स्वयं में बहोत सी कमियों के बावजूद
यदि मैं स्वयं से प्रेम कर सकता हूँ,
तो फिर दूसरों में थोड़ी बहोत कमियों की वजह से
उनसे धृणा कैसे कर सकता हूँ !!
यदि मैं स्वयं से प्रेम कर सकता हूँ,
तो फिर दूसरों में थोड़ी बहोत कमियों की वजह से
उनसे धृणा कैसे कर सकता हूँ !!
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