Yllix

Chandrayaan-3 को अधिक समय क्यों लग रहा है?

 


  1. आखिर भारत की चंद्रयान 3 को इतना समय क्यों लग रहा है बाकी देश तो 4 से 5 दिन में ही लैंडिंग करा दिए थे?
  2. भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 आज लॉन्च हो गया. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन सेंटर से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर छोड़ा गया. चांद तक पहुंचने में चंद्रयान-3 को डेढ़ महीने से ज्यादा का समय लगेगा. चंद्रयान-3 का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है. ऐसे में जानते हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर ऐसा क्या है जिसे चंद्रयान-3 खोजेगा?
  3. चंद्रयान-3 लॉन्च हो गया है. इसे दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन सेंटर से लॉन्च किया गया. चंद्रयान-3 भारत का तीसरा मून मिशन है।
  4. चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 का मकसद भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है. दक्षिणी ध्रुव, वो जगह जहां आजतक कोई नहीं पहुंच सका. अगर चंद्रयान-3 का 'विक्रम' लैंडर वहां सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है, तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा. इतना ही नहीं, चांद की सतह पर लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. चांद की सतह पर अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही पहुंच चुके हैं।
  5. सितंबर 2019 में इसरो ने चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की कोशिश की थी, लेकिन तब लैंडर की हार्ड लैंडिंग हो गई थी. पिछली गलतियों से सबक लेते हुए चंद्रयान-3 में कई बदलाव भी किए गए हैं. चंद्रयान-3 को आज लॉन्च किया जाएगा, लेकिन इसे चांद तक पहुंचने में डेढ़ महीने का समय लगेगा. अनुमान है कि 23 या 24 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंड कर सकता है।
  6. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका और चीन समेत दुनिया की नजरें भी हैं. चीन ने कुछ साल पहले दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूरी पर लैंडर उतारा था. इतना ही नहीं, अमेरिका तो अगले साल दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी भी कर रहा है। 
  7. चंद्रयान – 3 सफलतापूर्वक आंतरिक कक्षा में स्थापित हो गया. अब इस अंडाकार पथ पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चांद की कक्षा में पहुंचेगा और फिर वहां सतह पर उतरेगा. जिस आंतरिक कक्षा में चंद्रयान -3 फिलहाल परिक्रमा करेगा, वो धरती से 35,000 किलोमीटर दूर है. इसमें वह दिन में 5-6 बार पृथ्वी के चक्कर काटेगा. उसको यहां से चांद की कक्षा में पहुंचने और उसमें उतरने तक 40 दिन क्यों लग जाएंगे. ये सवाल स्वाभाविक है क्योंकि चाहे अमेरिका का चांद का मिशन हो या रूस का-सभी ने अपने अंतरिक्ष यानों को वहां चौथे या पांचवें दिन ही उतार दिया था।इसी लिए chandrayaan-3 को अधिक समय लग रहा है ताकि सुरक्षित लैंडिंग कर सकें।

श्री अष्टलक्ष्मी माला मंत्र

 अष्टलक्ष्मीमालामंत्र        



   विनियोगः-अस्य श्री अष्टलक्ष्मी माला मन्त्रस्य भृगुऋषि: अनुस्टुप छंद: महालक्ष्मी देवताः श्री बीजं ह्रीं शक्ति ऐं कीलकं श्री अष्टलक्ष्मी प्रसाद प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।।                        


ॐ नमो भगवत्यै लोक वशीकर मोहिंन्यै ॐ ईं ऐं क्षीं श्री आदिलक्ष्मी संतानलक्ष्मी गजलक्ष्मी धनलक्ष्मी धान्यलक्ष्मी विजयलक्ष्मी वीरलक्ष्मी ऐश्वर्यलक्ष्मी अष्टलक्ष्मी इत्यादय: मम हृदये दृढ़तयां स्थिता सर्वलोक वशीकराय सर्वराज्य वशीकराय सर्वजन वशीकराय सर्वकार्यं सिद्धिदे कुरु कुरु सर्वारिष्टं जहि जहि सर्व सौभाग्यं कुरु कुरु ॐ नमो भगवत्यै श्री महालक्ष्मयै ह्रीं फट् स्वाहा।      


