं।

1. वजन घटाने में

वजन घटाने के लिए गरम मासाला के फायदे देखे जा सकते हैं। इसके लिए गरम मसाले में पाए जाने वाले पोषक तत्व जिम्मेदार है। गरम मसाले में कुछ मात्रा फाइबर की पाई जाती है । एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, अगर दिनभर में आहार स्रोत के जरिए करीब 30 ग्राम फाइबर का सेवन किया जाए, तो यह वजन घटाने में सहायक हो सकता है (2)। इसलिए, फाइबर युक्त अन्य खाद्य पदार्थों के साथ थोड़ा-सा गरम मसाला लेना भी फायदेमंद साबित हो सकता है।

2. पाचन के लिए

एक स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है कि उसका पाचन तंत्र भी सुचारू रूप से कार्य रहे। इसके लिए हमारी रसोई में रखा गरम मसाला फायदेमंद हो सकता है। यहां पर एक बार फिर से गरम मसाले में मौजूद फाइबर का जिक्र होगा। फाइबर का सेवन हमारी पाचन क्रिया को सुधारने के साथ-साथ कब्ज की समस्या से भी राहत दिलाने में मदद करता है ।

3. डायरिया में

डायरिया की स्थिति में पतले दस्त होना शुरू हो जाते हैं । थोड़ी ही देर बाद पीड़ित व्यक्ति का शरीर बिल्कुल असहाय होने लगता है। ऐसे में आप गरम मसाले की मदद ले सकते हैं, क्योंकि इसमें फाइबर पाया जाता है । फाइबर का सेवन डायरिया की स्थिति में फायदेमंद हो सकता है (5)।

4. मधुमेह की समस्या में

मधुमेह की समस्या से बचे रहने के लिए भी गरम मसाला सकारात्मक असर दिखा सकता है। दरअसल, गरम मसाले को तैयार करने में कई प्रकार के मसाले का प्रयोग किया जाता है। इनमें से एक जीरा भी है । वहीं, जीरा एक सक्रिय एंटी-डायबिटिक एजेंट है। यह डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता है । इसलिए, गरम मसाले में मौजूद जीरा डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक हो सकता है।

5. सर्दी और खांसी के लिए

सर्दी-खांसी से राहत पाने के लिए भी गरम मसाला के फायदे देखे जा सकते हैं। सर्दी के लक्षणों में खांसी को भी गिना जा सकता है । आप इससे राहत पाने के लिए गरम मसाले का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें इस्तेमाल होने वाले धनिया में जिंक पाया जाता है । वहीं, जिंक बच्चों में पाए जाने वाले सर्दी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है ।

6. कैंसर की स्थिति में

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचे रहने के लिए भी गरम मसाला एक रामबाण औषधि की तरह कार्य कर सकता है। दरअसल, ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि गरम मसाले को तैयार करने के लिए काली मिर्च और सूखी लाल मिर्च का प्रयोग किया जाता है । इनमें एंटी-कैंसर गतिविधि पाई जाती है । एंटी-कैंसर गतिविधि कैंसर होने के लिए जिम्मेदार स्थितियों के खिलाफ क्रिया करके आपको कैंसर से बचाए रखने के काम आ सकती है ।

7. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के लिए

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या आपके पेट और पाचन क्रिया में होने वाली विभिन्न समस्याओं से जुड़ी हुई है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में गड़बड़ी होने का एक मुख्य कारण कब्ज का होना भी माना जाता है, जबकि गरम मसाला के जरिए कब्ज का इलाज संभव है। दरअसल, गरम मसाले में मौजूद फाइबर का सेवन कब्ज की समस्या को दूर करके, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में हुई गड़बड़ी को ठीक कर सकता है ।

8. शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में

डिटॉक्सिफाई एक प्रकार की क्रिया होती है। इससे हमारे शरीर से जहरीले पदार्थों को हटाने, वजन घटाने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलती है । डिटॉक्सिफाई की गतिविधि बढ़ाने के लिए एक अच्छे स्रोत के रूप में गरम मसाला का उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि गरम मसाला में डिटॉक्सिफाई का गुण पाया जाता है ।

9. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बीमारियों से लड़ने में

बेहतर रोग-प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर को कई प्रकार के संक्रमण और बीमारियों से बचाए रखने का काम कर सकती है (15)। गरम मसाले में इस्तेमाल होने वाले धनिये में जिंक पाया जाया जाता है (16)। विशेषज्ञों के अनुसार, जिंक रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसलिए, गरम मसाला के जरिए जिंक का सेवन हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करेगा और हमारा शरीर बीमारियों से भी बचा रहेगा ।

10. दर्द और सूजन के लिए

दर्द और सूजन में आराम पाने के लिए भी आप गरम मसाले का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका कारण यह है कि गरम मसाले को बनाने में मेथी का भी उपयोग किया जाता है । एक वैज्ञानिक शोध में देखा गया है कि मेथी के बीज में एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं। यह दोनों ही गुण दर्द और सूजन में आराम दिला सकते हैं ।

11. आंखों के स्वास्थ्य के लिए

आंखों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी गरम मसाले को बहुत उपयोगी माना गया है। इसके लिए गरम मसाला में उपयोग की जाने वाली दालचीनी लाभदायक होती है । दालचीनी में फोलेट की भरपूर मात्रा पाई जाती है । एक वैज्ञानिक शोध में यह देखा गया है कि फोलेट का सेवन जियोग्राफिक एट्रोफी (Geographic atrophy) से आंखों को सुरक्षित रखने में लाभदायक होता है । जियोग्राफिक एट्रोफी आंखों का एक रोग, जिससे देखने की क्षमता में कमी आती है।

12. पेट की सूजन (Bloating) कम करने में

यह ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें पेट (पेट) भरा हुआ महसूस होता है और पेट सूजा हुआ भी लग सकता है। इस समस्या का एक प्रमुख कारण कब्ज हो सकती है । आप कब्ज को गरम मसाले में मौजूद फाइबर के सेवन से दूर कर सकते हैं । इसका सेवन करने से पेट की सूजन या ब्लोटिंग की समस्या खत्म हो सकती है।

13. सांसों की बदबू दूर करने में

गरम मसाला का उपयोग मुंह की बदबू को दूर करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। गरम मसाला को तैयार करने में लौंग का भी इस्तेमाल किया जाता है । लौंग में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है । एक डॉक्टरी रिसर्च के अनुसार यह देखा गया कि एंटीऑक्सीडेंट गुण सांसों की बदबू को दूर करता है ।

14. स्लो एजिंग के लिए

इसका मतलब यह कि आप लंबे समय तक जवां नजर आ सकते हैं। इसके लिए गरम मसाले को बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाली दालचीनी का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है । दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं और यह गुण स्लो एजिंग की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद कर सकता है ।

गरम मसाला खाने के फायदे जानने के बाद, आइए अब जानते हैं कि इसमें कौन-कौन से पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।

गरम मसाले के पौष्टिक तत्व – 

गरम मसाले में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं  :-

पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम

एनर्जी 571kcal

प्रोटीन 21.43g

कुल लिपिड (वसा) 35.71 g

कार्बोहाइड्रेट 28.57g

फाइबर, कुल डाइटरी 14.3g

मिनरल

आयरन 7.71 mg

सोडियम 1071mg

लिपिड्स

फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 7.14g

आर्टिकल के इस हिस्से में हम घर में गरम मसाला तैयार करने की विधि बता रहे हैं।

गरम मसाला बनाने का तरीका – 

 

गरम मसाला में क्या-क्या होता है और इसे कैसे बनाएं, इसके बारे में नीचे बताई जा रही गरम मसाला बनाने की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

एक कप गरम मसाला तैयार करने की विधि

सामग्री :

