यदि आप सूक्ष्म को जान लो तो कोई रोग नहीं रहेगा।
मुसीबत यह है कि आप स्थूल में अटके हुए है।
आप स्थूल से ऊपर उठकर सूक्ष्म को जानना ही नहीं चाहते, कोशिश भी नहीं करना चाहते।
◆स्थूल क्या है और सूक्ष्म क्या है?
स्थूल यानी पृथ्वी और जल तत्व।
शरीर स्थूल है, दवाई स्थूल है, भोजन स्थूल है।
सूक्ष्म यानी अग्नि, वायु और आकाश तत्व।
शरीर स्थूल है किन्तु शरीर में व्याप्त प्राण और आत्मा सूक्ष्म है।
भोजन और जल स्थूल है किन्तु भोजन और जल की ऊर्जा सूक्ष्म है।
दवाई स्थूल है किन्तु दवाई के कंटेंट्स सूक्ष्म है।
वाटर थेरापी, नई भोजन प्रथा, दवाई वगैरह सभी मरीज़ों पर एक समान असर क्यों नहीं करते?
क्योंकि हर मरीज़ का सूक्ष्म यानी प्राण और आत्मा अलग अलग है।
आप स्थूल में ठहर गए है उसकी वजह से सारी मुसीबतें आ रही है।
आप बेकार की बातों में, दूसरों की बातों में पूरे दिन उलझे रहते है, आप उन बातों में ठहर गए है यही आपके दुःख का कारण है।
आप जिस स्थिति में हो वहाँ से थोड़ा ऊपर उठो, अपना डायमेंशन चेंज कर दो तो कोई मुसीबत, कोई रोग, कोई कोरोना है ही नहीं।
में कोई कल्पना की बात नहीं कर रहा, में बिल्कुल प्रेक्टिकल बात कर रहा हूँ।
मैंने जो लिखा वो हमनें करके दिखाया है।
पिछले कुछ सालों में हमने हर एक रोग को कॉस्मिक हिलिंग से मिटा दिया है, जड़ से मिटा दिया है।
वैसे रोगों को जड़ से मिटाया है जिनको एलोपैथी और आयुर्वेदिक मेडिसिन कई सालों से मिटा नहीं पा रही थी।
वैसे रोग ठीक किए है जिनको मेडिकल सायन्स इंक्योरेबल मानती है।
कैसे संभव हुआ ये?
क्योंकि आप रोग को रोग मानते है।
हम रोग को रोग नहीं मानते बल्कि नेगेटिव एनर्जी मानते है।
दरअसल होता यूं है कि पहले सूक्ष्म खराब होता है।
सूक्ष्म यानी प्राण में नेगेटिव एनर्जी आने के बाद स्थूल शरीर रोगग्रस्त होता है।
हमारे शरीरमें कई सारे ऊर्जा के सूक्ष्म केंद्र है जिसे ऊर्जा चक्र कहते है।
इन ऊर्जा चक्रों में सात मुख्य ऊर्जा चक्र है।
यह सात ऊर्जा चक्र स्पाइनल कॉर्ड के बीचमें स्थित सुषुम्ना नाड़ी में स्थित है।
इन ऊर्जा चक्रों के बिगड़ने से स्थूल शरीर रोगग्रस्त होता है।
ऊर्जा चक्रों को कॉस्मिक हिलिंग से ठीक कर दें तो स्थूल शरीर के रोग चमत्कारी ढंग से ठीक हो जाएंगे।
यह सारा सूक्ष्म का विज्ञान है।
ये सूक्ष्म का विज्ञान बहोत ही कम लोग समझते है।
आप स्थूल का विज्ञान जानते है,
इसलिए एक रोगी के शरीर में चार पांच प्रकार के रोग है तो आप चार पांच अलग अलग स्पेशियलिस्ट डॉक्टर्स के पास इलाज कराते है।
इसके बिल्कुल विपरीत हम सारे के सारे रोग मात्र कॉस्मिक हिलिंग से दूर कर देते है, बिना कोई दवाई या योगा के हर एक रोग को दूर कर देते है।
दर असल रोग का मूल कारण ऊर्जा चक्र में होता है और ऊर्जा चक्र को कॉस्मिक हिलिंग मिलते ही उसमें पॉजिटिव एनर्जी फैलने लगती है और वे रोग ठीक हो जाते है।
सभी रोग ठीक हो जाते है।
वास्तव में ये आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो वर्तमान समय में शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करने में काम आ रही है।
सूक्ष्म का विज्ञान स्थल और काल से परे है।
कॉस्मिक हिलिंग की दीक्षा प्राप्त हीलर हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे मरीज़ को भी हिलिंग से ठीक कर सकता है।
दरअसल हीलर को कुछ करना नहीं होता। जो करता है वो गुरु करता है। गुरु की कृपा से सब होता है। वास्तव में गुरु को भी कुछ करना नहीं होता। जो करता है वो शिव करता है।
ये सारी सूक्ष्म बातें है जो अनुभव से नहीं अनुभूति से समझ में आती है,, गुरु की अनुकंपा से समझ में आती है।
जैसा कि आप जानते है DURGA SAPTSHATI बिजमंत्रात्मक साधना में साधको को अपने घर पर निश्चित समय पर निश्चित साधना करने को कहा गया था।
साधक अपने घर पर निश्चित समय पर ध्यान, प्राण क्रिया करके हिलिंग धारण करने को तैयार थे।
पांच तत्वों की साधना सूक्ष्म की साधना है।
शिव और शक्ति की साधना सूक्ष्म की साधना है।
ऊर्जा चक्रों की साधना सूक्ष्म की साधना है।
एक सामान्य बारूद से बना बम सीमित दायरे में विनाश करता है, जब कि उसी बारूद के सूक्ष्म परमाणु को तोड़कर बनाया गया परमाणु बम असीमित विनाश करता है।
अणु, परमाणु और ऊर्जा की साधना सूक्ष्म की साधना है।
कॉस्मिक हिलिंग सूक्ष्म की साधना है, सूक्ष्म का विज्ञान है।
कोरोना, कोविड19 सूक्ष्म है।
वो वायरस है, वो प्रकृति है।
हर मौसम में वायरस अपना रूप बदलता है।
जैसे शर्दी का वायरस 32 प्रकार के रूप बदलता है वैसे ही कोविड19 अपने रूप बदल रहा है, उसके स्पाइक मज़बूत हो रहे है।
वायरस कभी भी एक रूप में नहीं रहता। वो हमेशा बहुरूपिया होता है। व्यक्ति दर व्यक्ति वो अपना रूप बदलता रहता है।
इसीलिए, कोरोना से डरिए मत, कॉस्मिक हिलिंग से अपनी इम्युनिटी स्ट्रॉग कीजिए।
कोरोना से उन्ही लोगों की मृत्यु हो रही है जिनकी इम्युनिटी बहोत ही वीक है और वे अन्य रोगों से पहले से ही ग्रसित है।
इसीलिए, कोरोना से ध्यान हटाइए, अपनी स्पिरिचुअल हेल्थ को मजबूत करने पर ध्यान दीजिए।
नमः शिवाय
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