**वायु मुद्रा** एक योग मुद्रा है जो हमारे शरीर में वायु तत्व को संतुलित करने के लिए की जाती है। यह मुद्रा विशेष रूप से वात दोष (वायु से संबंधित असंतुलन) को नियंत्रित करने में सहायक होती है। इसे करने से शरीर के अंदर की गैसों को नियंत्रित किया जा सकता है, और यह पेट दर्द, अपच, गैस, और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं में राहत दिलाती है।
### **वायु मुद्रा करने की विधि:**
1. आराम से बैठ जाएं (पद्मासन या सुखासन में बैठ सकते हैं)।
2. अपने हाथों को घुटनों पर रखें।
3. अब दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी अंगुली (इंडेक्स फिंगर) के निचले हिस्से पर रखें।
4. बाकी तीन अंगुलियों को सीधा रखें।
5. अपनी आंखें बंद करें और ध्यान लगाएं।
6. इस मुद्रा को 10-15 मिनट तक करें।
### **लाभ:**
- वायु विकारों को ठीक करने में सहायक।
- गैस्ट्रिक समस्याओं और अपच को कम करता है।
- जोड़ों के दर्द और गठिया में राहत देता है।
- चिंता और मानसिक तनाव को कम करता है।
### **सावधानियां:**
- जिन लोगों को वात बढ़ने की समस्या है, उन्हें इस मुद्रा को लंबे समय तक नहीं करना चाहिए।
यह मुद्रा साधारण लेकिन प्रभावी है और इसे नियमित रूप से करने से शरीर के अंदर संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
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