• 2 बड़े चम्मच जीरा

• 2 बड़े चम्मच धनिया के बीज

• 2 बड़े चम्मच इलायची के दाने

• 2 बड़े चम्मच काली मिर्च

• 2 छोटी लाल मिर्च

• 3 इंच की दालचीनी छड़ी

• 1 चम्मच साबुत लौंग

• 1 चम्मच कुटा हुआ जायफल

• 1/2 चम्मच पिसा हुआ केसर

• मेथी के बीज 1 चम्मच

• 4 तेज पत्ते

नोट : गरम मसाला बनाने के लिए लोगों के द्वारा इन सामग्रियों के अतिरिक्त भी कुछ अन्य मसालों का उपयोग किया जाता है, जो उनके स्वाद और जरुरत के हिसाब से होता है। इसलिए कई लोग इसमें तुलसी के पत्ते, अदरक के सूखे टुकड़े, मेथी के बीज को भी शामिल करते हैं।

बनाने की प्रक्रिया:

• सबसे पहले एक अच्छे वजन की कड़ाही लें और इसे गैस पर हल्के तापमान पर गर्म होने के लिए रखें।

• ध्यान रहे कि कड़ाही सूखी हो।

• अब इसमें जीरा, धनिया, इलायची, दालचीनी और लौंग डालें।

• इसे बीच-बीच में चलाते रहें, जब तक कि गर्म होने के बाद मसालों के रंग में परिवर्तन न आ जाए।

• इसे लगभग 10 मिनट तक और अच्छी सुगंध निकलने तक भूनते रहें।

• ध्यान रहे कि इन्हें धीमी आंच पर ही इसे भूनें।

• अब बची हुई सामग्रियों (जायफल और केसर को छोड़कर) को भी दो मिनट तक भून लें।

• जब सभी सामग्रियां ठंडी हो जाएं, तो उन्हें मिक्सर में पीसकर पाउडर बना लें।

• इसके बाद तैयार पाउडर में जायफल व केसर को मिलाएं।

• फिर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।

• अब आपका गरम मसाला तैयार है। आप इसे एयरटाइट कंटेनर में डालकर सूखे स्थान पर स्टोर करें।

• आप इस मसाले को अगले छह महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं। 

गरम मसाले का उपयोग – 

• गरम मसाले को सब्जी बनाने में उपयोग कर सकते हैं।

• इसे आलू की टिकिया में इस्तेमाल कर सकते हैं।

• गरम मसाले को नमक के साथ मट्ठे में मिलाकर पिया जा सकता है।

• बेसनी भिंडी को बनाने में गरम मसाला का इस्तेमाल किया जा सकता है।

• अचार, खटाई और सलाद की ड्रेसिंग में गरम मसाले को इस्तेमाल कर सकते हैं।

कब खाएं : गरम मसाला को आप दिन के किसी भी समय में खा सकते हैं।

कितना खाएं: एक बार में लगभग आधे से भी कम छोटा चम्मच (एक व्यक्ति के लिए) गरम मसाला इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके सेवन की मात्रा की सटीक जानकारी के लिए आप एक बार आहार विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। 

आइए, अब गरम मसाला के सेवन से जुड़े हुए कुछ नुकसान के बारे में जान लेते हैं।

गरम मसाले के नुकसान – 

गरम मसाला के नुकसान कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :

• आयात किए गए गरम मसाले में लेड की मात्रा हो सकती है, जिसका अधिक सेवन शरीर में जहर बना सकता है ।

• गरम मसाला में उपयोग होने वाले कुछ मसालों में जैसे धनिये में जिंक की मात्रा पाई जाती है। अधिक मात्रा में जिंक का सेवन करने से यह मतली और उल्टी की समस्या हो सकती है ।

• गरम मसाले में सोडियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है और सोडियम का अधिक सेवन उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है।

बेशक, अभी तक आप गरम मसाला का उपयोग केवल सब्जियां और पकवान बनाने के लिए ही करते थे, लेकिन अब इसमें छुपे सेहत के राज से भी वाकिफ हो गए हैं। इसलिए, अब आप ऊपर बताई गई सेवन और उपयोग विधि को ध्यान में रखते हुए, गरम मसाले का इस्तेमाल करें। इसके सेवन से जुड़ी हुई जिन सावधानियों और नुकसान के बारे आपको लेख में बताया गया है, उसे ध्यान में जरूर रखें। 

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खुद पर विश्वास

  

वे काफी अमीर लग रहे थे.

बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी.

बुजुर्ग बोले -" चिंता मत करो. मेरा नाम John D. Rockefeller है. मैं तुम्हे नहीं जानता,पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो. इसलिए मैं तुम्हे दस

लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ."

फिर जेब से checkbook निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, "नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे. तब तुम मेरा कर्ज चुका देना."

इतना कहकर वो चले गए. युवक shocked था. Rockefeller तब america के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे. युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी. उसके पैरो को पंख लग

गये.

घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा. बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है.

अचानक उसके मन में ख्याल आया. उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपे भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ. यह ख्याल आते ही उसने चेक को संभाल कर रख लिया. उसने निश्चय कर लिया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा की इस मुश्किल से निकल जाए. उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचे तो वो check use करेगा.

उस दिन के बाद युवक ने खुद को झोंक दिया. बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं.

उसकी कोशिशे रंग लाने लगी. कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा. साल भर बाद तो वो पहले से भी अच्छी स्तिथि में था.

निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया.

वह चेक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था की वे दूर से आते दिखे. जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से उनका अभिवादन किया.

उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोल ही था की एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मरकर वृद्ध को पकड़ लिया. युवक हैरान रह गया. नर्स बोली, "यह पागल बार बार पागलखाने से भाग जाता हैं और लोगो को जॉन डी . Rockefeller के रूप में check बाँटता फिरता हैं. "

अब वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान रह गया. जिस check के बल पर उसने

अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा किया,वह फर्जी था. पर यह बात जरुर साबित हुई की वास्तविक जीत हमारे इरादे , हौंसले और प्रयास में ही होती हैं.

हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन किसी भी असुविधा से, situation से निपट सकते है.

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विनम्रता की विजय

 

महर्षि कण्व का आश्रम, अभी−अभी महाराज दुष्यन्त विदा हुये हैं। कौशिकसुता शकुन्तला के प्रणय से आविर्भूत महाराज दुष्यन्त ने मृगया के मध्य यह समय निकाला था। आश्रमवासी दूर तक विदाकर लौट आये किन्तु शकुन्तला उपवन की एक सघन वल्लरी से ही अपने हृदय सम्राट को जाते अपलक आत्म विस्मृत निहारती रही। उसे पता भी नहीं चला महर्षि दुर्वासा उधर से निकले और वह प्रणाम भी नहीं कर सकी।

दुर्वासा के क्रोध का ठिकाना न रहा। कामार्त्त नारी। उन्होंने चिल्लाकर कहा−जिसकी स्मृति में तू इस तरह आत्म विस्मृत हो रही है−जा मेरा शाप है कि वही तुझे भूल जायेगा। पास जाने पर भी वह तुझे पहचानने से इनकार कर देगा।

अब शकुन्तला को अपनी भूल का पता चला, उसने क्षमा भी माँगी, किन्तु महर्षि तिरस्कारपूर्ण दृष्टि डालते हुए उधर से आगे बढ़ गये।

और सचमुच ही एक दिन जब वियोगिनी शकुन्तला स्वयं ही महाराज दुष्यन्त के समक्ष उपस्थित हुई तो आर्य श्रेष्ठ ने उन्हें पूर्व परिचित होने तक से इनकार कर दिया। यह ठीक है इस दुर्दैव को भी अपनी तपश्चर्या के बल पर साध्वी शकुन्तला ने सौभाग्य में बदल लिया ऐसा न होता तो वह चक्रवर्ती भरत की माँ होने का गौरव कैसे प्राप्त कर सकतीं, तो भी उन्हें असीम कष्ट तो झेलने ही पड़े।

