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श्रीगणपति स्तुति


🚩:ओम् श्री गौरीशंकरसुतायश्रीमन् महागणाधिपतये नमो नम:🚩
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              🚩:श्रीगणपति स्तुति से मनोकामना पूर्ति:🚩
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💥: शास्त्रों में एक ऐसी सरल गणेश स्तुति बतायी गयी है जिसको करने से मनोकामना पूर्ण होती है तथा लक्ष्मी का सुगम आगमन होता है।
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💥: किसी शुक्ल पक्षीय प्रथम बुधवार या चतुर्थी तिथि को प्रातःकाल स्नानोपरांत किसी गणेश मंदिर में या घर में ही गणपति चित्र के समक्ष हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम करें। तदोपरांत गणपति महाराज को पुष्प,दूब,लड्डू,धूप तथा दीप अर्पित करें और पूर्ण श्रध्दाभाव से इस गणेश मंत्र स्तुति का 21 बार पाठ करें............
....................................................................................
💥:गणाधिप नमस्तुभ्यं सर्वविघ्नप्रशन्तिद्।
             उमानन्दप्रज्ञ प्राज्ञ त्राहिमाम् भवसागरात्।।
हरानन्दकर ध्यानज्ञानविज्ञानद प्रभो।
             विघ्नराज नमस्तुभ्यं सर्वदैत्यैकसूदन।।
सर्वप्रीतिप्रद श्रीद सर्वयज्ञैकरक्षक।
             सर्वाभीष्टप्रद प्रीत्या नमामि त्वां गणाधिपः।।
....................................................................................
💥:भावार्थ - भगवान गणेश को नमस्कार है।सभी विघ्नों के शांति- कर्ता, बुद्धिमान और जीवन रूपी भवसागर से तारने वाले, मां पार्वती को सुख देने वाले श्री गणेश मेरा कल्याण करें। जिनको देख शिव भी आनंदित होते हैं,दानवों के नाशक,अपने भक्तों को ज्ञान-विज्ञान, कृपा और लक्ष्मी कृपा प्रदान करने वाले, कामनासिद्धि करने वाले विघ्न- हर्ता को मेरा हृदय से नमस्कार है।
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         🚩:विघ्न-विपत्ति व संकट दूर करने का उपाय:🚩
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💥:प्रातःकाल स्नानोपरांत गणपति जी के मंदिर में या घर पर ही भगवान गणेशजी के चित्र के समक्ष गणपति महाराज को अक्षत, पीले पुष्प,पीला वस्त्र,दूर्वा,सिंदूर,धूप,दीप आदि अर्पित कर मोदक का भोग अर्पित करें तदोपरांत निम्नोक्त गणेश मंत्र का 21 बार पाठ करें -----------
....................................................................................
💥:गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
              नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्नराजक:।।
      धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
               गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
....................................................................................
💥:भावार्थ - इस स्तुति में भगवान गणेश के बारह नामों का स्मरण है। ये बारह नाम हैं - गणपूज्य,वक्रतुण्ड,एकदंष्ट्र,त्रियम्बक (त्र्यम्बक), नीलग्रीव, लम्बोदर, विकट, विघ्रराज,धूम्रवर्ण,भालचन्द्र,विनायक और हस्तिमुख।
भगवान गणेश जी के इन बारह नामों का उच्चारण करके भी गणपति आराधना की जा सकती है।
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       🚩:मनोकामना पूर्ति सहित सर्वकल्याण का उपाय:🚩
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💥: शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से नित्य संध्या काल के समय इस मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ प्रारंभ करने से पूर्व श्रीगणेश जी को सिंदूर, अक्षत, दूर्वा,धूप,दीप अर्पित कर लड्डुओं का भोग लगायें।

