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आत्म ज्ञान

 आत्म ज्ञान

जब मनुष्य का जन्म होता है। तो वह एक कोरा कागज़ की तरह होता है। जैसे - जैसे वह बड़ा होता है,उनके दैनिक जीवन में छोटा बड़ी सभी घटाचक्रों से वह ज्ञान अर्जित करता रहा है। जितनी अधिक जिज्ञासा होते जाता हैं, उतना ही अधिक वह सीखते जाता है, ये भागदौड़ जिन्दगी में लोग खुद को भूल कर ,बाहरी कड़ियो के बारे में ही व्यस्त रहता है। जब वह अपने आत्मा परमात्मा के बारे में जानने की उत्सुकता होती है, तो उसके मन में हजारों सवाल उठता है,की मै कौन हूं, कहा से आया हूं, क्या करने आया हूं,तो वह पुस्तक, ज्ञानी लोगो से जानकारी हासिल कर, खुद को जानने की कोशिश करते हैं।और अपने आप को जो पहचान जाए, 
आत्मा परमात्मा की अंश है यानि जो गुण परमात्मा में है वो आत्मा में है यानि आत्मा ज्ञान का सागर, प्यार का सागर , परम पवित्र इत्यादि है। तो मनुष्य को अपने आप को खुद को एक स्थूल शरीर नहीं समझना चाहिए अपने आप को एक आत्मा यानि परमात्मा की अंश समझना चाहिए तब उसकी ब्यबहार में सुधार होता है। इसको आत्म ज्ञान कहते है।

आत्म स्वरूप और आत्म ज्ञान में क्या अंतर है ... इसको आत्म ज्ञान कहते है। जब मनुष्य अपने आप की खोज करता है और खुद अपनीआत्मा की दर्शन करता है यानि वो ज्योति बिन्दु यानि लाइट को खुद देखता है और वो उसकी सृष्टि कर्ता यानि परम पिता की खोज करता है तब वो आत्म स्वरूप में होता है।

अपने इंद्रियों को अपने वश में रख कर अहिंसा से सिर्फ अपना कार्य करना है तो आपको आत्मज्ञान प्राप्त होगा। आत्मज्ञान वही ज्ञान है जो संख्या योग में  लिखा है और किसी भी योग से आप इसे प्राप्त कर सकते है मतलब किसी भी योग के अनुसरण से इस तथ्य को समझ सकते है।

आत्मा का ज्ञान प्राप्त करने के लिये सर्वप्रथम आवश्यक है कि हम चेतना के सभी स्तरों की खोजबीन करें और उन पर प्रकाश डालें। इसमें चेतन मन, अवचेतन मन और अचेतन मन सम्मिलित हैं। चेतना के इन स्तरों की सन्तुष्टि पूरी तरह से प्रदर्शित और विशुद्ध होनी चाहिए।

कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने उस विषय का प्रत्यक्ष अथवा अनुमान सेज्ञान प्राप्त कर लिया है, उसके द्वारा उपदेश से सुनकर, अथवा लिपिबद्ध है तो पढ़कर, उस विषय का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसी शब्द से अर्थ का विषय करने वाली चित्त की वृति को शब्द से प्राप्त ज्ञानकहते है ।

 आत्मज्ञान मन के भीतर की जागरूपता है। भारतीय दर्शन में इसका प्रतीक शिव, विष्णु अथवा शक्ति हैं। इसका वर्णन बहुत वेद और उपनिषद में मिलता है। वैदिक परम्परा के अनुसार इस परम्परा का गूढ रहस्य चेतना अथवाआत्मज्ञान विज्ञान है। 
एक कहानी
 एक बार काकभुशुण्डि जी के मन में यह जिज्ञासा हुई कि “ क्या कोई ऐसा दीर्घजीवी व्यक्ति भी हो सकता है, जो शास्त्रों का प्रकाण्ड विद्वान हो, लेकिन फिर भी उसे आत्मज्ञान न हुआ हो । अपनी इस जिज्ञासा का समाधान पाने के लिए वह महर्षि वशिष्ठ से आज्ञा लेकर ऐसे व्यक्ति की खोज में निकल पड़े ।