महर्षि मुद्गल, देवकन्या द्रौपदी ऐसे−ऐसे अनेकों आत्माओं को पराभूत करने की दुर्वासा की ख्याति सर्वत्र फैली हुई थी सो सहसा कोई भी उनसे भिड़ने का साहस नहीं करता था। अहंकार की जितनी विजय होती है, वह उतना ही दुर्द्धर्ष होता जाता है, उसकी न केवल विवेक शक्ति अपितु अपनी सामर्थ्य भी साथ छोड़ती चली जाती हैं, इसीलिए अहंकार को साधना की, तप की और ब्रह्म प्राप्ति की सबसे बड़ी बाधा माना जाता है। किन्तु अपनी गहन तपश्चर्या द्वारा दुर्वासा शक्ति के स्वामी बन चुके थे अतएव उनका अहंकार घटा नहीं, निरन्तर बढ़ता ही गया।

तभी उनकी भेंट सरयू तट पर महाभाग सम्राट अम्बरीष से हो गई। महाराज एकादशी व्रत का पारण करने समुद्यत हुये थे अभी वे तट पर जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि महर्षि आ पहुँचे। उन्होंने महाराज अम्बरीष का वर्जन करते हुए राजन! तुम्हीं एकादशी पारण नहीं करते, मैं भी करता हूँ सम्राट हो तो क्या? तुम क्षत्रिय हो, मैं ब्राह्मण। यहीं ठहरो जब तक मैं पारण नहीं कर लेता तुम्हें उसका अधिकार नहीं।

महाराज ने विनीत वाणी से वर्जना स्वीकारी और वहीं तट पर बैठकर प्रतीक्षा करने लगे। समय तेजी से बीतने लगा, किन्तु महर्षि गये तो फिर मानों लौटना भूल ही गये। समय समाप्त होने को आया अब क्या किया जाये? उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों से विकल्प पूछा तो−उन्होंने कहा−“महाराज आप बिना प्रतीक्षा किये अपना पारण सम्पन्न करें।” तप का महत्व अहंकार प्रदर्शन और शाप देने में नहीं संसार का कल्याण करने की भावना में है, प्रतिवाद न करने से ही अवांछनीयताएँ बढ़ती हैं आप धर्मज्ञ हैं, अनैतिक आचरण का विरोध धर्म का ही तो अंग है। फिर आप डरते क्यों हैं।

महाराज ने आचार्यों की बात स्वीकार कर ली और पारण प्रारम्भ कर दिया। यह देखते ही दुर्वासा का क्रोध भड़क उठा उन्होंने अम्बरीष पर कृत्याघात किया। कृत्या अभी महाराज तक पहुँची ही थी कि महाराज के शरीर से धर्म, न्याय, सदाचरण, चरित्र और विनय−पाँच देव निकले और महाराज के चारों ओर कवच की तरह विराज गये, कृत्या को आघात का अवसर न मिला तो वह प्रहारक दुर्वासा को ही विनष्ट करने को तुल गई। दुर्वासा हाहाकार कर उठे। यह देखते ही महाराज की करुणा उमड़ पड़ी। उस धार ने कृत्या को शीतल कर दिया।

*आज दुर्वासा पराजित हुए और उन्होंने अनुभव किया शक्ति की शोभा विनम्रता में है अहंकार में नहीं।*

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क़ानून क्यों बनाए जाते हैं...?

