आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञान से भरी है ! वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है ! इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है !
जैसे देखें...!
क ख ग घ ड़ - पाँच के इस समूह को "कण्ठव्य" “कंठवय” कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है ! उच्चारण का प्रयास करें !
च छ ज झ ञ - इन पाँचों को "तालव्य" “तालु” कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी ! उच्चारण का प्रयास करें !
ट ठ ड ढ ण - इन पाँचों को "मूर्धन्य" “मूर्धन्य” कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ मुर्धन्य ( ऊपर उठी हुई ) महसूस करेगी ! उच्चारण का प्रयास करें !
त थ द ध न - पाँच के इस समूह को “दन्तवय” कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है ! उच्चारण का प्रयास करें !
प फ ब भ म - पाँच के इस समूह को कहा जाता है “ओष्ठव्य” क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं ! उच्चारण का प्रयास करें !
क्या दुनियाँ की किसी भी अन्य भाषा में ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है ? नहीं ! तो हमें अपनी भारतीय भाषा के लिए गर्व की आवश्यकता है !
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