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कश्मीर

प्राकृतिक दृष्टि से कश्मीर को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :
  • जम्मू क्षेत्र की बाह्य पहाड़ियाँ तथा मध्यवर्ती पर्वतश्रेणियाँ,
  • कश्मीर घाटी,
  • सुदूर बृहत्‌ मध्य पर्वतश्रेणियाँ जिनमें लद्दाख, बल्तिस्तान एवं गिलगित के क्षेत्र सम्मिलित हैं।

कश्मीर धरती पर स्वर्ग

कश्मीर का अधिकांश भाग चिनाव, झेलम तथा सिंधु नदी की घाटियों में स्थित है। केवल मुज़ताघ तथा कराकोरम पर्वतों के उत्तर तथा उत्तर-पूर्व के निर्जन तथा अधिकांश अज्ञात क्षेत्रों का जल मध्यएशिया की ओर प्रवाहित होता है। लगभग तीन चौथाई क्षेत्र केवल सिंधु नदी की घाटी में स्थित है। जम्मू के पश्चिम का कुछ भाग रावी नदी की घाटी में पड़ता है। पंजाब के समतल मैदान का थोड़ा सा उत्तरी भाग जम्मू प्रांत में चला आया है। झेलम की घाटी में कश्मीर घाटी, निकटवर्ती पहाड़ियाँ एवं उनके मध्य स्थित सँकरी घाटियाँ तथा बारामूला-किशनगंगा की संकुचित घाटी का निकटवर्ती भाग सम्मिलित है। सिंधु नदी की घाटी में ज़ास्कर तथा रुपशू सहित लद्दाख क्षेत्र, बल्तिस्तान, अस्तोद एवं गिलगित क्षेत्र पड़ते हैं। कश्मीर घाटी में जल की बहुलता है। वुलर मीठे पानी की भारतवर्ष में विशालतम झील है। कश्मीर में सर्वाधिक मछलियाँ इसी झील से प्राप्त होती हैं। स्वच्छ जल से परिपूर्ण डल झील तैराकी तथा नौकाविहार के लिए अत्यंत रमणीक है। तैरते हुए छोटे-छोटे खत सब्जियाँ उगाने के व्यवसाय में बड़ा महत्व रखते हैं। कश्मीर अपनी सुंदरता के कारण नंदनवन कहलाता है। अखरोट, बादाम, नाशपाती, सेब, केसर, तथा मधु आदि का प्रचुर मात्रा में निर्यात होता है। कश्मीर केसर की कृषि के लिए प्रसिद्ध है।

जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थल

श्रीनगर

श्रीनगर का जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कश्मीर घाटी के मध्य में बसा श्रीनगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। श्रीनगर एक ओर जहाँ डल झील के लिए प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर विभिन्न मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। स्वच्छ झील और ऊँचे पर्वतों के बीच बसे श्रीनगर की अर्थव्यवस्था का आधार लम्बे समय से मुख्यतः पर्यटन है। शहर से होकर नदी के प्रवाह पर सात पुल बने हुए हैं। इससे लगे विभिन्न नहरों एवं जलमार्गों में शिकारे भरे पड़े हैं। श्रीनगर अपने मन्दिरों और मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध है। श्रीनगर से लगी एक पहाड़ी जिसको शंकराचार्य पहाड़ी कहते हैं, ऊपर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शिवलिंग है। पहाड़ी की 2 मील कठिन चढ़ाई है। पर्वत के नीचे शंकरमठ है, इसे दुर्गानाग मंदिर कहते हैं। श्रीनगर में महाश्री का मंदिर चौथे पुल के पास तथा हरिपर्वत पर एक मंदिर है। संपूर्ण कश्मीर दर्शनीय है। नगर में पत्थर मस्जिद, नेहरू उद्यान दर्शनीय हैं और मुग़ल उद्यान तो अपने सौंदर्य के लिए ही प्रसिद्ध है। इन सब स्थानों पर मोटर बसें जाती हैं। श्रीनगर से मोटर बस से पहलगाँव जाते समय मध्य में अनन्तनाग है। मार्तण्ड मंदिर पर्वत पर है।