 

साभार..लाॅ की क्लास में लेक्चरर ने एक छात्र को खड़ा करके उसका नाम पूछा और बिना किसी वजह के उसे क्लास से निकल जाने को कह दिया छात्र ने कारण जानने और अपने डिफेंस में कई दलीलें देने की कोशिश की,लेकिन प्रोफेसर ने एक भी न सुनी और अपने फैसले पर अटल रहा...स्टुडेंट तो मायूस होकर क्लास से बाहर निकल गया मगर वह अपने साथ होने वाले अन्याय को ज़ुल्म जैसा समझ रहा था हैरत बाकी सटुडेंट्स पर हो रही थी जो सर झुकाए खामोश बैठे थे...!

लेक्चरर ने अपना लेक्चर शुरू करते हुए छात्रों से पूछा..."क़ानून क्यों बनाए जाते हैं...?"

एक छात्र ने खड़े हो कर कहाः"लोगों के व्यवहार पर कंट्रोल रखने के लिये"

दूसरे छात्र ने कहा "समाज पर लागू करने के लिये"

तीसरे ने कहा "ताकि कोई भी ताक़तवर कमज़ोर पर ज़ुल्म न कर सके"

लक्चरर ने कई छात्रों के जवाब सुनने के बाद कहा "ये सब जवाब ठीक तो हैं मगर काफी नहीं हैं"

फिर एक छात्र ने खड़े होकर कहा "ताकि समानता और न्याय स्थापित किया जा सके"

लेक्चरर ने कहा "बिल्कुल यही जवाब है जो मैं सुनना चाहता था समानता और न्याय बनाये रखा जा सके"

लेक्चरर ने फिर पूछा "लेकिन समानता और न्याय का क्या फायदा होता है...?"

एक छात्र ने जवाब दिया "ताकि लोगों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और कोई किसी पर ज़ुल्म न कर सके"

इस बार लेक्चरर ने कुछ देर रुकने के बाद कहा "अच्छा,बिना किसी संकोच या डर के मेरी एक बात का जवाब दो क्या मैंने तुम्हारे साथी छात्र को क्लासरूम से बाहर निकाल कर कोई ज़ुल्म या दुर्व्यवहार किया है...?"

सारे छात्रों ने एक साथ जवाब दिया "जी हां सर,आपने दुर्व्यवहार किया है"

इस बार लेक्चरर ने गुस्से से ऊंची आवाज़ में कहा "ठीक है ज़ुल्म हुआ है फिर तुम सब ख़ामोश क्यों बैठे रहे...क्या फायदा ऐसे क़ानून का जिनके कार्यान्वयन के लिये किसी के अंदर हिम्मत और जुर्रत ही न हो...जब तुम्हारे साथी के साथ दुर्व्यवहार या ज़ुल्म हो रहा था और तुम सब उस पर ख़ामोश बैठे थे,उसका बस एक ही मतलब था कि तुम सब अपनी इंसानियत खो बैठे थे और याद रखो जब इंसानियत गिरती है तो उसका कोई भी विकल्प नहीं होता"

इसके साथ ही लेक्चरर ने क्लास रूम से बाहर खड़े छात्र को अंदर बुलाया,सबके सामने माफी मांगी और सभी छात्रों से कहा "यही तुम लोगों का आज का सबक़ है जाओ और जाकर अपने समाज में ऐसी नाइंसाफियां और असमानता तलाश करो और उनके सुधार के लिये क़ानून लागू कराने के तरीक़े सोचो...!

