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कुंडलिनी चक्र

चक्र क्या है :-

शुक्ष्म शरीर(Astral body) और स्थूल शरीर जिन कन्द्रों पर मिलते हैं उनको चक्र कहा जाता है वैसे तो चक्र का मतलब होता है पहिया या गोलाकार | क्योंकि इसका सीधा संबंध शरीर में एक आयाम से दूसरे आयाम की ओर गति से है | इसलिए इसे चक्र कहते हैं | पर विज्ञानं की ओर से देखा जाए तो यह एक  त्रिकोण है। मनुष्य के शरीर में कुल मिलाकर 114 चक्र हैं।  आप इन्हें नाड़ियों के संगम या मिलने का स्थान कह सकते हैं। यह संगम हमेशा त्रिकोण की शक्ल में होते हैं। चक्र, कुंडलिनी तंत्र की मध्यनाडी अर्थात सुषुम्ना नाडी पर स्थित ऊर्जाकेंद्र है । सुषुम्ना नाडी पर मुख्यतः सात कुंडलिनी चक्र होते हैं । ये चक्र शरीर के विभिन्न अंगों तथा मन एवं बुद्धि के कार्य को सूक्ष्म-ऊर्जा प्रदान करते हैं ।

शरीर के सात मुख्य चक्र :-

7- सहस्रार-चक्र – Sahasrara Chakra In Hindi
6- आज्ञा-चक्र – Ajna Chakra In Hindi
5- विशुद्ध-चक्र – Vishuddha chakra In Hindi
4- अनाहत-चक्र – Anahata Chakra In Hindi
3- मणिपुर-चक्र – Manipura Chakra In Hindi
2- स्वाधिष्ठान-चक्र – Swadhisthana Chakra In hindi
1- मूलाधार-चक्र – Mooladhara Chakra In Hindi

कुंडलिनी तन्त्र के विभिन्न चक्रों के स्थान :-

7- सहस्रार-चक्र :- सहस्रार-चक्र हमारी खोपड़ी के ऊपरी भाग में होता है | अथार्त जहाँ ललाट, पार्श्विका, लौकिक ये तीनो अस्थियाँ एक दुसरे को छेदती हैं |
6- आज्ञा-चक्र :- आज्ञा-चक्र हमारी दोनों भौहों के मध्य में स्थित होता है |
5- विशुद्ध-चक्र :- विशुद्ध-चक्र हमारे गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे स्थित होता है जिसे english में Adam’s apple कहते हैं |
4- अनाहत-चक्र :- अनाहत-चक्र छाती के मध्य भाग पर स्थित होता है |
3- मणिपुर-चक्र :- यह चक्र नाभि पर स्थित होता है |
2- स्वाधिष्ठान-चक्र :- यह चक्र मूलाधार चक्र पर लगभग 3 c.m ऊपर स्थित होता है अथार्त जहाँ जननेन्द्रियों के केश शुरू होते हैं उसके नीचे 1 इंच पर यह स्थित होता है |
1- मूलाधार-चक्र :- यह चक्र मेरुदंड की अंतिम हड्डी या गुदाद्वार के मुख्य के पास स्थित होता है 

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