डल झील

डल झील श्रीनगर, कश्मीर में एक प्रसिद्ध झील है। डल झील के मुख्य आकर्षण का केन्द्र है यहाँ के शिकारे या हाउसबोट। सैलानी इन हाउसबोटों में रहकर झील का आनंद उठा सकते हैं। नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचीनारी आदि द्वीपों तथा हज़रत बल की सैर भी इन शिकारों में की जा सकती है। इसके अतिरिक्त दुकानें भी शिकारों पर ही लगी होती हैं और शिकारे पर सवार होकर विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ भी खरीदी जा सकती हैं। तरह तरह की वनस्पति झील की सुंदरता को और निखार देती है। कमल के फूल, पानी में बहती कुमुदनी, झील की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है। सैलानियों के लिए विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन जैसे कायाकिंग (एक प्रकार का नौका विहार), केनोइंग (डोंगी), पानी पर सर्फिंग करना तथा ऐंगलिंग (मछली पकड़ना) यहाँ पर उपलब्ध कराए गए हैं।

गुलमर्ग   

प्रसिद्ध सौंदर्य, प्रमुख स्थान और निकटता श्रीनगर के गुलमर्ग का अर्थ है "फूलों की वादी"। जम्मू - कश्मीर के बारामूला जिले में लग - भग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग, की खोज 1927  में अंग्रेजों ने की थी। यह पहले “गौरीमर्ग” के नाम से जाना जाता था, जो भगवान शिव की पत्नी "गौरी" का नाम है। फिर कश्मीर के अंतिम राजा, राजा युसूफ शाह चक ने इस स्थान की खूबसूरती और शांत वारावरण में मग्न होकर इसका नाम गौरीमर्ग से गुलमर्ग रख दिया। वैसे तो सैलानी साल के किसी भी मौसम में गुलमर्ग घूमने जा सकते हैं। पर गुलमर्ग की खूबसूरती देखने का सबसे बढिया समय मार्च और अक्टूबर के बीच है। गुलमर्ग का सुहावना मौसम, शानदार परिदृश्य, फूलों से खिले बगीचे, देवदार के पेड, खूबसूरत झीले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गुलमर्ग अपनी हरियाली और सौम्य वातावरण के कारण आज एक पिकनिक और कैम्पिंग स्पॉट बन गया है। निंगली नल्लाह, वरिनग और फिरोजपुर नल्लाह यहाँ के कुछ प्रमुख नल्लाहे हैं। कहा जाता है कि वरिनग नल्लाहे के पानी में कुछ औषधीय गुण मौजूद है, जिसके कारण यहाँ कई सैलानी आते हैं। बायोस्पीयर रिज़र्व भी गुलमर्ग का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।

सोनमर्ग

सोनमर्ग या सोनामर्ग भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में ३,००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है। यह सिन्द नाले (सिन्धु नदी से भिन्न) नामक नदी की घाटी में है। सोनमर्ग से आगे ऊँचे पर्वत हैं और कई प्रसिद्ध हिमानियाँ (ग्लेशियर) स्थित हैं और यहाँ से पूर्व लद्दाख़ का रास्ता निकलता है। 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है,   गर्मियों के महीनों के दौरान एक प्रमुख स्थानीय आकर्षण है सोनमर्ग जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो समुद्र सतह से 2740 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बर्फ से आच्छादित पहाड़ों से घिरा हुआ सोनमर्ग शहर जोजी-ला दर्रे के पहले स्थित है। सोनमर्ग का शाब्दिक अर्थ है “सोने के मैदान”। इस स्थान का नाम इस तथ्य के आधार पर पड़ा कि वसंत ऋतु में यह सुंदर फूलों से ढँक जाता है जो सुनहरा दिखता है।  पहाड़ों की ऊँची चोटियों पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो वे भी सुनहरी दिखती हैं। सोनमर्ग उन यात्रियों के लिए उचित गंतव्य है जो साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग या पैदल लंबी यात्रा में रूचि रखते हैं। सभी महत्वपूर्ण ट्रेकिंग के रास्ते सोनमर्ग से ही प्रारंभ होते हैं जो इसे ट्रेकिंग के लिए लोकप्रिय स्थान बनाते हैं। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है जिसमें झीलें, दर्रे और पर्वत शामिल हैं। सोनमर्ग अमरनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए प्रारंभ बिंदु की तरह है। कब सैर करें? इस स्थान की सैर के लिए उत्तम समय मई से नवंबर के बीच और नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। मई से अक्टूबर के बीच का समय दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए उत्तम होता है। नवंबर से अप्रैल के बीच पर्यटक बर्फ़बारी का आनंद उठा सकते हैं।

