हस्त मुद्राए हाथों की 8 अंगुलियों व 2 अंगुठों से विशेष प्रकार की बनाई गई आकृतियों को कहा जाता है। इनमें से एक मुद्रा होती है पंचशक्ति मुद्रा तो चलिए पंचशक्ति मुद्रा करने का तरीका और इसके फायदों के बारे में जानें।
पंचशक्ति मुद्रा
हस्त मुद्राए हाथों की 8 अंगुलियों व 2 अंगुठों से विशेष प्रकार की बनाई गई आकृतियों को कहा जाता है। दरअसल हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व। हस्त मुद्राओं के कई प्रकार और अलग-अलग लाभ होते हैं। इनमें से एक मुद्रा होती है पंचशक्ति मुद्रा। चलिए पंचशक्ति मुद्रा करने का तरीका और इसके फायदों के बारे में जानें।
कैसे काम करती है पंचशक्ति मुद्रा
अंगुलियों के पांचों वर्ग से अलग-अलग विद्युत धारा प्रवाह होता है। इसलिए मुद्रा विज्ञान के हिसाब से जब अंगुलियों को योगानुसार आपस में छुलाया जाता है, तो रुकी हुई या असंतुलित विद्युत प्रवाहित हो जाती है और शरीर की शक्ति को दोबारा से जाग्रत कर देती है और हमारा शरीर रोग से दूर हो जाता है। मुद्राओं का अभ्यास शुरू करने के थोड़े समय में ही इसका असर दिखाई देना शुरू हो जाता है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पंच महाभूतों से यथार्थ का ज्ञान होना ही पंचशक्ति मुद्रा का वास्तविक उद्देश्य होता है।
पंचशक्ति मुद्रा बनाने का तरीका
पंचशक्ति मुद्रा को बनाने के सबसे पहले हमें नमस्कार ज्योति की तरह मुद्रा बनानी होती है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि एक उंगली दूसरी उंगली से दूर होनी रहे। क्योंकि नमस्कार मुद्रा में सारी उंगलियां और अंगूठा मिले होते हैं। लेकिन पंचशक्ति में उंगलियों और अंगूठे को दूरी पर रखना होता है।
पंचशक्ति मुद्रा के लाभ
फेफड़े संबंधी खराबी और समस्याओं जैसे क्षय रोग आदि के लिए यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है। इसके नियमित अभ्यास से फेफड़े संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं। इसके अलावा पंचशक्ति मुद्रा को करने से सांस संबंधी रोग, नजला-जुकाम, बलगम आना, सर्दी ज्यादा लगना, जोड़ों का दर्द जैसे रेन्यूमेटिक पेन आदि समस्याओं काबू होती हैं व इससे बचाव भी होता है।
पंचशक्ति मुद्रा
हस्त मुद्राए हाथों की 8 अंगुलियों व 2 अंगुठों से विशेष प्रकार की बनाई गई आकृतियों को कहा जाता है। दरअसल हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व। हस्त मुद्राओं के कई प्रकार और अलग-अलग लाभ होते हैं। इनमें से एक मुद्रा होती है पंचशक्ति मुद्रा। चलिए पंचशक्ति मुद्रा करने का तरीका और इसके फायदों के बारे में जानें।
कैसे काम करती है पंचशक्ति मुद्रा
अंगुलियों के पांचों वर्ग से अलग-अलग विद्युत धारा प्रवाह होता है। इसलिए मुद्रा विज्ञान के हिसाब से जब अंगुलियों को योगानुसार आपस में छुलाया जाता है, तो रुकी हुई या असंतुलित विद्युत प्रवाहित हो जाती है और शरीर की शक्ति को दोबारा से जाग्रत कर देती है और हमारा शरीर रोग से दूर हो जाता है। मुद्राओं का अभ्यास शुरू करने के थोड़े समय में ही इसका असर दिखाई देना शुरू हो जाता है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पंच महाभूतों से यथार्थ का ज्ञान होना ही पंचशक्ति मुद्रा का वास्तविक उद्देश्य होता है।
पंचशक्ति मुद्रा बनाने का तरीका
पंचशक्ति मुद्रा को बनाने के सबसे पहले हमें नमस्कार ज्योति की तरह मुद्रा बनानी होती है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि एक उंगली दूसरी उंगली से दूर होनी रहे। क्योंकि नमस्कार मुद्रा में सारी उंगलियां और अंगूठा मिले होते हैं। लेकिन पंचशक्ति में उंगलियों और अंगूठे को दूरी पर रखना होता है।
पंचशक्ति मुद्रा के लाभ
फेफड़े संबंधी खराबी और समस्याओं जैसे क्षय रोग आदि के लिए यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है। इसके नियमित अभ्यास से फेफड़े संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं। इसके अलावा पंचशक्ति मुद्रा को करने से सांस संबंधी रोग, नजला-जुकाम, बलगम आना, सर्दी ज्यादा लगना, जोड़ों का दर्द जैसे रेन्यूमेटिक पेन आदि समस्याओं काबू होती हैं व इससे बचाव भी होता है।
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