सिध्द गणपति मंत्र..........."ओम् गं गणपतये गं नमः।।"
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           🚩: गणपति आराधना के आवश्यक नियम:🚩
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💥: गणपति आराधना का प्रारंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार या चतुर्थी तिथि से करना चाहिये।
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💥: गणपति आराधना के अंत में गणेश जी की आरती कर उनसे क्षमाप्रार्थना करनी चाहिये तथा इसके उपरांत अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना कर आशीर्वाद लेना चाहिये।
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💥: गणपति आराधना बिना शिव जी तथा पार्वती जी की आराधना किये पूर्ण नहीं होती है।
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💥: गणपति महाराज की (शिव परिवार सहित) पूर्ण श्रध्दाभाव से की गयी आराधना जीवन में अपार सुख-समृद्धि लाती है तथा समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती है।
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💥: बुध ग्रह संबंधी कोई शुभत्व प्राप्त करना हो या किसी अशुभ प्रभाव की शांति करनी हो,तो गणपति आराधना ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम सिध्द होती है।
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💥: बुध ग्रह यदि कारक हो तो पन्ना नामक रत्न पूर्ण प्राण-प्रतिष्ठा कराकर शुभ मुहूर्त भें धारण करना चाहिये।किसी सिध्द व्यक्ति से लेकर ही इसे धारण करना चाहिये।
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💥: यदि बुध अकारक हो तो उपरोक्त गणपति आराधना सहित बुध संबंधी दान करना श्रेयस्कर रहता है।
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श्रीगणपति स्तुति

🚩:ओम् श्री गौरीशंकरसुतायश्रीमन् महागणाधिपतये नमो नम:🚩
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              🚩:श्रीगणपति स्तुति से मनोकामना पूर्ति:🚩
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💥: शास्त्रों में एक ऐसी सरल गणेश स्तुति बतायी गयी है जिसको करने से मनोकामना पूर्ण होती है तथा लक्ष्मी का सुगम आगमन होता है।
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💥: किसी शुक्ल पक्षीय प्रथम बुधवार या चतुर्थी तिथि को प्रातःकाल स्नानोपरांत किसी गणेश मंदिर में या घर में ही गणपति चित्र के समक्ष हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम करें। तदोपरांत गणपति महाराज को पुष्प,दूब,लड्डू,धूप तथा दीप अर्पित करें और पूर्ण श्रध्दाभाव से इस गणेश मंत्र स्तुति का 21 बार पाठ करें............
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💥:गणाधिप नमस्तुभ्यं सर्वविघ्नप्रशन्तिद्।
             उमानन्दप्रज्ञ प्राज्ञ त्राहिमाम् भवसागरात्।।
हरानन्दकर ध्यानज्ञानविज्ञानद प्रभो।
             विघ्नराज नमस्तुभ्यं सर्वदैत्यैकसूदन।।
सर्वप्रीतिप्रद श्रीद सर्वयज्ञैकरक्षक।
             सर्वाभीष्टप्रद प्रीत्या नमामि त्वां गणाधिपः।।
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💥:भावार्थ - भगवान गणेश को नमस्कार है।सभी विघ्नों के शांति- कर्ता, बुद्धिमान और जीवन रूपी भवसागर से तारने वाले, मां पार्वती को सुख देने वाले श्री गणेश मेरा कल्याण करें। जिनको देख शिव भी आनंदित होते हैं,दानवों के नाशक,अपने भक्तों को ज्ञान-विज्ञान, कृपा और लक्ष्मी कृपा प्रदान करने वाले, कामनासिद्धि करने वाले विघ्न- हर्ता को मेरा हृदय से नमस्कार है।
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         🚩:विघ्न-विपत्ति व संकट दूर करने का उपाय:🚩
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💥:प्रातःकाल स्नानोपरांत गणपति जी के मंदिर में या घर पर ही भगवान गणेशजी के चित्र के समक्ष गणपति महाराज को अक्षत, पीले पुष्प,पीला वस्त्र,दूर्वा,सिंदूर,धूप,दीप आदि अर्पित कर मोदक का भोग अर्पित करें तदोपरांत निम्नोक्त गणेश मंत्र का 21 बार पाठ करें -----------
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💥:गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
              नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्नराजक:।।
      धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
               गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
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💥:भावार्थ - इस स्तुति में भगवान गणेश के बारह नामों का स्मरण है। ये बारह नाम हैं - गणपूज्य,वक्रतुण्ड,एकदंष्ट्र,त्रियम्बक (त्र्यम्बक), नीलग्रीव, लम्बोदर, विकट, विघ्रराज,धूम्रवर्ण,भालचन्द्र,विनायक और हस्तिमुख।
भगवान गणेश जी के इन बारह नामों का उच्चारण करके भी गणपति आराधना की जा सकती है।
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       🚩:मनोकामना पूर्ति सहित सर्वकल्याण का उपाय:🚩
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💥: शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से नित्य संध्या काल के समय इस मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ प्रारंभ करने से पूर्व श्रीगणेश जी को सिंदूर, अक्षत, दूर्वा,धूप,दीप अर्पित कर लड्डुओं का भोग लगायें।