नगर, ग्राम, गिरि, कंदर वन सभी जगह भटके तब जाकर उन्हें एक पंडित मिला, जिसका नाम था – पंडित विद्याधर । पंडित विद्याधर वेदादि शास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान थे तथा उसकी आयु चार कल्प हो चुकी थी । उनके ज्ञान के अनुभव के सामने कोई भी टिक नहीं पाता था । किसी की भी शास्त्रीय समस्याओं का समाधान वह आसानी से कर देते थे ।
पण्डित विद्याधर से मिलकर काकभुशुण्डि बड़े प्रसन्न हुए । किन्तु उन्हें आश्चर्य था कि इतने बड़े विद्वान होने के बाद भी पण्डित विद्याधर को लोग आत्मज्ञानी क्यों नहीं मानते थे ?
आखिर क्या कमी है ? इसकी परीक्षा करने के लिए काकभुशुण्डिजी गुप्त रूप से उनके पीछे – पीछे घुमने लगे ।
एक दिन की बात है, जब पण्डित विद्याधर नीलगिरी की पहाड़ी पर प्रकृति की प्राकृतिक सुषमा का आनंद ले रहे थे । तभी संयोग से उधर से कंवद की राजकन्या गुजारी । नारी के असीम सोंदर्य के सामने विद्याधर की दृष्टि में प्रकृति का सौन्दर्य फीका पड़ गया । पण्डित विद्याधर काम के आवेश से आसक्त होकर मणिहीन सर्प की भांति राजकन्या के पीछे चल पड़े । उस समय उनका शास्त्रीय ज्ञान न जाने कहाँ धूमिल हो गया ।
जब मनुष्य इन्द्रियों के विषयों में आकंठ डूब जाता है तब वह विवेकहीन कहलाता है । विवेक के स्तर के आधार पर ही ज्ञान की महत्ता होती है । विवेक के आधार पर ही व्यक्ति को समझदार कहा जाता है ।
राजकन्या के पीछे पागलों की तरह चलता देख सैनिको ने उन्हें विक्षिप्त समझकर कारागृह में डाल दिया ।
काकभुशुण्डि जी कारागृह में जा पहुँचे और पण्डित विद्याधर से बोले – “ महाशय ! शास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान होकर आपने इतना नहीं जाना कि मन ही मनुष्य के बंधन का कारण है । आसक्ति ही अविद्या की जड़ है ।
यदि आप कामासक्त नहीं हुए होते तो आपकी आज यह दुर्दशा न हो रही होती । विद्यार्जन केवल शास्त्रीय ज्ञान का बोझ ढ़ोने या शास्त्रार्थ करने के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि अपने जीवन में धारण करने के लिए किया जाता है ।”
काकभुशुण्डिजी की यह बात सुनकर विद्याधर की आंखे खुल गई । उन्होंने उसी समय अपने ज्ञान को आत्मसात करने का संकल्प लिया और उन्हें उसी समय आत्मज्ञान हो गया ।
सन्दर्भ – अखण्डज्योति पत्रिका
शिक्षा – इस कहानी का विद्याधर हम और आपमें से ही कोई है । जिनके पास दूसरों को देने के लिए शिक्षाओं की कोई कमी नहीं । लेकिन यदि उन्हीं शिक्षाओं का निरक्षण अपने ही जीवन में किया जाये तो स्वयं को एकदम कोरे पाएंगे ।
यदि प्रत्येक व्यक्ति यह संकल्प ले ले कि “मैं तब तक कोई शिक्षा दूसरों को नही दूंगा जब तक कि मैं स्वयं उसे अपने जीवन में पालन न कर लूँ” तो विश्वास रखिये – आपकी शिक्षा किसी ब्रह्मज्ञान से कम नहीं होगी ।
बोलकर व्यक्ति जितना नहीं सिखा सकता, उससे कई गुना अपने आचरण से सिखा देता है । अतः हमें वेदादि शास्त्रों की शिक्षाओं को अपने आचरण में लाना चाहिए न कि केवल उपदेश करना चाहिए ।

अब तब जितने भी महापुरुष हुए है, सबने इसी सिद्धांत को अपने आचरण में लाया है । इसी क्रम में एक दृष्टान्त इस प्रकार है ।
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कहानी 2
एक नवयुवक एक ब्रह्मज्ञानी महात्मा के पास गया और बोला – “ मुनिवर ! मुझे आत्मज्ञान का रहस्य बता दीजिये, जिससे मैं आत्मा के स्वरूप को जानकर कृतार्थ हो सकूं ।” महात्मा चुपचाप बैठे रहे ।
युवक ने सोचा, थोड़ी देर में जवाब देंगे । अतः वह वही बैठा रहा । जब बहुत देर होने पर भी महात्मा कुछ नहीं बोले तो युवक फिर से उनके पास गया और बोला – “ महाराज ! मैं बड़ी आशा लेकर आपके पास आत्मज्ञान का रहस्य जानने आया हूँ, कृपया मुझे निराश न करें ।”
तब महात्मा मुस्कुराये और बोले – “ इतनी देर से मैं तुझे आत्मज्ञान का ही तो रहस्य समझा रहा था । तू समझा कि नहीं ?”
युवक बोला – “ नहीं महाराज ! आपने तो कुछ भी तो नहीं बताया !”
तब महात्मा बोले – “ अच्छा ठीक है, एक बात बताओ ! क्या तुम अपने ह्रदय की धड़कन सुन सकते हो ?”
युवक बोला – “ हाँ महाराज ! लेकिन उसके लिए तो मौन होना पड़ेगा ।”
महात्मा हँसे और बोले – “ बस ! यही तो है आत्मज्ञान का रहस्य । जिस तरह अपने ह्रदय की धड़कन को सुनने के लिए मौन होने की जरूरत है । उसकी तरह अपनी आत्मा की आवाज को सुनने के लिए भी सारी इन्द्रियों को मौन करने की जरूरत है । जिस दिन तुमने अपनी सभी इन्द्रियों को मौन करना सीख लिया । समझों तुमने आत्मज्ञान का रहस्य जान लिया ।”
शिक्षा – वास्तव मैं मौन होने का मतलब है – ध्यान लगाना । हम जिस किसी पर अपना मन एकाग्र करते है, उसी के अनुरूप हमारी मनःस्थिति बनने लगती है, इसीलिए हमें अक्सर देवी – देवताओं का ध्यान करने की सलाह दी जाती है । ताकि हमारा मन भी उनके अनुरूप ही दिव्यता को प्राप्त करें ।