विधि विधान:-माला मंन्त्र एक माला (108बार) ही करने होते हैं शुक्रवार/पंचमी/पूर्णिमा को घी के दीपक जलाकर उसमें थोड़ा गुलाब इत्र डालकर कमलगट्टे की माला से,या कमल गट्टे की माला पहनकर् सफेद या लालआसन पर पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके शाम 6 से 8 में संकल्प करके,गुरुदेव गणपति को प्रणाम करें। लक्ष्मी नारायण या गुरुदेव के यंत्र या चित्र का पंचोपचार पूजन गंध अक्षत गुलाब पुष्प धूप दीप एवं नैवैद्य(खीर,या दूध की मिठाई ) चढ़ा कर साधना करें।


विशेष:-ज्यादा समस्या में 21 दिन लगातार साधना करें।साधना की सफलता के लिए गुरु मंत्र की एक माला पहले और साधना के बाद जरुर करें।

श्रीहरिहराष्टोत्तर शतनाम_स्तोत्रम


 श्रीहरिहराष्टोत्तर शतनाम_स्तोत्रम

   “हरि” का अर्थ विष्णु भगवान से है और “हर” का अर्थ शिव से है। इस स्तोत्र में दोनों का वर्णन किया गया है। 


गोविन्दमाधवमुकुन्दहरेमुरारे ! शंभो ! शिवेश ! शशिशेखर ! शूलपाणे !


दामोदराच्युत ! जनार्दन ! वासुदेव ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।1।।


गंगाधरान्धकरिपो ! हर ! नीलकंठ ! वैकुंठ ! कैटभरिपो ! कमठाब्जपाणे !


भूतेश ! खण्डपरशो ! मृड ! चण्डिकेश !  त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।2।।


विष्णो ! नृसिंह ! मधुसूदन ! चक्रपाणे ! गौरीपते ! गिरिश ! शंकर ! चन्द्रचूड !


नारायणासुरनिबर्हण ! शांर्गपाणे ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।3।।


मृत्युंजयोग्रविषमेक्षण ! कामशत्रो ! श्रीकान्त ! पीतवसनाम्बुदनीलशौरे !


ईशान ! कृत्तिवसन ! त्रिदशैकनाथ ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।4।।


लक्ष्मीपते ! मधुरिपो ! पुरुषोत्तमाद्य ! श्रीकंठ ! दिग्वसन ! शांतपिनाकपाणे !


आनंंदकंद ! धरणीधर ! पद्मनाभ ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।5।।


सर्वेश्वर ! त्रिपुरसूदन ! देवदेव ! ब्रह्मण्यदेव ! गरुड़ध्वज ! शंखपाणे !


त्र्यक्षोरगाभरणबालमृगांकमौले ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।6।।


श्रीरामराघवरमेश्वर ! रावणारे ! भूतेश ! मन्मथरिपो ! प्रमथाधिनाथ !


चाणूरमर्दनहृषीकपते ! मुरारे ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।7।।


शूलिन ! गिरिश ! रजनीशकलावंतस ! कंसप्रणासन ! सनातन ! केशिनाश !


भर्ग ! त्रिनेत्र ! भव ! भूतपते ! पुरारे ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।8।।


गोपीपते ! यदुपते ! वसुदेवसूनो ! कर्पूरगौर ! वृषभध्वज ! भालनेत्र !


गोवर्द्धनोद्धरण ! धर्मधुरीण ! गोप ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।9।।


स्थाणो ! त्रिलोचन ! पिनाकधर ! स्मरारे ! कृष्णानिरुद्ध ! कमलाकर ! कल्मषारे !


