जब कोई औरत बच्चे की पैदाइश के वक्त दर्द से चीख रही होती है, तड़प रही होती है तो मेरा दिल चाहता है कि मै उस
वक्त उसके पति को ला कर इधर खडा करू ताकि उसे पता चले की उसकी बीवी उसके वंश को बढ़ाने की खातिर कैसे
तड़प रही है ताकि उसे बाद मे ये ना कह सके कि " तुमने क्या किया है मेरे लिए..?? तुमने औलाद पैदा कर के कोई अनोखा
काम नही किया! कभी उसे घर से निकाल देने और तलाक़ की धमकी ना दे, एक पल मे ना कह दे उसके माँ बाप को के ले जाओ अपनी बेटी को!
काश,
काश के एक पल मे औरत को एक कौडी का कर देने वाले मर्द भी उस दर्द का अंदाजा कर सके जो बीस हड्डियो के एक साथ टूटने के बराबर होती है!
औरत.....
औरत क्या है? हॉट है, चोट है, या सड़क पर गिरा नोट है?
अकेली दिखती है तो,.ललचाती है,.बहलाती है,
बड़े-बड़े योगियों को भरमाती है
अपनी कोख से जनती है, पीर पैगम्बर फिर भी पाप का द्वार कहलाती है
चुप रहना ही स्वीकार्य है, बस बोले तो मार दी जाती है।
प्रेम और विश्वास है गुण उसका उन से ही ठग ली जाती है।
जिस को पाला निज वत्सल से जिस छाती से जीवन सींचा
उस छाती के कारण ही वो उन की नजरों में आती है।
मेरा तन मेरा है, कह दे तो मर्यादा का उल्लंघन है।
और ये औरत ही विवाह समय बस दान में दे दी जाती है।
साहस भी है, अहसास भी है ईश्वर की रचना खास भी है
अपमानित हो कर क्यों फिर वो गाली में उतारी जाती है।
No comments:
Post a Comment