वास्तविकता
आप को आत्म ज्ञान चाहिए तो , अपने आप को समझना पड़ेगा,अपने अन्दर उतरना पड़ेगा, तरीका कई हो सकता है।
योग
ध्यान
साधना
सत् गुरु
और भी कई रास्ते है ,चुनना आप को है।
आपको  यह पोस्ट कैसा लगा, जरूर बताई कमेन्ट बॉक्स में और भी बहुत सारी जानकारी लेकर आते रहेंगे । धन्यवाद्

गैस कांड विशाखापट्टनम


 कहा हुआ
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरुवार तड़के लोगों की नींद एक अजीब बदबू के साथ खुली। यहां लोगों को अचानक सांस देने में दिक्कत होने लगी। इससे पहले लोग उठकर अपने आस पास देखते, तब तक 1 बच्चे समेत 3 लोगों की मौत हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि अब तक इस हादसे में 16 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 1000 लोगों की सांस लेने में दिक्कत, बेहोशी या आंखों में जलन होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है। विशाखापट्टनम में हुए गैस रिसाव हादसे ने एक बार फिर भोपाल गैस कांड की याद दिलाती।

 कब हुआ हादसा
2-3 दिसंबर 1984 की सुबह भोपालवासी कभी नहीं भूल सकते। जिन्होंने दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी को भोगा है, वे मरते दम तक 'भोपाल कांड' को चाहकर भी नहीं भुला पाएंगे। विशाखापत्तनम की ही तरह भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इससे हादसे में करीब 15000 लोगों की मौत हुई थी। बताया जाता है कि इस हादसे में 8 हजार लोगों की मौत एक हफ्ते में हो गई थी। इसके बाद इससे ग्रसित करीब 7 हजार लोगों की और मौत हुई। इस त्रासदी का असर अभी भी लोग झेल रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के आरआर वेंकटपुरम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी से खतरनाक जहरीली गैस का रिसाव हुआ है। जिसकी वजह से अब तक 1 मासूम समेत 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, प्रशासन ने आसपास के 5 गांवों को खाली कराया। 
खौफनाक था मंजर: विशाखापट्टन में एलजी पॉलिमर कंपनी से रात करीब 2.30 बजे रासायनिक गैस का रिसाव हुआ। यहां से करीब 3 किमी क्षेत्र में लोग सड़कों पर बेहोश होकर गिरने लगे। आंखों में जलन मचने लगी। कुछ लोगों के शरीर में छाले भी पड़ने लगे

प्रशासन की पहल
आनन फानन में प्रशासन ने खाली कराए 5 गांव
गैस रिसाव की खबर पहुंचते ही प्रशासन ने आनन फानन में 5 गांव खाली करा लिए। यहां पुलिस के साथ एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची। एनडीआरएफ ने बताया, करीब 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। वहीं, 800 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 
20 की हालत गंभीर
सरकारी अस्पताल में तीन लोगों की मौत हुई है। जबकि 20 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। इसमें अधिकतर बुजुर्ग और बच्चे हैं। बताया जा रहा है कि सरकारी अस्पताल में 150-170 लोग भर्ती कराए गए हैं। 
सैकड़ों लोग पहुंचे अस्पताल आरआर वेंकटपुरम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी से खतरनाक जहरीली गैस का रिसाव हुआ है। इस जहरीली गैस के कारण फैक्ट्री के तीन किलोमीटर के इलाके प्रभावित हैं। सैकड़ों लोग सिर दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं।
विशाखापट्टनम नगर निगम के कमिश्नर श्रीजना गुम्मल्ला ने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार पीवीसी या स्टेरेने गैस का रिसाव हुआ है। रिसाव की शुरुआत सुबह 2.30 बजे हुई। गैस रिसाव की चपेट में आस-पास के सैकड़ों लोग आ गए और कई लोग बेहोश हो गए, जबकि कुछ लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
जहरीली गैस रिसाव से प्रभावित कई लोगों को गोपालपुरम के प्राइवेट अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है। वहीं, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने 1500-2000 बेड की व्यवस्था कर ली है।

गैस लीकेज की कारण
गैस लीकेज के असली कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। फिलहाल मौके पर विशाखापट्टनम के जिलाधिकारी वी विनय चंद पहुंच गए हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री की स्थापना 1961 में हिंदुस्तान पॉलिमर्स के नाम से की गई थी। कंपनी पॉलिस्टाइरेने और इसके को-पॉलिमर्स का निर्माण करती है।

किसका है प्लांट
1978 में यूबी ग्रुप के मैकडॉवल एंड कंपनी लिमिटेड में हिंदुस्तान पॉलिमर्स का विलय कर लिया गया था और फिर यह एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री हो गई।

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किसने क्या कहा
गैस कांड पर आंध्रप्रदेश के इंडस्ट्री मिनिस्टर एमजी रेड्डी ने कहा, इस हादसे के लिए कंपनी प्रबंधन जिम्मेदार है। उन्हें सामने आकर जवाब देना होगा कि यह कैसे हुआ। कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

