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HOW TO CHOOSE कोर्स & कॉलेज ?

बोर्ड एग्जाम्स के रिजल्ट का जिस बेसब्री से स्टूडेंट्स इंतजार कर रहे हैं, उनमें उतनी ही कुलबुलाहट या बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि रिजल्ट के बाद आगे क्या? हर स्ट्रीम के स्टूडेंट अपने तरीके से सोच रहे होंगे। इनमें कुछ का विजन क्लियर होगा और टारगेट फिक्स, जबकि कई इस उधेड़बुन में होंगे कि कौन-सा कोर्स सलेक्ट करूं, जिसमें पढ़ाई के बाद जॉब की गारंटी हो। दोस्त कुछ कह रहे होंगे तो पैरेंट्स कुछ और राय दे रहे होंगे। लेकिन पढ़ाई आपको करनी है, इसलिए फैसला भी आप ही करें। गेंद आपके पाले में है। खुद को तलाशें, परखें और मजबूती से बढ़ाएं कदम...
 दरअसल, आज संस्थान तो बहुत खुल गए हैं, लेकिन ज्यादातर कॉलेजों द्वारा न तो क्वालिटी फैकल्टी उपलब्ध कराई जाती है और न ही इंडस्ट्री के साथ इंटरैक्शन होता है। प्लेसमेंट की तो खैर पूछिए ही मत। लिहाजा, कोर्स कंप्लीट करने के बाद स्टूडेंट्स नौकरी के लिए भटकते रहते हैं।?आपके साथ ऐसा न हो, इसलिए समय रहते फैसला कर लें कि करियर की लिहाज से कौन-सा कोर्स और कॉलेज सलेक्ट करना बेहतर होगा...

कोर्स का सलेक्शन

आज तमाम छोटे-बड़े, गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस में विभिन्न तरह के कोर्सेज अवेलेबल हैं। लेकिन 12वीं के बाद कोई खास कोर्स चुनना एक स्टूडेंट के इंट्रेस्ट और ऑप्शन पर डिपेंड करता है। अगर आप आर्टिस्टिक या क्रिएटिव हैं, तो एडवर्टाइजिंग, डिजाइन, फैशन जैसे कोर्सेज चुन सकते हैं। वहीं, जो एनालिटिकली सोचते हैं, उनके लिए इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी के क्षेत्र हैं। यहां बहुत सारे स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी हैं, जिन्हें करने के बाद करियर में ऊंची उड़ान भर सकते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स जब भी किसी खास कोर्स या प्रोग्राम में एनरोल कराने जाएं, तो एक बात क्लियर रखें कि उस प्रोग्राम को सलेक्ट करने का उनका मकसद या पर्पज क्या है? फिर भी अगर कंफ्यूजन बना रहे, तो अपना प्रोफाइलिंग टेस्ट कराएं। इससे आपको अपनी स्ट्रेंथ का पता लग सकेगा और आप उसके मुताबिक कोर्स सलेक्ट कर सकेंगे। 
कोर्स का सलेक्शन करते समय इन खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है...
दिल्ली के अंबेडकर कॉलेज के प्रोफेसर प्रदीप सिंह के अनुसार, स्टूडेंट्स को हमेशा कॉलेज से पहले कोर्स को प्रिफरेंस देना चाहिए। अगर कोई स्टूडेंट बिना इंट्रेस्ट के सब्जेक्ट सलेक्ट कर लेता है, तो उसका परफॉर्मेंस प्रभावित होता है। जब अच्छे ग्रेड्स ही नहीं आएंगे, तो करियर के विकल्प भी सीमित हो जाएंगे। इसलिए अपने पसंदीदा सब्जेक्ट को देखते हुए ही कोर्स चुनें। दूसरों की नकल से बचें, क्योंकि हर स्टूडेंट का लक्ष्य, टैलेंट, वैल्यू और इंट्रेस्ट अलग होता है। जरूरी नहीं कि कंप्यूटर साइंस, इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट्स ही ऑप्ट किए जाएं। आट्र्स, फाइन आट्र्स, डिजाइनिंग, वेब डेवलपमेंट जैसे कोर्सेज भी बेहतर हैं।