विश्वेश्वर ! त्रिपथगार्द्रजटाकलाप ! त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ।।10।।


अष्टोत्तराधिकशतेन  सुचारुनाम्नां संदर्भितां ललितरत्नकदम्बकेन ।


सन्नायकां दृढगुणां द्विजकंठगां य:कुर्यादिमां स्रजमहो स यमं न पश्येत ।


इत्थं द्विजेन्द्रनिजभृत्यगणान सदैवसंशिक्षयेदवनिगान्सहि धर्मराज: ।


अन्येsपिे ये हरिहरांकधराधरायां ते दूरत:पुनरहो परिपर्जनीया:  ।।


अगस्तिउवाच

यो धर्मराजरचितां ललितप्रबन्धां नामावलीं सकलकल्मषबीजहन्त्रीम ।


धीरोsत्र कौस्तुभभृत: शशिभूषणस्य नित्यं जपेत्स्तनरसं स पिबेन्न मातु : ।।


इति श्रृण्वन्कथां रम्यां शिवशर्मा प्रियेsनघाम ।

प्रहृष्टवक्त्र: पुरतो ददर्शाप्सरसां पुरीम।।


।।श्री हरिहराष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम समाप्तम।। 


बुखार सर्दी खांसी की आयुर्वेदिक दवा

 बदलते मौसम में होने वाली समस्याओं के लिए,

गोदन्ती भस्म



प्रत्येक आयुर्वेदिक दवा की दुकान पर उपलब्ध है। स्वाद रहित सफेद पाउडर के रूप में मिलती है। प्रत्येक घर मे रखने योग्य औषधि।

नाक से पानी बहना, सिर दर्द, हल्का बुखार और जुकाम के लिए हानिरहित आयुर्वेदिक औषधि। प्रत्येक आयुर्वेदिक दवा की दुकान पर उपलब्ध है। गर्भवती स्त्री व दूध पीने वाले शिशुओं के लिए भी अत्यंत सुरक्षित।

बहते हुए नाक को तत्काल रोक देती है। जुकाम में तेज दवा की तरह शीघ्र लाभदायक है। स्त्रियों के रक्तप्रदर में भी लाभदायक है।

प्रयोग विधि- बड़ों को आधा ग्राम से 1 ग्राम तक दिन में 3 बार गर्म पानी से। बच्चों को चने की दाल के समान दें। शिशुओं को गेहूं के दाने के समान दें।

यदि बार बार मुंह सूखता हो, सुखी खांसी हो, नाक से गाढ़ा कफ निकलता हो तो इसका प्रयोग न करें। यदि इसके लेने से मुंह सुखने लगे व बार बार प्यास लगे तो बन्द कर दें।

संन्यासी सियाराम बाबा

 नर्मदा के अनमोल मोती...




12 वर्ष मौन के बाद बोले सियाराम तो उन्हें मिला यही नाम ..पाखंड से कोशो दूर, एक विरक्त सन्यासी  भारत मे उन्ही मे से एक है सियाराम बाबा है 100 वर्ष से अधिक ये मध्यप्रदेश में खरगौन के पास ही ग्राम भट्टयान में रहते है भट्याण बुजुर्ग में विशेषकर गुरु पूर्णिमा एवं सामान्य दिनों में भी  संत सियाराम बाबा का पूजन करने बड़ी संख्या में बाबा के भक्त आते हैं ।

श्री सियाराम बाबा ने 12 साल का मौन व्रत धारण किया था। कोई नहीं जानता था बाबा कहां से आए हैं। बाबा ने मौन व्रत तोड़ा और पहला शब्द सियाराम बोले तब से गांव वाले उनको सियाराम बाबा कहते हैं।