PM मोदी ने बुलाई NDMA की आपात बैठक
पीएम नरेंद्र मोदी ने एनडीएमए के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है। यह बैठक 11 बजे होगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विशाखापट्टनम की घटना परेशान करने वाली है। एनडीएमए के अधिकारियों और संबंधित अधिकारियों से बात की हैय़ हम स्थिति पर लगातार और बारीकी से नजर रख रहे हैं।
गृह मंत्रालय राज्य सरकार से लगातार संपर्क में
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज तड़के विशाखापत्तनम में एक निजी फर्म में गैस रिसाव के कारण मृतकों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है। मैंने स्थिति का जायजा लेने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी से बात की है। साथ ही एनडीआरएफ की टीमों को आवश्यक राहत उपाय प्रदान करने का निर्देश दिया है।
राहुल गांधी ने की मदद की अपील
राहुल गांधी ने घटना पर दुख जाहिर करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मदद की अपील की है। राहुल ने कहा, 'मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं-नेताओं से अपील करता हूं कि वे प्रभावित लोगों को सभी जरूरी मदद करें। उन लोगों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं, जो किसी अपने को खो चुके हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि अस्पताल में भर्ती शीघ्र स्वस्थ हों।'



ऐसा ही भोपाल में हुआ था गैस कांड
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइलआइसोसाइनाइट (MIC) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। २००६ में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी। ३९०० तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये।
भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था।

प्रधानमंत्री योजना 36 हजार रुपए पेंशन सालाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए तीन पेंशन योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं में अब तक कुल 64, 42,550 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। इन योजनाओं के तहत सालाना 36 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी। पीएम श्रमयोगी मानधन योजना, पीएम किसान मानधन योजना और लघु व्यापारी पेंशन योजना का लाभ काफी लोगों को मिल सकता है। इन तीनों योजनाओं का लाभ लेने के लिए शर्तें एक जैसी ही हैं। जानें इनके बारे में।

PM श्रमयोगी मानधन योजना
इस योजना की औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 मार्च, 2019 को गुजरात के गांधीनगर में की थी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन 15 फरवरी से ही शुरु हो गया था। दिहाड़ी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को हर महीने पेंशन देने की यह सबसे बड़ी योजना है। इस योजना के तहत 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद मजदूरों को हर सालाना 36 हजार रुपए पेंशन के रूप में मिलेंगे।
किसे नहीं मिल सकता इसका फायदा
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले, कर्मचारी भविष्य निधि, नेशनल पेंशन स्कीम, राज्य कर्मचारी बीमा निगम के मेंबर और इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले लोग इस योजना का लाभ नहीं ले सकते। इस योजना का लाभ उन्हें ही मिल सकता है, जिनकी मासिक आमदनी 15 हजार रुपए से कम है। अब तक 43, 84,595 लोग इस योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। 

PM किसान मानधन योजना
इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 सितंबर, 2019 को झारखंड से की थी। इसके तहत 9 अगस्त से ही रजिस्ट्रेशन होना शुरू हो गया था। प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना किसानों के लिए सबसे बड़ी पेंशन स्कीम है। इससे अब तक 20,19,220 किसान जुड़ चुके हैं। उन्हें 60 साल की उम्र पूरी करने पर 3000 रुपए महीने पेंशन मिलेगी। इसका फायदा सभी 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान ले सकते हैं। 

रजिस्ट्रेशन के लिए फीस
PM किसान मानधन योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं लगेगी। यदि कोई किसान पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहा है, तो उससे इसके लिए कोई दस्तावेज नहीं लिया जाएगा। इस योजना के तहत किसान पीएम-किसान स्कीम से मिलने वाले लाभ में सीधे अंशदान करने का विकल्‍प चुन सकते हैं। इस तरह उन्हें अपनी जेब से पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा। 

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प्रधानमंत्री लघु व्यापारिक मानधन योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के रांची में 12 सितंबर, 2019 को छोटे कारोबारियों के लिए पेंशन की यह योजना शुरू की। प्रधानमंत्री लघु व्यापारिक मानधन योजना के तहत छोटे कारोबारियों को सामाजिक सुरक्षा देने की पहल की गई। इस योजना में उन्हें 60 साल की उम्र के बाद सालाना 36,000 रुपये पेंशन मिलेगी। यह योजना 1.5 करोड़ रुपए सालाना से कम कारोबार करने वाले सभी दुकानदारों के लिए है। ईपीएफओ, ईएसआईसी के सदस्य और आयकरदाता को इसका लाभ नहीं मिलेगा। अब तक इसमें 38,735 छोटे कारोबारियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है।
पेंशन स्कीम की शर्तें
तीनों योजनाओं में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उम्र 18 साल से 40 साल के बीच होनी चाहिए। ईपीएफओ, ईएसआईसी के सदस्य और आयकरदाता को इसका लाभ नहीं मिलेगा।  रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट नंबर जरूरी है।) उम्र के हिसाब से प्रीमियम 55 से 200 रुपए तक होगा। इतना ही पैसा सरकार भी देगी। 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपए महीना पेंशन मिलेगी। नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर में इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है।

