1. टिन की छत वाले छोटी दुकान से, देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन और रिटेल ब्रोकरेज कंपनी का सफर
फोर्ब्स ने इन्हें इंडिया का सबसे युवा अरबपति घोषित किया है। इन्होंने अपने दम पर 34 हजार करोड़ की कंपनी स्थापित की है। हम बात कर रहे हैं रियल एस्टेट और हाउसिंग फाइनेंस की जानी-मानी कंपनी इंडिया बुल्स के मालिक समीर गहलोत की।
समीर ने आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर काम करने अमेरिका चले गए। अमेरिका में दो साल काम करने के बाद वह वापस भारत लौटे ताकि परिवार का बिजनेस ज्वाइन कर सकें। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
जब वह वापस भारत लौटे तभी उन्हें एक कंपनी के बिकने की बात पता चली। समीर ने बिना कोई देर किए अपने दोस्त राजीव रट्टन के साथ मिलकर वो कंपनी खरीद ली। उन्होंने दिल्ली के हौज खास में एक टिन की छत वाले छोटे से दुकान से कंपनी का काम शुरू किया। एक साल तक मेहनत करने के बाद वह कंपनी भारत की पहली इंटरनेट बेस्ड ब्रोकरेज सर्विसेस कंपनी बनी। उन्होंने अपनी कंपनी का नाम इंडिया बुल्स फाइनेंशियल सर्विसेस रखा।
आज इंडिया बुल्स देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन और रिटेल ब्रोकरेज फर्म है।समीर गहलोत सिर्फ 42 साल के हैं और भारत के ही नहीं दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल हैं। उनकी निजी संपत्ति तकरीबन 8 हजार करोड़ आंकी गई थी। इंडिया बुल्स में लगभग 7 हजार लोग काम करते हैं।
2.खड़ी कर दी 10 हजार करोड़ की कंपनी, घर से 50 रुपये लेकर निकला था
2.खड़ी कर दी 10 हजार करोड़ की कंपनी, घर से 50 रुपये लेकर निकला था
जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जूनून हो तो कोई मुश्किल इंसान को नहीं रोक सकती। इसकी जीती जागती मिसाल हैं पीएनसी मेनन। महज 50 रुपये लेकर घर से निकले मेनन ने कैसे खड़ी कर दी 10 हजार करोड़ की कंपनी, हम बता रहे हैं।
केरल में जन्में मेनन का सफर बचपन से ही मुश्किलों भरा रहा है। वह जब 10 साल के थे तभी पिता की मृत्यु हो गई। उसके बाद परिवार पर परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने बीच में ही अपनी ग्रेजुएशन छोड़ दी और आस-पास की दुकानों में काम करने लगे
इसी दौरान उनकी मुलाकात एक शख्स से हुई जिसने उन्हें ओमान आ कर काम करने का न्योता दिया। बिना किसी जान-पहचान के अनजान शहर में जाना कोई छोटी बात नहीं है, लेकिन मेनन ने यह रिस्क लिया जेब में सिर्फ 50 रुपये लेकर वह ओमान पहुंच गए। कुछ दिन वहां काम करने के बाद उन्होंने किसी तरह से साढ़े तीन लाख रुपये का लोन लेकर अपनी इंटीरियर डोकोरेशन की दुकान खोली। मेनन के काम को काफी लोगों ने सराहा और धीरे-धीरे उन्हें बड़े प्रोजेक्ट्स भी मिलने लगे।
उनका सबसे पहला बड़ा प्रोजेक्ट था जब उन्होंने ब्रुनेई के सुल्तान का घर डिजाइन किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। इंफोसिस के ऑफिस से लेकर कई बड़ी-बड़ी इमारतें डिजाइन कर चुके हैं मेनन। ताज्जुब की बात ये है कि उनके पास इंटीरियर डिजाइनिंग में कोई डिग्री नहीं है।
मेनन की कंपनी 'शोभा डेवलपर्स' की कीमत 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा है। रियल स्टेट में इस कंपनी का काफी नाम है। मेनन को अपनी कामयाबी और चैरिटी के लिए कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं।
3. शादी से बचके घर से भागी थी, बन गई फैशन की सरताज
'वैशाली एस' आज एक जाना-माना फैशन लेबल है। दुनिया में चंदेरी के कपड़ों को उसने अलग ही पहचान दी है। विद्या बालन से लेकर सोना मोहापात्रा, इस लेबल की दीवानी हैं। लेकिन इस कंपनी को खड़ा करने वाली लड़की ने कैसे लड़ी समाज से लड़ाई और कैसे बनाई अपनी पहचान, हम बताते हैं।
इस ब्रैंड को खड़ा करने वाली वैशाली शादी से बचने के लिए 18 साल की उम्र में घर से भाग आईं थी। स्टेशन पर जो पहली ट्रेन मिली, वह उसी में चढ़ गई और किस्मत उन्हें भोपाल ले आई। उनके पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे, नौकरी भी उन्हें एक दोस्त ने दिलवाई।
वैशाली को हमेशा से फैशन डिजाइनिंग में काफी रुचि थी। 1999 में वो भोपाल से मुंबई आ गईं और एक एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी करने लगी। लेकिन वो फिटनेस सेंटर में नौकरी का ऑफर था जिसने उन्हें फैशन में जाने के लिए प्रेरित किया।
वैशाली ने लोन लेकर कुछ टेलरों के साथ अपनी दुकान खोली। कुछ ही सालों में उनकी दुकान अच्छी चलने लगी और एक छोटे सी दुकान से मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में तब्दील हो गई। इसी दौरान वैशाली ने दिल्ली आ कर फैशन डिजाइनिंग में दो साल का कोर्स भी किया।
वैशाली के ब्रांड 'वैशाली एस' को 2011 में मुंबई के लैक्मे फैशन वीक के दौरान काफी पसंद किया गया। आज उनके फैशन लेबल के कई दीवाने हैं। हाल ही में उन्होंने न्यूयॉर्क फैशन वीक में अपना कलेक्शन लोगों के सामने पेश किया जिसे काफी सराहना भी मिली।
वैशाली स्त्री शक्ति की एक मिसाल हैं। अपने सपनों के लिए उन्होंने समाज के सारे नियम और कानून ताक पर रख दिए। और आज वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं जहां बड़े से बड़ा सितारा उन्हें पहचानता है।
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