सेल्फ असेसमेंट करें

स्टूडेंट्स को कोई भी कोर्स सलेक्ट करने से पहले यह असेस करना चाहिए कि वे किस काम को एंजॉय करते हैं। आप उन करियर ऑप्शंस की लिस्ट बनाएं, जिनमें खुद को प्रूव कर सकते हैं। अगर कोई प्रॉब्लम आ रही हो, तो किसी टीचर, काउंसलर की सलाह लें।

ऑप्शंस एक्सप्लोर करें

जानी-मानी करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा का कहना है कि अब वह दौर नहीं रहा, जब साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के पास सिर्फ मेडिकल या इंजीनियरिंग के ऑप्शन हों। अगर आप किसी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी की बजाय डायरेक्ट प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं, तो अपने पैशन को देखते हुए बायोटेक्नोलॉजी, बायोइंजीनियरिंग, फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन जैसे कोर्सेज कर सकते हैं। इसी तरह आट्र्स से ऌ12वीं करने वाले बिजनेस या होटल मैनेजमेंट कोर्स कर रिटेलिंग, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म इंडस्ट्री का हिस्सा बन सकते हैं। जो लोग क्रिएटिव हैं, वे फैशन डिजाइनिंग, मर्चेंडाइजिंग, स्टाइलिंग का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए आप फील्ड के एक्सपट्र्स या प्रोफेशनल्स से बात करें। उनसे जॉब, एम्प्लॉयमेंट आउटलुक, प्रमोशन अपॉच्र्युनिटीज की जानकारी लें।

कॉलेज का सलेक्शन

स्टूडेंट्स जब भी किसी कॉलेज या इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने की सोचें, उन्हें पहले यह पता कर लेना चाहिए कि उस संस्थान को समुचित रेगुलेटरी अथॉरिटी से मान्यता हासिल है या नहीं। जैसे टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स को ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन से मान्यता लेनी होती है। इसी तरह यूजीसी, एमसीआई आदि भी रेगुलेटरी बॉडीज हैं। अगर प्राइवेट कॉलेज में दाखिला लेने जा रहे हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें :?
  • 1. क्वालिटी ऑफ फैकल्टी
  • 2. फैकल्टी रिसर्च 
  • 3. प्रोफेसर, लेक्चरर और असिस्टेंट प्रोफेसर का रेशियो
  • 4. करिकुलम डाइवर्सिटी ऐंड अपडेशन
  • 5. प्लेसमेंट
कॉलेज में पढ़ाई की क्वालिटी का अंदाजा वहां की फैकल्टी से लगाया जा सकता है। अगर कंप्यूटर साइंस कोर्स करना चाहते हैं, तो यह देखना जरूरी है कि उक्त संस्थान में कितनी क्वालिफाइड फैकल्टी यानी एमसीए या एमटेक होल्डर्स हैं? यह जानकारी वेबसाइट की बजाय कॉलेज जाकर या वहां के स्टूडेंट्स से बात कर हासिल की जा सकती है। जैसे- क्या फैकल्टी वहां रेगुलर एम्प्लॉई हैं या गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर देखें

स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को अपनी ओर खींचने के लिए कॉलेजेज के ब्रोशर काफी अट्रैक्टिव बनाए जाते हैं। उनमें लाइब्रेरी, लैब, स्पोट्र्स फैसिलिटीज, क्लासरूम के बारे में बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन कई बार दाखिले के बाद वहां की सच्चाई पता चलती है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इसलिए एडमिशन से पहले इन सबके बारे में पूरी जांच-पड़ताल कर लें। कभी सिर्फ ब्रांड पर न जाएं।