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सफलता के कुछ मुल मंत्र- 

एमएलएम लीडर्स के लिए एक महत्व पूर्ण जानकारी लेके आए हैं। आज अच्छा डिग्री होने के बाद भी लोग इधर उधर भटक रहे हैं, यहां पर बिना डिग्री वाले भी लाखो करोड़ों रूपए इस इंडस्ट्री से कमा रहे है। केवल और केवल लग्न से जो भी यहां काम करता है।वह कामयाबी पा ही लेते है,
जिंदगी हमेशा आगे बढऩे का नाम हैं और हम सभी आगे बढ़ना चाहते है। लेकिन उनमें कुछ ही लोग सफलता की सीढ़ी पर चढ़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं। बाकी लोग बहुत नीचे की सीढ़ी तक सफर तय कर पाते हैं। इसके कुछ खास कारण है जो लोग पीछे रह जाते है।कुछ टिप्स दिए गए है ,ये आप फॉलो करते हैं, तो आप अपने मंजिल पा ही जागे।
पाठ 1
कल्पना : कल्पना सीढ़ी का पहली उड़ान है। अगर हमें जीवन में कुछ करना है तो सबसे पहले उस लक्ष्य की कल्पना अपने मन में करनी होगी। तभी जाकर हम अपने लक्ष्य के नजदीक पहुँच सकते है।
पाठ 2
तीव्र इच्छा : यह उस मनुष्य पर निर्भर करता है कि हम अपने सपनें को किस ऊचाँइ तक सोचते है । यह भी हमें खुद ही सोचना है कि हम ढ़ेर सारी चीजों को पाने की इच्छा में अपनी शक्ति खर्च करें या किसी एक लक्ष्य को पाने की इच्छा में अपनी पूरी शक्ति खर्च करें।
पाठ 3
पूर्ण लगन : सफलता के रास्ते पर व्यक्ति की गाड़ी पटरी पर तभी चलती है, जब तक इसमें लगन एवं उत्साह के साथ करे। सफलता की पहली शर्त, पहला सूत्र यह है कि सफलता की ऐसी चाहत होनी चाहिए जैसे जीवन के लिए प्राणवायु की। सफलता का रहस्य ध्येय की दृढ़ता में है।
पाठ 4
समय के पाबंद रहें : समय की महत्ता दर्शाते ढेरों कहावतें, मुहावरे दुनिया में मिल जाती है लेकिन इस पर कोई अम्ल नहीं करता है। समय उनके लिए अच्छा चलता है, जो समय के साथ चलते हैं और उनके लिए खराब चलता है, जो समय से पीछे चलते हैं या तेज भागने की कोशिश करते हैं। जब तक टाइम मैनेजमेंट नहीं होता, तब तक समय हमारे नियंत्रण के बाहर चलता रहेगा। अतः लम्बे समय तक काम को टालमटोल नहीं करना चाहिए।
पाठ 4
कार्य योजना : बिना कार्य योजना के दृढ़ संकल्प सिर्फ एक मानसिक क्रिया बन कर रह जाता है और यथार्थ में बदल नहीं पाता। जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए उसकी सही और पूरी कार्ययोजना पहले से तैयार रखना बहुत जरूरी है।
पाठ 5
एकाग्रता : जिस तरह अर्जुन को सिर्फ चिडिय़ा की आंख ही दिखी थी, उसी तरह हमें भी सिर्फ अपना लक्ष्य ही दिखना चाहिए। मन एकाग्र करके अपने लक्ष्य की ओर बढऩा चाहिए।
पाठ 6
परिश्रम : सिर्फ सोचने और योजना बनाने मात्र से ही लक्ष्य नहीं पाया जा सकता। उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है, वह भी कठिन।
पाठ 7
ईमानदारी और उदारता : कोई भी सामाजिक गतिविधि जनसहयोग के बगैर पूरी नहीं होती। यदि हम दूसरों के दिल में स्थायी जगह चाहते हैं तो इसका आधार हमारे ईमानदारीपूर्ण काम से ही मिल पाता है।

ये मूल मंत्र आपको चमत्कारिक सफलता दे सकते हैं लेकिन मात्र मूल मंत्र पढ़ लेने से सफलता नहीं मिल जाती इसके लिए सतत प्रयास, अवलोकन 
और अभ्यास से ही सफलता के ये सूत्र सिद्ध हो सकते हैं।
*सफलता का अचूक मंत्र*

★ एक लीटर दूध है तो उसमें से 200 ग्राम ही खोया निकलेगा।

★ रेल में अगर 25 डिब्बे हैं तो लगभग 5 डिब्बे AC के होंगे।

★ दुनिया मेँ 100% मेँ से 80% लोग आम हैं और 20% लोग ही अमीर जिन्दगी जीते हैं।

चाहे हमारी बिजनेस का प्लान कितना भी अच्छा हो - लेकिन हमारे बिजनेस में नए लोगों में भी 100 में से Aprox 20 लोग ही आने का निर्णय ले पाएंगे इसलिए हमको दिल छोटा नहीँ करना है। 

एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे मेँ  बताया गया है कि इस विजनस मे 10:7:4:1 का Ratio काम करता है अर्थात अगर आप 10 लोगों से आप सम्पर्क करेंगे तो केवल 7 लोग बात करेंगे और उनमेँ से 4 लोग आपकी बात सुनेंगे और उनमें से केवल 01 व्यक्ति आपके साथ जुड़ सकता है या आपका प्रॉडक्ट ले सकता है।

*हमेशा SW5 Rules को ध्यान में रखें*:-

1. कुछ आऐंगे

2.  कुछ लोग नहीँ आऐंगे

3.  क्या फर्क पड़ता है

4. कुछ लोग इंतजार मेँ हैं

5. इसलिए काम शुरू करो

■ खेती में भी किसान के 100% बीज नहीँ उगते।

■ Cricket खिलाडी को हर बॉल पर विकेट नहीँ मिलती। करीब 30 बॉल पर एक विकेट की एवरेज आती है।

