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श्री गुरू चालीसा
प्रणवउँ प्रथमम् गुरू चरण,
बुद्धि ज्ञान गुण खान /
श्री गणेश शारद सहित,
बसो हृदय में आन //
अज्ञानी मतिमन्द मैं,
हे गुरू स्वामी सुजान /
दोषों से भरा हुआ हूँ मैं,
आप हैं कृपा निधान //
--:चौपाई:--
जय नारायण जय निखिलेश्वर /
विश्व प्रसिद्ध अखिल तन्त्रेश्वर //
यंत्र मंत्र विज्ञान के ज्ञाता /
भारत भू के प्रेम प्रणेता //१//
सचिदानंद गुरू के प्यारे /
सिद्धाश्रम से आप पधारे //
जब जब होई धरम की हानी /
सिद्धाश्रम ने भेजे ज्ञानी //२//
उच्चकोटि के ऋषि मुनि स्वेच्छा /
आये करन धरम की रक्षा //
अबकी बार आपकी बारी /
त्राहि त्राहि ये धरा पुकारी //३//
मरुधर प्रान्त खरंटिया ग्रामा /
मुलतानचन्द पिता कर नामा //
शेषशायी सपनें में आये /
माता को दर्शन दिखलाये //४//
जन्म वृतान्त सुनाय नवीना /
मंत्र नारायण नाम का दीना //
मात रूपादेवी अति धार्मिक /
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख //५//
नाम नारायण भव भय हारी /
सिद्ध योगी मानव तन धारी //
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से उर्जित /
आत्म स्वरूप गुरू गौरान्वित //६//
एक बार संग सखा भवन में /
कर स्नान लगे चिंतन में //
चिन्तन कर समाधि लागी /
सुध बुध हीन भय अनुरागी //७//
पूर्ण करी संसार की रीती /
शंकर जैसे बने गृहस्थी //
अद्भुत संगम प्रभु माया का /
अवलोकन है विधि छाया का //८//
युग युग से भव बंधन रीती /
जहाँ नारायण वहीं भगवती //
सांसारिक मन हुई अति ग्लानि /
तब हिमगिरी गमन की ठानी //९//
अठरा बरस हिमालय चूमें /
महा तपस्या गुरू पग चूमें //
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन /
करम भूमि आये नारायण //१०//
धरा गगन ब्रम्हाण्ड में गूँजी /
सद्गुरुवर की साधना पूँजी //
हृदय विशाल शास्त्र भण्डारा /
भारत का भौतिक उजियारा //११//
सर्वधर्महित शिविर पुरोधा /
कर्म क्षेत्र के अतुलित योद्धा //
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता /
भूत भविष्य के आप विधाता //१२//
एक सौ छप्पन ग्रंथ रचेता /
सिद्धि साधक विश्व विजेता //
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर /
षोडश कला युक्त परमेश्वर //१३//
रतन पारखी विधन हरन्ता /
सन्यासी अनन्यतम सन्ता //
अद्भुत चमत्कार दिखलाया /
पारद का शिवलिंग बनाया //१४//
वेद पुराण शास्त्र सब गाते /
पारदेश्वर दुर्लभ कहलाते //
पूजा कर नित ध्यान लगावे /
वो नर सिद्धाश्रम में जावे //१५//
चारिऊ वेद कंठ में धारे /
पूज्यनीय जन जन के प्यारे //
गुरुवाणी जब गुरू उचारे /
गतिशील ग्रह धरा उतारे //१६//
चिन्तन करत मन्त्र जब गाये /
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाये //
मन्त्र नमो नारायण साँचा /
ध्यानत भागत भूत पिशाचा //१७//
प्रातः काल करहि निखिलायन /
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन //
निर्मल मन से जो कोई ध्यावे /
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति पावे //१८//
पाठ करहि जो गुरू चालीसा /
शान्ति प्रदान करहि योगीश //
अष्टोदरसत पाठ करत जो /
सर्व सिद्धियाँ पाँव पिजत सो //१९//
श्री गुरूचरण कमल की धारा /
सिद्धाश्रम साधक परिवारा //
जय जय जय आनन्द के स्वामी /
बारम्बार नमामि नमामि //२०//
-:दोहा:-
निखिल विनय सादर करें
साक्षी सारे देव /
गुरू साधक मन प्राण से
बोलो जय गुरूदेव //
"पूज्यनीय गुरूदेव की जय //
वन्दनीय माता जी की जय //"
