**यम** योग दर्शन के अष्टांग योग का पहला अंग है, जो नैतिक अनुशासन और सामाजिक आचरण से संबंधित है। यह पांच प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है, जिन्हें पालन करके व्यक्ति समाज में सदाचारपूर्ण और नैतिक जीवन व्यतीत कर सकता है। यम हमें यह सिखाते हैं कि हमें दूसरों के प्रति कैसा आचरण करना चाहिए।
**यम के पाँच अंग**:
1. **अहिंसा (Non-violence)**: किसी भी प्राणी के प्रति शारीरिक, मानसिक, या भावनात्मक रूप से हिंसा न करना। यह प्रेम, करुणा, और दया का पालन है।
2. **सत्य (Truthfulness)**: सत्य बोलना और सत्य का पालन करना। अपने विचारों, शब्दों, और कर्मों में सच्चाई बनाए रखना।
3. **अस्तेय (Non-stealing)**: चोरी न करना, न किसी वस्तु की इच्छा करना जो हमारी नहीं है। यह दूसरों की संपत्ति और अधिकारों का सम्मान करने पर जोर देता है।
4. **ब्रह्मचर्य (Celibacy/Moderation)**: इंद्रियों पर संयम रखना और यौन संयम का पालन करना। यह आत्म-नियंत्रण और मानसिक स्थिरता को बढ़ावा देता है।
5. **अपरिग्रह (Non-possessiveness)**: अनावश्यक वस्तुओं का संचय न करना और लोभ से दूर रहना। यह संपत्ति और भौतिक वस्तुओं से अत्यधिक लगाव को छोड़ने का अभ्यास है।
यम का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में नैतिकता, सद्भाव, और शांति ला सकता है, जो योग मार्ग में प्रगति के लिए आवश्यक है।
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