■ बड़े युद्ध जीतने के लिए छोटी मोटी लड़ाईयाँ हारनी पड़ती हैं।

■ अब्राहिम लिंकन ने कहा था, " बात यह नहीँ है आप असफल हो गए, बल्कि बात यह है कि कहीं आप असफलता से संतुष्ठ तो नहीं हो गये।"

■ थॉमस एडीसन ने जब बल्ब का अविष्कार किया था तो उसके पहले वे दस हजार बार असफल हुये थे। एडिसन ने सोच लिया था की हर असफलता उन्हें सफलता के ज्यादा करीब ला रही है।

आप तो बस लोगोँ को System के मुताबिक प्लान दिखाते जाएं
आपको तो बस लोगोँ को जानकारी देते रहना है, वे जुडेंगे या नहीं उसकी चिन्ता ना करें - आप तो एक ही काम करें - *आये तो Best नहीं तो Next.*......
आज भारत में  (Direct Selling) या मल्टीलेवल मार्केटिंग शुरू हुए 20 वर्ष के आस पास हो चुके है और लाखो लोग इसके साथ जुड़े है और सफल होने के लिए प्रयास रत है, लेकिन सालो नेटवर्क मार्केटिंग  में बिताने के बाद भी लाखो लोग इसमे सफल नही हो पाए उनके लिए में सफलता का मंत्र पेश कर रहा हूँ यह मंत्र या फार्मूला मेरी सालो की नेटवर्क मार्केटिंग की रिसर्च के बाद निकल कर आया है और मुझे यकीन है आप के सफल होने में मदद करेगा:
अपना लक्ष्य जाने : में जुड़ने से पहले अपना लक्ष्य जाने, जहाँ तक डायरेक्ट मार्केटिंग को में समझ पाया हूँ इसमे आने और काम करने वाले ज्यादातर लोग कर्ज़दार होते है जो किसी न किसी वजह से अपनी नौकरी या व्यापार में दबाव मैं होते है और पूंजी समाप्त हो जाने या आर्थिक हालात बिगड़ जाने की सूरत में नेटवर्क मर्केटिंग चुनते है क्योकि इसमे न के बराबर पूंजी लगाकर आपको न सिर्फ आपके पुराने कर्ज़ से मुक्ति दिल सकता है अपितु एक अच्छा जीवन भी दे सकता है
अगर आपके कर्ज़ का बोझ ज्यादा है और आपको उससे अति शीघ्रता के साथ उतारने का दबाव है तो आपको तेज़ी से आमदनी देने वाले नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस को जॉइन करके तेज़ी से आमदनी करनी की जरूरत है ऐसी अवस्था में आपको बाइनरी प्लान ऑस्ट्रेलियाई बाइनरी प्लान के तहत काम करने वाली डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी  को अपनाना चाहिए इसमे आपको आमदनी ज्यादा कम समय में कमाने का अवसर ज्यादा होते है परन्तु इस प्लान पर काम करने वाली कंपनियों की उम्र ज्यादा नही होती और जल्द किसी न किसी कारण से बन्द हो जाती है|
अगर आपको नेटवर्क मार्केटिंग  से एक स्थायित्व के साथ रेगुलर आमदनी चाहिए तो आपको जनरेशन प्लान यानी प्रोडक्ट सेल्लिंग प्लान पर काम करने वाली कंपनी को चुनना चाहिए इसमे शुरू में तो आपको ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी पर जब आपका एक अच्छा नेटवर्क खड़ा हो जाएगा तो आप जिंदगी भर और आपके बाद आपके परिवार के सदस्य भी इस मेहनत का फल भोगेंगे|
सही कंपनी का चुनाव: सफल होने में सही कंपनी का चुनाव एक और मत्त्वपूर्ण कड़ी है जिस कंपनी को आप आपने करियर के रूप में ले रहे है वो सही है या नही इसका फैसला कैसे होगा कुछ निम्न बातो पर ध्यान देंगे तो आप अपने आप को सही कंपनी में पाएंगे:
मैनेजमेंट : सबसे मत्वपूर्ण चीज़ जो किसी कंपनी को बाद बनाती है वो उसकी मैनेजमेंट में बैठे हुए लोग और नेटवर्क मार्केटिंग में उनकी दक्षता अगर आपकी कमपनी की मैनेजमेंट को डायरेक्ट सेल्लिंग का अनुभव है तो ज्यादा चांस है आपकी कंपनी एक मील का पत्थर साबित हो| अनुभवहीन मैनेजमेंट जिसको मल्टीलेवल मार्केटिंग का पता न हो और इस व्यापार में किसी के कहने से आ गयी हो ऐसी कंपनी कभी सफल नही होती|
सबसे अहम भूमिका खुद की मानसिकता रहता हैं,की लोग क्या कहेंगे। ये भूल जाते हैं,की मुझे क्या चाहिए?  आपसे हुई हर एक गलती आप को एक नया सीख दिखता है।
अपनी असफलाओं से परेशान ना हो ,आगे आपके साथ कुछ अच्छा होने वाला है।
अपने आपसे रोज सोते समय कमेटमेंट करे कि मेरा कल बेहतर होगा,मै अपने आपसे प्यार करता हूं, पूरी दुनिया से प्यार करता हूं,मै सफल इंसान हूं।
फिर आप देखे गे की आप के साथ सब अच्छा होते जा रहा है
और आखिर में
आप को एडवांस बधाई ,आप वहां पहुंच चुके है, जहां आप पहुंचना चाहते है। सफ्लता आपकी कदम चूम रहे हैं
धन्यवाद्

