**कात्यायनी साधना** मां कात्यायनी की उपासना की एक विशेष साधना है, जो नौ दुर्गाओं में छठी देवी मानी जाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है। मां कात्यायनी को शक्ति, पराक्रम, और विजय की देवी माना जाता है, और उनकी साधना विशेष रूप से शत्रुनाश और मनोकामना की पूर्ति के लिए की जाती है।
### कात्यायनी साधना का महत्व:
- **शत्रुनाश**: मां कात्यायनी की उपासना से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
- **विवाह में अड़चन**: कात्यायनी साधना विशेष रूप से उन कन्याओं द्वारा की जाती है, जिन्हें विवाह में बाधा आ रही हो। स्कंद पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए गोपियों ने कात्यायनी व्रत किया था।
- **मनोकामना पूर्ति**: भक्त की मनोकामना को पूरा करने में यह साधना सहायक मानी जाती है।
### कात्यायनी साधना विधि:
1. **साधना का समय**: यह साधना नवरात्रि के छठे दिन आरंभ की जाती है, पर इसे किसी भी शुभ दिन जैसे पूर्णिमा या अष्टमी को भी किया जा सकता है।
2. **पूजा स्थल**: साधना के लिए स्वच्छ स्थान का चयन करें, जहां शांत वातावरण हो।
3. **ध्यान और पूजन**:
- देवी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।
- माता का ध्यान करें और "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कात्यायन्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
4. **मंत्र जाप**: कात्यायनी देवी के बीज मंत्र "ॐ कात्यायन्यै नमः" का 108 बार जाप करें।
5. **भोग**: माता को गुड़ और हल्दी से बने व्यंजन का भोग लगाएं।
6. **प्रणाम और आशीर्वाद**: अंत में देवी को प्रणाम करें और अपनी मनोकामना उनके चरणों में अर्पित करें।
### विशेष मंत्र:
- **बीज मंत्र**: "ॐ ह्रीं कात्यायन्यै नमः"
- **ध्यान मंत्र**: "चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥"
यह साधना साधक के जीवन में सकारात्मकता और शक्ति लाती है।
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