Yllix

छत्तीसगढ़


एक समय था जब राज्य ना होने के बाद भी छत्तीसगढ़ "धान का कटोरा" कहलाता था। उसकी अपनी एक अलग सांस्कृतिक पहचान थी।जगह जगह रात-रात भर मड़ई-मेला,नाचा-गम्मद,पंथी,जसगीत,फागगीत,पंडवानी आदि कार्यक्रम होते थे।विवाह आदि सामारोह में तो सांस्कृतिक झलक देखते ही बनता था।गीत,संगीत,मस्ती सब कुछ कमाल का था।किसान को हम अन्नदाता कहते थे "जय जवान जय किसान" का नारा तो गूंजते ही रहता था।पर आज...
छत्तीसगढ़ में "कटोरा" बच गया है "धान" ग़ायब हो गया है।संस्कृति के नाम पर मात्र औपचारिकता होती है और हम d.j.रीमिक्स, डिस्को,डांडिया,गरबा,भांगड़ा आदि में मस्त रहते है।दारू बेचने और पीने में हम कीर्तिमान बना रहे है।अब हमें अन्नदाता नही "दारूवाहा" कहा जाने लगा है।किसान आत्महत्या कर रहे है अब नारा बदल कर "आग लगे बस्ती में मस्त रहो मस्ती में" में हो गया है।
व्यापार के बहाने विदेशी "भारत"आये और भारत वासियों को अपना ग़ुलाम बनाया।बड़े संघर्ष के बाद देश को स्वतंत्रता मिली पर आज भी देश आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से विदेशियों का ग़ुलाम है।
यही स्थिति छत्तीसगढ़ की भी है।गैर प्रदेशी व्यापार के लिए यंहा आये और आज राज्य बनने के 18 साल बाद भी आर्थिक,राजनैतिक और सांस्कृतिक रूप से वो हमे अपना ग़ुलाम बना रहे है।
मज़दूर हो या मालिक,नेता हो या अभिनेता,चपरासी हो या अधिकारी,ठेले की गुमटी हो या कारखाना,संस्था निजी हो या शासकीय, कार्यकर्ता हो या मंत्री सभी जगह गैर प्रदेशियों ने कब्ज़ा किया हुआ है।
यंहा रहना-कमाना-खाना तो सब चाहते है पर यंहा की संस्कृति को अपनाना कोई नही चाहता।
अगर ऐसा ही रहा तो वो दिन दूर नही जब छत्तीसगढ़ तो रहेगा पर "छत्तीसगढ़िया" नही रहेंगे।
"जागो छत्तीसगढ़िया जागो"
आपसे विनती है अपनी क्षेत्रियता को ही प्राथमिकता दे,छत्तीसगढ़ी कला और संस्कृति को बचाये,गैर प्रदेशियों के बहकावे में ना आये,दारू रूपी दानव को छत्तीसगढ़ से भगाये।
जय भारत,जय छत्तीसगढ़।

No comments:

Post a Comment

Sab kuch

USEME application

 दोस्तों  फेसबुक , इंस्टाग्राम जैसे एप्लीकेशन Useme दे रही  ₹2000 से ₹20000 हर रोज कमाने का मौका। India's 1st Social Saving App 📲  USEM...