योग में मुद्राएँ मुख्यतः पाँच प्रकार की होती हैं, जो शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित और संतुलित करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ये मुद्राएँ इस प्रकार हैं:
1. **ज्ञान मुद्रा**: यह मुद्रा ध्यान और मानसिक स्पष्टता के लिए उपयोग की जाती है। इसमें अंगूठे और तर्जनी अंगुली को मिलाकर बाकी उंगलियों को सीधा रखा जाता है।
2. **प्राण मुद्रा**: इस मुद्रा में अनामिका और कनिष्ठा उंगली को अंगूठे से मिलाया जाता है। यह ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए मानी जाती है।
3. **अपान मुद्रा**: इसमें अंगूठा, मध्यमा और अनामिका को मिलाया जाता है। यह मुद्रा शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है।
4. **वायु मुद्रा**: तर्जनी उंगली को अंगूठे के नीचे दबाकर रखा जाता है। यह मुद्रा शरीर में वायु तत्व के असंतुलन को ठीक करने में सहायक होती है।
5. **अग्नि मुद्रा**: अनामिका उंगली को अंगूठे से मिलाया जाता है, जिससे शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित किया जाता है और पाचन क्रिया सुधरती है।
इन मुद्राओं का नियमित अभ्यास करने से शरीर और मन में शांति और संतुलन बना रहता है।
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