इंडस्ट्री कनेक्ट

इन दिनों अक्सर यह शिकायत सुनने को मिलती है कि कॉलेज की पढ़ाई से इंटरव्यू में सक्सेस नहीं मिलती। इंडस्ट्री की जो डिमांड है, उस पर स्टूडेंट्स खरे नहीं उतरते। इसलिए किसी भी कॉलेज को चुनने से पहले यह मालूम करें कि उनका इंडस्ट्री के साथ टाई-अप है या नहीं? आज अधिकांश इंस्टीट्यूट्स या कॉलेजेज में इंस्टीट्यूशन-इंडस्ट्री में कनेक्शन को लेकर कोई मैकेनिज्म नहीं है, जबकि मार्केट और इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए कॉरपोरेट मेंटरशिप जैसे प्रोग्राम्स होने चाहिए। वैसे, कंपनीज इंटर्नशिप प्रोग्राम्स के जरिए स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देती हैं। लेकिन यह काम कॉलेज से शुरू हो जाना चाहिए, जैसे आइआइएम, आइआइटी या दूसरे बड़े संस्थानों में होता है।

प्लेसमेंट चेक करें

अमूमन कोई भी प्रोफेशनल कोर्स करने के पीछे स्टूडेंट्स का मकसद सही जगह पर प्लेसमेंट हासिल करना होता है। कॉलेज प्लेसमेंट सेल होने का तो दावा करते हैं, लेकिन आइआइटी, आइआइएम जैसे कुछेक बड़े संस्थानों को छोड़कर अधिकांश का प्लेसमेंट रिकॉर्ड अच्छा नहीं होता। इसलिए कोर्स और कॉलेज चुनने से पहले यह मालूम करें कि किस कोर्स के स्टूडेंट्स का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है। प्लेसमेंट के दौरान कौन-सी कंपनीज ने पार्टिसिपेट किया, इसकी जानकारी भी आपके पास होनी चाहिए।

प्लान करें करियर

अगर पसंद का कॉलेज या कोर्स न मिले, तो परेशान नहींहोना चाहिए। आज हर जगह कॉम्पि- टिशन बढ़ गया है। प्रोफेशनल कोर्सेज में सीट्स लिमिटेड होती हैं, स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा। बेशक आपमें सारा टैलेंट या क्षमता हो, मेरिट हो, लेकिन मुमकिन है कि पसंद के कोर्स या कॉलेज में दाखिला न मिले। इसके लिए जरूरी है कि एक ऑल्टरनेट एक्शन प्लान तैयार रहे। ऑप्शंस के लिए करियर काउंसलर, टीचर्स, पैरेंट्स, सीनियर्स किसी की भी मदद ली जा सकती है। आप जर्नलिज्म में जाना चाहते हैं, लेकिन आइआइएमसी में एडमिशन नहींमिला, तो दूसरे इंस्टीट्यूट्स और विकल्पों से इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं।

नेचुरल टैलेंट को पहचानना

स्टूडेंट्स को अपनी काबिलियत की पहचान करना जरूरी है। इस टैलेंट की पहचान स्कूल में ही होनी चाहिए। चाहें तो पाठ्यक्रम में शामिल करके या काउंसलिंग के जरिए बच्चों के नेचुरल टैलेंट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रो. गिरीश त्रिपाठी, वाइस चांसलर, बीएचयू

इंजीनियरिंग ब्रांच?

आपको 12वीं में चाहे कितने ही अच्छे अंक क्यों न मिले हों, लेकिन अगर आइआइटी या एनआइटी में दाखिला नहीं मिल पाता, तो सही इंजीनियरिंग कॉलेज का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि मार्केट में आए दिन नए प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेज खुल रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप पहले खुद को काउंसलिंग के लिए तैयार करें। रैंक के अनुसार, अपनी प्रॉयरिटीज तय कर लें। आइआइटी में स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के दौरान ही इंजीनियरिंग के विभिन्न ब्रांचेज की जानकारी दे दी जाती है। 

इंस्टीट्यूट/फैकल्टी की क्वालिटी

जहां एडमिशन लेने जा रहे हैं, वहां संचालित कोर्स एआइसीटीई या संबंधित रेगुलेटरी बॉडी से मान्यताप्राप्त है या नहीं? अगर मान्यताप्राप्त है, तो उसकी अवधि कब तक है? इस बारे में रेगुलेटरी बॉडी की साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।

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