सिध्द गणपति मंत्र..........."ओम् गं गणपतये गं नमः।।"
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           🚩: गणपति आराधना के आवश्यक नियम:🚩
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💥: गणपति आराधना का प्रारंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार या चतुर्थी तिथि से करना चाहिये।
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💥: गणपति आराधना के अंत में गणेश जी की आरती कर उनसे क्षमाप्रार्थना करनी चाहिये तथा इसके उपरांत अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना कर आशीर्वाद लेना चाहिये।
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💥: गणपति आराधना बिना शिव जी तथा पार्वती जी की आराधना किये पूर्ण नहीं होती है।
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💥: गणपति महाराज की (शिव परिवार सहित) पूर्ण श्रध्दाभाव से की गयी आराधना जीवन में अपार सुख-समृद्धि लाती है तथा समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती है।
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💥: बुध ग्रह संबंधी कोई शुभत्व प्राप्त करना हो या किसी अशुभ प्रभाव की शांति करनी हो,तो गणपति आराधना ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम सिध्द होती है।
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💥: बुध ग्रह यदि कारक हो तो पन्ना नामक रत्न पूर्ण प्राण-प्रतिष्ठा कराकर शुभ मुहूर्त भें धारण करना चाहिये।किसी सिध्द व्यक्ति से लेकर ही इसे धारण करना चाहिये।
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💥: यदि बुध अकारक हो तो उपरोक्त गणपति आराधना सहित बुध संबंधी दान करना श्रेयस्कर रहता है।
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Shiva Lingashtakam Mantra With Meaning



Brahma Murari surarchita Lingam
Nirmala bhasita sobhita Lingam
Janmaja dukha vinasaka Lingam
Tat pranamami Sadasiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Worshipped by Brahma, Vishnu and other Devas,
Pure and resplendent,
Which destroys sorrows of birth

Devamuni pravararchita Lingam
Kamadahana karunakara Lingam
Ravana darpa vinasaka Lingam
Tat pranamami Sadasiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Worshipped by great sages and devas,
Which destroyed the god of love,
Which showers mercy and destroyed the pride of Ravana.

Sarva sugandhi sulepita Lingam
Buddhi vivardhana karana Lingam
Siddha surasura vandita Lingam
Tat pranamami Sadasiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Anointed by perfumes,
Leading to growth of wisdom,
Which is worshipped by sages, devas and asuras.

Kanaka maha mani bhushita Lingam
Paniphati veshtitha shobhita Lingam
Dakshasu yajna vinashana Lingam
Tat pranamami Sadasiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Ornamented by gold and great jewels,
Shining with the snake being with it,
Which destroyed the Yagna of Daksha.

Kumkuma chandana lepita Lingam
Pankaja hara sushosbhita Lingam
Sanchita papa vinashana Lingam
Tat pranamami Sadasiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Adorned by sandal paste and saffron,
Wearing a garland of lotus flowers,
Which can destroy accumulated sins.

Devaganarchita sevita Lingam
Bhavair bhaktibhi revacha Lingam
Dinakarakoti prabhakara Lingam
Tat pranamami Sadasiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Served by gods and other beings,
The doorway for devotion and good thought,
Which shines like a billion Suns.

Ashtadalo pariveshtia Lingam
Sarva samudbhava karana Lingam
Ashtadaridra vinashana Lingam
Tatpranamami Sadashiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Surrounded by 8 petals,
The prime reason of all riches,
Which destroys 8 types of poverty.

Suraguru suravara pujita Lingam
Suravana pushpa sadarchita Lingam
Paratparam paramatmaka Lingam
Tatpranamami Sadashiva Lingam

I bow before that Lingam, the eternal Shiva,
Worshipped by the teacher of gods and best of gods,
Always worshipped by the flowers,
From the garden of Gods, the eternal abode,
Which is the ultimate truth.

