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गुरु मंत्र से लाभ

  


विषेश :- कोई भी मंत्र जप करने से पहले गुरु आज्ञा से लेना जरूरी है।और बिना गुरु दिक्षा लिए गुरु मंत्रउच्चारण नहीं करनी चाहिए।

સमस्त देवता मंत्र के अधीन होते है और

यदि गुरु मंत्र का जप हो, तो किसी अन्य मंत्र को जपने की आवश्यकता ही शेष

नहीं रह जाती, हमारे यहां जितने भी शास्त्र, वेद. पुराण लिखे

गये, वे सब "गुरु" इन दो अक्षरों पर ही आधारित है जो

देवताओं से भी उच्च एवं पूजनीय है, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का तेज

जिनके भीतर समाहित है

गुरु मंत्र अपने आपमें छोटा होते हुए भी अत्यधिक

क्षमताओं से ओत-प्रोत होता है, क्योंकि इसके एक-एक

शब्द का अर्थ अपने आपमें मूल्यवान है, पूरे शरीर को सूर्य

के समान बना देने की क्षमता उसमें समाहित है. जो अचूक है,तीक्ष्ण एवं प्रभावकारी है. पर शरीर को चैतन्यता प्रदान करने में सक्षम है... यह किसी को यूँही नहीं प्राप्त हो जाता है, इसके पीछे एक गहन चितँन, धारण छिपी होती है, पूर्ण चेतना युक्त इस गुरु मंत्र में शिव ही की पूर्णता निहित है। जो कार्य किसी

अन्य देवी-देवता के लम्बे-चौडे श्लोक य स्तुति गान से नहीं हो पाता,उसे गुरु मंत्र तत्कालकर दिखाता है मानव की आवश्यकताओं के अनुसार ही यंत्रों की रचना प्राचीन काल में की गई, परन्तु क्लिष्ट होने के कारण, सस्वर व रचित उच्चारण न कर पाने के कारण इनका विपरीत प्रभाव ही अधिक देखने को मिला और

मानव की समस्याएं, परेशानियां, बाधाएं रह गई वहीं की वहीं। आशा को निराशा में बदलते हुए देखा, तभी हमारे

ऋषि इस विषय पर गम्भीरता से विचार का इस निष्कर्ष पर पहुंचे, कि गुरु मंत्र ही सबसे श्रेष्ठ और तीब्र प्रभावकारी है, जिसका सस्वर उच्चारण भी आसानी से किया जा सकता है,

जो अन्य मंत्रों की अपेक्षा महत्वपूर्ण भी है।

यदि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ जप किया

जाये,तो समस्याओं से पार पाने के लिए अन्य कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती, क्योंकि गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश में भी अधिक तेजस्वी कहा गया है, वे ही ज्ञान व सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं, भोग और मोक्ष दोनों को प्रदान करने वाले हैं.समस्त देवी-देवता तो उन्हीं के इंगित पर

नृत्य करते रहते हैं। प्रत्येक गृहस्थ साधक के लिए गुरु मंत्र

आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है, जो उनके कष्टों को

हमेशा के लिए दूर करने वाला अचूक मंत्र है। जो जिस

कामना से जिस भाव से इसे जपता है, उसे उसके अनुसार ही

फल सिद्धि प्राप्त होती है। यदि इसे पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से जपा जाय, तो सफलता निश्चय ही प्राप्त होती है। इसके माध्यम से विभिन्न पुरुषार्थो की सिद्धि होती ही है, जो इस

प्रकार है

स्वयं_के_अभ्युदय_के_लिए


जीवन में यदि आप चाहते हैं कि सफलता आपके

कदम चूमे और यदि उन्नति के उच्च शिकार पर पहुंचना है, तो गुरु मंत्र से उत्तम और कोई प्रदर्शक नहीं, जो तुम्हें उच्चता प्रदान कर सके, श्रेष्ठता प्रदान कर सके, तुम्हारे जीवन का अभ्युदय कर सके। साधक "अभ्युदय माला"से निम्न मंत्र का सवा लाख जप करें-


