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समोहन विज्ञान


सम्मोहन

सम्मोहन अर्थात हिप्नोसिस एक कला है जिससे मनुष्य उस अर्धचेतनावस्था में लाया जा सकता है। इस अवस्था को समाधि या स्वप्नावस्था के समान ही कहा जा सकता है। लेकिन सम्मोहित अवस्था में मनुष्य की कुछ या सभी इंद्रियां उसके वश में ही रहती हैं। वह बोल, चल और लिख सकता है। यानी जागृतअवस्था में उसके लिए जो कुछ संभव है, वह सब कुछ कर सकता है। यह दरअसल अदृश्य उर्जा तरंगों पर काम करता है। और कई रोगों को भी ठीक कर सकता है। हालांकि इसकी सत्यता के लिए प्रमाणों की कमी है।

चेतन और अवचेतन मन

हमारे मन की सामान्यतः दो स्थितियां होती हैं, पहली चेतन मन और दूसरी अवचेतन मन। हमारा अवचेतन मन चेतन मन की अपेक्षा अधिक याद रखता है। साथ ही वह सुझावों को ग्रहण करता है। अवचेतन मन न तो विचार करता है और न ही निर्णय लेता है। उक्त मन का संबंध हमारे सूक्ष्म शरीर से होता है। यह मन हमें आने वाले खतरे का संकेत या उन खतरों से बचने के तरीके बताता है।

गहरी नींद में सुधार

सम्मोहन गहरी नींद में सुधार करने में मदद कर सकता है। ज्यूरिक विश्वविद्यालय की प्रमुख शोधकर्ता मरेन कोर्डी ने एक बयान में कहा था कि हिप्नोसिस नींद न आने की समस्या वाले रोगियों के लिए अच्छा इलाज है। 

हॉट फ्लेश को ठीक करे

एक 2013 अध्ययन में पाया गया कि पोस्टमेनोपौसल वाली महिलाओं, जिन्हें एक सप्ताह में लगभग 50 हॉट फ्लेश हुए थे, को पांच हफ्ते के साप्ताहिक सम्मोहन सत्रों के बाद 74 फीसदी लाभ हुआ। 

इर्रिटेबले बोवेल सिंड्रोम के लक्षणों को कम करे

हिप्नोथेरेपी से इर्रिटेबले बोवेल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) के लक्षण कम हो सकते हैं। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार 2003 और 2012 में हुए शोधों में देखआ गया कि सम्मोहन सत्र के बाद इर्रिटेबले बोवेल सिंड्रोम के 85 प्रतिशत रोगियों को लाभ हुआ

वजन कम करने में

सम्मोहन लोगों को अपने खाने के व्यवहार को बदलने में मदद कर व जन कम करने में सहायक हो सकता है। वंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के साइंटिफिक लिटरेचर के रिव्यू से पता चलता है कि सम्मोहन से व्यक्ति के व्यवहार पर सकारात्मक असर डालकर उसे वजन प्रबंधन के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यानी सम्मोहन के सत्र वजन घटाने में काफी मददगार साबित होते हैं। 

धूम्रपान छोड़ने में

अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन की 2011 की वार्षिक बैठक में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर, एमडी जोस माल्डोनाडो ने बताया कि धूम्रपान छुड़वाने में सम्मोहन की सफलता की दर 64 प्रतिशत तक हो सकती है। 

अवसाद के इलाज में

अवसाद यानी डिप्रेशन के इलाज में भी सम्मोहन काफी मदद कर सकता है। संज्ञानात्मक हिप्नोथेरेपी में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी को सम्मोहन के साथ मिलाकर किया जाता है। यह पद्धति अवसाद व तनाव से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने में काफी मदद करती है।