Lingashtakamidam punyam
Yat Pathet Shivasannidhau
Shivalokamavapnoti
Shivena saha modate.

All who chant the holy octet of the Lingam
In the holy presence of Lord Shiva,
Can ultimately reach His world
And keep Lord Shiva company.

Love All - Serve All


वास्तुशास्त्र

#मय_दानव द्वारा रचित #मयमतम् नामक ग्रन्थ, #दक्षिण_भारतीय (द्रविड़) #स्थापत्यशास्त्र का प्रमाण-ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में वास्तु के स्थान पर सर्वत्र ‘वस्तु’ पद तथा #वास्तुशास्त्र के स्थान पर सर्वत्र ‘वस्तुशास्त्र’ का ही प्रयोग किया गया है। मय के अनुसार वस्तु से उत्पन्न पदार्थ ‘वास्तु’ है। मय ने पृथिवी को प्रथम वस्तु माना है। इसके अतिरिक्त प्रासाद, यान एवं शयन भी वास्तु की श्रेणी में परिगणित हैं।

‘मयमतम्’ ग्रन्थ में 36 अध्याय, 1 परिशिष्ट और 3,344 श्लोक हैं। इनका विवरण इस प्रकार है— 1. संग्रह (12 श्लोक), 2. वस्तुप्रकार (15 श्लोक), 3. भूपरीक्षा (20 श्लोक), 4. भूपरिग्रह (19 श्लोक), 5. मानोपकरण (25 श्लोक), 6. दिक्परिच्छेद (29 श्लोक), 7. पददेवताविन्यास (58 श्लोक), 8. बलिकर्मविधान (23 श्लोक), 9. ग्रामविन्यास (130 श्लोक), 10. नगरविधान (95 श्लोक), 11. भूलम्भविधान (27 श्लोक), 12. गर्भविन्यास (114 श्लोक), 13. उपपीठविधान (22 श्लोक), 14. अधिष्ठानविधान (48 श्लोक), 15. पादप्रमाणद्रव्यपरिग्रह (123 श्लोक), 16. प्रस्तरकरण (68 श्लोक), 17. सन्धिकर्मविधान (62 श्लोक), 18. शिखरकरणभवनकर्मसमाप्तिविधान (216 श्लोक), 19. एकभूमिविधान (49 श्लोक), 20. द्विभूमिविधान (39 श्लोक), 21. त्रिभूमिविधान (99 श्लोक), 22. चतुर्भूम्यादिबहुभूमिविधान (94 श्लोक), 23. प्राकारपरिवारविधान (131 श्लोक), 24. गोपुरविधान (137 श्लोक), 25. मण्डपसभाविधान (237 श्लोक), 26. शालाविधान (220 श्लोक), 27. चतुर्गृहविधान (136 श्लोक), 28. गृहप्रवेश (36 श्लोक), 29. राजवेश्मविधान (228 श्लोक), 30. द्वारविधान (121 श्लोक), 31. यानाधिकार (62 श्लोक), 32. शयनाधिकार (24 श्लोक), 33. लिंगलक्षण (162 श्लोक), 34. पीठलक्षण (74 श्लोक), 35. अनुकर्मविधान (59 श्लोक), 36. प्रतिमालक्षण (315 श्लोक) और ‘कूपारम्भ’ संज्ञक परिशिष्ट (15 श्लोक)। ‘मयमतम्’ का प्रथम अध्याय सबसे छोटा है, जिसमें केवल 12 श्लोक हैं जबकि अन्तिम 36वाँ अध्याय सबसे बड़ा है, जिसमें 315 श्लोक हैं।

