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भारत में अमेरिकी टॉप 50 कंपनियाँ

भारत में अमेरिकी टॉप 50 कंपनियाँ और उनकी मौजूदगी

भारत में अमेरिकी टॉप 50 कंपनियाँ और उनकी मौजूदगी

प्रकाशित: 10 अगस्त 2025 · श्रेणी: बिज़नेस, कंपनियाँ

अमेरिकी कंपनियाँ भारत में आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, फूड, फाइनेंस, हेल्थकेयर, रिटेल और कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इनमें से कई कंपनियाँ भारत को एक बड़ा बाज़ार और ग्लोबल ऑपरेशन्स के लिए रणनीतिक केंद्र मानती हैं। नीचे भारत में मौजूद 50 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों की सूची दी गई है:

क्रम कंपनी का नाम भारत में मुख्य कार्यक्षेत्र
1Abbott Laboratoriesहेल्थकेयर और मेडिकल डिवाइस
2Adobeसॉफ्टवेयर और डिजिटल सॉल्यूशंस
3Advanced Micro Devices (AMD)प्रोसेसर और चिपसेट
4Amazonई-कॉमर्स, क्लाउड सर्विस (AWS)
5Amgenबायोटेक और हेल्थकेयर
6American Expressबैंकिंग और पेमेंट सर्विसेज
7Appleस्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट
8AT&Tटेलीकॉम और बिज़नेस सर्विसेज
9Boeingएयरोस्पेस और डिफेंस
10Caterpillarहैवी मशीनरी
11Cisco Systemsनेटवर्किंग और आईटी
12Citigroup (Citi)बैंकिंग और फाइनेंस
13Colgate-PalmoliveFMCG और पर्सनल केयर
14Dell Technologiesकंप्यूटर और आईटी सॉल्यूशंस
15Deloitteकंसल्टिंग और ऑडिट सर्विसेज
16DuPont / Dowकेमिकल्स और मैटेरियल
17ExxonMobilऑयल और गैस
18FedExलॉजिस्टिक्स और कोरियर
19Ford Motor Companyवाहन निर्माण और सेल्स
20General Electric (GE)इंडस्ट्रियल, एनर्जी, हेल्थकेयर
21General Motors (GM)वाहन निर्माण
22Goldman Sachsफाइनेंशियल सर्विसेज
23Google / Alphabetसर्च, विज्ञापन, क्लाउड
24HP (Hewlett-Packard)कंप्यूटर और प्रिंटर
25Honeywellइंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग
26IBMआईटी और कंसल्टिंग
27Intelमाइक्रोप्रोसेसर और चिपसेट
28Johnson & Johnsonहेल्थकेयर और कंज्यूमर गुड्स
29JPMorgan Chaseबैंकिंग और फाइनेंस
30Kellogg'sफूड प्रोडक्ट्स
31Kimberly-Clarkहाइजीन प्रोडक्ट्स
32Mastercardपेमेंट नेटवर्क
33McDonald’sफूड और फ्रेंचाइज़
34Medtronicमेडिकल टेक्नोलॉजी
35Merck (MSD)फार्मास्यूटिकल्स
36Microsoftसॉफ्टवेयर और क्लाउड
37Mondelezफूड और स्नैक्स
38Morgan Stanleyइन्वेस्टमेंट बैंकिंग
39Nvidiaग्राफिक्स और एआई चिप्स
40PepsiCoपेय और स्नैक्स
41Pfizerफार्मास्यूटिकल्स
42Procter & Gamble (P&G)FMCG प्रोडक्ट्स
43Qualcommमोबाइल चिपसेट
44SalesforceCRM और क्लाउड
45Schlumbergerऑयलफील्ड सर्विसेज
46Starbucksकॉफी और बेवरेज
47Teslaइलेक्ट्रिक वाहन
48Texas Instrumentsसेमीकंडक्टर
49UPS (United Parcel Service)लॉजिस्टिक्स
50Walmartरिटेल (Flipkart के माध्यम से)

लेख अपडेट: 10 अगस्त 2025 · स्रोत: सार्वजनिक बिज़नेस रिपोर्ट्स और मार्केट एनालिसिस।