आकर्षण के नियम (LAW OF ATTRACTION IN HINDI)

आकर्षण के नियम
जो आप सोचते हो,चाहे नकारात्मक विचार या सकरात्मक विचार वो आप के ऊपर काम करना चालू कर देता है । आप अपना भविष्य निर्माता खुद हो।
सभी के लिए एक समान काम करता है, वो सज्जन हो या दूरज्जन।
सोच बदलो आप की दुनिया बदल जाएंगी।
अपने ऊपर भरोसा रखो, खुद से प्यार करो, दुनिया से प्यार हो जाएगा। पूरी दुनिया आपकी तरफ आकर्षित होने लगेगी, चाहे पैसा, इज्जत,सुख - शान्ति, सब कुछ मिलेगा आप को।
जैसा सोचोगे वैसा पावोगे।
साथ में आप को vesualize करना पड़ेगा ।
मेरे पास वो सभी सुख सुविधा है, मै सभी से प्रेम करता हूं,
आकर्षण का कानून यह कहता है कि आप जैसे विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हो वैसा ही अनुभव आपको जीवन में होता है। यह विश्वास इस विचार पर आधारित है कि जो लोग और उनके विचार “शुद्ध ऊर्जा” से बने होते हैं, और “सामान ऊर्जा” उसी तरह की उर्जा को आकर्षित करने की प्रक्रिया से एक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य, धन और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार कर सकता है।
आपको अपने जीवन में जो चीज़ चाहिए आपको उसकी मन में इस तरह कल्पना करनी चाहिए, जैसे कि वो आपको पहले ही मिल चूका हो या आपके साथ वो हो चूका हो।
इस तरह से आपकी सकारात्मक विचार करने की क्षमता बढ़ेगी  इससे आप सकारात्मक अनुभव और आपकी मन चाही चीजों को आप यूनिवर्स की मदद से आकर्षित कर पाओगे, लेकिन इस आकर्षण के सिद्धांत को अबतक कोई भी वैज्ञानिक तौर पर साबित नहीं कर पाया है| पर हज़ारो लोगो ने इसकी मदद से अपनी ज़िन्दगी बदली है, इसलिए ये काम करता है।
ऐसा दावा भी किया जाता है कि, आकर्षण के इस सिद्धांत का अनुकरण करने से बहुत लोगों की ज़िन्दगी में बदलाव आये हैं। इन लोगो में से हॉलीवुड के कई दिग्गज एक्टर्स का नाम भी शामिल है, जिन्होंने आकर्षण के सिद्धांत के उपयोग से अपने जीवन में मनचाही चीजों और परिस्थितियों को आकर्षित कर एक उच्च मुकाम प्राप्त कर लिया है।
इस सिद्धांत को universally भी माना जाता है, मतलब यह हर तरफ से लागु होता है, और हम जिस चीज़ को आकर्षित करते हैं, अंतिमत: उसी को ही पाते हैं।
आपको बता दें कि ऐसा नहीं होना चाहिए की आपको चाहिए एक चीज़ और आप कल्पना कर रहे हो एक से ज्यादा जा फिर किसी और चीज़ की। इस वजह से ये सिद्धांत फ़ैल(faill) हो सकता है। आपको उसी चीज़ के बारे में कल्पना करनी होगी, जिस चीज़ को आप असल में चाहते हो और जिसके आप हकदार हो।
किसी बड़े लेखक का कहना है की आपकी भावना और आपके विचार से ही आप जिस चीज़ को चाहते हो उसे जितना हो सके उतना सरल ढंग से सोचो और उस चीज़ के बारे में सकारात्मक ही सोचो। वो सोच और भावना का संयोजन ही है, जो उस चीज़ को आकर्षित करता है।
उस लेखक के अनुसार चिंता, भय, तनाव या अन्य नकारात्मक विचार लोगों को बीमार करते हैं, जबकि प्रेम के सकारात्मक विचार लोगों को स्वस्थ और यहां तक ​​कि बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं। इसीलिए अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारी का इलाज करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अपने आपको स्वस्थ होने के रूप में कल्पना करने में सक्षम होना है।

इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति लगातार सोचता है कि वह गरीब हैं, तो यह उनका भविष्य का अनुभव हो जायेगा और वो असल में गरीब ही रह जायेगा। आकर्षण का कानून हमेशा आपके विचारों के लिए आज्ञाकारी रहा है, इसीलिए अगर आप बुरा सोचोगे तो आपको बुरा ही मिलेगा और अच्छा सोचेगे तो आपको अच्छा ही फल मिलेगा। इस सिद्धांत की मदद से आप अपने प्यार को भी हासिल कर सकते है।
Law of Attraction एक प्राकृतिक सत्य है| जब हम किसी चीज को सच्चे दिल से चाहें तो एक अद्भुत प्राकृतिक शक्ति उस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी मदद करने लग जाती है| हमारी सारी समस्याएं दूर होने लगती है और सारे बंद दरवाजे अपने आप खुलने लगते है|अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको इस सिद्धांत का पालन करना ही होगा ……….
मुझे नहीं पता की आपकी Present स्थिति कैसी हैं | मैं तो केवल इतना जानता हुँ कि आपकी सफलता के लिए आपको इस सिद्धांत का पालन करना ही होगा, इस पर अटूट विश्वास करना ही होगा , तभी आप अपनी Choice की हर वस्तु ,हर मुकाम को पा सकते हो ,ये money हो सकता हैं, ये Popularity हो सकती है और चाहे ये आपका कितना भी मुस्किल Target हो सकता है ,आप उसको प्राप्त कर सकते हो |
आपकी present और past condition कैसी भी हो ,यह matter नहीं करता हैं |matter यह करता हैं कि आप कहाँ जाना चाहते हों , आखिर आप चाहते क्या हो ?
अब हमारें मन में आता हैं कि आखिर यह आकर्षण का सिद्धांत कैसे काम करता है ?
जितना मेनें इसको समझा, मैं आपके साथ वही share कर रहा हुँ…..
The Law of attraction is always working….
आकर्षण का यह सिद्धांत आपको सब कुछ देता हैं ,खुशियाँ, सेहत और दौलत |
हम जो कुछ भी चाहे पा सकते हैं, चाहें वो कितना भी बड़ा क्यों ना हों |
हमें यह पता होना चाहिए कि आखिर हम चाहतें क्या हैं |यह बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए ,
बिलकुल clear consious picture हमारें पास होनी चाहिए |
हमें स्पष्ट पता होना चाहिए कि ,हमारी असली चाहत क्या हैं?
हम जो भी सोच रहे होते हैं उसे हम attract कर रहे होते हैं
for example.
अगर मैं अपने आपको एक चुम्बक मान लूँ तो मैं जानता हुँ कि दुसरें चुम्बक मेरी और आकर्षित होगें |
एक बार फिर मैं आपको यह बताना चाहता हुँ कि हमें यह स्पष्ट रूप से मालूम होना चाहिए कि हम क्या चाहते हैं |।
आखिर हमें चाहिए क्या?
जैसा हम सोचते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं आपके विचार ही आपकी जिंदगी को बनातें हैं और इसका जवाब छुपा हैं तीन आसान शब्दों में
विचार बनायें जिंदगी
हमेशा उसके बारें में सोचों जो आप पाना चाहते हो ,उसके बारें में नहीं जों आप नहीं चाहतें |
हम हर चीज को अपनी और आकर्षित करते हैं ,चाहें वों कुछ भी हो और कितना भी मुस्किल क्यों ना हों |
अपना हर दिन एक खुशनुमा अहसास के साथ शुरू करें फिर देखिए आपका पुरा दिन कितना खुशनुमा गुजरता हैं |
आपकी हर इच्छा पुरी होती हैं |
यह भी पढ़ें:- आत्म ज्ञान ,गायत्री मंत्र - अर्थ 
ब्रह्माण्ड से अपने भगवान से माँगें जो आप पाना चाहते हैं |
1 प्रश्न करें माँगें जो आप चाहते हैं |
आखिर आप चाहते क्या हैं ?
आप जो भी चाहते हैं उसे कागज पर लिख डालें |
आपकों लिखना हैं कि आपकी जिंदगी कैसी हो ?
आप जो भी चाहते हैं उसे लिख डालें ,
बिलकुल स्पष्ट लिखें हो सके तो उसको लिख कर अपनी pocket में रखें,
आप जो भी चाहते हो उसकी list बना लिजिए |यहां तक कि इसमें यह भी लिख दें कि आपको यह कब तक चाहिए date लिखें यहाँ तक कि time भी लिख दें |
सृष्टि को अपने menu card की तरह use करें
पहले लिख दें जो भी आप चाहते हो, फिर आदेश दें
2 विश्वास ………|
विश्वास करें कि जो आप चाहते है ,वो आपको मिल चुका है |
विश्वास अटूट होना चाहिए।
एक फिर दौराना चाहता हुँ ,अटूट विश्वास |
वो कहते हैं ना कि अगर आप कुछ भी किसी को भी पूरी सिद्धत से चाहते है, तो पूरा ब्रह्माण्ड आपको उससे मिलाने कि साजिस करता है |
यह ब्रह्माण्ड सब अपने आप कर देगा |
शक करने की कोशिश ना करें |
अपने शक को अपने अटूट विश्वास में बदल दें|
3 प्राप्त करना ………|
महसूस करे कि वो आपको मिल चुका है,
महसूस करें जैसा आप उस चीज को पाकर करतें ,
जब हम कल्पना को वास्तविकता में बदलतें हैं ,तो और भी बेहतर कल्पनाएँ जन्म लेती हैं |
जो आप चाहतें है, उसका अहसास जगाएँ |
जो आप चाहते हो ,उसे जाकर देखें ,उसे छु कर देखें |
विश्वास करें कि वो आपकी हो चुकी हैं|
जब अन्तर आत्मा कुछ करने को कहती है तो करियें
विश्वास के पहले पायदान पर चढें ,आपकों पुरी सीढी चढनें की जरूरत नहीं हैं |
सिर्फ पहली सीढी चढें !
सबसे अहम बात आप जैसा सोचोगे प्रकृति आपको वहीं देगी , निर्णय आप के ऊपर है,सुख सुविधा या हमेशा दुःख।

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माँ पर शायरी

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