ये तो हुई बात ला लेक्चर की लेकिन मेरा मत है आप बहुत बड़े एक्टर हैं...एक्टिंग में बड़े कीर्तिमान के खम्बे उखाड़े है...आप लीजेंड है...महानायक है...देशभक्ति में सराबोर किरदार निभाते हैं,एक अच्छे इंसान है,बहुत दान पुण्य करतें है...आप बहुत बड़े क्रिकेटर है,खिलाड़ी है...देश का नाम दुनिया जहान में रोशन किया है...वर्ल्ड कप ले आये...आपकी जीवनी पर बॉलीवुड फिलिम बनती है...आप देश की करोड़ो आबादी के दिलों की धड़कन हो...आप बहुत बड़े धर्मात्मा हो...आध्यात्म की गहराइयों को,ऊंचाइयों को उच्चतम बिंदु तक नाप लिया है...आप चारो वेदों,अठारह पुराणों के ज्ञाता हो...गीता मुंह पर रटी है...भगवा वस्त्रों सफेद दाढ़ी में आपका आभामंडल सूर्य की भांति चमकता है...आप बहुत बड़े लेखक हो...संजीदा कहानियां लिखते हो...प्रेमचंद के पजरे बैठते हो...अमेजॉन पर बेस्ट सेलर हो...स्मार्ट दिखते हो...आप बहुत बड़े अफसर हो...कर्मठ हो...ईमानदार हो...बेईमानी का एक पैसा नही खाया आज तक...आप और आपके ये सारे गुण मेरे लिये व्यर्थ है...अगर आप गलत के खिलाफ चुप्पी साधे रहते हो...अपने देश,धर्म,समाज,संस्कृति पर हमला करने वालों के खिलाफ आपकी आवाज नही उठती,कान पर जूँ नही रेंगती...आप मुंह फेरकर चुपचाप अपनी लीजेंडरी ढोते हुये अपनी दुनिया मे मगन हो...तो आप मेरे लिये महत्वहीन हो...आपका अस्तित्व समाज पर बोझ है...आप बोझा ढोने वाले खच्चर के अलावा कुछ नही हो...!!!

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रामायण के इन 3 पात्रों से सीखें

 रामायण के इन 3 पात्रों से सीखें कुछ भी कैसे पाया जा सकता है।



महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जिससे काफी कुछ सीखने को मिलता है। रामायण की वो बातें वर्तमान दौर में उतनी प्रासंगिक है, जितनी त्रेतायुग में थीं। रामायण में भगवान राम का चरित्र तो अद्वितीय है ही, लेकिन रामायण के अन्य पात्रों से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।


शबरी : शबरी एक शिकारी की पुत्री थीं। वह आदिवासी समुदाय से थीं। रामायण के अनुसार शबरी एक मुनि के आश्रम में रहती थी। जहां उन ऋषियों ने कहा यहां हरि के अवतार राम आएंगे। उनके दर्शन अगर होते हैं तो तुम्हें मोक्ष मिल जाएगा। इसलिए वह दशकों से श्रीराम का इंतजार करती रहीं और जब राम आए तब वह श्रीराम के एकटक कई समय तक देखती रहीं। बाद में शबरी को भी मोक्ष प्राप्त हुआ और वो मृत्यु के बाद विष्णुलोक पहुंचीं।


शिक्षा: आस्था और विश्वास के बल पर कुछ भी पाया जा सकता है। शबरी को विश्वास था की राम उनसे मिलने जरूर आएंगे। और श्रीराम, शबरी से मिलने आए। इसके बाद शबरी को मोक्ष मिला


जामवंत : जामवंत एक बुद्धिमान और अनुभवी सेनापति थे। वह एक रणनीतिक सोच रखते थे, जिसके कारण ही वो युद्ध में विजय प्राप्त करते आए थे। सुग्रीव की सलाह पर ही भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध के दौरान जामवंत को सेना का सेनापति बनाया था। और सेना में नल-नील, हनुमानजी को भी शामिल किया था। सुग्रीव की सलाह पर जामवंत ने सेनापित के रूप में अपने युद्ध कौशल और रणनीतिक तरीकों से रावण की सेना को हराया। इस तरह श्रीराम ने रावण का अंत कर दिया।


शिक्षा: कोई भी काम करें उसकी एक रणनीति होनी चाहिए। ऐसा करने पर आपकी सफलता निश्चित रहती है।


जटायु : जटायु, संपाति के भाई थे। जब रावण, सीता जी का अपहरण करके लंका ले जा रहा था, तब जटायु ने उन्हें बचाया था। लेकिन रावण ने जटायु का एक पर काट दिया था। जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। बाद में श्रीराम ने जटायु का अंतिम संस्कार और गया में पिंडदान किया था। जटायु मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त हुआ। जटायु एक महत्वपूर्ण खोजकर्ता थे। उन्होनें ही सर्वप्रथम यह बताया था रावण, सीता जी को लंका ले जा रहा था।

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आत्मा और शरीर का वार्तालाप

 

सुबह के 4 बजे

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*आत्मा*- चलो ! आत्मा की साधना का समय हो गया है...उठो, उठो ना...

