Yllix

Motivation

एक राजा ने अपने सारे बुद्धिमानों को बुलाया और उनसे कहा – मैं कुछ ऐसा सूत्र चाहता हूँ, जो छोटा हो, बड़े शास्त्र नहीं चाहिए, मुझे फुर्सत भी नहीं बड़े शास्त्र पढने की. वह ऐसा सूत्र हो जो एक वचन में पूरा हो जाये और जो हर घड़ी में काम आये. दुःख हो या सुख, जीत हो या हार, जीवन हो या मृत्यु सब में काम आये, तुम लोग ऐसा सूत्र खोज कर लाओ.

उन बुद्धिमानों ने बड़ी मेहनत की, बड़ा विवाद किया कुछ निष्कर्ष नहीं हो सका. वे आपस में बात कर रहे थे, एक ने कहा– “हम बड़ी मुश्किल में पड़े हैं बड़ा विवाद है, संघर्ष है, कोई निष्कर्ष नहीं हो पाया, हमने सुना हैं एक सिद्ध संत नगर में आए हैं,वह प्रज्ञावान व्यक्ति है, क्यों न हम उन्ही के  पास चलें?”

वे लोग संत के पास पहुँचे और उनसे राजभवन आने के लिए निवेदन किया। संत राजभवन आए और उन्होंने एक अंगुठी पहन रखी थी. अपनी अंगुली में वह निकालकर राजा को दे दी और कहा – इसे पहन लो. इसमें लगे पत्थर के नीचे एक छोटा सा कागज रखा है, उसमें सुत्र लिखा है, वह मेरे गुरू ने मुझे दिया था, मुझे तो जरूरत भी न पड़ी इसलिए मैंने अभी तक खोलकर देखा भी नहीं.

उन्होंने एक शर्त रखी थी कि जब कुछ उपाय न रह जायें, सब तरफ से निरुपाय हो जाओ, तब इसे खोलकर पढना, ऐसी कोई घड़ी न आयी उनकी बड़ी कृपा है इसलिए मैंने इसे खोलकर पढ़ा नहीं, लेकिन इसमें जरूर कुछ राज होगा आप रख लो, लेकिन शर्त याद रखना इसका वचन दे दो कि जब कोई उपाय न रह जायेगा सब तरफ से असहाय हो जाओगे तभी अंतिम घड़ी में इसे खोलोगे.

क्योंकि यह सुत्र बड़ा बहुमूल्य है अगर इसे साधारणतः खोला गया तो अर्थहीन होगा. राजा ने अंगुठी पहन ली, वर्षों बीत गये कई बार जिज्ञासा भी हुई फिर सोचा कि कहीं खराब न हो जाए, फिर काफी वर्षो बाद एक युद्ध हुआ जिसमें राजा हार गया, और दुश्मन जीत गया. उसके राज्य को हड़प लिया.

वह राजा एक घोड़े पर सवार होकर अपनी जान बचाने के लिए भागा, राज्य तो गया संघी साथी, दोस्त, परिवार सब छूट गये, दो–चार सैनिक और रक्षक उसके साथ थे, वे भी धीरे–धीरे हट गये. क्योंकि अब कुछ बचा ही नहीं था तो रक्षा करने का भी कोई सवाल न था.

दुश्मन उस राजा का पीछा कर रहा था, तो राजा एक पहाड़ी घाटी से होकर भागा जा रहा था. उसके पीछे घोडों की आवाजें आ रही थी, टापें सुनाई दे रही थी. प्राण संकट में थे, अचानक उसने पाया कि रास्ता समाप्त हो गया, आगे तो भयंकर गहरी गहरी घाटी है जहाँ वह लौट भी नहीं सकता था, एक पल के लिए राजा स्तब्ध खड़ा रह गया कि क्या करें ?

फिर अचानक याद आयी, अंगुठी खोली पत्थर हटाया कागज निकाला उसमें एक छोटा सा वचन लिखा था “यह भी बीत जायेगा”. सुत्र पढ़ते ही उस राजा के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, उसे इस बात का खयाल आया कि सब तो बीत गया, मैं राजा नहीं रहा, मेरा साम्राज्य गया, सुख बीत गया, जब सुख बीत जाता है तो दुख भी स्थिर नहीं हो सकता.

शायद सूत्र ठीक कहता हैं अब करने को कुछ भी नहीं हैं लेकिन सूत्र ने उसके भीतर कोई सोया तार छेड़ दिया. कोई साज छेड़ दिया. “यह भी बीत जायेगा” ऐसा बोध होते ही जैसे सपना टूट गया. अब वह व्यग्र नहीं, बैचेन नहीं, घबराया हुआ नहीं था. वह बैठ गया.

संयोग की बात थी, थोड़ी देर तक तो घोड़ों की टापें सुनायी देती रही फिर टापें बंद हो गयी, शायद सैनिक किसी दूसरे रास्ते पर मुड़ गये. घना जंगल और बिहड़ पहाड़ उन्हें पता नहीं चला कि राजा किस तरफ गया है. धीरे–धीरे घोड़ों की टापें दूर हो गयी, अंगुठी उसने वापस पहन ली.

कुछ दिनों बाद हिम्मत जुटाकर दोबारा उसने अपने मित्रों को वापस इकठ्ठा कर लिया, फिर उसने वापस अपने दुश्मन पर हमला किया, पुनः जीत हासिल की फिर अपने सिंहासन पर बैठ गया. जब राजा अपने सिंहासन पर बैठा तो बड़ा आनंदित हो रहा था.

तभी उसे फिर पुनः उस अंगुठी की याद आयी उसने अंगुठी खोली कागज को पढा फिर मुस्कराया दोबारा विजय का दंभ विदा हो गया. वजीरों ने पूछा– आप बडे प्रसन्न थे अब एक दम शांत हो गये, क्या हुआ ?

राजा ने कहा – अंगुठी में यह सूत्र दिया गया है – “यह भी बीत जायेगा.” जो हमारे लिए सुख–दुःख दोनों में काम आता है. दोनों में हमें सावचेत करता है और हमें गलतियाँ करने व निराशा से बचाता है. हमें हमेशा उत्तेजित करने वाली परस्थितियों में शांति का एहसास करता है. इस दुनिया में मानसिक शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है. शांति में ही हम हर तरह की प्रगति और समृद्धि हासिल कर सकते है. अत: अब हमें शांति से राज्य और जनता की भलाई पर ध्यान देना चाहिये.

No comments:

Post a Comment

Sab kuch

free websites/tools , achhe quality wale videos

 Yahaan kuch free websites/tools hain jinke zariye aap achhe quality wale videos bana sakte ho — bina paise diye: 1. Canva Website : h...