श्री गुरू चालीसा
प्रणवउँ प्रथमम् गुरू चरण,
बुद्धि ज्ञान गुण खान /
श्री गणेश शारद सहित,
बसो हृदय में आन //
अज्ञानी मतिमन्द मैं,
हे गुरू स्वामी सुजान /
दोषों से भरा हुआ हूँ मैं,
आप हैं कृपा निधान //
--:चौपाई:--
जय नारायण जय निखिलेश्वर /
विश्व प्रसिद्ध अखिल तन्त्रेश्वर //
यंत्र मंत्र विज्ञान के ज्ञाता /
भारत भू के प्रेम प्रणेता //१//
सचिदानंद गुरू के प्यारे /
सिद्धाश्रम से आप पधारे //
जब जब होई धरम की हानी /
सिद्धाश्रम ने भेजे ज्ञानी //२//
उच्चकोटि के ऋषि मुनि स्वेच्छा /
आये करन धरम की रक्षा //
अबकी बार आपकी बारी /
त्राहि त्राहि ये धरा पुकारी //३//
मरुधर प्रान्त खरंटिया ग्रामा /
मुलतानचन्द पिता कर नामा //
शेषशायी सपनें में आये /
माता को दर्शन दिखलाये //४//
जन्म वृतान्त सुनाय नवीना /
मंत्र नारायण नाम का दीना //
मात रूपादेवी अति धार्मिक /
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख //५//
नाम नारायण भव भय हारी /
सिद्ध योगी मानव तन धारी //
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से उर्जित /
आत्म स्वरूप गुरू गौरान्वित //६//
एक बार संग सखा भवन में /
कर स्नान लगे चिंतन में //
चिन्तन कर समाधि लागी /
सुध बुध हीन भय अनुरागी //७//
पूर्ण करी संसार की रीती /
शंकर जैसे बने गृहस्थी //
अद्भुत संगम प्रभु माया का /
अवलोकन है विधि छाया का //८//
युग युग से भव बंधन रीती /
जहाँ नारायण वहीं भगवती //
सांसारिक मन हुई अति ग्लानि /
तब हिमगिरी गमन की ठानी //९//
अठरा बरस हिमालय चूमें /
महा तपस्या गुरू पग चूमें //
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन /
करम भूमि आये नारायण //१०//
धरा गगन ब्रम्हाण्ड में गूँजी /
सद्गुरुवर की साधना पूँजी //
हृदय विशाल शास्त्र भण्डारा /
भारत का भौतिक उजियारा //११//
सर्वधर्महित शिविर पुरोधा /
कर्म क्षेत्र के अतुलित योद्धा //
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता /
भूत भविष्य के आप विधाता //१२//
एक सौ छप्पन ग्रंथ रचेता /
सिद्धि साधक विश्व विजेता //
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर /
षोडश कला युक्त परमेश्वर //१३//
रतन पारखी विधन हरन्ता /
सन्यासी अनन्यतम सन्ता //
अद्भुत चमत्कार दिखलाया /
पारद का शिवलिंग बनाया //१४//
वेद पुराण शास्त्र सब गाते /
पारदेश्वर दुर्लभ कहलाते //
पूजा कर नित ध्यान लगावे /
वो नर सिद्धाश्रम में जावे //१५//
चारिऊ वेद कंठ में धारे /
पूज्यनीय जन जन के प्यारे //
गुरुवाणी जब गुरू उचारे /
गतिशील ग्रह धरा उतारे //१६//
चिन्तन करत मन्त्र जब गाये /
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाये //
मन्त्र नमो नारायण साँचा /
ध्यानत भागत भूत पिशाचा //१७//
प्रातः काल करहि निखिलायन /
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन //
निर्मल मन से जो कोई ध्यावे /
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति पावे //१८//
पाठ करहि जो गुरू चालीसा /
शान्ति प्रदान करहि योगीश //
अष्टोदरसत पाठ करत जो /
सर्व सिद्धियाँ पाँव पिजत सो //१९//
श्री गुरूचरण कमल की धारा /
सिद्धाश्रम साधक परिवारा //
जय जय जय आनन्द के स्वामी /
बारम्बार नमामि नमामि //२०//
-:दोहा:-
निखिल विनय सादर करें
साक्षी सारे देव /
गुरू साधक मन प्राण से
बोलो जय गुरूदेव //
"पूज्यनीय गुरूदेव की जय //
वन्दनीय माता जी की जय //"
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