*चिंतन।।।।।।।मंथन।।।।।।।।।।।*
मान लीजिए आप चाय का कप हाथ मे लिए खड़े हैं और कोई आपको धक्का दे देता है, तो क्या होता है ? आपके कप से चाय छलक जाती है। अगर आप से पूछा जाए कि आप के कप से चाय क्यों छलकी? तो आप का उत्तर होगा "क्योंकि अमुक (फलां) ने मुझे धक्का दिया"
*गलत उत्तर*
सही उत्तर ये है कि आपके कप में चाय थी इस लिए छलकी। आप के कप से वही छलकेगा जो उसमें है।
*इसी तरह जब ज़िंदगी में हमें धक्के लगते हैं, लोगों के व्यवहार से, तो उस समय हमारी वास्तविकता ही छलकती है। आप का सच उस समय तक सामने नहीं आता, जब तक आपको धक्का न लगे, तो देखना ये है कि जब आप को धक्का लगा तो क्या छलका ?*
*धैर्य, मौन, कृतज्ञता, स्वाभिमान, निश्चिंतता, मानवता, गरिमा।।।।।।।*
या
*क्रोध, कड़वाहट, पागलपन, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा इत्यादि।।।।।।*
*निर्णय हमारे अपने ही वश में है। चुन लीजिए।*
*शुभ दिन*
*🙏🙏🙏🙏*
मान लीजिए आप चाय का कप हाथ मे लिए खड़े हैं और कोई आपको धक्का दे देता है, तो क्या होता है ? आपके कप से चाय छलक जाती है। अगर आप से पूछा जाए कि आप के कप से चाय क्यों छलकी? तो आप का उत्तर होगा "क्योंकि अमुक (फलां) ने मुझे धक्का दिया"
*गलत उत्तर*
सही उत्तर ये है कि आपके कप में चाय थी इस लिए छलकी। आप के कप से वही छलकेगा जो उसमें है।
*इसी तरह जब ज़िंदगी में हमें धक्के लगते हैं, लोगों के व्यवहार से, तो उस समय हमारी वास्तविकता ही छलकती है। आप का सच उस समय तक सामने नहीं आता, जब तक आपको धक्का न लगे, तो देखना ये है कि जब आप को धक्का लगा तो क्या छलका ?*
*धैर्य, मौन, कृतज्ञता, स्वाभिमान, निश्चिंतता, मानवता, गरिमा।।।।।।।*
या
*क्रोध, कड़वाहट, पागलपन, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा इत्यादि।।।।।।*
*निर्णय हमारे अपने ही वश में है। चुन लीजिए।*
*शुभ दिन*
*🙏🙏🙏🙏*
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