इस प्रकार विषयवस्तु की दृष्टि से ‘मयमतम्’ ग्रन्थ में प्रथम ‘वस्तु (अथवा ‘वास्तु’) भूमि है। तदनन्तर ग्राम-नगरादि का स्थान आता है। इसके पश्चात् देवों एवं चातुर्वर्ण्य के लिए भूमि, भवन, यान तथा शयन का स्थान आता है। तीसरे एवं चौथे अध्याय में भूमि के परिक्षण का वर्णन प्राप्त होता है। तदनन्तर माप के विभिन्न प्रकारों एवं इकाइयों का निरूपण किया गया है। चार प्रकार के शिल्पी स्थपति, सूत्रग्राही, तक्षक तथा वर्धकि निर्माण-कार्य के अभिन्न अंग हैं। अतः इनका ग्रन्थ में विस्तार से वर्णन किया गया है। निर्माण हेतु दिशा का सटीक ज्ञान एवं कार्य के अनुसार वास्तुपदविन्यास आवश्यक होता है। अतः ग्रन्थ में इनका विवेचन प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त ग्राम, नगर, भवन, नींव में गर्भविन्यास, उपपीठ, अधिष्ठान, स्तम्भ, द्रव्य-स्तम्भ, प्रस्तरकरण, सन्धिकर्म, कलश, छत एवं शिखर आदि का निरूपण किया गया है। देवालय, राजभवन-मर्यादा, गोपुर, मंडप, सभागृह, शालगृह, अलिन्द्र, आँगन, आदि वास्तु ले अंग हैं। इन सभी के विषय में ‘मयमतम्’ में प्रकाश डाला गया है।
यह भी पढ़े

*‘मयमतम्’ के विभिन्न संस्करण :*
• मयमतं, महामहोपाध्याय टी. गणपति शास्त्री (सं.), त्रिवेन्द्रम संस्कृत सीरीज, 1919.
• Mayamata, Bruno Dagens, Institut Français D'indologie, Pondicherry, 1970.
• मयमतम्, 2 खण्ड, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सौजन्य से मोतीलाल बनारसीदास, नयी दिल्ली, 2007.
• मयमतम्, 2 खण्ड, डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू (हिंदी-टीकाकार), चौखम्बा संस्कृत सीरीज़, 2008.
• मयमतम्, 2 खण्ड, शिवार्पिता हिंदी-व्याख्या सहित, डॉ. शैलजा पाण्डेय (हिंदी-टीकाकार), चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, 2013.
• Mayamata : trattato sull'abitare, sull'architettura e sull'iconografia nell'India antica, Luni Editrice 

एक षड्यंत्र और शराब की घातकता|

जोक्स और फालतू पोस्ट के बजाये आज 5 मिनट इस पोस्ट पै ध्यान जरूर दे ,,,,,,,👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼

"एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...
"हिंदू धर्म ग्रंथ नहीँ कहते कि देवी को शराब चढ़ाई जाये.., ग्रंथ नहीँ कहते की शराब पीना ही क्षत्रिय धर्म है..ये सिर्फ़ एक मुग़लों का षड्यंत्र था हिंदुओं को कमजोर करने का !

जानिये एक अनकही ऐतिहासिक घटना..
."एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...."कैसे हिंदुओं की सुरक्षा प्राचीर को ध्वस्त किया मुग़लों ने ??

जानिये और फिर सुधार कीजिये !!

मुगल बादशाह का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे । उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की "है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में है ?"

सभा में सन्नाटा सा पसर गया ,एक बार फिर वही दोहराया गया !

तीसरी बार फिर उसने ख़ुशी से चिल्ला कर कहता" कोई है हमसे बहादुर जो हिंदुस्तान पर सल्तनत कायम कर सके ??

सभा की खामोशी तोड़ती एक बुलन्द शेर सी दहाड़ गूंजी तो सबका ध्यान उस शख्स की ओर गया ! वो जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल राठौड़ थे ! रिड़मल जी राठौड़ ने कहा, "मुग़लों में बहादुरी नहीँ कुटिलता है..., सबसे बहादुर तो राजपूत है दुनियाँ में ! मुगलो ने राजपूतो को आपस में लड़वा कर हिंदुस्तान पर राज किया!

कभी सिसोदिया राणा वंश को कछावा जयपुर से तो कभी राठोड़ो को दूसरे राजपूतो से...। बादशाह का मुँह देखने लायक था ,ऐसा लगा जैसे किसी ने चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो।

"बातें मत करो राव...उदाहरण दो वीरता का।
"रिड़मल राठौड़ ने कहा "क्या किसी कौम में देखा है किसी को सिर कटने के बाद भी लड़ते हुए ??"

बादशाह बोला ये तो सुनी हुई बात है देखा तो नही, रिड़मल राठौड़ बोले " इतिहास उठाकर देख लो कितने वीरो की कहानिया है सिर कटने के बाद भी लड़ने की...

