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योग में नियम क्या है?

 योग में "नियम" वह दूसरे अंग हैं जो "अष्टांग योग" के अंतर्गत आते हैं। ये नियम अनुशासन और आत्म-शुद्धि से जुड़े होते हैं, और योग अभ्यास के दौरान मानसिक और शारीरिक स्वच्छता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। पतंजलि के योग सूत्रों में पाँच मुख्य नियम बताए गए हैं:


1. **शौच (Shaucha)**: शारीरिक और मानसिक शुद्धता। इसका अर्थ है बाहरी और आंतरिक रूप से स्वच्छ रहना, जिससे मन और शरीर दोनों में संतुलन बना रहता है।

  

2. **संतोष (Santosha)**: संतुष्टि और वर्तमान में खुश रहना। इसका मतलब है जितना आपके पास है, उसी में संतुष्ट रहना और ईर्ष्या से बचना।


3. **तप (Tapas)**: आत्म-अनुशासन और धैर्य। यह कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक और शारीरिक तप को दर्शाता है।

  

4. **स्वाध्याय (Svadhyaya)**: आत्म-अध्ययन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन। इसका अर्थ है अपने भीतर झांकना और अपने आप को समझना।

  

5. **ईश्वर प्रणिधान (Ishvara Pranidhana)**: ईश्वर में विश्वास और समर्पण। इसका मतलब है अपने जीवन में किसी उच्च शक्ति या ईश्वर के प्रति आस्था रखना और हर कार्य को उनके प्रति समर्पित करना।


इन नियमों का पालन करने से योग साधक का जीवन अधिक शुद्ध, अनुशासित और मानसिक रूप से संतुलित होता है।

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