**भाई दूज: भाई-बहन के रिश्ते का पर्व**
भाई दूज, जिसे भाई दूज या भाऊ बीज भी कहा जाता है, दीपावली महापर्व का अंतिम दिन है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मनाने और उस पर गर्व करने का एक अद्भुत अवसर है। भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर दीपावली के दो दिन बाद आता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख, और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार और सुरक्षा का वचन देते हैं।
### पौराणिक कथा
भाई दूज की पौराणिक कथा भगवान यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने के लिए उनके घर आए थे। यमुनाजी ने अपने भाई का स्वागत किया, उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसा और उनकी लंबी उम्र की कामना की। यमराज ने अपनी बहन के प्रेम और समर्पण को देखकर उसे यह आश्वासन दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का स्वागत करेगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी।
इसी प्रकार, भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक बन गया। यह दिन भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने का अवसर है।
### पूजा विधि
भाई दूज के दिन, बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और अपने भाइयों के लिए विशेष तैयारियां करती हैं। वे घर को सजाने के साथ-साथ थाली में मिठाइयाँ, चावल, और कुमकुम रखती हैं।
इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं और उन्हें मिठाइयाँ खिलाती हैं। तिलक करने का उद्देश्य भाई की सुरक्षा और भलाई की कामना करना होता है। इसके बाद, बहनें अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं कि वे हमेशा खुश रहें और उनकी उम्र लंबी हो।
### भाई का वचन
भाई दूज पर भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति प्रेम और सम्मान प्रकट करते हैं। भाई अपनी बहनों से वादा करते हैं कि वे उनकी हमेशा रक्षा करेंगे और कठिनाइयों में उनके साथ खड़े रहेंगे। यह भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है।
### खानपान और विशेष व्यंजन
भाई दूज के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए उनके पसंदीदा व्यंजन बनाती हैं। मीठे पकवान, जैसे लड्डू, बर्फी, और चुरमा खासतौर पर बनाये जाते हैं। इसके साथ ही, इस दिन चावल, दाल, सब्जियाँ और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन भी परोसे जाते हैं।
भाई दूज का एक विशेष आकर्षण यह है कि परिवार के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और एक साथ भोजन करते हैं, जिससे परिवार के बीच का प्रेम और बंधन और मजबूत होता है।
### सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
भाई दूज का त्योहार न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि परिवार के सदस्यों के प्रति प्रेम और समर्पण को बनाए रखना चाहिए।
भाई दूज का त्यौहार पूरे भारत में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। चाहे वह भाई दूज, भाई बीज या भाऊ दूज हो, यह भाई-बहन के रिश्ते का जश्न मनाने का अवसर है।
### निष्कर्ष
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते की एक सुंदर अभिव्यक्ति है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने रिश्तों को संजोकर रखना चाहिए और अपने प्रियजनों के प्रति सच्चा प्रेम और सम्मान व्यक्त करना चाहिए। भाई दूज का पर्व हमें सिखाता है कि रिश्ते केवल खून के रिश्ते नहीं होते, बल्कि यह प्रेम, विश्वास, और समर्थन पर आधारित होते हैं। इस दिन की खुशी और उल्लास पूरे परिवार को एक साथ लाती है, और यही इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है।
No comments:
Post a Comment