दर्द को करे कम

सम्मोहन दर्द के प्रबंधन में भी कारगर होता है। 2000 तथा 2009 में प्रकाशित दो मेटा-एनालिसिस ऑफ़ एक्सिस्टिंग पैन एंड हिप्नोसिस रिसर्चों के अनुसार सम्मोहन गठिया, फिब्रोम्यल्गि और कैंसर सहित कई प्रकार के दर्द को कम करने में प्रभावी होता है। लेकिन इसे कम ही मनोवैज्ञानिकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।  
आज देश विदेश मे पुराने साहित्य/रहस्यमयी विधाओें पर विज्ञान ने नये-नये परिक्षण कर नये-नये उपकरण विकसित कर चुंबक चिकित्सा एक्यूप्रेशर, एक्यूपंचर, रैकी तथा सम्मोहन चिकित्सा पर नये-नये आयाम खोजकर इन कठिन गोपनीय विधियों को जनमानस के लिए सुलभ बना दिया है तथा आज भारत के बड़े शहरों पर इन विषयों पर अच्छी पुस्तकें सर्वसुलभ है।
हमारा मानव मस्तिष्क एक सुपर कम्प्यूटर:- हमारे चेतन मन के पीछे एक अचेतन मस्तिष्क रहता है तथा सम्मोहन चिकित्सा इसी अचेतन मस्तिष्क पर कार्य कर मनुष्य की समस्या सदैव के लिए दूर कर देती है। मानव मन का अचेतन मस्तिष्क शरीर के हजारों कार्य करता है जिसकी हम कल्पना नही कर सकते। उदाहरण- खाना पचाना, सांस लेना, पाचन क्रिया, हृदय क्रिया, हारमोन्स बनने की जटिल क्रिया, खून का दबाव, संचरण, आँखो का झपकना जैसी शरीर की सभी जैविक क्रियाओं में इसी अचेतन मस्तिष्क का मुख्य रोल रहता है। तथा
सम्मोहन विज्ञान पर भी मेडिकल लेखकों द्वारा सम्मोहन (हिप्नोटिज्म) पर बहुत सी पुस्तकें उपलब्ध है पर पाठकों को इन किताबों को पढ़ने के उपरांत भी सफलता नही मिलती है क्यांेकि अधिकांश पुस्तकों में मंत्र-तंत्र से भी सम्मोहन को जोड़ दिया जाता है जबकि सम्मोहन क्रिया पूर्णतः एक शुद्ध साफ मनोवैज्ञानिक क्रिया है तथा एक मनोवैज्ञानिक डाॅक्टरों से ही इसका सही रूप समझा जा सकता है, सीखा जा सकता है। सम्मोहन क्रिया से लोग इसलिए डरते हैं कि स्टेज के जादूगरों से सम्मोहन को जादू के खेल से जोड़कर सम्मोहन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है। बड़े शहरों में कभी-कभी सिर्फ सम्मोहन के खेल स्टेज पर किये जाते है। जो कि मनोविज्ञान पर आधारित होते है आज जो भी डाॅक्टर भारत मे सम्मोहन चिकित्सा कर रहें है उसमे मरीज के मनोविज्ञान व मानसिक स्थिति के अनुसार सम्मोहन क्रिया का उपयोग कर एक से बढ़कर एक चिकित्सा के चमत्कार देखे जा सकते है जो कि दवा द्वारा संभव ही नही है। आधुनिक सम्मोहन विधि – पुरानी विधि मे हिप्नोटिज्म द्वारा किसी चमकती क्रिस्टल बाल, जीरो बल्ब, मोमबत्ती इत्यादी पर लगाकर एक टक मरीज को ध्यान करने को रोज आधा घंटा लगभग सात से दस दिन कहा जाता था। उसी समय धीमी गहरी आवाज में मरीज को सम्मोहन निंद्रा मे पहुँचने का आदेश भी दिया जाता था। पर आज डाॅक्टरों के पास प्रति मरीज रोज तीस से चालीस मिनट सम्मोहन क्रिया करने हेतु समय नहीं है, न ही मरीज समय दे पाता है। पर एलोपैथी विज्ञान ने ऐसी इंजेक्शन उपलब्ध करा दिये है कि इन्ट्रावेनस