अभिजित मुहूर्त और स्थिर लग्न में घर-घर में विराजेगे भगवान श्री गणेश ।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह के समय विघ्न विनायक भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था अतः यह तिथि मध्यान्ह व्यापिनी लेनी चाहिए गणेश जी हिंदुओं के प्रथम पूज्य देवता है सनातन धर्मानुयायी स्मार्तो के पंच देवताओं में गणेश जी प्रमुख है हिंदुओं के घर में चाहे जैसी पूजा या क्रिया कर्म हो सर्वप्रथम श्री गणेश जी का आवाहन और पूजन किया जाता है शुभ कार्यों में गणेश जी की स्तुति का अत्यंत महत्व माना गया है गणेश जी विघ्नों को दूर करने वाले देवता हैं इनका मुख हाथी का उदर लंबा तथा शेष शरीर मनुष्य के समान है मोदक इन्हें विशेष प्रिय हैं धर्माधिकारी पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि भगवान श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को मध्यम काल में हुआ था इस कारण इस व्रत में मध्यान्ह व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए इस वर्ष 22 अगस्त शनिवार को अभिजीत मुहूर्त और वृश्चिक लग्न स्थिर लग्न में घर-घर में विराजेगे श्री गणेश भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर अपनी शक्ति के अनुसार सोने चांदी ताबे मिट्टी पीतल अथवा गोबर से निर्मित गणेश की प्रतिमा बनाएं या बनी हुई प्रतिमा का पूजन करना चाहिए भगवान गणेश जी को दूर्वा सिंदूर लाल पुष्प रक्त चंदन शमी पत्र मोदक अति प्रिय है इस कारण गणेश पूजन में दूर्वा सिंदूर मोदक से पूजन करना चाहिए गणेश जी को 21 दूर्वा चढ़ाना चाहिए एवं 21 लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए उन 21 लड्डुओं में से पांच लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाना चाहिए पांच लड्डू किसी ब्राह्मण को देना चाहिए शेष लड्डू प्रसाद स्वरूप स्वयं ले एवं परिवार में बांटना चाहिए भगवान श्री गणेश का पूजन बुद्धि विद्या तथा रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति एवं विघ्नों के नाश के लिए किया जाता है गणेश चतुर्थी पर गणेश सहस्त्र नामावली से भगवान गणेश जी को दूर्वा चढ़ाना चाहिए एवं लड्डुओं से हवन करना चाहिए भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ गणेश चालीसा गणेश पुराण का पाठ आदि करना चाहिए शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सिद्धिविनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है इसमें किया गया दान स्नान उपवास और पूजन अर्चना करने से गणेश जी की कृपा से 100 गुना हो जाता है परंतु इस चतुर्थी को चंद्र दर्शन का निषेध किया गया है इस दिन चंद्र दर्शन से मिथ्या कलंक लगता है इस कारण इस तिथि को चंद्र दर्शन ना हो ऐसी सावधानी रखना चाहिए भारतीय मानक समय के अनुसार विदिशा के स्थानीय समय से
श्री गणेश स्थापना एवं पूजन का शुभ मुहूर्त 22 अगस्त शनिवार को अभिजित मुहूर्त 11:55 से 12:46 तक एवं स्थिर वृश्चिक लग्न दोपहर में 12:17 से 2:33 तक
चर की चौघड़िया 12 से 1:30 तक 1:30 से 4:30 तक लाभ अमृत की चौघड़िया स्थापना के लिए शुभ है शाम को 6 से 7:30 तक लाभ की चौघड़िया गणेश स्थापना के लिए शुभ है रात्रि में 7:30 से 9वजेतक लाभ की चौघड़िया स्थापना के लिए शुभ है प्रातः 7:30 से 9वजे तक शुभ की चौघड़िया में भी स्थापना की जा सकती है
भगवान श्री गणेश स्थापना इस साल 22 अगस्त 2020 शनिवार को होगी। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी होती है...
इस वर्ष यह बडी गणेश चतुर्थी 22 अगस्त,
शनिवार को आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन ही हुआ था, इसलिए 11 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाता है
गणेश जन्मोत्सव के दिनों में गणपति देवता की विशेष अर्चना की जाती है...आइए जानते हैं कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी पूजा का मुहूर्त क्या है। कब करें श्री गणेश की स्थापना ...
श्रीगणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 21 अगस्त दिन शुक्रवार की रात 11 बजकर 02 मिनट से हो रहा है, जो 22 अगस्त दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। श्रीगणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है क्योंकि गणेश जी का जन्म दोपहर में हुआ था 11:55 से 4:30 तक गणेश स्थापना एवं पूजन का शुभ मुहूर्त है अभिजित मुहूर्त स्थिर लग्न लाभ अमृत की चौघड़िया स्थापना के लिए शुभ है
इस बार कोरोना काल में सार्वजनिक जगहों पर गणपति स्थापना की मनाही हो सकती है। आप अपने घर पर ही गणपति की स्थापना करें। अगर संभव हो तो श्री गणेश की प्रतिमा का निर्माण घर पर ही करें....।
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