भ्रामरी योग एक प्राणायाम तकनीक है जो मानसिक शांति, ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए जानी जाती है। इसमें "भ्रामरी" का अर्थ होता है "भौंरा" या "मधुमक्खी," और इस प्राणायाम में जो ध्वनि उत्पन्न होती है, वह भौंरे की गुंजार जैसी होती है।
### भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि:
1. **आरंभिक स्थिति**: एक शांत और सुकूनदायक स्थान पर आरामदायक मुद्रा में बैठें, जैसे पद्मासन या सुखासन।
2. **श्वास लेना**: गहरी श्वास लें और इसे अपनी नाक के माध्यम से अंदर लें।
3. **ध्वनि उत्पन्न करना**: श्वास छोड़ते समय, अपने होठों को बंद करें और गले से 'हूँ' या 'म' की ध्वनि निकालें। ध्वनि को इतना लंबे समय तक जारी रखें जितना संभव हो।
4. **ध्यान केंद्रित करना**: अपनी आँखें बंद रखें और ध्यान को अपने सिर के भीतर या अपने हृदय पर केंद्रित करें।
5. **अभ्यास की अवधि**: इसे 5-10 मिनट तक करें, या अपनी सुविधा अनुसार।
### लाभ:
- मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
- मन को शांत करता है और ध्यान बढ़ाता है।
- श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है।
- नींद में सुधार करता है और शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है।
भ्रामरी प्राणायाम को नियमित रूप से करने से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।
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