इन्जेक्शन द्वारा दस से बारह मिनट में मरीज को सम्मोहन की अवस्था मे लाकर उसके भूतकाल के ग्रंथि, डर, घबराहट, किसी भी समय को जाना जा सकता है। रोगी के चेतन मन के द्वारा अचेतन मन जागृत होते ही स्वयं मरीज अपने मन की पुरानी से पुरानी समस्या खुद दिल खोलकर बताता है। जो मरीज भी खुद नही जानता है। समस्या के मालूम होते ही हिप्नोटिज्म डाॅक्टर अपने प्रभावशाली संदेश निर्देश के रूप में मरीज के अचेतन मन में जमा देता है। तथा इन निर्देशों को मरीज का अचेतन मन पूर्णतः मानने लगता है। निर्देश समाज विरोधी न हो या मरीज के संस्कार के विपरित न हो इस विधि की उन्नत अवस्था के कारण अब सम्मोहन क्रिया बहुत सरल हो गई है। तथा डाॅक्टरों व मरीज को हल्के या गहन सम्मोहन हेतु दो से तीन दिन सिर्फ एक घंटा समय देना पड़ता है तथा मरीज की वर्षो पुरानी समस्या कुछ दिनों ही में दूर हो जाती है, वो भी जड़ से। हमारा मानव मस्तिष्क एक सुपर कम्प्यूटर:- हमारे चेतन मन के पीछे एक अचेतन मस्तिष्क रहता है तथा सम्मोहन चिकित्सा इसी अचेतन मस्तिष्क पर कार्य कर मनुष्य की समस्या सदैव के लिए दूर कर देती है। मानव मन का अचेतन मस्तिष्क शरीर के हजारों कार्य करता है जिसकी हम कल्पना नही कर सकते। उदाहरण- खाना पचाना, सांस लेना, पाचन क्रिया, हृदय क्रिया, हारमोन्स बनने की जटिल क्रिया, खून का दबाव, संचरण, आँखो का झपकना जैसी शरीर की सभी जैविक क्रियाओं में इसी अचेतन मस्तिष्क का मुख्य रोल रहता है। तथा इस अचेतन में ये आटोमैटिक क्रियायें कभी कभी चेतन में गलत वहम् बार-बार होने से अचेतन भी अपना लेता है तथा आगे जीवन में परेशानी पैदा कर देता है। यदि हम छोटे बच्चे को जीवन के प्रारंभ के वर्षों में पूरी तरह से पिता द्वारा डाटा/पीटा जाता है तो वह बड़ी उम्र में डर घबराहट मानसिक डिप्रेशन से परेशान रहेगा या बचपन में पिता द्वारा मारपीट का बदला लेना अचेतन मन, जब व्यक्ति जवान हो जाता है तब अपने बच्चों को जाने अनजाने अपने पिता के समान पिटाई कर सकता है या फिर किसी बालक के मन किसी पुलिस वाले का डर बचपन में अचेतन मे बैठ गया तो वही बच्चा संवेदनशील है तो हो सकता है चालीस पचास वर्ष उम्र होने पर भी उसे पुलिस वालोें/थाने जाने पर उसके हाथ पैर सूज जायेंगे इसलिए हजारों तरह की समस्यायें मरीज को हल्के या गहरे सम्मोहन मे ले जाकर उसके अचेतन को निर्देश देकर ठीक की जा सकती है प्रतिदिन बालक के जन्म से लेकर जीवन भर चेतन अचेतन पर सामाजिक मानसिक दबाव पड़ते हैं। ढृढ़निश्चयी मनुष्य पर असर नही या कम होता है। जबकि संवेदनशील व्यक्ति मानसिक/शारीरिक पागल हो सकता है। सम्मोहन द्वारा और भी नये उपयोग:- सम्मोहन द्वारा एकाग्रता, आत्मविश्वास, प्रभावशाली, भाषण देना, याद्दाश्त बढ़ाना, यहाँ तक कि फोटोग्रफिक याद्दाश्त, ध्यान शक्ति बढ़ाना, तथा मन की सुस्त शक्तियों को जगाने में अति उपयोगी पाया गया है।

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