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चंद्रघंटा साधना

 **चंद्रघंटा साधना** देवी दुर्गा के नौ रूपों में से तीसरे रूप, देवी चंद्रघंटा, की साधना होती है। इनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। यह साधना भय, दुख, और रोगों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप शांत और सौम्य होते हुए भी युद्धक है, और इनके मस्तक पर चंद्र का अर्धचंद्र आकार में मुकुट है, जिससे इन्हें चंद्रघंटा नाम मिला है।


**चंद्रघंटा साधना के लाभ:**

1. मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

2. नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्ति मिलती है।

3. साधक को साहस, वीरता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

4. जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

5. आध्यात्मिक उन्नति होती है।


**चंद्रघंटा साधना विधि:**

1. साधना के लिए सोमवार का दिन शुभ माना जाता है, लेकिन इसे नवरात्रि के तीसरे दिन भी किया जाता है।

2. सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

3. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

4. देवी चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती चढ़ाएं।

5. देवी को सफेद या पीले फूल अर्पित करें।

6. देवी चंद्रघंटा के मंत्र का जाप करें:


   **मंत्र**:

   _"ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः"_


   या


   _"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे चंद्रघंटायै नमः"_


7. 108 बार मंत्र का जाप करें। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।

8. ध्यान करें कि देवी आपको आशीर्वाद दे रही हैं और जीवन में सुरक्षा और समृद्धि प्रदान कर रही हैं।

9. साधना के बाद देवी की आरती करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।


**सावधानियाँ:**

- साधना के दौरान मन को एकाग्र और शुद्ध रखें।

- साधना शांत और पवित्र वातावरण में करें।

- साधना के समय व्रत या उपवास भी किया जा सकता है, जिससे साधना का प्रभाव बढ़ता है।


चंद्रघंटा साधना से साधक को देवी का कृपा और शक्ति प्राप्त होती है, जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।

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