10 साल की खड़ेश्वरी सिद्धि  : भक्त बतातेे हैं मौसम कोई भी हो बाबा केवल एक लंगोट पहनते हैं। उन्होंने 10 साल तक खड़ेश्वरी सिद्धी की है। इसमें तपस्वी सोने, जागने सहित हर काम खड़े रहकर ही करते हैं। खड़ेश्वरी साधना के दौरान नर्मदा में बाढ़ आई। पानी बाबा की नाभि तक पहुंच गया, लेकिन वे अपनी जगह से नहीं हटे। कई विदेशी भक्त भी पहुंचते हैं:बाबा के दर्शन के लिए, भक्तों के मुताबिक अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया से कुछ विदेशी लोग पहुंचे। उन्होंने बाबा को 500 रुपए भेंट में दिए। संत ने 10 रुपए प्रसादी के रखकर बाकी लौटा दिए। वे भी आश्चर्यचकित थे।


गांव के ही मुकुंद केवट, राजेश छलोत्रा, पूनमचंद बिरले, हरीश बिरले के अनुसार बुजुर्ग बताते है बाबा 50-60 साल पहले यहां आए थे। कुटिया बनाई ओर रहने लगे। हनुमानजी की मूर्ति स्थापित कर सुबह-शाम राम नाम का जप व रामचरितमानस पाठ करते थे।  बाबा का जन्म मुंबई में हुआ। वहीं कक्षा 7-8 तक पढ़ाई हुई। कम उम्र में एक गुजराती साहूकार के यहां मुनीम का काम शुरू किया। उसी दौरान कोई साधु के दर्शन हुए। मन में वैराग्य व श्रीराम भक्ति जागी। घर-संसार त्यागा और तप करने हिमालय चले गए। कितने साल कहां तप किया, उनक गुरु कौन थे कोई नहीं जानता। बाबा ने यह किसी को नहीं बताया। आज भी पूछने पर एक ही बात कहते हैं मेरा क्या है, मैं तो सिर्फ मजा देखता हूं’। ग्राम के रामेश्वर बिरले व संतोष पटेल ने बताया बाबा रोज नर्मदा स्नान करते हैं। नर्मदा परिक्रमा करने वालों की सेवा खुद करते हैं।


सदाव्रत में दाल, चावल, तेल, नमक, मिर्च, कपूर, अगरबत्ती व बत्ती भी देते हैं। जो भी भक्त आश्रम आता है बाबा अपने हाथों से चाय बनाकर पिलाते हैं। कई बार नर्मदा की बाढ़ की वजह से गांव के घर डूब जाते हैं। ग्रामीण ऊंची सुरक्षित जगह चले जाते है। लेकिन बाबा अपना आश्रम व मंदिर छोड़कर कहीं नहीं जाते। बाढ़ के दौरान मंदिर में बैठकर रामचरितमानस पाठ करते हैं। बाढ़ उतरने पर ग्रामीण उन्हें देखने आते हैं तो कहते हैं मां नर्मदा आई थी। दर्शन व आशीर्वाद देकर चली गई। मां से क्या डरना, वो तो मैय्या है।


वर्तमान में जहाँ बाबा का निवास है वह क्षेत्र डूब में जाने वाला है सरकार ने इन्हें मुआवजे के 2 करोड़ 51 लाख दिए थे.... तो इन्होंने सारा पैसा खरगौन के समीप ही ग्राम नांगलवाड़ी में नाग देवता के मंदिर में दान कर दिया ताकि वहा भव्य मंदिर बने और सुविधा मिले। आप लाखो रुपये दान में दो... पर नही लेते 

केवल 10 रुपये लेते है ...और रजिस्टर में देने वाले का नाम साथ ही नर्मदा परिक्रमा वालो का खाना और रहने की व्यवस्था ...कई सालों से अनवरत करते आ रहे है..!

सियाराम बाबा जैसे सन्त आज भी लाखों में है भारत मे यही असली सनातन की रीढ़ है!


