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गुरु कृपा ( सत्य घटना भाग "1" ) (अध्यात्म की ओर)

( विशवास और माँ  बगलामुखी पीतांबरी प्रयोग )
गुरु लीला भाग "1" सत्य घटना पर आधारित
( हम कथा सुनाते है " नारायण गुरु ज्ञान की )

यह बात 2007 की है उन दिनों मै अपने घर पर बहुत
सारे लोगो से मिलता था और उनकी समस्या सुनता और
उसका निवारण हेतु कोई ना कोई प्रयोग या साधना बता
देता या कोई छोटा सा प्रयोग बता देता ताकि कम खर्च मे
उनकी समस्या दूर हो सके और सद गुरुदेव से जुड़ जाए
और अपने जीवन को साधना पथ पर अग्रसर कर सके
लेकिन सब अपनी समस्या तक ही सिमित रहते थे , उनको
साधना आराधना और गुरु से कोई मतबल नही रखना था
मेरे पास एक लड़का आता था और उसने बताया कि उनके मामा का लड़का है और वो गुजरात के सूरत जिले
मे रहता है उसका बहुत अच्छा काम था लेकिन किसी ने
तंत्र प्रयोग से सब बर्बाद कर दिया है घर की दुकान और
घर सब कुछ बिक चूका है और इस टाईम खाने के भी
लाले पड़े हुये है , आज वह 5000 हजार की नोकरी के
लिए भी तरस रहा है और उसकी पत्नी और बच्चे उसकी
ससुराल मे है और खुद अपने मामा जी के यहाँ 2 वक्त
की रोटी के लिए उनका सब काम करता है ये सब बातें
मैने सुनी मेरी भी आँखे भर आई तो मैने पूछा बताओ मै
आपकी क्या मदद कर सकता हूँ उसने कहा कि कोई ऐसा
प्रयोग या कोई ऐसी साधना बताओ ताकि वो अपने बीवी
बच्चों के साथ अपना गुजारा कर सके और उसके पास
आपको देने के लिए कुछ भी नही है अगर इसमें कोई यंत्र
की या माला की आवश्यकता पड़ती है तो मै अपने पैसों से
उसको दिलवा दूँगा तो मैंने कहा कि आप उसको बुला लो
दोनों आ जाए पति पत्नी दोनों और उनसे बात करता हूँ
तो अगले दिन दोनों पति पत्नी दोनों आ गए , मैंने उनसे वे
सारी बातें पूछी की क्या क्या हुआ था और उन दोनों ने वे
सारी बातें बताई और कहा कि हमारा सब कुछ लूट चूका है , अब हम सिर्फ रास्ते के भिखारी है और कुछ नही है
मैने उन दोनों को सांत्वना दी और कहाँ की मेरे गुरुदेव है
वो बहुत ही कृपालु है , और मै उनको भगवान शिव ही
मानता हूँ और वे भगवान शिव ही है और उनकी एक
कृपा दृष्टि मात्र  से सब कुछ सम्भव हो जाता है , मैंने कहा
आप ऐसा करो की एक बगलामुखी यंत्र लो और एक मै
आपको बगलामुखी का स्त्रोत्र देता हूँ आप इस यंत्र को
स्थापित कर के आपने 11 पाठ करने है वे भी पीले आसन
पर बैठ कर सूर्य उदय से पहले और शाम को सूर्य अस्त के
बाद और आपका मुख पूर्व दिशा की और होना चाहिए
और सारी विधि समझा दी , और वे सद गुरुदेव की फोटो
को प्रणाम करके विदा हो गए , फिर वे 2 दिन बाद आए
और बोले आपने जैसे कहा हमने वैसा ही किया लेकिन
ये बताओ आपने तो वे मंत्र किसी देवी का दिया था , मैंने
कहा हा लेकिन हमारे सामने तो कोई और ही आया था
मैने कहा कि आप साफ साफ बताओ की हुआ क्या है
तो उसने कहा मै सुबह के 5 बजे यह यंत्र स्थापित करके
और आपके कहे अनुसार 11 पाठ इस स्त्रोत्र के कर रहा
था अभी मेरा 5 वा पाठ आरम्भ ही हुआ था कि ठीक
मेरे सामने एक दिव्य प्रकाश पुंज प्रकट हुआ और उस
प्रकाश पुंज मे भगवान शिव मेरे सामने प्रत्यक्ष प्रकट थे
मैने उनको अपनी खुली आँखों से देखा वो मेरे सामने
खड़े थे और मेरी और मन्द मन्द मुस्कुरा रहे थे और
मेरी हालत तो ऐसी हो गई थी मै तो एकदम जड़वत
हो गया था बस उनको देखता ही रहा और प्रणाम करना
भी भूल गया था लेकिन उन्होंने मुझे अपना आशिर्वाद
दिया और कहा सब ठीक हो जायेगा मेरा आशिर्वाद है
और देखते ही देखते गायब हो गए , मैने कहा कि भाई
आप बहुत ही सौभाग्य शाली इंसान हो की आपको मात्र
5 पाठ करने मात्र से ही स्वयं महादेव प्रकट हो गए , धन्य
हो आप , मैने कहा कि भाई कहा है तुम्हारे चरण मे तो
उनको ही छू लेता हूँ , वे दोनों पति पत्नी हाथ जोड़कर
बोले ये पाप हमारे ऊपर ना चढ़ाओ और उन दोनों ने
तुरन्त मेरे पैरों को छू लिया और बोले आज आपकी ही
वजह से हमे भगवान शिव के दर्शन हुये है , और आप
ही ने बताया था कि कैसे कैसे करना है , आप ही ने यह
रास्ता बताया है , हम तो आपका धन्यवाद करने आए हैं
जो हमारी सभी समस्या का निवारण करने स्वयं महादेव
आय है , मैने कहा कि ये सब तो मेरे प्रभु भगवान निखिल
की परम् कृपा से ही सम्भव हुआ है इसमें मेरा कोई भी
योगदान नही है सब उनकी कृपा है , तो वे बोले आपने
तो कहा था कि ये देवी का स्त्रोत्र है लेकिन आए तो शिव
है , मैने हँसते हुये कहा एक ही तो बात है शिव और शक्ति
अलग अलग नही है एक ही है , वे ही शिव है वे ही शक्ति
स्वरूपा है , वे ही अर्द्ध नारीश्वर है और वे ही निखिल महादेव है , सब उनके ही रूप है सब उनका ही खेल है
इसके बाद वे गुरुदेव के चित्र को प्रणाम करके चले गए
3 दिन बाद उनकी नोकरी मुम्बई मे लग गई 25000
महीने का और रहने के लिए एक मकान जिसका कोई
भी किराया नही होगा , और छः महीने बाद प्रमोशन कर
दिया जायेगा इसके बाद वे अच्छे से Seattle हो गए
इसके बाद मेरा कोई भी सम्पर्क नही हुआ और ना ही
कभी मिलना हुआ , लेकिन इतना पता है कि सद गुरुदेव
जी ने अपनी कृपा रूपी वर्षा से उनको पूरा भीगो दिया था
आप सबको मेरा प्रेम भरा जय गुरु देव जय माँ भगवती।
जय गुरुदेव जय निखिलेश्वर।

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