भारत में अमेरिकी कंपनियाँ कैसे कमाती हैं? टॉप कंपनियों की पूरी सूची

भारत में अमेरिकी कंपनियाँ: कैसे कमाती हैं और टॉप कंपनियों की सूची

भारत में अमेरिकी कंपनियाँ: कैसे कमाती हैं और टॉप कंपनियों की सूची

प्रकाशित: 10 अगस्त 2025 · श्रेणी: बिज़नेस, टॉप लिस्ट

अमेरिकी (American) कंपनियाँ भारत में कई तरीकों से कमाई करती हैं — उत्पाद बिक्री, क्लाउड सर्विसेज, ऑनलाइन विज्ञापन, फ्रैंचाइज़ और निवेश। नीचे प्रमुख तरीकों का संक्षिप्त विवरण और भारत में टॉप अमेरिकी कंपनियों की अनुमानित वार्षिक कमाई दी गई है।

अमेरिकी कंपनियाँ भारत में कैसे कमाती हैं

  • उत्पाद और सेवाएं बेचकर — जैसे Apple, Microsoft, Amazon के प्रोडक्ट/सर्विसेज।
  • BPO/आउटसोर्सिंग — कस्टमर-सपोर्ट, टेक सपोर्ट, और आईटी सेवाएँ।
  • विज्ञापन — Google, Meta प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन से रेवेन्यू।
  • फ्रैंचाइज़/रॉयल्टी — फास्ट फूड चेन और ब्रांड फ्रैंचाइज़ मॉडल।
  • निवेश और पार्टनरशिप — स्टार्टअप्स और भारतीय कंपनियों में निवेश।
ध्यान दें: नीचे दी गई कमाई अनुमानित है और वर्ष-दर-वर्ष बदल सकती है। यह आंकड़ा सिर्फ सामान्य समझ के लिए है।

भारत में टॉप अमेरिकी कंपनियाँ — अनुमानित वार्षिक कमाई

कंपनी का नाम भारत में काम करने का तरीका अनुमानित वार्षिक कमाई (भारत से)
Amazon India ई-कॉमर्स, Amazon Prime, AWS क्लाउड ≈ ₹55,000 करोड़+
Google (Alphabet) Search, YouTube, Ads, Google Cloud ≈ ₹18,000 करोड़+
Microsoft India Windows/Office, Azure, IT सर्विसेज ≈ ₹12,000 करोड़+
Apple India iPhone/Hardware बिक्री, Apple Store ≈ ₹50,000 करोड़+
Meta (Facebook, Instagram) ऑनलाइन विज्ञापन ≈ ₹16,000 करोड़+
IBM India IT सर्विस, क्लाउड, कॉन्सल्टिंग ≈ ₹12,000 करोड़+
Coca‑Cola India ड्रिंक्स & वितरण ≈ ₹12,500 करोड़+
PepsiCo India बीवरेजेस और स्नैक्स ≈ ₹8,000 करोड़+
McDonald’s India फूड & फ्रैंचाइज़ ≈ ₹4,000 करोड़+
Yum! Brands (KFC, Pizza Hut) फास्ट-फ़ूड फ्रैंचाइज़ ≈ ₹2,500 करोड़+

कैसे अमेरिका को पैसा भेजा जाता है?

भारतीय सहायक कंपनियाँ/फ्रैंचाइज़ अपने रेवेन्यू से टैक्‍स और खर्च कटाने के बाद शेष लाभ (प्रॉफिट) को डिविडेंड, रॉयल्टी, लाइसेंस फीस या सर्विस चार्ज के रूप में मातृ कंपनी को भेजती हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय टैक्स नियम और ट्रांज़ैक्शन पॉलिसीज़ लागू होते हैं।

अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने का असर – आर्थिक और व्यापारिक विश्लेषण

क्या अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ाए — भारत पर असर और आगे की राह

क्या अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ाए — भारत पर असर और आगे की राह

