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बवासीर का देशी ईलाज

 बवासीर का देशी ईलाज हजारों लोग आज इस देशी नुस्खाहैं हैं से पूर्ण रूप से ठीक हो चुके है।



बस मसाले दार और गर्म भोजन ( अंडा, चिकन मटन ) से दूरी बना कर रखना है,ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।

1). जिमी कंद ले आवे और छोटे छोटे टुकड़े में काट कर छाव में सुखा लें। अगर बारीक कटते हैं तो जल्दी सुख जायेगा। सूखने के बाद चूर्ण बनाले, आधा चम्मच खाना खाने के बाद सुबह शाम गर्म पानी के साथ लेवे, 15 दिन तक यह नुस्खा अपनावे।

2). नारियल का उपर का बाल (बुच) निकल कर लोहे की कड़ाई काला होते तक भूने बार बार चम्मच चलाते रहे पूर्ण राख बनने पर बाहर निकल लेवे 10-10 ग्राम की पुड़िया बना लें, 7 दिन यह प्रयोग करें,1 गिलास छाछ में 1 पुड़िया मिला कर खाना खाने से आधा घंटा पहले सुबह लेवे। 

3). पक्का केले के टुकड़ा ले और उसमे कपूर गोद कर निगल जाएं। यह प्रयोग एक ही बार करे।

यह तीनों प्रयोग अगर करते है तो बहुत जल्द आप को फायदा होगा।

अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें लोग इसका लाभ उठा सके।

पथरी का आयुर्वेद ईलाज

 आपके किड़न  में 5 mm - 7 mm छोटा - बड़ा कैसा भी कितना भी  पथरी हो दस से बीस दिनों में पूरा खत्म हो जाएगा । डॉक्टर बोल दिया हो आपका आपरेशन करना पड़ेगा। यह नुस्खा जरूर अपनाएं । और अपने परिचितों को जरूर शेयर करें। 20 -30 हजार आपरेशन में खर्च हो जायेगा ।जो 500 के देशी ईलाज से ठीक हो जायेगा। आपरेशन आपके शरीर चिर फाड़ अलग से होगा ।


1)  खरबूजा के बीज 100 ग्राम 

2) काली बड़ी इलाची बीज 100 ग्राम 

3) मिश्री 100 ग्राम 

इन तीनो को मिला के कूट कर चूर्ण बना लें । सुबह शाम खाली पेट ताजा पत्थर चट्टी 10 ग्राम की पत्तो के पेस्ट बना कर एक छोटा चम्मच चूर्ण मिला कर 1/2 गिलास पानी में ले।

विशेष ध्यान :- पत्थर चट्टी हर बार ताजा ही ले , और ज्यादा से ज्यादा पानी पिए। कोर्स 20 दिन जरूर ले। चूर्ण  कोर्स से पहले खत्म हो जाए तो जरूरत अनुसार बराबर मात्रा में और बना लें।





 #महानवार्णमंत्र!! 

इस मंत्र का नित्य 3 बार उच्चारण ही भगवती को प्रसन्न करने के लिए प्रर्याप्त है। यह मंत्र भगवती की कृपा प्राप्त करने शत्रुनाश और सभी कार्य में सफलता के लिए रुद्राक्ष या हकीक माला से 1 माला नित्य करें। 


महानवार्ण मंत्र :- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महादुर्गे नवाक्षरी नवदुर्गे नवात्मिके नवचण्डी महामाये महामोहे महायोगनिद्रे जये मधुकैटभ विद्राविणी महिषासुर मर्दिनी धूम्रलोचन संहन्त्रि चण्डमुण्ड विनाशिनी रक्तबीजान्तके निशुम्भध्वंसिनी शुम्भदर्पघ्नि देवि अष्टादश बाहुके कपाल- खट्वांग शूल खड्ग खेटक धारिणी छिन्न मस्तक धारिणी रूधिर मांस भोजिनी समस्त भूत प्रेतादि योग ध्वंसिनी ब्रह्मेन्द्रादि स्तुते देवि मां रक्ष रक्ष मम शत्रून् नाशय नाशय ह्रीं फट् ह्रूं फट् ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।। ~~~~~`````~~~~`````~~~~``~~~~~


Sab kuch

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