*शरीर*- सोने दो ना...! अभी क्यों तंग कर रही हो, रात को बहुत देर से सोया था । थोड़ी देर बाद उठकर साधना करूँगा ।

*आत्मा*- ठीक है और थोड़ी देर बाद ही सही ।

सुबह के 6 बजे

*आत्मा*- अब तो उठ जाओ भाई ! सूरज भी अपनी किरणें फैलाता हुआ हमें जगा रहा है, उठो ना ।

*शरीर*- कितना परेशान करती हो...ठीक है, उठ रहा हूँ, बस 5 मिनट और...

थोड़ी देर बाद शरीर उठा और साधना के लिए बैठ गया और 10 मिनट बाद ही उठने लगा । तब...

*आत्मा बोली*- अरे अरे...! क्या हुआ ? इतनी जल्दी क्या है, अभी तो मुझे शांति मिलना शुरु हुई और तुम उठ गये...

*शरीर*- अरे...! मुझे घर का और आफिस का कितना काम है तुम्हारी समझ में तो कुछ नहीं आता और अभी नाश्ता भी करना है ।

*आत्मा*- ठीक है तो शाम को साधना तो करोगे ना...

*शरीर*(परेशान होते हुए) - हाँ भाई ! हाँ जरूर करूँगा ।

सारा दिन निकल गया । आत्मा दिनभर के काम, राग-द्वेष के परिणामों से आकुलित हुई और शाम को शरीर से बोली - अरे ! शाम हो गई, अब तो फ्री हो गये होंगे । अब तो चलो साधना के लिए...।

*शरीर (चिल्लाते हुए)*- क्यों सारा दिन तंग करती रहती हो...देखती नहीं अभी आॅफिस में दिन भर काम करके आया हूँ, बहुत थक गया हूँ ।

*आत्मा*- अरे ! फिर तो बहुत अच्छी बात है, यदि तुम थके हुए हो तो एक बार आत्मा की साधना करोगे तो थकान तुरन्त दूर हो जायेगी ।

*शरीर*- अभी नहीं ! अभी थोड़ा टीवी देख लूँ । रात को पक्का बैठूँगा...।

रात को थकान से शरीर की आँखें बंद हो रही हैं । मुश्किल से शरीर स्थिर होकर बैठा और नींद आने लगी । शरीर उठा और सोने के लिए जाने लगा तो...

*आत्मा बोल उठी*- अरे अरे! क्या हुआ ? अभी-अभी तो बैठे थे, अचानक उठकर कहाँ जाने लगे ?

*शरीर*- मैं बहुत थक गया हूँ, कल सुबह 4 बजे आत्म साधना के लिए जरूर बैठूँगा ।

आत्मा चुप हो गई तभी शरीर ने मोबाइल पर अपने एक मित्र का मैसेज देखा और सोचा - अरे वाह ! ये तो मेरे दोस्त का मैसेज है । थोड़ी देर चैटिंग कर लूँ फिर सो जाऊँगा और वह चैटिंग करने लगा ।

*आत्मा*- देखो ! चैटिंग करने के लिए नींद भाग गई और साधना के नाम पर इसे नींद आ रही थी और जिस आत्मा के कारण यह जीवन जी रहा है उसके नाम पर नींद आने लगती है । चलो....! कल देखते हैं ।

*दूसरे दिन वही दिनचर्या और जीवन समाप्त ।*

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