सार — अगस्त 2025 में अमेरिका ने भारत की कई निर्यात वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लागू किए (कुल मिलाकर कुछ शृंखलाओं में 50% तक रिपोर्टेड)। इस फैसले का तात्कालिक असर कुछ प्रमुख निर्यात-सेक्टरों, रोजगार और भारतीय इकनॉमी के सेंटिमेंट पर दिखने लगा है — और सरकार व उद्योग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। नीचे विस्तृत रिपोर्ट, सेक्टर-वाइज प्रभाव और सुझाव दिए गए हैं। :contentReference[oaicite:0]{index=0}

1. क्या हुआ? (संक्षेप)

अमेरिकी प्रशासन ने कुछ भारतीय आयातों पर अतिरिक्त शुल्‍क बढ़ा दिए — मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुल टैरिफ वृद्धि में कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त 25% लगाए जाने के बाद कुल प्रभावी दर 50% तक पहुँच गई। ये कदम द्विपक्षीय तनाव और ऊर्जा/भूराजनीतिक कारणों से जुड़े नीतिगत फैसलों के हिस्से बताए जा रहे हैं। :contentReference[oaicite:1]{index=1}

2. किस सेक्टर पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा?

  • टेक्सटाइल और गारमेंट्स: अमेरिका भारतीय वस्त्र निर्यात का बड़ा बाजार है — 50% टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी, ऑर्डर कटने और प्रतिस्पर्धा खोने का जोखिम बढ़ता है। :contentReference[oaicite:2]{index=2}
  • ज्वैलरी और रत्न-रुचिरा उद्योग: गुजरात जैसे केंद्रों में तात्कालिक बिक्री में गिरावट और काम की मांग पर प्रभाव रिपोर्ट हुआ है। :contentReference[oaicite:3]{index=3}
  • ऑटो-पार्ट्स व मैन्युफैक्चरिंग: अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता घटने से ऑर्डर और सप्लाई-चेन पर दबाव आ सकता है। :contentReference[oaicite:4]{index=4}
  • समुद्री भोजन व अन्य कमोडिटीज: टैरिफ-सेंसिटिव श्रेणियाँ प्रभावित होंगी, जिससे छोटे निर्यातकों को दिक्कत हो सकती है। :contentReference[oaicite:5]{index=5}

3. आर्थिक स्तर पर तात्कालिक प्रभाव

विश्लेषकों का अनुमान है कि यूएस भारत के कुल माल निर्यात का ~20% (लगभग $80–90 billion के आसपास 2024-25 के वर्ष के संदर्भ में) है; उच्च टैरिफ का मतलब कुछ अरबों डॉलर के निर्यात-जोखिम और कुछ प्रतिशत-बिंदु तक GDP-at-risk का अनुमान है। छोटे-मध्यम निर्यातक प्रभावित होंगे, और कुछ क्षेत्रों में रोजगार में कमी का खतरा दिखता है। :contentReference[oaicite:6]{index=6}

4. मुद्रा, शेयर-बाजार और इन्वेस्टमेंट पर असर

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि टैरिफ चौंका देने वाले कदमों के बाद मार्केट सेंटिमेंट नकारात्मक हुआ — इक्विटी में दबाव, FPI-फ्लो में अस्थिरता और रुपया दबाव का सामना कर सकता है; कुछ स्रोतों ने देखा कि MSCI-India संबंधी प्रदर्शन गिरा। सरकार और RBI को अल्पकालीन समायोजन की आवश्यकता पड़ सकती है। :contentReference[oaicite:7]{index=7}

5. सामाजिक-नौकरी (employment) असर

टेक्सटाइल, ज्वैलरी और मैन्युफैक्चरिंग जैसी श्रमिक-गहन इंडस्ट्रीज़ में तात्कालिक ऑर्डर कटने से छोटे कारखानों और कारीगरों का वेतन और रोजगार प्रभावित हो सकता है — कुछ स्थानों पर तेज़ी से मंदी और नौकरी-कमी की चेतावनी सामने आई है। :contentReference[oaicite:8]{index=8}

6. भारत-सरकार और बिजनेस की प्रतिक्रिया

सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर आपत्ति जताई और विकल्प खोजने (अन्य बाजारों में विस्थापन, FTA-बातचीत तेज करना, निर्यात-सब्सिडी/सहायता) पर ज़ोर दिया है; कुछ रक्षा/खरीद योजनाओं पर भी असर आया (यानी योजनाओं का फिर से मूल्यांकन)। उद्योग मंडल (CII आदि) राहत पैकेज और नीतिगत मदद की माँग कर रहे हैं। :contentReference[oaicite:9]{index=9}

7. क्या यह दीर्घ-कालिक (long-term) नुकसान होगा?