"बादशाह हंसा और दरबार में बैठे कवियों की ओर देखकर बोला "इतिहास लिखने वाले तो मंगते होते है । मैं भी १०० मुगलो के नाम लिखवा दूँ इसमें क्या ? मुझे तो जिन्दा ऐसा राजपूत बताओ जो कहे की मेरा सिर काट दो में फिर भी लड़ूंगा।

"राव रिड़मल राठौड़ निरुत्तर हो गए और गहरे सोच में डूब गए। रात को सोचते सोचते अचानक उनको रोहणी ठिकाने के जागीरदार का ख्याल आया।

रात  रोहणी ठिकाना (जो की जेतारण कस्बे जोधपुर रियासत) में दो घुड़सवार बुजुर्ग जागीरदार के पोल पर पहुंचे और मिलने की इजाजत मांगी। ठाकुर साहब काफी वृद्ध अवस्था में थे फिर भी उठ कर मेहमान की आवभगत के लिए बाहर पोल पर आये ,,

घुड़सवारों ने प्रणाम किया और वृद्ध ठाकुर की आँखों में चमक सी उभरी और मुस्कराते हुए बोले" जोधपुर महाराज... आपको मैंने गोद में खिलाया है और अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी है.. इस तरह भेष बदलने पर भी में आपको आवाज से पहचान गया हूँ। हुकम आप अंदर पधारो...मैं आपकी रियासत का छोटा सा जागीरदार, आपने मुझे ही बुलवा लिया होता। राव रिड़मल राठौड़ ने उनको झुककर प्रणाम किया और बोले एक समस्या है , और बादशाह के दरबार की पूरी कहानी सुना दी !

अब आप ही बताये की जीवित योद्धा का कैसे पता चले की ये लड़ाई में सिर कटने के बाद भी लड़ेगा ?

रोहणी जागीदार बोले ," बस इतनी सी बात..मेरे दोनों बच्चे सिर कटने के बाद भी लड़ेंगे और आप दोनों को ले जाओ दिल्ली दरबार में ये आपकी और राजपूती की लाज जरूर रखेंगे..

"राव रिड़मल राठौड़ को घोर आश्चर्य हुआ कि एक पिता को कितना विश्वास है अपने बच्चो पर.. , मान गए राजपूती धर्म को। सुबह जल्दी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़ो के साथ तैयार थे!

उसी समय ठाकुर साहब ने कहा ," महाराज थोडा रुकिए !!

मैं एक बार इनकी माँ से भी कुछ चर्चा कर लूँ इस बारे में। "राव रिड़मल राठौड़ ने सोचा आखिर पिता का ह्रदय है कैसे मानेगा ! अपने दोनों जवान बच्चो के सिर कटवाने को ,एक बार रिड़मल जी ने सोचा की मुझे दोनों बच्चो को यही छोड़कर चले जाना चाहिए।

ठाकुर साहब ने ठकुरानी जी को कहा" आपके दोनों बच्चो को दिल्ली मुगल बादशाह के दरबार में भेज रहा हूँ सिर कटवाने को ,दोनों में से कौनसा सिर कटने के बाद भी लड़ सकता है ? आप माँ हो आपको ज्यादा पता होगा !

ठकुरानी जी ने कहा"बड़ा लड़का तो क़िले और क़िले के बाहर तक भी लड़ लेगा पर छोटा केवल परकोटे में ही लड़ सकता है क्योंकि पैदा होते ही इसको मेरा दूध नही मिला था। लड़ दोनों ही सकते है, आप निश्चित् होकर भेज दो

"दिल्ली के दरबार में आज कुछ विशेष भीड़ थी और हजारो लोग इस दृश्य को देखने जमा थे। बड़े लड़के को मैदान में लाया गया औरमुगल बादशाह ने जल्लादो को आदेश दिया की इसकी गर्दन उड़ा दो..तभी बीकानेर महाराजा बोले "ये क्या तमाशा है ?

