National Youth Day 2022: यूं ही नहीं युवाओं के प्रेरणास्रोत बने स्वामी विवेकानंद, राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वामी विवेकानंद जी के 10 अनमोल विचार
National Youth Day 2022: स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) अपने ओजपूर्ण और बेबाक भाषणों के कारण काफी लोकप्रिय हुए, खासकर युवाओं के बीच. यही कारण है कि उनके जन्मदिन को पूरा राष्ट्र 'युवा दिवस' के रूप में मनाता है. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ का संदेश देने वाले युवाओं के प्रेरणास्रोत, समाज सुधारक युवा युग-पुरुष ‘स्वामी विवेकानंद’ (Swami Vivekananda) का आज जन्मदिन है. 12 जनवरी 1863 को उनका जन्म कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) में हुआ था. हर साल इसी दिन (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day 2022) के रूप में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद अपने ओजपूर्ण और बेबाक भाषणों के कारण काफी लोकप्रिय हुए, खासकर युवाओं के बीच. यही कारण है कि उनके जन्मदिन को पूरा राष्ट्र ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाता है. स्वामी विवेकानंद का नाम इतिहास में एक ऐसे विद्वान के रूप में दर्ज है, जिन्होंने मानवता की सेवा को अपना सर्वोपरि धर्म माना.
उन्होंने मानवता की सेवा एवं परोपकार के लिए 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. इस मिशन का नाम विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा. स्वामी विवेकानंद का रोम रोम राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत था. स्वामी जी मानवता की सेवा एवं परोपकार को ही भगवान की सच्ची पूजा मानते थे. स्वामी विवेकानंद को यु्वाओं से बड़ी उम्मीदें थीं. उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहारों में शुद्धता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत रहने का संदेश दिया. आज भी वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने हुए हैं. आज भी स्वामी विवेकानंद को उनके विचारों और आदर्शों के कारण जाना जाता है. ऐसे में आइए हम आपको उनके जन्मदिन के अवसर पर बताते हैं उनके 10 अनमोल विचार…
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए.
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है.
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.
जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं.
विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दूसरों के लिए जीते हैं, वे वास्तव में जीते हैं.
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग चाहे वह अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है.
हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.
उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, न ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हों.
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