दीर्घ-कालिक प्रभाव इस पर निर्भर करेगा कि यह टैरिफ अस्थायी हैं या स्थायी नीतिगत बदलाव का हिस्सा — अगर लंबे समय तक बने रहते हैं तो:

  • निर्यातक दूसरी मार्केट (EU, UK, MENA, ASEAN, लैटिन अमेरिका) की ओर रुख करेंगे — पर इसमें समय और लागत लगेगी।
  • कंपनियाँ कीमतों/मार्जिन को एडजस्ट करेंगी या उत्पादन-बेस बदल सकती हैं (सप्लाई-चेन री-लोकेशन)।
  • सरकार FTAs/रिलैक्सेशन/सब्सिडी के जरिए प्रतिस्पर्धा बचाने की कोशिश करेगी।

कुल मिलाकर, अल्पावधि में झटका बड़ा हो सकता है; पर सही नीतिगत और कारोबारी उपायों से दीर्घकालिक नुकसान कम किया जा सकता है। :contentReference[oaicite:10]{index=10}

8. छोटे निर्यातक / MSME के लिए सलाह (व्यावहारिक कदम)

  1. बाज़ार विविधीकरण: तत्काल दूसरे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश की योजना बनाएं (EU, UK, UAE, अफ्रीका, ASEAN)।
  2. प्राइसिंग रणनीति: लागत घटाकर और वैल्यू-एडेड सर्विसेज देकर प्रतिस्पर्धा कायम रखें।
  3. स्थानीय मार्केट फोकस: घरेलू बिक्री और ई-कॉमर्स (Amazon India, Flipkart, Meesho) बढ़ाएँ।
  4. सरकारी योजनाएँ: एक्सपोर्ट-इनसेंटिव, क्रेडिट-लाइन्स, और टैरिफ-राहत के लिए स्थानीय इंडस्ट्री-बोर्ड से संपर्क करें।
  5. सप्लाई-चेन री-ऑप्टिमाइज़ेशन: इनपुट-सोर्सिंग विविध बनाएं ताकि लागत कम हो सके।

9. निष्कर्ष (संक्षेप में)

अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने का तात्कालिक असर भारतीय निर्यात, कुछ सेक्टरों के रोजगार और बाज़ार-सेंटिमेंट पर नकारात्मक रहा है। पर यह प्रभाव सेक्टर और समय-सीमाओं के हिसाब से भिन्न होगा — छोटे निर्यातक तेज प्रतिक्रिया देकर और सरकार-नियेय समर्थन के साथ नुकसान घटा सकते हैं। स्थिति पर लगातार निगरानी और दीर्घकालिक रणनीति (बाज़ार-विविधीकरण, एफटीए-बातचीत) जरूरी हैं। :contentReference[oaicite:11]{index=11}


स्रोत — प्रमुख खबरें और एनालिसिस:

  • Reuters: "Trump imposes extra 25% tariff on Indian goods, ties hit new low" (Aug 6, 2025). :contentReference[oaicite:12]{index=12}
  • Economic Times: Sector-wise impact analysis of Trump’s 50% tariff on India. :contentReference[oaicite:13]{index=13}
  • Indian Express: Estimates of export exposure and GDP-at-risk. :contentReference[oaicite:14]{index=14}
  • Times of India: Reports on gold/jewellery sector hit in Gujarat. :contentReference[oaicite:15]{index=15}
  • Al Jazeera: Geopolitical context and India’s response to Western tariffs/sanctions. :contentReference[oaicite:16]{index=16}

(यह लेख ताज़ा समाचार-रिपोर्ट्स और एनालिस्ट टिप्पणियों पर आधारित है — यदि आप चाहें तो मैं इसे आपके ब्लॉग की भाषा/टोन के अनुसार और संक्षेप/विस्तार में एडजस्ट कर दूँगा, या एक FAQ/इन्फोग्राफिक भी बना दूँ।)


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