मंत्र

ॐवं परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः




विपत्तियों के नाश के लि ए


मानव जीवन है, तो दुःख भी होंगे, कठिनाइयां भी

होगी और विपत्तियां भी आयेंगी ही, पर वदि अन्य कहीं

भटकने की अपेक्षा गुरु मंत्र जप पूर्ण निष्ठा के साथ कर लिया जाय, तो समस्त विपत्तियों का नाश स्वतः ही होने लगता है। निम्न मंत्र का "आपदहन्ता माला" से सवा लाख जप करें

मंत्र

ॐ खं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः


रोग नाश के लिए


गुरु मंत्र से कैसा भी रोग हो, जड़-मूल से समाप्त

किया जा सकता है। इससे श्रेष्ठ अन्य कोई उपचार नहीं है, जो कि मनुष्य को रोग मुक्त कर पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान कर सके। निम्न मंत्र का "रुद्र माला" से सवा लाख जप करें मंत्र

 ॐरं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः


सौभाग्य प्राप्ति के लिए


यदि बार-बार प्रयल करने पर भी भाग्य साथ न दे,

तो उस व्यक्ति से दुर्भाग्यशाली दूसरा कोई नहीं होता कि

यदि व्यक्ति,"सौभाग्य माला" से निम्न मंत्र का सवा लाख

जप कर ले तो उससे ज्यादा सौभाग्यशाली भी अन्य कोई नहीं होता, क्योंकि यह दुर्भाग्य की लकीरों को मिटाकर सौभाग्य के अक्षर अंकित कर देने वाला अत्यन्त तेजस्वी मन्त्र है।

मंत्र

ॐ क्लीं परम् तत्वाव नारायणाय गुरुभ्यो नमः


सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए


इस मंत्र के माध्यम से अपनी इच्छानुकूल पत्नी को प्राप्त

 किया ज सकता है, जो सुलक्षणा हो, सौन्दर्यती हो, साक्षात् लक्ष्मी हो, प्रीया हो, परन्तु सम्पूर्ण जीवन ही तनाव ग्रस्त हो जाता है. निम्न मंत्र का "स्निग्धा माला" से सवा लाख जप करें-

मंत्र

ॐ सुं हुं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः


दारिद्रय, दुःखादि के नाश के लिए


इस मंत्र के माध्यम से जीवन में व्याप्त दुःख,

दैत्यता, दरिद्रता जैसे शत्रुओं का नाश कर जीवन में सुख,

समृद्धि, सम्पन्नता प्राप्त करते हुए जीवन को उल्लासित व प्रफुल्लित बनाया जा सकता है। “ऐश्वर्यबर्द्धिनी माला" से निम्न मंत्र का सवा लाखा जप करें

मंत्र

ॐ क्रीं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः


समस्त साधनाओं में सफलत प्राप्ति के लिए 


इससे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ उपाय अब नहीं है, जो

कि बड़ी-बड़ी उच्चकोटि की साधनाओं में सफलता प्रदान

करने में सक्षम हो, क्योंकि गुरु ही मात्र ऐसे व्यक्ति है, जो शुभ और लाभ के प्रदाता है और समस्त न्यूनताओं को समाप्त करने वाले हैं। कैसी भी साधना हो या जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, सफला निश्चित प्राप्त होती ही है। निम्न मंत्र का 'साफल्य माला" से सवा लाख जप करें -

मंत्र


ॐहीं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः


इन वीजाक्षरों से यूक्त गुरु मंत्र के सवा लाख

जप से  निश्चित हो उपरोक्त लाभ साधक को प्राप्त होने

है। यह एक संन्यासी के द्वारा बताये गये तेजस्वी

प्रयोग हैं, जो अचूक है. पूर्ण लक्ष्य भेदन में समर्थ हैं।

मंत्र जप पूरा होने पर माला नदी, तालाब का मंदिर में।

विसर्जित कर दें।

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