 लद्दाख

एक देश में भयानक भौतिक सुविधाएँ, एक विशाल और शानदार वातावरण में सेट abounding एक पहाड़ी रेगिस्तान के लिए 25,000 लद्दाख 9.000 फुट से लेकर ऊंचाई पर स्थित है है। दुनिया की ताकतवर पर्वत श्रृंखला, उत्तर में काराकोरम और हिमालय, दक्षिण में से दो से घिरा यह दो अन्य समानांतर चेन द्वारा, लद्दाख श्रृंखला और जांस्कर श्रेणी तय की है। लेह लद्दाख का दौरा इन स्थानों के रूप में प्राकृतिक सुंदरता का एक बहुत एक महान अनुभव किया जा सकता। यह सुंदर पहाड़ी क्षेत्र है, हर साल स्थानीय के रूप में अच्छी तरह से विदेशी पर्यटकों की एक बड़ी संख्या द्वारा दौरा किया है। यह दोनों एक लोकप्रिय गर्मियों के साथ ही एक शीतकालीन छुट्टी गंतव्य है। अपने अछूता सौंदर्य, बर्फ से ढंकी पर्वत चोटियों, हरियाली और एकांत जगहों भी हनीमून का एक बहुत आकर्षित। यह सब नहीं है। यह ट्रेकिंग जैसे, माउंटेन बाइकिंग, की पेशकश की है साहसिक गतिविधियों की सीमा के साथ राफ्टिंग, पर्वतारोहण और इतने पर, यह भी साहसिक उत्साही के बीच अच्छी तरह से जाना जाता है। तिब्बती हस्तशिल्प वस्तुओं, प्रार्थना पहियों सहित लद्दाख में बौद्ध मास्क और थंग्का चित्र खरीदा जा सकता है। तिब्बती चांदी के गहने और मरकत के साथ पारंपरिक लद्दाखी गहने भी पर्यटकों के साथ लोकप्रिय हैं। खुबानी कि बहुतायत से लद्दाख में विकसित एक अन्य लोकप्रिय उपहार है कि आप अपनी यात्रा के एक स्वादिष्ट स्मारिका के रूप में वापस करने के लिए लद्दाख ले जा सकते हैं कर रहे हैं। लेह से दिल्ली से एयर कनेक्ट किया गया है और यह दिल्ली से लेह तक पहुंचने के लिए लगभग 65 मिनट लेता है। जम्मू से सड़क मार्ग से श्रीनगर के लिए और फिर लेह, जो 430 किलोमीटर दूर से अधिक है करने के लिए सिर कर सकते हैं। यह के बारे में एक दो दिन की यात्रा श्रीनगर से कारगिल में एक रात पड़ाव के साथ है। श्रीनगर से लेह के लिए सड़क पर आप उच्च Zoji ला दर्रा पार, और पिछले Mulbek की यात्रा है, जहां मैत्रेय बुद्ध की एक विशाल छवि। Namika ला और Fotu ला गुजरता और स्पितुक गोम्पा श्रीनगर से लेह के लिए सड़क पर दर्शनीय आकर्षण हैं।

वैष्णो देवी

यह जम्मू और कश्मीर के राज्य में समुद्र स्तर से ऊपर 5,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित 61 किमी जम्मू उत्तर है। कहते हैं पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती हैं। उसके दरबार में जो कोई सच्चे दिल से जाता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। ऐसा ही सच्चा दरबार है- माता वैष्णो देवी का। माता का बुलावा आने पर भक्त किसी न किसी बहाने से उसके दरबार पहुँच जाता है। हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं। कटरा व जम्मू के नज़दीक कई दर्शनीय स्थल ‍व हिल स्टेशन हैं, जहाँ जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। जम्मू में अमर महल, बहू फोर्ट, मंसर लेक, रघुनाथ टेंपल आदि देखने लायक स्थान हैं। जम्मू से लगभग 112 किमी की दूरी पर 'पटनी टॉप' एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। सर्दियों में यहाँ आप स्नो फॉल का भी मजा ले सकते हैं। कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई, कुद, बटोट आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
  • वैसे तो माँ वैष्णो देवी के दर्शनार्थ वर्षभर श्रद्धालु जाते हैं परंतु यहाँ जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।
  • सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अत: इस मौसम में यात्रा करने से बचें।
  • ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढि़यों का उपयोग ‍न करें।
  • भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहाँ तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयाँ जरूर रखें।
  • चढ़ाई के वक्त जहाँ तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएँ ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो।
  • पैदल चढ़ाई करने में छड़ी आपके लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी।
  • ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे।
  • माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा

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