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क़ानून क्यों बनाए जाते हैं...?

 

साभार..लाॅ की क्लास में लेक्चरर ने एक छात्र को खड़ा करके उसका नाम पूछा और बिना किसी वजह के उसे क्लास से निकल जाने को कह दिया छात्र ने कारण जानने और अपने डिफेंस में कई दलीलें देने की कोशिश की,लेकिन प्रोफेसर ने एक भी न सुनी और अपने फैसले पर अटल रहा...स्टुडेंट तो मायूस होकर क्लास से बाहर निकल गया मगर वह अपने साथ होने वाले अन्याय को ज़ुल्म जैसा समझ रहा था हैरत बाकी सटुडेंट्स पर हो रही थी जो सर झुकाए खामोश बैठे थे...!

लेक्चरर ने अपना लेक्चर शुरू करते हुए छात्रों से पूछा..."क़ानून क्यों बनाए जाते हैं...?"

एक छात्र ने खड़े हो कर कहाः"लोगों के व्यवहार पर कंट्रोल रखने के लिये"

दूसरे छात्र ने कहा "समाज पर लागू करने के लिये"

तीसरे ने कहा "ताकि कोई भी ताक़तवर कमज़ोर पर ज़ुल्म न कर सके"

लक्चरर ने कई छात्रों के जवाब सुनने के बाद कहा "ये सब जवाब ठीक तो हैं मगर काफी नहीं हैं"

फिर एक छात्र ने खड़े होकर कहा "ताकि समानता और न्याय स्थापित किया जा सके"

लेक्चरर ने कहा "बिल्कुल यही जवाब है जो मैं सुनना चाहता था समानता और न्याय बनाये रखा जा सके"

लेक्चरर ने फिर पूछा "लेकिन समानता और न्याय का क्या फायदा होता है...?"

एक छात्र ने जवाब दिया "ताकि लोगों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और कोई किसी पर ज़ुल्म न कर सके"

इस बार लेक्चरर ने कुछ देर रुकने के बाद कहा "अच्छा,बिना किसी संकोच या डर के मेरी एक बात का जवाब दो क्या मैंने तुम्हारे साथी छात्र को क्लासरूम से बाहर निकाल कर कोई ज़ुल्म या दुर्व्यवहार किया है...?"

सारे छात्रों ने एक साथ जवाब दिया "जी हां सर,आपने दुर्व्यवहार किया है"

इस बार लेक्चरर ने गुस्से से ऊंची आवाज़ में कहा "ठीक है ज़ुल्म हुआ है फिर तुम सब ख़ामोश क्यों बैठे रहे...क्या फायदा ऐसे क़ानून का जिनके कार्यान्वयन के लिये किसी के अंदर हिम्मत और जुर्रत ही न हो...जब तुम्हारे साथी के साथ दुर्व्यवहार या ज़ुल्म हो रहा था और तुम सब उस पर ख़ामोश बैठे थे,उसका बस एक ही मतलब था कि तुम सब अपनी इंसानियत खो बैठे थे और याद रखो जब इंसानियत गिरती है तो उसका कोई भी विकल्प नहीं होता"

इसके साथ ही लेक्चरर ने क्लास रूम से बाहर खड़े छात्र को अंदर बुलाया,सबके सामने माफी मांगी और सभी छात्रों से कहा "यही तुम लोगों का आज का सबक़ है जाओ और जाकर अपने समाज में ऐसी नाइंसाफियां और असमानता तलाश करो और उनके सुधार के लिये क़ानून लागू कराने के तरीक़े सोचो...!

ये तो हुई बात ला लेक्चर की लेकिन मेरा मत है आप बहुत बड़े एक्टर हैं...एक्टिंग में बड़े कीर्तिमान के खम्बे उखाड़े है...आप लीजेंड है...महानायक है...देशभक्ति में सराबोर किरदार निभाते हैं,एक अच्छे इंसान है,बहुत दान पुण्य करतें है...आप बहुत बड़े क्रिकेटर है,खिलाड़ी है...देश का नाम दुनिया जहान में रोशन किया है...वर्ल्ड कप ले आये...आपकी जीवनी पर बॉलीवुड फिलिम बनती है...आप देश की करोड़ो आबादी के दिलों की धड़कन हो...आप बहुत बड़े धर्मात्मा हो...आध्यात्म की गहराइयों को,ऊंचाइयों को उच्चतम बिंदु तक नाप लिया है...आप चारो वेदों,अठारह पुराणों के ज्ञाता हो...गीता मुंह पर रटी है...भगवा वस्त्रों सफेद दाढ़ी में आपका आभामंडल सूर्य की भांति चमकता है...आप बहुत बड़े लेखक हो...संजीदा कहानियां लिखते हो...प्रेमचंद के पजरे बैठते हो...अमेजॉन पर बेस्ट सेलर हो...स्मार्ट दिखते हो...आप बहुत बड़े अफसर हो...कर्मठ हो...ईमानदार हो...बेईमानी का एक पैसा नही खाया आज तक...आप और आपके ये सारे गुण मेरे लिये व्यर्थ है...अगर आप गलत के खिलाफ चुप्पी साधे रहते हो...अपने देश,धर्म,समाज,संस्कृति पर हमला करने वालों के खिलाफ आपकी आवाज नही उठती,कान पर जूँ नही रेंगती...आप मुंह फेरकर चुपचाप अपनी लीजेंडरी ढोते हुये अपनी दुनिया मे मगन हो...तो आप मेरे लिये महत्वहीन हो...आपका अस्तित्व समाज पर बोझ है...आप बोझा ढोने वाले खच्चर के अलावा कुछ नही हो...!!!

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