सहज योग

 सहज-योग



सहज-योग का अर्थ होता है — कृत्रिम न होओ , स्वाभाविक रहो अपने ऊपर आदर्श मत ओढो़ , आदर्श पाखंड लाते हैं ।

आदर्शों के कारण विकृति पैदा होती है ,क्योंकि कुछ तुम होते हो , कुछ तुम होने की चेष्टा करते हो , तनाव पैदा हो जाता है ।

फिर तुम जो हो वह दब जाता है , उसमें जो तुम होना चाहते हो ।

इसी का नाम पाखंड है ।


फिर एक आदमी है , जो दावा तो सच बोलने का करता है और आड़ में झूठ बोलता है । जिनको भी झूठ बोलना है उन्हें सच बोलने का दावा करना होता है , नहीं तो उनका झूठ मानेगा कौन ? इसलिए झूठ बोलने वाला बार-बार दोहराता है कि मैं सच कह रहा हूं , मैं बिलकुल सच कह रहा हूं , मैं कसम खाकर कहता हूं कि सच कह रहा हूं ।


जब भी कोई आदमी बहुत कसम खाने लगे कि मैं सच कह रहा हूं 

तो सावधान हो जाना , क्योंकि यह झूठे का लक्षण है ।

सहज-योग का अर्थ होता है ; – मत करो जटिल । मत बनो झूठ 

क्योंकि तुम जितने झूठ हो जाओगे उतने ही दुखी हो जाओगे ।

झूठ दुख लाता है , क्योंकि झूठ के कारण तुम्हारा संबंध सत्य से 

छूटने लगता है , टूटने लगता है ।


और एक झूठ नहीं हजार झूठ हैं , इसलिए हजार द्वंद्व पैदा हो जाते हैं । इन्हीं द्वंद्वों में ग्रस्त व्यक्ति नर्क में जीता है ।

सहज-योग का अर्थ होता है ; छोडो़ ये द्वंद्व , छोडो़ ये जाल ।

तुम जैसे हो वैसे अपने को स्वीकार कर लो ।

मत दिखाओ वैसा , जैसे कि तुम नहीं हो । जाने दो सब पाखंड ।

अगर कोई व्यक्ति अपनी संपूर्ण नग्नता में अपने को स्वीकार कर ले तो क्या हो ? क्रांति घट जाती है ।


सहज-योग का अर्थ होता है ; तुम जैसे हो , तुम्हें अंगीकार है ।

परमात्मा ने तुम्हें जैसा बनाया है इसमें तुम रत्ती-भर हेर-फेर नहीं 

करना चाहते हो ।

तुम परमात्मा से अपने को ज्यादा बुध्दिमान सिध्द नहीं करना चाहते हो ।

परमात्मा ने तुम्हें जैसा बनाया है उसने तुम्हें जैसा रंगा , वही तुम्हारा रंग है , वही तुम्हारा ढंग है ; तुम उससे अन्यथा होने की न

आकांक्षा करते हो न सपना देखते हो ।

सहज-योग परमात्मा के प्रति अनुग्रह का बोध है ।

सहज भाव से परमात्मा को पुकारना । बिना किसी क्षुद्र आकांक्षा से भरे , चुपचाप जीवन में बहे जाना । तैरना नहीं , संघर्ष नहीं करना , नदी जहां ले जाये उसी तरफ चलना , क्योंकि सभी नदियां अंततः सागर पहुंच जाती हैं ।                                           

अगर कोई चुपचाप बहता चले तो परमात्मा मिलना सुनिश्चित है ।

परमात्मा मिला ही हुआ है , तुम बहो कि अभी अनुभव में आ जाये । तुम जरा विश्राम करो , मगर तुम बडे़ जद्दो-जहद में लगे हो । तुम बडी़ दौड़-धूप कर रहे हो , आपाधापी में पडे़ हो ।