राजपूती इतनी भी सस्ती नही हुई है , लड़ाई का मौका दो और फिर देखो कौन बहादुर है ? बादशाह ने खुद के सबसे मजबूत और कुशल योद्धा बुलाये और कहा ये जो घुड़सवार मैदान में खड़ा है उसका सिर् काट दो...२० घुड़सवारों को दल रोहणी ठाकुर के बड़े लड़के का सिर उतारने को लपका और देखते ही देखते उन २० घुड़सवारों की लाशें मैदान में बिछ गयी।दूसरा दस्ता आगे बढ़ा और उसका भी वही हाल हुआ ,मुगलो में घबराहट और झुरझरि फेल गयी ,इसी तरह बादशाह के ५०० सबसे ख़ास योद्धाओ की लाशें मैदान में पड़ी थी और उस वीर राजपूत योद्धा के तलवार की खरोंच भी नही आई।ये देख कर मुगल सेनापति ने कहा" ५०० मुगल बीबियाँ विधवा कर दी आपकी इस परीक्षा ने अब और मत कीजिये हजुर , इस काफ़िर को गोली मरवाईए हजुर...तलवार से ये नही मरेगा...कुटिलता और मक्कारी से भरे मुगलो ने उस वीर के सिर में गोलिया मार दी।सिर के परखचे उड़ चुके थे पर धड़ ने तलवार की मजबूती कम नही करीऔर मुगलो का कत्लेआम खतरनाक रूप से चलते रहा। बादशाह ने छोटे भाई को अपने पास निहत्थे बैठा रखा था ये सोच कर की ये बड़ा यदि बहादुर निकला तो इस छोटे को कोई जागीर दे कर अपनी सेना में भर्ती कर लूंगा लेकिन जब छोटे ने ये अंन्याय देखा तो उसने झपटकर बादशाह की तलवार निकाल ली। उसी समय बादशाह के अंगरक्षकों ने उनकी गर्दन काट दी फिर भी धड़ तलवार चलाता गया और अंगरक्षकों समेत मुगलो का काल बन गए।

बादशाह भाग कर कमरे में छुप गया और बाहर मैदान में बड़े भाई और अंदर परकोटे में छोटे भाई का पराक्रम देखते ही बनता था। हजारो की संख्या में मुगल हताहत हो चुके थे और आगे का कुछ पता नही था। बादशाह ने चिल्ला कर कहा अरे कोई रोको इनको..।

राजा के दरबार का एक मौलवी आगे आया और बोला इन पर शराब छिड़क दो। राजपूत का इष्ट कमजोर करना हो तो शराब का उपयोग करो। दोनों भाइयो पर शराब छिड़की गयी ऐसा करते ही दोनों के शरीर ठन्डे पड़ गए ।

मौलवी ने बादशाह को कहा " हजुर ये लड़ने वाला इनका शरीर नही बल्कि इनकी कुल देवी है और ये राजपूत शराब से दूर रहते है और अपने धर्म और इष्ट को मजबूत रखते है। यदि मुगलो को हिन्दुस्तान पर शासन करना है तो इनका इष्ट और धर्म भ्रष्ट करो और इनमे दारु शराब की लत लगाओ। यदि मुगलो में ये कमियां हटा दे तो मुगल भी मजबूत बन जाएंगे। उसके बाद से ही राजपूतो में मुगलो ने शराब का प्रचलन चलाया और धीरे धीरे राजपूत शराब में डूबते गए और अपनी इष्ट देवी को आराधक से खुद को भ्रष्ट करते गए। और मुगलो ने मुसलमानो को कसम खिलवाई की शराब पीने के बाद नमाज नही पढ़ी जा सकती। इसलिए इससे दूर रहिये।

हिन्दू भाइयों ये सच्ची घटना है और हमे हिन्दू समाज को इस कुरीति से दूर करना होगा। तब ही हम पुनः खोया हुआ वैभव पा सकेंगे और हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकेंगे।तथ्य एवं श्रुति पर आधारित। नमन ऐसी वीर परंपरा को नमन..
आग्रह शराब से दूर रहे सभी..!
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    जय श्री राम,🚩
 जय मां भवानी🚩

Sab kuch

माँ पर शायरी

  "माँ के कदमों में बसी जन्नत की पहचान, उसकी दुआओं से ही रोशन है हर इंसान। जिंदगी की हर ठोकर से बचा लेती है, माँ की ममता, ये दुन...