मणिपुर-चक्र क्या है :-
मणिपुर-चक्र का दूसरा नाम नाभि चक्र है | मणिपुर चक्र का रंग पीला होता है। और यह चक्र तीसरे स्थान पर आता है | यह दो शब्दों से मिलकर बना है मणि + पुर = मणिपुर | जहाँ पर मणि का अर्थ होता है गहना या मोती और पुर का अर्थ होता है स्थान | आत्म विश्वास और आत्म आश्वासन, खुशी, विचारों की स्पष्टता, ज्ञान तथा बुध्दि और योग्य निर्णय लेने की क्षमता यह रत्न व मोती इस चक्र में निहित है । जब हमारी चेतना मणिपुर चक्र में पहुंच जाती है तब हम स्वाधिष्ठान के निषेधात्मक पक्षों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। मणिपुर चक्र में अनेक बहुमूल्य मणियां हैं जैसे स्पष्टता, आत्मविश्वास, आनन्द, आत्म भरोसा, ज्ञान, बुद्धि और सही निर्णय लेने की योग्यता जैसे गुण। नाभि के मूल में स्थित रक्त वर्ण का यह चक्र शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो दस दल कमल पंखुड़ियों से युक्त है। यह चक्र चेतना का केंद्रबिंदू माना जाता है जो शरीर के अंदर की ऊर्जा का संतुलन करता है।
मुख्यतः, तीसरा शरीर संदेह और सोच के आसपास घूमता है यदि ये परिवर्तित हो जाते हैं, तो और विवेक जागरूकता हो जाती है। यदि संदेह को दमित कर दिया जाता है, तो आप कभी भी श्रद्धा, विश्वास प्राप्त नहीं करते हैं, यद्यपि हमें संदेह को दबाने की सलाह दी जाती है जो हम सुनते हैं।
हमें संदेह की गुणवत्ता को समझना होगा, हमें इसे जीना होगा और इसके साथ जाना होगा। फिर, एक दिन, हम एक बिंदु तक पहुंचेंगे जहां हम संदेह के बारे में संदेह करना शुरू कर देंगे। जिस क्षण हम अपने आप में संदेह करना शुरू करते हैं, भरोसा शुरू होता है।
शक हमेशा विचारों में मौजूद है। यह हमेशा दुविधा में पड़ा हुआ है इसलिए, जो लोग सोचते हैं कि कोई बड़ा सौदा निर्णय पर नहीं आया है यह केवल तब होता है जब वे विचारों के चक्र से बाहर निकलते हैं जो वे निर्णय ले सकते हैं। निर्णय स्पष्टता से आता है जो विचारों से परे है।
तीसरा निकाय से संबंधित चक्र मणिपुर है संदेह और विश्वास इसके दो रूप हैं।
मणिपुर चक्र का मंत्र :-
चक्र का मन्त्र होता है – रं | मणिपुर चक्र को जाग्रत करने के लिए आपको लं मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाना होता है |
मणिपुर चक्र का स्थान :-
यह चक्र नाभि पर स्थित होता है |
मणिपुर चक्र जागृत करने की विधि :-
यह कमल के साथ दस पंखुडियों के प्रतिकात्मक रूप प्रदशित होता है | अथार्त यहाँ पर दस नाड़ियों का मिलन होता है | मणिपुर चक्र जहाँ हैं वहां पर ध्यान लगाएं | पेट से सांस लेते रहें |
मणिपुर चक्र जागरण के प्रभाव :-
जब व्यक्ति की चेतना मणिपुर चक्र में पहुंच जाती है तब व्यक्ति स्वाधिष्ठान के निषेधात्मक पक्षों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। मणिपुर चक्र के साथ व्यक्ति मजबूत तथा आत्मविश्वासपूर्ण होता है और यहां तक कि अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर आता है । और इसके जागृत होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है।
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