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संन्यासी सियाराम बाबा

 नर्मदा के अनमोल मोती...




12 वर्ष मौन के बाद बोले सियाराम तो उन्हें मिला यही नाम ..पाखंड से कोशो दूर, एक विरक्त सन्यासी  भारत मे उन्ही मे से एक है सियाराम बाबा है 100 वर्ष से अधिक ये मध्यप्रदेश में खरगौन के पास ही ग्राम भट्टयान में रहते है भट्याण बुजुर्ग में विशेषकर गुरु पूर्णिमा एवं सामान्य दिनों में भी  संत सियाराम बाबा का पूजन करने बड़ी संख्या में बाबा के भक्त आते हैं ।

श्री सियाराम बाबा ने 12 साल का मौन व्रत धारण किया था। कोई नहीं जानता था बाबा कहां से आए हैं। बाबा ने मौन व्रत तोड़ा और पहला शब्द सियाराम बोले तब से गांव वाले उनको सियाराम बाबा कहते हैं।


10 साल की खड़ेश्वरी सिद्धि  : भक्त बतातेे हैं मौसम कोई भी हो बाबा केवल एक लंगोट पहनते हैं। उन्होंने 10 साल तक खड़ेश्वरी सिद्धी की है। इसमें तपस्वी सोने, जागने सहित हर काम खड़े रहकर ही करते हैं। खड़ेश्वरी साधना के दौरान नर्मदा में बाढ़ आई। पानी बाबा की नाभि तक पहुंच गया, लेकिन वे अपनी जगह से नहीं हटे। कई विदेशी भक्त भी पहुंचते हैं:बाबा के दर्शन के लिए, भक्तों के मुताबिक अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया से कुछ विदेशी लोग पहुंचे। उन्होंने बाबा को 500 रुपए भेंट में दिए। संत ने 10 रुपए प्रसादी के रखकर बाकी लौटा दिए। वे भी आश्चर्यचकित थे।


गांव के ही मुकुंद केवट, राजेश छलोत्रा, पूनमचंद बिरले, हरीश बिरले के अनुसार बुजुर्ग बताते है बाबा 50-60 साल पहले यहां आए थे। कुटिया बनाई ओर रहने लगे। हनुमानजी की मूर्ति स्थापित कर सुबह-शाम राम नाम का जप व रामचरितमानस पाठ करते थे।  बाबा का जन्म मुंबई में हुआ। वहीं कक्षा 7-8 तक पढ़ाई हुई। कम उम्र में एक गुजराती साहूकार के यहां मुनीम का काम शुरू किया। उसी दौरान कोई साधु के दर्शन हुए। मन में वैराग्य व श्रीराम भक्ति जागी। घर-संसार त्यागा और तप करने हिमालय चले गए। कितने साल कहां तप किया, उनक गुरु कौन थे कोई नहीं जानता। बाबा ने यह किसी को नहीं बताया। आज भी पूछने पर एक ही बात कहते हैं मेरा क्या है, मैं तो सिर्फ मजा देखता हूं’। ग्राम के रामेश्वर बिरले व संतोष पटेल ने बताया बाबा रोज नर्मदा स्नान करते हैं। नर्मदा परिक्रमा करने वालों की सेवा खुद करते हैं।


सदाव्रत में दाल, चावल, तेल, नमक, मिर्च, कपूर, अगरबत्ती व बत्ती भी देते हैं। जो भी भक्त आश्रम आता है बाबा अपने हाथों से चाय बनाकर पिलाते हैं। कई बार नर्मदा की बाढ़ की वजह से गांव के घर डूब जाते हैं। ग्रामीण ऊंची सुरक्षित जगह चले जाते है। लेकिन बाबा अपना आश्रम व मंदिर छोड़कर कहीं नहीं जाते। बाढ़ के दौरान मंदिर में बैठकर रामचरितमानस पाठ करते हैं। बाढ़ उतरने पर ग्रामीण उन्हें देखने आते हैं तो कहते हैं मां नर्मदा आई थी। दर्शन व आशीर्वाद देकर चली गई। मां से क्या डरना, वो तो मैय्या है।


वर्तमान में जहाँ बाबा का निवास है वह क्षेत्र डूब में जाने वाला है सरकार ने इन्हें मुआवजे के 2 करोड़ 51 लाख दिए थे.... तो इन्होंने सारा पैसा खरगौन के समीप ही ग्राम नांगलवाड़ी में नाग देवता के मंदिर में दान कर दिया ताकि वहा भव्य मंदिर बने और सुविधा मिले। आप लाखो रुपये दान में दो... पर नही लेते 

केवल 10 रुपये लेते है ...और रजिस्टर में देने वाले का नाम साथ ही नर्मदा परिक्रमा वालो का खाना और रहने की व्यवस्था ...कई सालों से अनवरत करते आ रहे है..!

सियाराम बाबा जैसे सन्त आज भी लाखों में है भारत मे यही असली सनातन की रीढ़ है!


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