तुम्हारी आपाधापी और दौड़-धूप के कारण जो तुम्हारे भीतर बैठा

है वह दिखाई नहीं पड़ता ।

तुम इतने उलझे हो , इतने व्यस्त हो कि उसे देखो ही कैसे जो मौजूद ही है ।

परमात्मा तुम्हारा स्वभाव है । इसलिए परमात्मा को पाना नहीं है ।


सहज-योग कहता है ; यहां कुछ भी सदा रहने को नहीं ;

सभी बहा जा रहा है , प्रवाहमान है ।

सब क्षण-भंगुर है । पकडो़ मत , जीयो ।

और जो चला जाये उसे जाने दो , ताकि जो नया आ रहा है उसके 

लिए तुम्हारा हृदय खाली हो , खुला हो ।


बीते कलों का हिसाब मत रखो और आनेवाले कलों की चिंता मत करो । 

आज जो आया है , इसे नाचो , इसे गाओ , इसे गुनगुनाओ ।

और इसी गीत में प्रार्थना पूरी हो जाती है ।

इसी गीत में सिध्दों का सहज-योग सध गया , झेन फकीरों का 

क्षण-बोध सध गया । ये एक ही घटना के दो पहलू हैं 

Rupay Card

Rupay Card



 जब 2014 में Rupay Card launch हुआ था... तब इसे एक जुमला माना गया था...... इसे जनधन account के साथ जोड़ा गया था, जिसे एक और जुमला समझा जा रहा था..... ऐसा बताया जा रहा था, कि ये योजनाएं फुस्स हो जाएंगी.


हालांकि सरकार ने यह सब Plan करके ही किया था. आज इन योजनाओ को शुरू हुए 9 साल हो गए हैं.... जनधन एक बहुत बड़ी सफलता साबित हुआ है.


लेकिन यह post है Rupay के बारे में.

मात्र 9 सालों में ही 70 करोड़ से ज्यादा Rupay Debit Card activate हो चुके हैं.


वहीं अगर credit card की बात की जाए, तो लगभग 9 करोड़ Rupay Credit Cards के साथ यह Credit Card market का 20% से थोड़ा ज्यादा market पर कब्ज़ा कर चुका है.


इसके अलावा Rupay अब 30 देशों में पहुंच चुका है.. और ऊपर बताये Figures एकदम से बढ़ने वाले हैं.


Rupay कितना बड़ा Game खेल रहा है.. यह समझने के लिए दुनिया के 2 सबसे बड़े Payment Systems और Card Services Visa और Mastercard के बारे में जानते हैं.


Visa बना 1958 में बना, और आज इसके 290 करोड़ (Credit +Debit cards) के आस पास users हैं.

Mastercard बना 1966 में... और आज इसके 150 करोड़ (Credit +Debit cards) के आस पास Users हैं.


वहीं Rupay card मात्र 9 साल में 80 करोड़ से ऊपर Users वाला system बन गया है. Rupay की Transactions fees सबसे कम है, यह UPI के साथ Integrated है, ढेरों Payment Options में इस्तेमाल किया जा सकता है.


यही कारण है कि Rupay का Usage अब बढ़ता जा रहा है... और इससे घबराई Visa और Mastercard ने अमेरिकी सरकार को request भी की थी, कि वह भारत सरकार से इस बारे में बात करे....लेकिन भारतीय सरकार ने इस पर कुछ नहीं सुना.


क्यूंकि उन्हें तो Visa और Mastercard के एकाधिकार को तोडना है...... और अब तो RBI ने Card Change करना भी allow कर दिया है...अब Rupay के figures और बढ़ेंगे.


आप भी अब Rupay Card ले सकते हैं... और देसी Payment System को मजबूत बना सकते हैं.


CG funny video


via https://youtu.be/LKPmzIQ414w

Sab kuch

माँ पर शायरी

  "माँ के कदमों में बसी जन्नत की पहचान, उसकी दुआओं से ही रोशन है हर इंसान। जिंदगी की हर ठोकर से बचा लेती है, माँ की ममता, ये दुन...