🚩:ओम् श्री गौरीशंकरसुतायश्रीमन् महागणाधिपतये नमो नम:🚩
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🚩:श्रीगणपति स्तुति से मनोकामना पूर्ति:🚩
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💥: शास्त्रों में एक ऐसी सरल गणेश स्तुति बतायी गयी है जिसको करने से मनोकामना पूर्ण होती है तथा लक्ष्मी का सुगम आगमन होता है।
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💥: किसी शुक्ल पक्षीय प्रथम बुधवार या चतुर्थी तिथि को प्रातःकाल स्नानोपरांत किसी गणेश मंदिर में या घर में ही गणपति चित्र के समक्ष हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम करें। तदोपरांत गणपति महाराज को पुष्प,दूब,लड्डू,धूप तथा दीप अर्पित करें और पूर्ण श्रध्दाभाव से इस गणेश मंत्र स्तुति का 21 बार पाठ करें............
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💥:गणाधिप नमस्तुभ्यं सर्वविघ्नप्रशन्तिद्।
उमानन्दप्रज्ञ प्राज्ञ त्राहिमाम् भवसागरात्।।
हरानन्दकर ध्यानज्ञानविज्ञानद प्रभो।
विघ्नराज नमस्तुभ्यं सर्वदैत्यैकसूदन।।
सर्वप्रीतिप्रद श्रीद सर्वयज्ञैकरक्षक।
सर्वाभीष्टप्रद प्रीत्या नमामि त्वां गणाधिपः।।
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💥:भावार्थ - भगवान गणेश को नमस्कार है।सभी विघ्नों के शांति- कर्ता, बुद्धिमान और जीवन रूपी भवसागर से तारने वाले, मां पार्वती को सुख देने वाले श्री गणेश मेरा कल्याण करें। जिनको देख शिव भी आनंदित होते हैं,दानवों के नाशक,अपने भक्तों को ज्ञान-विज्ञान, कृपा और लक्ष्मी कृपा प्रदान करने वाले, कामनासिद्धि करने वाले विघ्न- हर्ता को मेरा हृदय से नमस्कार है।
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🚩:विघ्न-विपत्ति व संकट दूर करने का उपाय:🚩
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💥:प्रातःकाल स्नानोपरांत गणपति जी के मंदिर में या घर पर ही भगवान गणेशजी के चित्र के समक्ष गणपति महाराज को अक्षत, पीले पुष्प,पीला वस्त्र,दूर्वा,सिंदूर,धूप,दीप आदि अर्पित कर मोदक का भोग अर्पित करें तदोपरांत निम्नोक्त गणेश मंत्र का 21 बार पाठ करें -----------
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💥:गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्नराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।
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💥:भावार्थ - इस स्तुति में भगवान गणेश के बारह नामों का स्मरण है। ये बारह नाम हैं - गणपूज्य,वक्रतुण्ड,एकदंष्ट्र,त्रियम्बक (त्र्यम्बक), नीलग्रीव, लम्बोदर, विकट, विघ्रराज,धूम्रवर्ण,भालचन्द्र,विनायक और हस्तिमुख।
भगवान गणेश जी के इन बारह नामों का उच्चारण करके भी गणपति आराधना की जा सकती है।
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🚩:मनोकामना पूर्ति सहित सर्वकल्याण का उपाय:🚩
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💥: शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से नित्य संध्या काल के समय इस मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ प्रारंभ करने से पूर्व श्रीगणेश जी को सिंदूर, अक्षत, दूर्वा,धूप,दीप अर्पित कर लड्डुओं का भोग लगायें।
सिध्द गणपति मंत्र..........."ओम् गं गणपतये गं नमः।।"
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🚩: गणपति आराधना के आवश्यक नियम:🚩
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💥: गणपति आराधना का प्रारंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार या चतुर्थी तिथि से करना चाहिये।
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💥: गणपति आराधना के अंत में गणेश जी की आरती कर उनसे क्षमाप्रार्थना करनी चाहिये तथा इसके उपरांत अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना कर आशीर्वाद लेना चाहिये।
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💥: गणपति आराधना बिना शिव जी तथा पार्वती जी की आराधना किये पूर्ण नहीं होती है।
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💥: गणपति महाराज की (शिव परिवार सहित) पूर्ण श्रध्दाभाव से की गयी आराधना जीवन में अपार सुख-समृद्धि लाती है तथा समस्त कष्टों से मुक्ति दिलाती है।
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💥: बुध ग्रह संबंधी कोई शुभत्व प्राप्त करना हो या किसी अशुभ प्रभाव की शांति करनी हो,तो गणपति आराधना ही सर्वश्रेष्ठ माध्यम सिध्द होती है।
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💥: बुध ग्रह यदि कारक हो तो पन्ना नामक रत्न पूर्ण प्राण-प्रतिष्ठा कराकर शुभ मुहूर्त भें धारण करना चाहिये।किसी सिध्द व्यक्ति से लेकर ही इसे धारण करना चाहिये।
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💥: यदि बुध अकारक हो तो उपरोक्त गणपति आराधना सहित बुध संबंधी दान करना श्रेयस्कर रहता है।
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