*सफलता क्या है ??*
4 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।
8 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने घर वापिस आने का रास्ता जानते है।
12 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने अच्छे मित्र बना सकते है।
18 वर्ष की उम्र में मदिरा और सिगरेट से दूर रह पाना सफलता है।
25 वर्ष की उम्र तक नौकरी पाना सफलता है।
30 वर्ष की उम्र में एक पारिवारिक व्यक्ति बन जाना सफलता है।
35 वर्ष की उम्र में आपने कुछ जमापूंजी बनाना सीख लिया ये सफलता है।
45 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपना युवावस्था बरकरार रख पाते हैं।
55 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में सक्षम हैं।
65 वर्ष की आयु में सफलता है निरोगी रहना।
70 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप आत्मनिर्भर हैं किसी पर बोझ नहीं।
75 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने पुराने मित्रों से रिश्ता कायम रखे हैं।
80 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आपको अपने घर वापिस आने का रास्ता पता है।
और 85 वर्ष की उम्र में फिर सफलता ये है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।
अंततः यही तो जीवन चक्र है.. जो घूम फिर कर वापस वहीं आ जाता है जहाँ से उसकी शुरुआत हुई है। और यही जीवन का परम सत्य है।
संभाल कर रखना अपने को
👍🏽👍🏽👍🏽👍🏽👍🏽👍🏽👍🏽
4 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।
8 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने घर वापिस आने का रास्ता जानते है।
12 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने अच्छे मित्र बना सकते है।
18 वर्ष की उम्र में मदिरा और सिगरेट से दूर रह पाना सफलता है।
25 वर्ष की उम्र तक नौकरी पाना सफलता है।
30 वर्ष की उम्र में एक पारिवारिक व्यक्ति बन जाना सफलता है।
35 वर्ष की उम्र में आपने कुछ जमापूंजी बनाना सीख लिया ये सफलता है।
45 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपना युवावस्था बरकरार रख पाते हैं।
55 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में सक्षम हैं।
65 वर्ष की आयु में सफलता है निरोगी रहना।
70 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप आत्मनिर्भर हैं किसी पर बोझ नहीं।
75 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने पुराने मित्रों से रिश्ता कायम रखे हैं।
80 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आपको अपने घर वापिस आने का रास्ता पता है।
और 85 वर्ष की उम्र में फिर सफलता ये है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।
अंततः यही तो जीवन चक्र है.. जो घूम फिर कर वापस वहीं आ जाता है जहाँ से उसकी शुरुआत हुई है। और यही जीवन का परम सत्य है।
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